Home Blog Page 236

मिशन-2018 : सियासी हितों के टकराव से दरकने लगे रिश्ते

पन्ना। रडार न्यूज मिशन 2018 की सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ पन्ना का राजनैतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। यह समय संभवतः जिले के कुछ राजनैतिक परिवारों के लिए काफी कठिन और चुनौती पूर्ण है। कांग्रेस और भाजपा से सम्बद्ध कुछ राजनैतिक परिवारों के सदस्यों के बीच सियासी महत्वकांक्षा हिलोरे मार रही है, जिससे रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगी है। सत्ता हांसिल करने या फिर उसे अपनों से बचाये रखने के लिए कुनबों के बीच संघर्ष नया नहीं है यह आदिकाल से चला आ रहा है। पन्ना जिले के राजनैतिक पटल पर पिछले कुछ समय जो कुछ चल रहा, उस पर यदि नजर दौड़ाये तो उन नेताओं के चेहरे आखों के सामने आने लगते है, जिनकी दावेदारी को घर में ही चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बेशक विधानसभा चुनाव के लिए अभी कुछ महीने शेष लेकिन टिकिट को लेकर इन दोनों ही दलों में लाबिंग अभी से शुरू हो गई है। इससे बिगड़े रिश्तों के बीच कुछ दिलचस्प समीकरण भी बनते दिख रहे है।

कांग्रेस के कुनबे इनके बीच कलह

जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में से पन्ना सीट से भाजपा और कांग्रेस में टिकिट के सर्वाधित दावेदार बताये जा रहे है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कुछ समय पहले टिकिट को लेकर विधानसभावार आवेदन पत्र आमंत्रित किये थे, जिससे इसकी पुष्टी होती है। कांग्रेस में इस बार पन्ना विधानसभा सीट से छंगे राजा परिवार के तीन सदस्य दावेदार के रूप में सामने आये है। जिनमें जिला पंचायत पन्ना के सदस्य केशव प्रताप सिंह, इनके सगे छोटे भाई पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष उपेन्द्र प्रताप सिंह व चचेरे भाई ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह पूर्व सचिव मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी शामिल है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष उपेन्द्र प्रताप का कहना है कि उनके दोनों बड़े भाई पार्टी के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं हो सकते, क्योंकि उनका आम आदमी से कोई जुडाव नहीं है। उनकी दलील है कि बड़े भाई केशव प्रताप सिंह की पत्नी दिव्यारानी सिंह अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना को वर्ष 2003 में कांग्रेस ने पवई विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी थी, उन्हें गोड़वाना गणतंत्र पार्टी से भी कम वोट मिले थे। श्री सिंह का मानना है कि इसका मुख्य कारण उनके भैया-भाभी राजनीति में तो है लेकिन उनका दायरा बहुत ही सीमित है। गौरतलब है कि केशव प्रताप सिंह वर्तमान में पन्ना विधानसभा क्षेत्र के तराई अंचल से जिला पंचायत के सदस्य है। केशव प्रताप सिंह एवं उपेन्द्र प्रताप सिंह के चचेरे भाई ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह पिछले कुछ सालों से अजयगढ़ क्षेत्र में काफी सक्रिय है। वे इस बार भी मजबूती के साथ पन्ना सीट से टिकिट की दावेदारी कर रहे है। उपेन्द्र प्रताप का कहना है कि ज्ञानेन्द्र सिंह का अजयगढ़ क्षेत्र में खनन का कारोबार फैला है, इसलिए वे अजयगढ़ आते-जाते है। इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि क्षेत्र के लोगों से उनका जीवंत सम्पर्क है। मजेदार बात यह है कि उपेन्द्र प्रताप के भाई भी उनके जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटने के बाद से पार्टी और क्षेत्र में बिल्कुल भी सक्रीय न होने के आरोप लगाते हुए उन्हें सबसे कमजोर दावेदार मानते है।

महदेले की विरासत का किसका दावा मजबूत

शिवराज सरकार की वरिष्ठ मंत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले उम्र की 75वीं दहलीज पर खड़ीं है। भाजपा नेतृत्व ने पुराने फार्मूले के तहत् पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और सरताज सिंह की तरह मेहदेले को यदि आगामी विधानसभा चुनाव मंे टिकिट नहीं दिया तो उनकी राजनैतिक विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा। यह सवाल पिछले कुछ समय से जिले के सियासी हलकों में गूंज रहा है। 75 के फेर में फंसने के मद्देनजर मंत्री मेहदेले ने अपने अनुज भ्राता आशुतोष सिंह महदेले का नाम आगे बढ़ाया है। वे अपने करीबियों से भी आशुतोष को लेकर अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है। मंत्री महदेले की राजनैतिक विरासत के आशुतोष स्वाभाविक उत्तराधिकारी है। क्योंकि मंत्री मेहदेले के करीब 4 दशक से अधिक के राजनैतिक सफर के दौरान आशुतोष छाया की तरह हर समय उनके साथ रहे है। इसके अलावा भाजपा में भी सक्रीय रहते हुए उन्होंने अहम संगठनात्मक जिम्मेदारियों का निर्वाहन किया है। लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह मंत्री महदेले की भाभी नर्मदा मेहदेले और उनके पुत्र युवा नेता पार्थ मेहदेले का नाम बीच-बीच में उछल रहा है, उससे टिकिट के पहले परिवार के अंदर देवर-भाभी और भतीजे के बीच खींचतान की चर्चाओं को बल मिल रहा है। पिछले साल भोपाल से प्रकाशित एक अखबार में पार्थ महदेले का फोटो और नाम छपने के साथ पन्ना मंे प्रत्याशी को लेकर चल रहे विभिन्न सर्वे में आशुतोष महदेले के साथ उनके भतीजे का नाम शामिल होने से सफरबाग के अंदर सियासी हितों के टकराव को अनदेखा करना मुश्किल है। अच्छी बात यह है कि परिवार की प्रतिष्ठा और रिश्तों की मर्यादा को ध्यान रखते हुए महदेले परिवार के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ कोई बात नहीं करते। चर्चा यह भी है कि 75 पार का नियम आगामी विधानसभा चुनाव में यदि शिथिल होता है तो जाहिर है कि भाजपा की ओर से मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ही पुनः उम्मीदवार होगीं।

दीक्षित परिवार में भी टेंशन

पन्ना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे सुधाकर दीक्षित के परिवार में भी सबकुछ सामन्य नहीं है। दरअसल यहां भी टिकिट को लेकर उनके ज्येष्ठ पुत्र शशिकांत दीक्षित अध्यक्ष किसान कांग्रेस पन्ना और भतीजे श्रीकांत दीक्षित पप्पू महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना के बीच टेंशन कम नहीं है। इसकी वजह विधानसभा चुनाव के ऐन पहले श्रीकांत दीक्षित की तेजी से बढ़ती सक्रीयता है। जिसने सरदार जी यानि शशिकांत को सकते में ला दिया है। श्रीकांत जहां अपने पिता स्वर्गीय भास्कर दीक्षित पूर्व अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना की राजनैतिक विरासत को संभालने के लिए आतुर है। पेशे से खनन कारोबारी श्रीकांत ने हाल ही में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सम्मान करने के बाद किसान मजदूर सम्मेलन के जरिये अघोषित शक्ति प्रदर्शन करके अपने अनुज समेत टिकिट के अन्य दावेदारों की चिंता में डाल दिया है। यह बात अलहदा है कि किसान सम्मेलन में श्रीकांत मंच से चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुके है। राजनीति की बिसात पर जिस तरह से एक के बाद एक दांव चल रहे है, उससे शायद ही किसी को उनके ऐलान पर भरोसा होगा। स्थानीय स्तर पर सोशल मीडिया में सुयोग्य दावेदार को लेकर चल रहे प्रयोजित आॅनलाईन सर्वे में श्रीकांत दीक्षित पप्पू का नाम आने से विरोधाभास पैदा हो रहा है। किसान नेता शशिकांत दीक्षित अपने चचेरे बड़े भाई श्रीकांत को प्रत्याशी बनाये के सवाल पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन इसारों में वे तीखे व्यंग करते हुए कहते है कि उम्मीदवार की आर्थिक हैसियत से उसकी लोकप्रियता का आंकलन करना गलत है।

मामा-भांजे में बढ़ी तकरार

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में हुए हालिया फेरबदल के बाद सांसद कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने से पन्ना विधानसभा सीट से अजयगढ़ के जनपद अध्यक्ष भरतमिलन पाण्डेय की टिकिट को लेकर उम्मीदें बढ़ गई है। कमलनाथ के कैम्प से खुद को अकेला सिपाही बताने वाले भरतमिलन पाण्डेय पिछले कुछ समय से अपने सगे मामा सुखदेव मिश्रा की गतिविधियों को लेकर चिंतित है। कुछ समय पूर्व पन्ना के प्रवास पर आये विधायक जयवर्धन सिंह का अजयगढ़ में सुखदेव मिश्रा ने अपने निज निवास पर भव्य स्वागत किया था। इसके पहले प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक वाबरिया के पन्ना दौरे के समय भी श्री मिश्रा काफी सक्रीय रहे है। मामा-भांजे में पंचायत चुनाव के बाद से अदावत चल रही है। इस बीच अजयगढ़ के कांग्रेस नेता जिस तरह से सुखदेव मिश्रा के समर्थन में खुलकर आये है उससे भरतमिलन पाण्डेय की दावेदारी को घाटी के नीचे उनके घर से ही चुनौती मिलती दिख रही है।

वर्मा बंधुओं ने बढ़ाई सक्रियता

जिले की आरक्षित विधानसभा सीट गुनौर से टिकिट को लेकर पूर्व विधायक राजेश वर्मा की पिछले कुछ समय से सक्रीयता बढ़ गई है। विधानसभा क्षेत्र का नियमित रूप से दौरा करने और अपने स्तर पर जन समस्याओं का निराकरण कराने के साथ ही वे भाजपा संगठन की ओर से सौंपे जाने वाले दायित्वों का पूरी संजीदगी के साथ निर्वाहन करने में जुटे है। दूसरी तरफ कांग्रेस से उनके बड़े भाई सूर्यप्रकाश वर्मा ने भी गुनौर से कांग्रेस के टिकिट के लिए आवेदन किया है। जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे सूर्यप्रकाश को गुनौर विधानसभा का प्रभारी भी बनाया गया है। अमानगंज (गुनौर) सीट से भाजपा के विधायक रहे, स्वर्गीय गनेशी लाल वर्मा के दोनों पुत्र राजेश और सूर्यप्रकाश पिता की विरासत और अपने सम्पर्कों के भरोसे मिशन 2018 में सियासी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने में जुटे है। पिता के निधन के बाद से ही इन दोनों भाईयों के रिश्ते सामान्य नहीं है। आपसी बातचीत में वे एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाते रहे है।

खुशीराम की खुशी हुई गायब

गुनौर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का सपना संजोये बैठे लुहरगांव के प्रजापति बंधु किसी परिचय के मोहताज नहीं है। खुशीराम प्रजापति कांग्रेस पार्टी में विगत 10 वर्षों से लगातार सक्रिय है। वहीं उनके छोटे भाई और पेशे से शिक्षक सीताराम प्रजापति को इस बार कांग्रेस से टिकिट के योग्य दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी से टिकिट की ख्वाहिश खुशीराम भी रखते है। लेकिन छोटे भाई की लोकप्रियता और राजनैतिक सम्पर्क को दृष्टिगत रखते हुए उनकी खुशी संकोच के द्वंद में फंसी है। चुनावी समर के नजदीक आने के साथ ही खुशीराम की उलझन बढ़ती जा रही है। एक तरफ छोटा भाई सीताराम है तो दूसरी तरफ सियासी तमन्ना मचल रही है। दर्द ऐसा है जो छुपाया भी न जाये और बताया भी न जाये।

हिम्मत और रणमत में किसकी खुलेगी किस्मत

आरक्षित गुनौर विधानसभा सीट से इस बार भाजपा के एक और पूर्व विधायक काशी बागरी के बेटे हिम्मत बागरी और रणमत सिंह बागरी संजू क्रमशः कांग्रेस और भाजपा से टिकिट के दावेदार है। स्वर्गीय श्री बागरी के बड़े बेटे हिम्मत बागरी ने पिछले साल वर्ष 2017 में अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। हिम्मत की इस हिम्मत को हिमाकत के रूप में देख रहे उनके छोटे भाई रणमत खासे नाराज चल रहे है। पिता की राजनैतिक विरासत के उत्तराधिकार को लेकर दोनों भाईयों के बीच गहरे मतभेद उभरने से दूरियां काफी बढ़ चुकी है। चुनाव के करीब आने तक रिश्तों की खाई और गहरी होने के अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता।

चाचा-भतीजे में भी टिकट की होड़

पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष भास्कार देव बुंदेला के परिवार में भी पन्ना विधानसभा से टिकट को लेकर अंदर ही अंदर खींचतान मची है। चुनाव से पहले बुंदेला परिवार में टिकट को लेकर चाचा-भजीते खुलकर आमने-सामने हैं। श्री बुंदेला के भतीजे युवा नेता मार्तण्ड देव बुंदेला भी टिकट मजबूत दावेदारों में शुमार हैं। मालूम हो कि मार्तण्ड देव बुदेला की पत्नि पन्ना जनपद की अध्यक्ष रहीं हैं। अन्य दावेदारों से पहले घर में ही चुनौती मिलने से वरिष्ट नेता भास्कार देव बुंदेला अपने लिये समर्थन जुटाने की कवायत तेज करते हुए दूसरे खेमांे से मेलजोल बढा रहे हैं। चाचा की इस रणनीति को भांपते हुए मार्तण्ड ने भी अपने लिये नये साथी तलाश कर लिये हैं। अब देखना यह है कि टिकट की दौड में चाचा भतीजे में से किसकी जीत होती है, या फिर कोई और बाजी मारता है।

देश भर में आंधी-तूफान, 38 की मौत सैंकडों हुए घायल, चार धाम यात्रा भी बाधित

नई दिल्ली। देश भर में बुधवार को आये तूफान ने कहर बरपाया है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और सैंकडों की संख्या में लोग घायल हुए। तेज हवाओं से लोगों का खासा नुकसान भी हुआ है। राजस्थान के अलवर, भरतपुर और धौलपुर जिलों में बुधवार देर शाम जबर्दस्त आंधी-तूफान आया। इसमें 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए और 13 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में चार अलवर, सात भरतपुर और दो धौलपुर के बताए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी आंधी तूफान के कहर से 10 लोगों की मौत हो गई। उधर पश्चिम बंगाल और झारखंड में वज्रपात से 15 लोगों की जान चली गई। देश भर में करीब 38 लोगों को इस तूफान ने मौत हो गई। राजस्थान में प्रशासन राहत और बचाव कार्य में लगा है। पूरे अलवर में बिजली गायब है। जानकारी के अनुसार, अलवर में रात करीब पौने आठ बजे अंधड़ आया और पूरे अलवर, भरतपुर, धौलपुर इलाके में छा गया। इसकी गति इतनी तेज थी कि सड़क पर खड़े वाहन पलट गए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बुधवार को दोपहर बाद तेज आंधी-तूफान के साथ ही बारिश भी हुई। सहारनपुर में बालिका सहित दो लोगों की मौत हो गई। बिजनौर में एक बच्चे और दो लड़कियों की मौत हो गई। संभल में भी एक व्यक्ति की मौत की खबर है। वहीं आगरा जिले में चार लोगों की मौत हो गई।

आंधी-तूफान ने मचाई तबाही

गर्मी और तेज धूप से जूझ रहे दिल्लीवासियों को बुधवार की बदली फिजा ने खासी राहत दी। हालांकि पहले आंधी से परेशानी हुई, लेकिन बाद में बारिश ने सुहावने मौसम का अहसास करवाया। जानकारी के मुताबिक शाम 4रू30 बजे के बाद 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली धूल भरी आंधी ने दिल्ली की रफ्तार थाम दी। सड़कों पर चल रहे ट्रैफिक को इसकी वजह से धीमा होना पड़ा।

नहीं उड सके विमान

दिल्ली में खराब मौसम का असर हवाई सेवा पर भी पड़ा। तेज हवा और बारिश की वजह से आइजीआइ एयरपोर्ट आ रही कई उड़ानों को आसपास के एयरपोर्ट के लिए डायवर्ट कर दिया गया। प्रभावित उड़ानों में कई विदेश से आने वाले विमान भी शामिल थे। पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में बुधवार को बारिश व आंधी के दौरान वज्रपात व दीवार गिरने से 10 लोगों की मौत हो गई। जबकि कई लोग जख्मी को गए। आठ लोगों की मौत बिजली गिरने से, वहीं दो लोगों की मौत दीवार गिरने होने की खबर है। उधर झारखंड में मंगलवार और बुधवार को आंधी के बीच बेमौसम बारिश से रांची के आसपास के जिलों में जान-माल की क्षति हुई। वज्रपात से राज्य में सात लोगों की मौत हो गई।

पंजाब में दो की मौत

पंजाब में बुधवार को कई जिलों में तेज तूफान के साथ बारिश हुई। हालांकि, लुधियाना, जालंधर और अमृतसर शहर बारिश से अछूते रहे। इनके आसपास के क्षेत्रों में जमकर बारिश हुई। पटियाला व संगरूर में दिन में ही अंधेरा छा गया। पटियाला की रिशी कॉलोनी में एक प्लॉट की दीवार गिरने से प्लॉट मालिक हरमिंदर सिंह व एक श्रमिक राजू की मौत हो गई। बरनाला व रूपनगर में मंडियों में रखे गेहूं भीग गए।

चारों धाम की यात्रा प्रभावित

उत्तराखंड में नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार समेत प्रदेश के कई हिस्सों में शाम को धूल भरी आंधी के साथ बारिश हुई। उधर, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमनोत्री में बारिश होने से श्रद्धालुओं को ठंड का सामना करना पड़ रहा है। वहीं हिमाचल प्रदेश में बुधवार को अधिकांश क्षेत्रों में बारिश दर्ज की गई जबकि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा। दूसरी ओर भीषण गर्मी से जूझ रहे जम्मू कश्मीर में बुधवार को कुछ जगहों पर धूल भरी आंधी और तेज बारिश के कारण थोड़ी राहत मिली। भारी बारिश के कारण कल शाम को उत्तराखंड में यात्रियों को केदारनाथ और सोनप्रयाग में रोका दिया गया। केदारनाथ और रुद्रप्रयाग में कल दिन 3 बजे से बिजली नहीं है। आंधी-तूफान की वजह से हाईवे पर पेड़ गिरे हैं, जिससे रास्ते बंद हो गए हैं। बारिश के कारण जगह-जगह लैंडस्लाइड की भी खबर है।

साथियों की मौत का बदला लेने की फिराक में नक्सली

छत्तीसगढ़। रडार न्यूज महाराष्ट्र और तेलंगाना के लगभग 50 नक्सली दल एकजुट होकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हाल ही में तीन दर्जन से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने के बाद ये संगठित नक्सली दल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों से बदला लेने की तैयारी में हैं. आईबी के इनपुट के बाद तीनों राज्यों ने अपनी सरहद पर चौकसी बढ़ा दी है. वीआईपी और वीवीआईपी को भी नक्सली मंसूबों से वाकिफ कर सतर्क किया गया है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में भैरमगढ़ और केशकुतुल के जंगलों में फेंके गए पर्चों के जरिये नक्सलियों ने अपने मंसूबों से पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों को वाकिफ कराया है. इन पर्चों और बैनर पोस्टरों के जरिये नक्सलियों ने किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की चेतावनी दी है. दरअसल महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पिछले महीने 22 अप्रैल को 36 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराए जाने और छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरहद पर कई नक्सलियों के धर दबोचे जाने से नक्सली बौखलाए हुए हैं. वो हर हाल में अपने साथियों की मौत का बदला लेना चाहते हैं. पुलिस नक्सली मुठभेड़ के इतिहास में कभी भी एक साथ तीन दर्जन से ज्यादा नक्सली नहीं मारे गए. लिहाजा गढ़चिरौली की मुठभेड़ ने पूरे नक्सली आंदोलन को हिला कर रख दिया है.

लिहाजा कुख्यात नक्सली नेता हिड़मा के नेतृत्व में तमाम नक्सली दलों को एकजुट कर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों से बदला लेने की व्यूह रचना रची जा रही है. छत्तीसगढ़ में बस्तर के कई हिस्सों से नक्सलियों के जमावड़े और मूवमेंट की खुफिया खबर मिलने के बाद पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों से लेकर विधायकों, सांसदों, मंत्रियों समेत महत्वपूर्ण लोगों को सतर्क किया गया है. उधर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान भी नक्सलियों से आरपार की लड़ाई के मूड में हैं. गढ़चिरौली एनकाउंटर में बड़ी तादाद में नक्सलियों के मारे जाने से इन जवानों का हौसला बुलंद है. महाराष्ट्र और तेलंगाना से सटी छत्तीसगढ़ की सरहद पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है. यहां के जंगलों के भीतर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. सरहदों के घने जंगलों में नक्सली जमावड़े की खबर मिलने के बाद एक जॉइंट ऑपरेशन के तहत नक्सलियों की घेराबंदी शुरू हो गई है.

45 डिग्री तापमान के बीच जवानों ने जंगल के भीतर दाखिल होकर न1क्सलियों के अरमानों पर पानी फेरना शुरू कर दिया है. गर्मी के मौसम में जंगल में दाखिल होना कम खतरनाक नहीं होता. पतझड़ की वजह से जंगल के पेड़ों से पत्तियां गिर जाती हैं और ठूंठ में तब्दील हो जाती हैं. इससे विजिबिलिटी बढ़ जाती है. इस दौरान जंगल के भीतर पहले से ही मोर्चा संभाले नक्सली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध फायरिंग कर देते हैं. यही नहीं गर्मी की वजह से सांप और दूसरे जहरीले जीव भी अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं. ऐसे मे अपनी जान जोखिम में डाल कर ये जवान नक्सलियों  से लोहा लेने के लिए डटे हुए हैं. नक्सली चेतावनी के मद्देनजर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों को पूरे लाव लश्कर के साथ जंगलों में उतारा गया है. नक्सलियों की मौजूदगी वाले कुछ चिन्हित इलाकों में आधुनिक हथियारों और संचार माध्यमों से लैस फोर्स उतारी गई है. एक जॉइंट ऑपरेशन के तहत पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में हैं.

हालांकि गरियाबंद के जंगलों में IED ब्लास्ट की चपेट में आने से दो जवानों के शहीद होने और चार जवानों के जख्मी होने की खबर है. इसके बावजूद सुरक्षाबलों के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. महाराष्ट्र और तेलंगाना से सटी छत्तीसगढ़ की सरहद पर सेना के हेलीकॉप्टरों को भी ख़ास इलाकों में पहले ही मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. एक गोपनीय इनपुट के आधार पर तेलंगाना की सरहद पर हिड़मा की मौजूदगी और उसके साथ करीब 250 नक्सलियों के जमावड़े की भी खबर है. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों ने महाराष्ट और छत्तीसगढ़ की सरहद के कई हिस्सों से नक्सली चेतावनी के पर्चे बरामद कर उन इलाकों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. CRPF, ITBP, BSF और छत्तीसगढ़ पुलिस का दस्ता जंगल के भीतर दाखिल होकर नक्सलियों को सबक सिखाने में जुटा है.

8 वीं पास युवती ने पुलिस को बनाया बेवकूफ, 10 साल बाद हुआ पर्दाफाश

भोपाल। रडार न्यूज 10 सालों तक मध्यप्रदेश पुलिस पर रौब झाडने वाली इंदौर की 8वी पास लडकी की हैरान करने वाली कहानी सामने आई है। 10 तक एडीजी की बहन बनकर सीएसपी से लेकर टीआई पर रौब जमाती रही, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। वह कई पुलिस अधिकारियों के संपर्क में रही और उनसे काम निकालती रही। इंदौर ही नहीं बल्कि भोपाल और उज्जैन की मैस में भी पुलिस अफसर उसे वीआईपी ट्रीटमेंट देते थे। इस मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपी महिला और उसके बॉयफ्रैंड कृष्णा राठौर को गिरफ्तार कर लिया। एडीजीपी अजय शर्मा ने बताया कि युवती का नाम सोनाली शर्मा है वह मरीमाता चैराहा स्थित पुलिस ऑफिसर मेस में लंबे समय से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) इंदौर रेंज कि छोटी बहन होने कि भ्रामक जानकारी देकर रह रही थी। डीजीपी के अनुसार सोनाली पहली बार 2008 में रिटायर्ड डीजी लोकायुक्त कापदेव के रिफरेंस पर उनकी बेटियों के साथ ऑफिसर मैस में ठहरी थी। बाद में इसने पुलिस अधिकारियों से पहचान बनाई और उनकी रिश्तेदार बताकर फायदा उठाना शुरू कर दिया।

एडीजी की बहन बनकर उसने कई बड़े अधिकारियों से संबंध बनाए। सूबे में कई ट्रांसफर और पोस्टिंग तक करवाया। यही नहीं पुलिस अधिकारियों ने उसे गाड़ी और गनमैन जैसी सुविधाएं भी दे रखी थी। इस दौरान महिला द्वारा अत्यधिक रोब झाडने पर मेस संचालन में तैनात अधिकारियों को उस पर शक हुआ। एडीजी से पूछताछ पर मामले का खुलासा हुआ। एडीजी ने बताया कि उनकी तो कोई बहन ही नहीं है जिसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। आरोपी महिला मंगलवार देर रात हिरासत में ली गई। सीएसपी कामठ के अनुसार महिला की पहचान सोनिया शर्मा (27) पिता सी एल शर्मा निवासी होशंगाबाद के रूप में हुई है। पूछताछ में उसने कई नेताओं और अफसरों से संपर्क का दावा किया है। बताया जा रहा है कि सोनिया ने हाल ही में प्लास्टिक सर्जरी भी कराई थी। इस घटना ने पुलिस के  लिये कई सबक छोड दिये।

देवगौड़ा से पूछा- कर्नाटक को बताएं किस तरफ हैं आप

0

नई दिल्ली। रडार न्यूज कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग से ठीक पहले अंतिम चरण में पीएम मोदी का चुनावी प्रचार शुरू होते ही सूबे का सियासी पारा गर्म है। इस सियासी गर्मी की पहली तपिश जेडीएस और पार्टी प्रमुख पूर्व पीएम देवगौड़ा पर पड़ी है। पीएम ने अपनी पिछली रैली में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए देवगौड़ा की तारीफ कर दी, तो सिद्धारमैया ने एक बार फिर जेडीएस के बीजेपी की बी टीम होने का शिगूफा एक बार फिर छेड़ दिया। देवगौड़ा की सफाई भी आई तो अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे तौर पर उनसे पूछ लिया कि वह कर्नाटक को बताएं कि किसके साथ हैं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये सत्ता बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा के लिये मिशन कांग्रेस मुक्त भारत। ऐसे में दोनों ही पार्टियां यहां अपना पूरा जोर आजमा रहीं है। दोनों ही पार्टियों के राष्ट्रीय नेता कर्नाटक में डेरा जमाये हुए हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से कितना अहम है।

युवाओं में बढ़ रही है भूलने की बीमारी, ‘हिपोकैंपस’ से सिकुड रहा दिमाग

नई दिल्ली। रडार न्यूज एक रिसर्च में सामने आया है कि दिमाग का वह हिस्सा जो चीजों को याद रखने का काम करता है, जिसे डॉक्टरों की भाषा में हिपोकैंपस कहा जाता है, वह सिकुड़ता जा रहा है। यह समस्या यंग एज में ज्यादा पाई जा रही है। इससे भूलने जैसी बीमारियां भी हो रही हैं। इस बारे में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरॉल्जिस्ट डॉ विकास धिकव बताते हैं कि पिछले साल आरएमएल के न्यूरॉलजी विभाग ने एक रिसर्च की थी। इसमें 67 मरीजों को शामिल किया गया था। इसका मकसद यह देखना था कि कितने प्रतिशत लोग तनाव में हैं। यह दिमाग पर क्या असर करता है? डेढ़ साल तक चली इस रिसर्च के नतीजे बेहद चिंताजनक रहे। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि इन 67 मरीजों में से 30 प्रतिशत मरीज ऐसे पाए गए, जिन्हें तनाव है। इस तनाव की वजह से उनके दिमाग का हिपोकैंपस सिकुड़ता जा रहा है। डॉ धिकव ने बताया कि रिसर्च में सभी मरीजों के दिमाग का एमआरआई किया गया और एमआरआई करने के बाद उनके हिपोकैंपस को मापा गया। जिन लोगों में तनाव न के बराबर था, उनका हिपोकैंपस का साइज सामान्य था और जिन्हें तनाव था, उनका हिपोकैंपस सिकुड़ चुका था। इसकी वजह से ही यंग एज में भूलने की बीमारी हो रही है।

अकेलापन है बडा कारण

डॉ धिकव बताते हैं कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो हर वक्त उदास रहते हैं। इस उदासी का कारण कुछ भी हो सकता है। इसके साथ जो लोग अकेले रहते हैं या परिवार में होते हुए भी केवल फोन पर आंखें टिकाए रहते हैं और किसी से बात नहीं करते, उनमें भी तनाव का स्तर काफी हाई देखा गया है। इसके साथ ही नकारात्मक विचार, चिड़चिड़ा होने से भी तनाव का खतरा बढ़ जाता है।

कैसे सिकुड़ जाता है हिपोकैंपस

हम जब किसी चीज के बारे में ज्यादा सोचते हैं और उस चीज को लेकर तनाव में आ जाते हैं, तो हमारे दिमाग में सिरम कोटिसोल बढ़ जाता है। सिरम कोटिसोल तनाव का हॉर्मोन होता है, जिसके बढ़ने से तनाव भी बढ़ता है। यह हॉर्मोन लोगों को आत्महत्या करने तक मजबूर कर देता है, इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी किसी चीज के बारे में न सोचें जिससे तनाव बढ़े।

बीमारी की वजह और इलाज

तनाव को दूर करने के लिए सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि दिल और दिमाग में यदि बात आती है, तो उसे लोगों के साथ शेयर किया जाए। यदि सब के साथ शेयर नहीं करना चाहते, तो कोई एक व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिस पर आपको विश्वास हो और अपनी बातें शेयर कर सकें। इसके साथ ही योग, मेडिटेशन और एक्सर्साइज का भी सहारा लेना चाहिए।

विटमिन डी जरूरी

चॉकलेटरू चॉकलेट में पाए जाने वाले कुछ विशेष तत्व तनाव को दूर करने और मूड को अच्छा रखने में मददगार होते हैं। केले मे डोपामाइन नामक तत्व होता है, जो तनाव कम करता है। यह मैग्नेशियम और विटमिन बी-6 से भरपूर होने के कारण टेंशन दूर करता है। शकरकंद में मैग्नीशियम और विटमिन बी -6, विटमिन सी और एमिनो ऐसिड पाए जाते है। इनके कारण यह तनाव से मुक्ति पाने का अच्छा साधन बन जाता है। शकरकंद खाने से मूड अच्छा होता है, नींद अच्छी आती है और यह पाचन तंत्र को ठीक रखने में सहायक होता है। इसलिए जब भी टेंशन में हो, तो शकरकंद खाएं। बादाम से उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन, जिंक, विटामिन बी -2 और मैग्नीशियम मिलते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ई भी पाया जाता है। इस वजह से बादाम खाने से तनाव से राहत भी मिलती है। इसके कारण होने वाले नुकसान से बचाव भी होता है। यह मानसिक तनाव को दूर करने की दवा की तरह काम करता है। अखरोट, सरसों का तेल, साबुत उड़द, पालक, फूल गोभी, आम, खरबूजा, लौंग, अलसी के बीज, अंडे की जर्दी आदि ओमेगा 3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत है। इनके उपयोग से मानसिक तनाव में राहत मिलती है। लहसुन तनाव के कारण होने वाले नुकसान से बचने के लिए लहसुन का उपयोग करना चाहिए। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट टेंशन से पैदा हुए हानिकारक तत्वों को नष्ट करते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन तनाव को दूर करने में सहायक होता है। सर्दी के मौसम में कच्ची हल्दी की सब्जी का उपयोग जरूर करना चाहिए।

आंनद के साथ जीवन बितायेंगी सोनम

मुम्बई।  रडार न्यूज कितनी सीधी और सच्ची सी बात है, दुनिया में सुकून और अमन का तरीका यही है कि अपने आसपास वालों से प्यार करो. मोहब्बत में डूबे किसी आशिक की ये बातें किसी और ने नहीं बल्कि सोनम कपूर के होने वाले पति आनंद आहूजा ने लिखी हैं. बीते कई दिन से अभिनेता अनिल कपूर और सुनीता की बेटी सोनम और दिल्ली के कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले आनंद आहूजा की शादी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन अब इसकी पुष्टि हो गई. सोनम और आनंद की शादी 8 मई को मुंबई में होगी और बुधवार को इसका आधिकारिक ऐलान किया गया.

    कुछ ही पलों में सोशल मीडिया में शादी-सगाई का कार्ड भी वायरल हो गया. सोनम-आनंद के परिवारों ने एक बयान में कहा, कपूर और आहूजा परिवारों को सोनम और आनंद की शादी का ऐलान करते हुए बेहद खुशी हो रही है. शादी 8 मई को मुंबई में होगी. क्योंकि ये बेहद पारिवारिक मामला है, इसलिए हम परिवार की निजता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं. इन खास पलों की खुशी के बीच हम आपके प्यार और आशीर्वाद की उम्मीद करते हैं. जिस सीन में हम हंसते थे उन पर लोग तालियां बजाते थे। सोनम और आनंद की मेहंदी 7 मई को बांद्रा के सिग्नेचर आइलैंड स्थित सनटेक में होगी. अगले रोज शादी का कार्यक्रम रॉकडेल में रखा गया जो सोनम की आंटी का बंगला बताया जा रहा है. शादी का वक्त सवेरे 11 बजे से रात 12 बजे दिया गया है. मुंबई के द लीला होटल में शाम को एक पार्टी होगी. कपूर और आहूजा परिवार ने अलग-अलग समारोह के लिए ड्रेस कोड भी बताया है और ये भी लिखा है, इस खास दिन पर आपका आना हमारे लिए खास तोहफा होगा.

    हालांकि शादी के कार्ड पर अलग से संगीत समारोह का जिक्र नहीं किया गया है. इससे पहले खबरें आई थीं कि करण जौहर ने संगीत की जिम्मेदारी संभाली है, जबकि फराह खान सेरेमनी में कोरियोग्राफी देखेंगी. लेकिन आनंद आहूजा हैं कौन और सोनम कपूर से उनकी मुलाकात कब हुई थी. वो दिल्ली से आते हैं और कारोबारी हैं. वो लोकप्रिय अपैरल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी भाने के मालिक हैं. इसके अलावा वो दिल्ली में वेज नॉन-वेज नामक मल्टी-ब्रांड स्नीकर बुटीक भी चलाते हैं. साथ ही वो शाही एक्सपोर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं जिसका सालाना तीन हजार करोड़ रुपए का टर्नओवर है. आनंद ने अमेरिकन एम्बेसी स्कूल से पढ़ाई की और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वीनिया के वॉर्टन स्कूल से पोस्ट ग्रेजुएशन की. उन्होंने अमरीका में एमेजॉन.कॉम में इंटर्नशिप की और उसके बाद दिल्ली लौटकर अपने पिता हरीश आहूजा के साथ जुड़े. ऐसा बताया जाता है, साल 2014 में फैशन डिजाइनर और सोनम की स्टालिस्ट प्रेरणा कुरैशी के जरिए आनंद आहूजा की मुलाकात सोनम कपूर से हुई थी. मुलाकात के एक महीने के भीतर आनंद ने उन्हें प्रपोज कर दिया था.

माही के लिये आसान नहीं कोलकाता की चुनौती

527

मुम्बई। रडार न्यूज हार के बाद तुरंत जीत की पटरी पर लौटना टीम के लिए अहम होता है। मुंबई इंडियंस के हाथों हारने के बाद चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) ने ऐसा ही किया। नई ओपनिंग जोड़ी के साथ उन्होंने शानदार वापसी की और दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ आसानी से मैच जीता। निचले क्रम में अभी बल्लेबाजी करने पर अंबाती रायडू को कोई फर्क नहीं पड़ा। यह दिखाता है कि वह सीमित ओवरों के कितने अच्छे खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है कि कब शॉट लगाने हैं और कब एक-दो रन लेने हैं। इससे भी ज्यादा क्रीज पर टिके रहने की उनकी प्रतिबद्धता से चेन्नई को आखिरी ओवर तक एक छोर संभालने वाला बल्लेबाज मिल गया है। धौनी अभी जैसी फॉर्म में है, उससे चेन्नई बड़े से बड़ा स्कोर का पीछा करने को लेकर आश्वस्त है। रैना और वॉटसन भी सीएसके की बल्लेबाजी को मजबूती और अनुभव दे रहे हैं। दोनों किसी भी वक्त बड़े शॉट लगा सकते हैं। अन्य टीमों की तरह चेन्नई की परेशानी भी पावर प्ले और आखिरी ओवरों में गेंदबाजी है। सिर्फ सनराइजर्स ही इस मामले में अपवाद है। उनके गेंदबाज छोटे लक्ष्य को भी बचा रहे हैं और उसमें भी विपक्षी टीम को बड़े अंतर से हरा रहे हैं। कोलकाता नाइटराइडर्स के पास संतुलित गेंदबाजी है और इससे आक्रामक बल्लेबाजों को परेशानी हो रही है क्योंकि कार्तिक अपने तेज गेंदबाजों और स्पिनरों का चालाकी से इस्तेमाल कर रहे हैं।

         पहले दो मैच में गेंदबाजी को लेकर चयन गलत होने के बाद केकेआर के कप्तान अब गेंदबाजी बदलाव और फील्डरों को पोजीशन सही कर रहे हैं। उनकी बल्लेबाजी भी लय पकड़ रही है। क्रिस लिन क्रीज पर समय बिता रहे हैं और उन्होंने आरसीबी के खिलाफ मैच भी जिताया। निचले क्रम में युवा शुभमन भी एक अच्छा कदम हैं क्योंकि वह स्थितियों को समझते हुए उनके अनुसार ढल सकते हैं। अगर सुनील नारायण की शॉर्ट गेंदबाज नहीं खेल पाने की कमी को टीमें पकड़ लेती हैं तो यह युवा बल्लेबाज ओपनिंग करने को भी तैयार है। ईडन गार्डेन अब तक नाईट राइडर्स का मजबूत किला साबित हुआ है और इस किले को ढहाने के लिए धौनी को अपनी पूरी ताकत लगानी होगी।

खतरे में हैं, आपके बैंक एवं ईपीएपफ खाते

नई दिल्ली। रडार न्यूज कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की वेबसाइट से पीएफधारकों के डाटा चोरी होने की खबरें हैं, लेकिन संगठन इस बात से साफ इनकार कर रहा है कि कोई डाटा लीक हुआ है। दो दिन में दो बार ईपीएफओ इस मामले में सफाई दे चुका है। लेकिन, खतरा तो है क्योंकि, बिना किसी गड़बड़ी के वेबसाइट को बंद नहीं किया जाता। सेवाएं नहीं रोकी जाती हैं। ऐसे में 17 करोड़ मेंबर्स की पर्सनल डिटेल्स खतरे में है। साथ ही इन डिटेल्स का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। खतरे में सिर्फ आधार नहीं है बल्कि डिटेल्स के जरिए पीएफ खाते से पैसा भी निकाला जा सकता है। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ईपीएफओ के डाटा बेस में आपकी जो डिटेल्स हैं उनके चोरी होने या लीक होने पर क्या नुकसान हो सकता है। बैंकिंग एक्सपर्ट विवेक मित्तल के मुताबिक, डाटा लीक का सबसे बड़ा खतरा यह होता है कि आपकी पर्सनल डिटेल्स कई तरह के लोगों से शेयर होती है। ऐसे में आपके बैंक खाते और पीएफ खाते को हैक किया जा सकता है। आपके बैंक अकाउंट से पैसा निकाला जा सकता है। इसे एक तरह की फिशिंग कहते हैं और ईपीएफओ से डाटा लीक होने का मतलब है कि आपका पूरा केवाईसी डिटेल्स लीक हो जाना।

आधार नम्बर पर भी खतरा

पीएफधारकों ने अपना आधार नंबर दर्ज कराया हुआ है। दरअसल, 2016 के बाद से ऑनलाइन पीएफ निकासी और पीएफ ट्रांसफर के लिए आपको अपने यूनीवर्सल अकाउंट नंबर से आधार को जोड़ना होता है। अब अगर मान लिया जाए कि पीएफ डाटा लीक हुआ है तो यह भी पक्का है कि आपका आधार भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि, आपके पीएफ डाटा के साथ आपके अकाउंट की डिटेल्स भी होती हैं, जिन्हें हासिल करना किसी भी हैकर के लिए संभव है।

खतरे में बैंक खाता

डाटा बेस में आधार के अलावा आपका बैंक खाता भी दर्ज होता है। पीएफ निकासी के समय ईपीएफओ इसी खाते में आपका पैसा जमा करता है। लेकिन पीएफ डाटा लीक होने से आपका बैंक भी हैक किया जा सकता है। अगर इसी अकाउंट से आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी करते हैं तो यह और बड़ा खतरा है क्योंकि बैंक खाते के हैक होने का चांस ज्यादा होता है। नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी सर्विस का इस्तेमाल करने पर खतरा बढ़ सकता है।

मोबाइल नंबर से भी खतरा

डिजिटल सर्विस होने के बाद से ईपीएफओ सदस्य अपना सारा काम मोबाइल या ऑनलाइन ही करते हैं। साथ ही खाता खुलवाते वक्त या बाद में हर किसी ने अपना मोबाइल नंबर भी इसमें दर्ज कराया है। अगर ईपीएफओ में दर्ज मोबाइल नंबर और नेट बैंकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले नंबर एक ही है, तो इससे फ्रॉड का खतरा बढ़ सकता है। क्योंकि, ज्यादातर लोग ओटीपी की मदद से ट्रांजैक्शन करते हैं। अगर मोबाइल नंबर हैक होता है तो हैकर ओटीपी का भी इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।

ईपीएफओ ने दी सफाई

डाटा लीक और वेबसाइट हैक होने की खबरों के बाद ईपीएफओ और श्रम मंत्रालय ने बयान जारी किया कि कोई डाटा लीक नहीं हुआ है। पीएफ खाताधारकों का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है। कुछ सेवाएं सुरक्षा के लिहाज से बंद की गई हैं। साथ ही आधार संबंधित जानकारियां भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। आधार डाटा लीक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

इन हथियारों का किया गया इस्तेमाल सीरिया को तबाह करने के लिए

0

नई दिल्ली। रडार न्यूज अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त सेनाओं ने सीरिया पर इतनी तेज गति से हमला किया कि वह संभल भी नहीं पाया। तीनों देशों की सेनाओं ने अपने-अपने अचूक और अत्याधुनिक हथियारों से हमले किए। फ्रांस के राष्ट्रपति ने रॉफेल लड़ाकू विमान के उड़ाने भरने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है। आइए जानते हैं कि किन-किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया। ब्रिटेन ने अपने चार विध्वंसक टॉरनाडो फाइटर्स से सीरिया पर क्रूज मिसाइलें दागीं। टॉरनाडो ने साइप्रस स्थित रॉयल एयर फोर्स के बेस कैंप से उड़ान भरी थी। ये चार सौ किलोग्राम विस्फोटक लेकर 400 किमी दूर से हमला कर सकते हैं। दो इंजन वाले ये विमान जमीनी हमले के लिए मुफीद माने जाते हैं। इन्हें हमले के लिए दुश्मन के क्षेत्र में जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। ने सीरिया पर दागी क्रूज मिसाइलें, ट्रंप बोले- सीरिया के हित में किया हमला युद्ध क्षेत्र में इनका लक्ष्य बदला जा सकता है। यह तेजी से लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाती हैं। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने यह नहीं स्पष्ट किया किया है कि सीरिया में टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें ही दागी गई हैं। पिछले साल से ही अमेरिका सीरिया में इन मिसाइलों का उपयोग हमले के लिए कर रहा है। अब तक 58 मिसाइलें दागी गई हैं। यह मिसाइल 18 से 20 फीट लंबी होती है और 880 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ढाई हजार किमी दूर तक मार कर सकती है। यह एक हजार पाउंड तक विस्फोटक ले जा सकती है।