प्रदेशव्यापी हड़ताल से ध्वस्त हुई वन विभाग की व्यवस्थायें
श्रमिकों के भरोसे वन्यजीवों और जंगल की सुरक्षा
पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश में वन कर्मचारियों-अधिकारियों के संयुक्त रूप से कामबंद हड़ताल पर जाने से वन विभाग की व्यवस्थायें लगभग चैपट हो चुकी है। प्रशिक्षित व जिम्मेदार मैदानी अमले के न होने से वन विभाग के अधिकारी वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा के मोर्चे पर पूरी तरह असफल साबित हो रहे है। यहां तक कि प्रदेश में स्थित वन विभाग समस्त कार्यालयों में दैनिक कार्य भी प्रभावित है। पन्ना जिले की स्थिति कहीं अधिक गंभीर है। संयुक्त हड़ताल के पहले ही दिन 24 मई से लेकर अब तक पन्ना में तेंदुए के हमले में 20 लोग घायल हो चुके है। इतना ही नहीं बाघ ने एक तेंदूपत्ता श्रमिक को अपना शिकार बना लिया है। वहीं शनिवार को भालू के हमले में एक आदिवासी महिला के गंभीर रूप से घायल हो गई। इन तमाम घटनाओं से जाहिर है कि पन्ना जिले में वन कर्मचारियों-अधिकारियों की बेमियादी हड़ताल से हालात तेजी से बिगड़ रहे है। मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम हेतु तत्परता से ठोस उपाय करने में वन विभाग के अधिकारियों के नाकाम रहने से यहां जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। इंसान तो वन्यजीवों का शिकार बन ही रहे है यदि हालात को संभालने के लिए समय रहते आवश्यक उपाय नहीं किये गये तो बेजुवान बाघ और तेंदुए भी मारे जा सकते है।
1013 कर्मचारी-अधिकारी हड़ताल पर-
मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ भोपाल के आव्हान पर लंबित मांगों के निराकरण के लिए जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल की सफलता को लेकर पन्ना के वनकर्मचारी-अधिकारियों ने गजब की एकजुटता दिखाई है। हड़ताल के पहले ही दिन 24 मई से पन्ना के उत्तर वन मण्डल, दक्षिण वन मण्डल एवं पन्ना टाईगर रिजर्व के समस्त वन परिक्षेत्राधिकारी (रेंजर्स), उप वन क्षेत्रपाल, वनपाल, वनरक्षक और स्थाईकर्मी हड़ताल में शामिल है। शहर के जगात चौकी चौराहे पर हड़ताली वन कर्मचारियों-अधिकारियों का धरना-प्रदर्शन शनिवार 26 मई को तीसरे दिन भी लगातार जारी रहा। रेंजर्स एसोशियेशन पन्ना के अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार एवं वन कर्मचारी संघ अध्यक्ष महीप कुमार रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि हड़ताल में कुल 1013 वनकर्मचारी-अधिकारी शामिल है। जिसमें 16 रेंजर, 27 उप वन क्षेत्रपाल, 91 वनपाल, 410 वनरक्षक, 469 स्थाई वनकर्मी है।
पर्यटन गतिविधियां प्रभावित-
वन अमले की हड़ताल का व्यापक असर पन्ना जिले में देखा जा रहा है। वन्यजीवों-वनों की सुरक्षा, विभागीय कार्यों के अलावा पयर्टन गतिविधियां भी बुरी तरह प्रभावित है। जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हड़ताल के पहले ही दिन से पन्ना टाईगर रिजर्व के हिनौता गेट से पयर्टकों को पार्क में इंट्री नहीं मिल पा रही है। प्राकृतिक रमणीक स्थल रनेह फाॅल व पाण्डव फाॅल में भी पयर्टक घूम नहीं पा रहे है। दरअसल जिम्मेदार कर्मचारियों के एक साथ हड़ताल पर जाने से उक्त स्थानों पर पयर्टकों को प्रवेश देने के लिए उनकी रसीदें काटने वाला अब कोई नहीं है। हड़ताल के चलते वन विभाग में पूरा दारोमदार अधिकारियों और श्रमिकों के ऊपर आ गया है। इन कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने में वन विभाग के अफसर अब तक असफल ही साबित हुए है।
वनकर्मियों को घोषित करो शसस्त्र बल-
वन कर्मचारी संघ पन्ना के अध्यक्ष महीप कुमार रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके संगठन के द्वारा लम्बे समय से वन कर्मचारियों को राजस्व एवं पुलिस के सामान वेतन-भत्ते और सुविधायें देने की मांग की जा रही है। वन कर्मचारी अपने घर-परिवार से दूर रहते हुए बेहद कठिन परिस्थतियों में जंगल व वन्यजीवों की 24 घंटे सुरक्षा करते है। बावजूद इसके वनकर्मियों के साथ भेदभाव करते हुए अल्प वेतन दिया जा रहा है। जिससे परिवार का उदर-पोषण और सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर पाना संभव नहीं है। वन कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त मोर्चा द्वारा यह मांग की जा रही है कि वन रक्षकों को नियुक्ति दिनांक से 10, 20, 30 वर्ष के बाद समयमान-वेतनमान प्रदान किया जाये, 2001 के बाद नियुक्त वन रक्षकों को 5680 का लाभ दिया जाये एवं जिन्हें लाभ प्राप्त हो गया है उनसे वसूली पर रोक लगाई जाये। वन कर्मचारियों को विशेष शसस्त्र बल घोषित करते हुए न्यायिक मजिस्टेªट के अधिकार प्रदान किये जाये, वन रक्षक से लेकर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक स्तर के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए वर्दी पहनना अनिवार्य किया जाये, स्थाई कर्मियों का चतुर्थ श्रेणी में समायोजन कर समस्त लाभ प्रदान किये जाये, वर्ष 2005 से पश्चात नियुक्त कर्मचारियों को पूर्व की तरह पेंशन योजना का लाभ दिया जाये। वन कर्मचारियों के लिए अधिकतम 12 घंटे की ड्यूटी तय करने सहित अन्य मांगे शामिल है।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने दिया समर्थन-
वन कर्मचारियों-अधिकारियों की मांगों को जायज बताते हुए तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ पन्ना के अध्यक्ष बीपी परौहा ने उनकी हड़ताल का समर्थन किया है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ पदाधिकारियों के साथ श्री परौहा हड़ताली वनकर्मियों के धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वनकर्मचारी लम्बे समय से अपने हितों से जुड़ी मांगों के निराकरण को लेकर शासन का ध्यान आकृष्ट करा रहे थे। लेकिन आश्वासन देने के बावजूद मांगों को पूरा न करने से मजबूर होकर वनकर्मचारी-अधिकारियों को अपने हितों के संरक्षण के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। धरना-प्रदर्शन में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ की ओर से अनिल जैन, संतोष प्रजापति, केजी बरसैंया, वीरेन्द्र वर्मा, राम सिंह शामिल हुए। वहीं इस अवसर पर हड़ताली कर्मचारी जियालाल चौधरी, रमाकांत गर्ग, देवेश कुमार गौतम, बीके खरे, नंदा प्रसाद अहिरवार, विनोद कुमार माझी, रमाकांत त्रिपाठी, राजकुमार अहिरवार, आरएस नर्गेश, केके विश्वकर्मा, आदित्य प्रताप सिंह, रामऔतार चौधरी, दुलारे चौधरी, रामकृपाल, रामदुनिया सेन, रम्मू अहिरवार, प्रेेम नारायण वर्मा व श्रीनिवास पाण्डेय ने धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए मांग पूरी होने तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया।