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आपातकाल में त्वरित चिकित्सकीय सेवाओं के लिए मरीजों को मिलेगी एयर एम्बुलेंस की सुविधा

*     प्रदेश में मऊगंज के गोविंदलाल को सर्वप्रथम सुविधा का लाभ

*     पन्ना जिले के रामगोपाल को एयर एम्बुलेंस से किया गया एयरलिफ्ट

भोपाल। प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि सरकार हर नागरिक को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। चिकित्सा अधोसंरचना और चिकित्सकीय उन्नत तकनीक की व्यवस्था के साथ मैन पॉवर उपलब्धता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा’ आपातकाल में नागरिकों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण पहल है। आपात स्थिति में उचित चिकित्सकीय सेवा की उपलब्धता से गंभीर पीड़ितों की जिंदगियों को बचाया जा सकेगा।
उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने मऊगंज के श्री तिवारी को गंभीर हार्ट अटैक की शिकायत में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाय के लिए एयर एम्बुलेंस सुविधा की आवश्यकता को संज्ञान में लिया। उन्होंने प्रशासनिक और विभागीय अधिकारियों को आसानी से सेवा मुहैया कराने के निर्देश दिये। वे इस विषय से जुड़े रहे ताकि मरीज़ और परिजनों को कोई असुविधा न हो। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि मरीज़ के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करते रहें। प्रदेश के पन्ना जिले में पूर्व खनिज निरीक्षक रामगोपाल तिवारी एयर एम्बुलेंस की सुविधा प्राप्त करने वाले पन्ना के प्रथम मरीज बन गए हैं। सड़क दुर्घटना में श्री तिवारी के गंभीर रूप से घायल होने पर उन्हें खजुराहो एयरपोर्ट से भोपाल के लिए एयर लिफ्ट किया गया।

आपात स्थिति में मिलेगी सुविधा

पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा से प्रदेश में कहीं भी चिकित्सा आपात स्थिति उत्पन्न होने या चिन्हित विशेष प्रकार की चिकित्सा सुविधा या चिकित्सा विशेषज्ञों की आवश्यकता निर्मित होने पर कठिन भौगोलिक परिस्थिति में प्रदेश के दूरस्थ अंचलों तक पहुंचकर उन्नत आपातकालीन चिकित्सा द्वारा मरीजों को स्थिर कर उच्च चिकित्सा केन्द्रों तक एयर लिफ्ट किया जाता है। पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा सड़कों एवं औद्योगिक स्थलों में होने वाले हादसों, प्राकृतिक आपदा में गंभीर पीड़ित, घायल व्यक्ति को त्वरित उपचार के लिये हवाई परिवहन सुविधा उपलब्ध करायेगी। हृदय सम्बंधित अथवा अन्य विभिन्न गंभीर बीमारियों जिसमें रोगी/ पीड़ित को तत्काल इलाज की आवश्यकता होने की स्थिति में मरीजों को अच्छे एवं उच्चतम चिकित्सा संस्थानों में त्वरित उपचार के लिये हवाई परिवहन सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। एयर एम्बुलेंस सेवा के लिए 01 ‘हेली एम्बुलेंस’ एवं 01 ‘फिक्स्ड विंग कनवर्टेड फ्लाइंग एम्बुलेंस’ का संचालन किया जा रहा है, जो कि प्रदेश के सभी जिलों एवं प्रशासनिक विभागों के नागरिकों की सेवा में तैनात हैं। एयर एम्बुलेंस में उ उच्च स्तरीय प्रशिक्षित चिकित्सकीय एवं पैरामेडिकल स्टाफ की टीम हमेशा तैनात रहती है।

दुर्घटना अथवा आपदा पीड़ित को होगी पात्रता

सड़क दुर्घटना में घायल पन्ना निवासी रामगोपाल तिवारी एयर एम्बुलेंस सेवा का लाभ प्राप्त करने वाले प्रथम मरीज बने।
सड़क एवं औद्योगिक दुर्घटना अथवा प्राकृतिक आपदा में पीड़ित को राज्य के अंदर एवं बाहर  में निःशुल्क परिवहन किया जाएगा। आयुष्मान कार्डधारी के उपचार के लिये राज्य के अंदर एवं राज्य के बाहर सभी शासकीय एवं आयुष्मान सम्बद्ध अस्पतालों में उपचार हेतु निशुल्क परिवहन किया जाएगा। अन्य हितग्राही जो कि आयुष्मान कार्डधारी नहीं हैं, उनके उपचार के लिए राज्य के अंदर स्थित शासकीय अस्पतालों में निःशुल्क परिवहन जबकि राज्य के बाहर के किसी भी अस्पताल में अनुबंधित दर पर सशुल्क परिवहन किया जाएगा। एयर एम्बुलेंस से परिवहन इमरजेंसी हेल्थ कंडीशन की स्थिति में किया जाएगा। एयर एम्बुलेंस सेवा अनुशंसित चिकित्सालय तक ले जाने के लिए होगी। सशुल्क सेवा की स्थिति में सेवाप्रदाता एजेंसी को हेलीकाप्टर के लिये प्रति घंटे (फ्लाइंग ऑवर) के मान से रूपए 1,94,500 एवं फिक्स्ड विंग कनवर्टेड फ्लाइंग एम्बुलेंस के लिये लिये प्रति घंटे (फ्लाइंग ऑवर) के मान से रूपए 1,78,900 का भुगतान करना होगा।

एयर एम्बुलेंस सुविधा के लिए नोडल अधिकारी

दुर्घटना/आपदा के प्रकरण में संभाग के अंदर पीड़ित को निःशुल्क परिवहन के लिये जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की अनुशंसा पर जिला कलेक्टर संभाग के अंदर स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे तथा संभाग के बाहर जाने के लिये स्वीकृति स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा दी जायेगी। मेडिकल कॉलेज में भर्ती गंभीर रोगी/ पीड़ित को संभाग के बाहर एयर एम्बुलेंस की स्वीकृति अधिष्ठाता की अनुशंसा पर संभाग आयुक्त द्वारा तथा राज्य के बाहर के लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा दी जायेगी। अन्य समस्त सशुल्क परिवहन के प्रकरण में एयर एंबुलेंस की उपलब्धता अनुसार स्वीकृति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय स्तर पर दी जायेगी।

चंदे का धंधा ! धार्मिक अनुष्ठान के लिए चंदा वसूली मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

*    आशा कार्यकर्ता संघ और संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने चंदा कर जुटाई थी बड़ी राशि

*    आशा सुपरवाइजर ने कलेक्टर को आवेदन देकर खुद लगे आरोपों को निराधार बताया

*     बोलीं- किसी भी कार्यकर्ता से नकद या मोबाइल बैंकिंग से नहीं ली चंदा राशि

पन्ना। (www.radarnews.in) आशा एवं आशा सहयोगिनी संघ तथा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला शाखा पन्ना द्वारा संयुक्त रूप धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन हेतु की गई चंदा वसूली मामले ने तूल पकड़ लिया है। चंदा राशि के बंदरबांट की शिकायत के बाद अब इस मसले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कथित तौर चंदे के धंधे में चांदी काटने के आरोपों का सामना कर रहे दोनों ही कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के अपने-अपने तथ्य, तर्क और दावे हैं, जिनके आधार पर वह खुद को पाक-साफ़ बताते हुए दूसरे पर उंगली उठा रहे है। अब इसी क्रम में आशा संघ की पदाधिकारी एवं आशा सुपरवाइजर रुक्मणी प्रजापति का बयान आया है। उन्होंने, अपने ऊपर लगे आरोपों को पूर्णतः असत्य और निराधार बताया है। साथ ही अपने खिलाफ हुई शिकायत को भी फर्जी करार दिया है। आशा सुपरवाइजर का कहना है, मेरी छवि को धूमिल करने के लिए सुनियोजित षड्यंत्र किया जा रहा है। उन्होंने इस सम्बंध में पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार को आवेदन पत्र देकर मामले की जांच करवाने की पुरजोर मांग की है।
उल्लेखनीय है कि, लोकसभा चुनाव के पूर्व राज्य सरकार के द्वारा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों और आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की गई थी। बहुप्रतीक्षित मांग के पूर्ण होने पर पन्ना जिले के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ और आशा-ऊषा कार्यकर्ता संघ द्वारा संयुक्त रूप से जिला मुख्यालय में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित शिव मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान (हवन-पूजन), भक्तिगीत-संगीत और भंडारे का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए दोनों ही कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा जिले भर में अपने साथी कर्मचारियों और संघ के सदस्यों से बड़े पैमाने पर चंदा वसूली की गई थी। विगत दिनों कुछ महिलाओं सावित्री लोध, शीला सिंह, रचना पटेल ने पन्ना कलेक्टर को आवेदन पत्र देकर चंदा वसूली करने वालों पर गंभीर आरोप लगाए थे। कलेक्टर को दी गई शिकायत में बताया है कि अजयगढ़ विकासखंड अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्र के कीरतपुर मे पदस्थ आशा सुपरवाईजर रुक्मणी प्रजापति व अन्य के द्वारा जिले की आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं और आशा सुपरवाइजर पर कथित तौर पर दबाव बनाकर कार्यक्रम के धार्मिक आयोजन हेतु चंदा वसूली की गई। चंदा राशि से महज कुछ हजार रुपये धार्मिक आयोजन पर खर्च करके शेष बड़ी रकम का बंदरबांट कर लिया गया।
आशा सुपरवाइजर रुकमणी प्रजापति।
आशा सुपरवाइजर रुक्मणी ने खुद पर लगे आरोपों के संबंध 19 जून को कलेक्टर के नाम पर आवेदन पत्र देकर अपनी ओर वस्तुस्थिति स्पष्ट की है। साथ ही मीडिया को आवेदन पत्र की छायाप्रति उपलब्ध कराते हुए पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने धार्मिक आयोजन के नाम से जबरन चंदा वसूली के आरोपों को सरासर झूठा और निराधार बताया है। उनका कहना है, मैनें धार्मिक अनुष्ठान में स्वेच्छापूर्वक तन-मन और धन से सहभागिता निभाई थी। लेकिन किसी से भी अपने बैंक खाते या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से चंदा वसूली का एक पैसा भी नहीं नहीं लिया। जिसकी तस्दीक मेरे बैंक खाते और खाते के बैंक स्टेटमेंट की जांच से की जा सकती है। सुनियोजित साजिश के तहत व्यक्तिगत तौर पर मेरी छवि धूमिल करने एवं नौकरी से निकलवाने की मंशा से महिलाओं से फर्जी शिकायत कराई गई है। रुक्मणि का दावा है, शिकायती आवेदन पत्र में सावित्री’ लोध आशा कार्यकर्ता के हस्ताक्षर फर्जी है जिसकी पुष्टि स्वयं सावित्री लोध के द्वारा की गई है। आवेदन में अन्य जिन नामों का उल्लेख है जिले में उस नाम की कोई आशा कार्यकर्ता ही नहीं है।
आशा एवं आशा सहयोगिनी संघ तथा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला शाखा पन्ना द्वारा चंदा एकत्र कर संयुक्त रूप शिव मंदिर का जीर्णोद्धार एवं हवन-पूजन कराया गया। (फाइल फोटो)
रडार न्यूज़ से चर्चा में आशा सुपरवाइजर रुक्मणी प्रजापति ने धार्मिक अनुष्ठान के लिए सीमित स्तर पर चंदा होने की बात स्वीकार की है। लेकिन वह जोर देते हुए कहती हैं कि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। बताते चलें कि, चंदा वसूली को लेकर कलेक्टर से की गई शिकायत के साथ प्रमाण के तौर पर मोबाइल से राशि ट्रांसफर संबंधी दस्तावेज संलग्न किये गए थे। इस मामले की शिकवा-शिकायत के बाद भी अब तक आशा-ऊषा एवं आशा सहयोगिनी संघ तथा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला शाखा पन्ना के जिम्मेदार पदाधिकारियों की ओर से आगे आकर कुल चंदा वसूली (आय) और व्यय की गई राशि का विवरण सार्वजानिक नहीं किया गया। उधर, स्वास्थ्य कर्मचारियों के कारनामे पर विभाग के मुखिया मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्हीएस उपाध्याय लगातार तमाशबीन बने हुए हैं। पूरे प्रकरण में सीएमएचओ की उदासीनता न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि इससे विभाग की बदनामी होने के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि टीम गठित कर चंदा उगाही मामले की गहन जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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चंदे का धंधा | धार्मिक अनुष्ठान के लिए आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं से चंदा वसूली, मामूली राशि खर्च कर मोटी रकम दबाई !

मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कर रही है हमला : एसकेएम

*     प्रतिष्ठित लेखिका अरुंधति रॉय और शिक्षाविद शेख शौकत हुसैन पर यूएपीए लगाने की निंदा

*     यूएपीए के दुरूपयोग पर संयुक्त किसान मोर्चा ने चिंता जताते हुए इसे समाप्त करने उठाई मांग

नई दिल्ली। प्रतिष्ठित लेखिका अरुंधति रॉय और शिक्षाविद शेख शौकत हुसैन पर 14 साल बाद यूएपीए के तहत केस दर्ज करने स्वीकृति दिए जाने की चौतरफा कड़ी आलोचना हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) इसे घिनौनी हरकत बताते हुए कहा, लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने देश में असहमति जताने वालों पर अवैध मुकदमा चलाना शुरू कर दिया है। इस बार तानाशाही का हथौड़ा प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय और कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन पर गिरा है। 14 साल के अंतराल के बाद दोनों व्यक्तियों पर कठोर यूएपीए लगाया गया है। दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने 14 जून को दिल्ली पुलिस को 2010 में दर्ज एक एफआईआर पर कार्रवाई करने की मंजूरी दी है।
जबकि रॉय पर कश्मीर के बारे में ‘अलगाववादी भाषण’ देने का आरोप लगाया जा रहा है, हुसैन के मामले में ऐसा कोई बयान उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, पिछले 14 वर्षों में, हिंसा की कोई ऐसी घटना नहीं हुई है, जिसका कथित भाषण से संबंध हो। रॉय द्वारा दिए गए भाषण की सावधानीपूर्वक जांच से पता चलता है कि उन्होंने कश्मीर, पूर्वोत्तर और मध्य भारत सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में मौजूद लोकतंत्र की कमी को दर्शाया था। अपने भाषण में, उन्होंने लोगों से न्याय के पक्ष में रहने का और समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए भी न्याय की अपील की है। इस प्रकार, यह एक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना का आह्वान था, जहाँ लोगों को खतरे में रहने की ज़रूरत नहीं होगी।
एसकेएम ने प्रेस में जारी विज्ञप्ति में कहा है कि, हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में भले ही भाजपा एनडीए आकार में कटौती हुई है, फिर भी रॉय और हुसैन के मामले में यूएपीए लगाने से पता चलता है कि मौजूदा सरकार किसी भी असहमति को दबाने और उसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देने की अपनी पुरानी नीति को जारी रखना चाहती है। इसी प्रकार, हमने देखा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भीमा-कोरेगांव मामले में झूठे आरोपों के साथ 16 प्रमुख बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को जेल भेजा है। उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य जैसे छात्र कार्यकर्ता भी कई सालों से सलाखों के पीछे हैं। हमें यह भी याद रखना होगा कि पिछले साल न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था।
प्रसिद्ध भारतीय विद्वान और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर प्रोफेसर जीएन साईबाबा को यूएपीए के तहत 10 साल जेल में बिताने के बाद न्यायपालिका ने बरी कर दिया है, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है और इस तरह के अवैध कामों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस ने सार्वजनिक रूप से सत्ताधारी पार्टी से देश के विपक्ष का सम्मान करने को कहा है। रॉय और हुसैन पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगने से तीन दिन पहले नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोकतंत्र में विपक्ष को विरोधी नहीं समझा जाना चाहिए और उनके विचार भी सामने आने चाहिए। ऐसे ऊँचे शब्द सराहनीय हैं, लेकिन तभी जब उनका कोई वास्तविक अर्थ हो। सच्चाई यह है कि आरएसएस न तो असहमति जताने वालों का सम्मान करता है और न ही विपक्ष का। रॉय और हुसैन को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के आगे बढ़ने पर उनकी खामोशी इसका सबूत है।
इस सरकार द्वारा विपक्ष पर हमला करने के लिए बनाया गया सबसे कठोर कानून यूएपीए है। यह स्पष्ट रूप से असंवैधानिक है और भारतीय लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार करता है। अतः इस कानून को इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया जाना चाहिए। एसकेएम मांग करता है कि यूएपीए के तहत जेल में बंद सभी राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए और यूएपीए को ही खत्म किया जाए। एसकेएम अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के साथ पूरी तरह से एकजुटता से खड़ा है।

दर्दनाक हादसा | ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से चालक समेत 2 की मौत, आधा दर्जन से अधिक मजदूर घायल

*     पन्ना-अमानगंज मार्ग पर पन्ना के समीप हुई भीषण सड़क दुर्घटना

*     गंभीर रूप से घायल मजदूरों का इलाज पन्ना जिला चिकित्सालय में जारी

*     मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शोकाकुल परिजनों के प्रति व्यक्त की संवेदना

पन्ना। (www.radarnews.in) जिला मुख्यालय के नजदीक पन्ना-अमानगंज मार्ग पर 18-19 जून की दरम्यानी रात मझपहरा घाटी (अमानगंज घाटी) में ईंटों से लोड एक ट्रैक्टर-ट्रॉली अचानक आई तकनीकी खराबी के चलते अनियंत्रित होकर पलट गई। इस हादसे में ट्रैक्टर चालक समेत दो लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। जबकि आधा दर्जन से अधिक श्रमिक गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। घायलों को पन्ना जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सड़क दुर्घटना में श्रमिकों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताई है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की है।
ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से दो लोगों की मौत हो गई जबकि आधा दर्जन से अधिक घायल मजदूरों का पन्ना में जारी है इलाज।
पड़ोसी जिला छतरपुर की नौगांव तहसील अन्तर्गत बिलहरी ग्राम के निवासी तकरीबन दर्जन भर श्रमिक पन्ना जिले के पवई क्षेत्र में मजदूरी करते थे। काम समाप्त होने पर सभी मजदूर वापस अपने घर जाने के लिए रात्रि के समय ईंटों से लोड ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर पन्ना आ रहे थे। रास्ते में अमानगंज घाटी पर अचानक ट्रैक्टर के ब्रेक और स्टेयरिंग फेल होने के कारण ट्रैक्टर-ट्रॉली अनियंत्रित होकर पलट गई। इस हादसे में धर्मा सोनकर 36 वर्ष और अंकित खटीक 30 वर्ष दोनों निवासी ग्राम बिलहरी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। जबकि प्रतीक्षा सोनकर, मूलचंद सोनकर, ईशा सोनकर, मिथलेश सोनकर, रणवीर सोनकर एवं अन्य गंभीर रूप से घायल हैं।
हादसे के बाद मौके पर मातमी चींख-पुकार का माहौल रहा। कुछ देर बाद मौके पर पहुंची कोतवाली थाना पुलिस के द्वारा घायलों को एम्बुलेंस से पन्ना लाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं ट्रैक्टर के नीचे दबे चालक को क्रेन की मदद से बाहर निकलवाने के बाद दोनों मृतकों के शवों को देर रात पन्ना लाकर मोर्चरी में रखवाया गया। बुधवार की सुबह पोस्टमार्टम होने पर शव परिजनों को सौंप दिए। इस हादसे पर पुलिस ने फिलहाल मर्ग कायम किया है।

मध्यप्रदेश : कांग्रेस लड़ी ही नहीं, तो हार कैसी?

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(आलेख : बादल सरोज)
4 जून को 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद, इधर के हों या उधर के, सभी की जुबान पर एक ही सवाल है कि अरे, ये मध्यप्रदेश में क्या हो गया? सवाल स्वाभाविक है, कुछ छोटे राज्यों को छोड़कर देश में मध्यप्रदेश एकमात्र बड़ा राज्य है, जहां की सारी की सारी सीटें भाजपा ने जीत लीं। यह तब हुआ, जब पूरे देश में भाजपा की सीटें घटी हैं – उत्तरप्रदेश में तो आधी से कहीं ज्यादा कम हो गयीं, महाराष्ट्र में मुंह की खाई, कर्नाटक में अनेक सीटें गंवाई, बंगाल में खूब गिरावट आयी, बिहार में भी घाटा हुआ। यहाँ तक कि खुद मोदी शाह के गुजरात में, जहां सूरत की सीट ‘निर्विरोध जीत ली गयी’ थी, उस गुजरात में भी भाजपा सभी की सभी सीट्स नहीं जीत पायी। फिर मध्यप्रदेश में क्या हुआ? लोग पूछते हैं कि मप्र में कांग्रेस क्यों हारी? असल में तो यह सवाल ही गलत है ; हार-जीत उसकी होती है, जो लड़ता है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस हारी नहीं है, क्योंकि वह चुनाव लड़ी ही नहीं है।
इतनी नेतृत्वविहीन कोई भी पार्टी शायद ही कभी रही हो, जितनी इस चुनाव में मध्यप्रदेश की कांग्रेस थी। कोई दसेक दिन तक भाजपा के दरवाजे पर खड़े होकर, मनपसंद सौदेबाजी न होने पर लौट के वापस घर को आये पूर्व मुख्यमंत्री, हाल तक इसके प्रदेशाध्यक्ष रहे कमलनाथ अपनी जो भी थोड़ी-बहुत बची हुई रही होगी, उस साख को गँवा चुके थे। वे इतने हास्यास्पद और अविश्वसनीय हो गए थे कि छिंदवाडा तक ने दरवाजा दिखा दिया। उनके वारिस नकुल नाथ अपने ट्विटर के परिचय में से कांग्रेस पहले ही निकाल चुके थे, इस बार छिंदवाड़ा ने उनके बायो में से सांसद हटा दिया। अपनी कर्मण्यता का नमूना वे अपने 16 महीने के मुख्यमंत्री काल में दे ही चुके थे। इस दौरान उन्होंने उस भाजपाई भ्रष्टाचार के खिलाफ कलम तक नहीं उठाई थी, जिस भ्रष्टाचार की वजह से शिवराज सरकार गयी थी और वे सरकार में आये थे। दूसरे बड़े नेता दिग्विजय सिंह खुद चुनाव लड़ रहे थे और अपनी ही सीट में उलझे थे। इन दोनों की कांग्रेस के जितने भी खासमखास थे, वे गणेश परिक्रमा करने के लिए अपने इलाकों को सूना छोड़कर इनकी सीटों पर हाजिर थे। अब बचे जुम्मा जुम्मा चार रोज पहले नियुक्त किये गए नए ‘युवा’ अध्यक्ष जी : वे इतने ताजे थे कि उन्हें इंदौर के बाहर भी कोई मध्यप्रदेश है, यही समझने के लिए जो कम-से-कम समय चाहिए था, वह भी नहीं मिल पाया था। विजयराघवगढ़ और विजयपुर, शिवपुरी और श्योपुर, गोपद बनास और गोहद उनके लिए नाम तक नए थे, उनके मार्ग और उनमें बसने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं के धाम जानने की तो बात ही अलग है।
इन तीनों को घटा देने के बाद अब बाकी बचे वे शेष, जिन्हें पंजे की टिकिट पकड़ाकर मैदान में उतार दिया गया था। एक-दो अपवादों को छोड़कर बाकी सब बेचारे टिकटधारी जितने बुझे मन और लिजलिजे आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ रहे थे, उससे कहीं ज्यादा संकल्पबद्धता, तन-मन यहाँ तक कि धन के साथ उनके क्षेत्र के कांग्रेसी लगे थे ; उन्हें जिताने के लिए नहीं, उनकी यानि अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों की हार पक्की करने के लिए जी-जान से काम कर रहे थे। इतनी भीषण गर्मी में भी वे इतने प्राणपण से जुटे थे, इतनी उदारता से खर्च कर रहे थे कि उनकी धुन और लगन को देख जीतने वाली पार्टी के कार्यकर्ता भी शर्मसार हो जाते थे। यह तब था, जब सामने शकुनि अपने पांसे लिए बैठा था, कंस इस बार पूरी तैयारी में था और ‘रावण रथी विरथ रघुवीरा’ की चौपाई का अखंड पाठ चहुँओर गुंजायमान था।
एक तबके को यह भ्रम था कि इनके भीतरघात से होने वाले नुकसान की पूर्ति सामने वाली पार्टी में मची रार और असंतोष से हो जायेगी। ऐसा सोचने वाले भूल गए कि सामने वाली पार्टी के संतुष्ट-असंतुष्ट दोनों ही सत्ता की मलाई के अभिषेक और चाशनी से परम तुष्ट हैं – वे उसमें खलल डालने की हद तक नहीं जायेंगे।
रही सही कसर भाजपा के ‘ऑपरेशन हाथ – कमल का साथ’ ने पूरी कर दी। हड़प्पाकालीन कांग्रेसियों से लेकर कभी कांग्रेस में नहीं रहे कांग्रेसियों तक के इस्तीफे दिलाने और उन्हें हस्तगत कर कमलबद्ध करने की मोदी-शाह की राष्ट्रीय परियोजना मध्यप्रदेश में कुछ ज्यादा ही सघनता के साथ चली। यहाँ भाजपा ने बाकायदा एक प्रकोष्ठ बनाकर पुलिस, आई बी, रेवेन्यू जैसे महकमों के अफसरों को उनके हवाले कर दिया – आई टी, ई डी, सीबीआई पहले से ही थी। फाइलें ढूंढी तलाशी गयी, उनकी गुलेल बनाकर कुछ पके, कुछ अधपके, कुछ निढाल, कुछ थके आम टपका कर उन्हें मीडिया में कलमी और दशहरी आम बताकर मशहूर किया गया। इसी के साथ पहले खजुराहो किया गया, उसके बाद इंदौर किया ; यह एक मनोवैज्ञानिक युद्ध था। कतारों में निराशा और मतदाताओं में ‘खाओ तो कद्दू, न खाओ तो कद्दू’ की निर्विकल्पता का माहौल बनाना मुख्य मकसद था – जो पूरा भी हुआ। कोई भी पार्टी इसका मुकाबला थोड़ी-सी आक्रामकता बढ़ाकर, सत्ता के इस घोर असंवैधानिक दुरुपयोग के खिलाफ हल्ला मचाकर और इसके खिलाफ सड़कों पर आकर कर सकती थी। मगर सड़कों पर आना तो यह पार्टी कब की भूल चुकी है, पिछले 20 सालों में कभी नहीं आयी। व्यापम हुआ, नहीं आई । मंदसौर हुआ, राहुल गाँधी वहां पहुँच गए, मगर बाकी मध्यप्रदेश में किसी कांग्रेसी के कुर्ते पाजामे की कड़क क्रीज तक नहीं टूटी। महंगाई, मंडियों में लूट, भ्रष्टाचार, जनता में हाहाकार होता रहा – कांग्रेसियों की नींद नहीं टूटी। चलिए, इन सब पर नहीं टूटी, कम-से-कम खुद की पार्टी के टूटने-बिखरने पर टूटनी चाहिए थी, मगर टूटे तो तब, जब पार्टी का कोई ढांचा, कोई संगठन बचा हो। किसी तरह की सामूहिकता, समन्वय और नए सुझावों को सुनने का धैर्य-धीरज बचा हो।
कहने की जरूरत नहीं, किन्तु कहना जरूरी है कि चुनाव एक राजनीतिक कार्यवाही होती है और राजनीति का एक वैचारिक आधार होता है। राष्ट्रीय मुद्दों पर एक नजरिया होता है, स्थानीय समस्याओं के बारे में समझदारी होती है और उनके हल, निराकरण के लिए लड़ने, जूझने वाले अवाम के साथ मैदानी साझेदारी होती है। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इन सबसे अलग थी, अलग मतलब निस्पृह या स्थितप्रज्ञ नहीं, पूरी तरह भ्रमित और अपने ही सरोकारों से विलग, वह कांग्रेस थी भी, नहीं भी थी। इसका एक हिस्सा और नेताओं का ज्यादातर हिस्सा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भाजपाई आयोजन – जिसे बाद में अयोध्या तक की जनता ने ठुकरा दिया – के प्रति अपने राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा अपनाए गए रुख से ही सहमत नहीं था। राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह के साम्प्रदायिकता विरोधी बयान भाजपाइयों से ज्यादा इन कांग्रेसियों को नागवार गुजरा करते थे। जिन्हें कार्यकर्ताओं के दिमागों में भरे गए इस कुहासे को दूर करना था, वे नेता खुद इस तरह के मुद्दों से दूरी बनाकर झेंपे-झेंपे घूमते पाए जाते थे। व्यक्तिगत बातचीतों में अपनी दुर्गत के लिए राहुल और दिग्विजय को कोसते थे। उधर उनका राष्ट्रीय नेतृत्व अडानी-अम्बानी की लूट और चोरी को मुद्दा बनाए हुए था, इधर स्वयं को अंबानी का सगा दोस्त बताने वाले कमलनाथ अडानी से नजदीकियां बनाने में मशगूल थे। नेतृत्व के अलग-अलग स्तर पर कुर्ते-पजामे के नीचे खाकी नेकर धारण करने वालों की मध्यप्रदेश कांग्रेस में कोई कमी नहीं है – कहावत में कहें, तो स्थिति ‘बुआ पहले से ही रुआंसी बैठी थी, ऊपर से भैया आ गया’ जैसी थी ।
इतने सबके बावजूद पूरे देश में जो भाजपा विरोधी माहौल था, उसे प्रदेश में भी उभारा जा सकता था। अनेक दलों के समन्वय इंडिया ब्लाक की एकता से अवाम के बड़े हिस्से में आश्वस्ति पैदा हुयी थी। डर टूटा था। यही प्रयोग मध्यप्रदेश में भी किया जा सकता था। ऊपर से मल्लिकार्जुन खरगे और प्रदेश से भी एक-दो नेताओं के कहने-सुझाने और भोपाल के बौद्धिक जगत द्वारा बार-बार टोके जाने के बाद भी इंडिया ब्लॉक की मीटिंग तक नहीं हुयी। सीटों के तालमेल के बारे में तो सोचा तक नहीं गया। समाजवादी पार्टी – जिसके खिलाफ कमलनाथ निहायत ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर चुके थे – के लिए खजुराहो की सीट भी राष्ट्रीय स्तर पर बनी सहमति और समझदारी के आधार पर छोड़ी गयी थी। यह बात अलग है कि भाजपा ने उसे मैनेज कर लिया। चुनाव शुरू हो जाने के बाद कहीं जाकर, सो भी इंडिया समूह की जो पार्टियां स्वयं चुनाव नहीं लड़ रही थीं, उनके द्वारा दवाब बनाए जाने के बाद एक साझी बैठक हुई – मगर उसमें भी जो तय हुआ था, उसे एक प्रेस कांफ्रेंस के बाद शाम होने से पहले ही भुला दिया गया। दिग्भ्रमित कांग्रेस यह ज़रा-सी बात नहीं समझ पाई कि अलग-अलग रहने पर जो पार्टियां छोटी या बहुत छोटी नजर आती हैं, जब वे इकट्ठा होती हैं, तो उनकी प्रभावशीलता चमत्कारिक रूप से बढ़ जाती है। इस नासमझी का नतीजा यह हुआ कि जिन दलों और उनके इमानदार छवि और साख वाले नेताओं से जो मदद ली जा सकती थी, कुछ काम लिया जा सकता था, वह भी नहीं लिया गया। जो पार्टी खुद अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को काम नहीं दे पा रही थी, वह भला दूसरों को क्या बताती। इस तरह पूरे मनोयोग के साथ कांग्रेस ने मैदान छोड़ने का संकल्प लिया और पूरे चुनाव में, पूरी निष्ठा के साथ उसका निबाह किया।
इन पंक्तियों के लेखक से एक बार कांग्रेस के एक काफी वरिष्ठ नेता ने कहा था कि “हमें, कांग्रेस को, विरोधियों की दरकार नहीं है, खुद को हराने का काम हम खुद ही पूरी शिद्दत और मनोयोग से कर सकते हैं।“ मध्यप्रदेश में यही हुआ ; एक अच्छे मेजबान की तरह कांग्रेस ने खुद ही सारी सीटों को थाली में परोस कर भाजपा को दे दिया।
बादल सरोज ।
(लेखक ‘लोकजतन’ के संपादक और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं। संपर्क : 94250-06716)

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चंदे का धंधा | धार्मिक अनुष्ठान के लिए आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं से चंदा वसूली, मामूली राशि खर्च कर मोटी रकम दबाई !

*     आशा सुपरवाइजर द्वारा की गई अवैध चंदा वसूली मामले की कलेक्टर से शिकायत

*     मानदेय वृद्धि होने पर आशा और संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने किया था कार्यक्रम

पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के नाम पर होने वाली चंदा वसूली अब गोरखधंधा बन चुकी है। बीते कुछ सालों में इस तरह के अनेक मामले सामने आए है। राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों से लेकर कर्मचारी संघों के कतिपय पदाधिकारी चंदे के धंधे में आकण्ठ डूबे हैं। जिले के विभिन्न कर्मचारी संगठनों से संबद्ध कतिपय कामचोर नेतागण मुफ्त में अपनी राजनीति चमकाने और रसूख को बनाए रखने के लिए अपने संघ के सदस्यों अथवा साथी कर्मचारियों का आर्थिक शोषण करते हुए आए दिन किसी न किसी कार्यक्रम के नाम पर चंदा उगाही करते रहते हैं। कुर्सी तोड़ने वाले कर्मचारी नेता-नेत्रियां चंदे के धंधे से किस तरह चांदी काट रही हैं इसका ताजा उदाहरण आशा-ऊषा कार्यकर्ता संघ तथा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा संयुक्त रूप से कराया गया धार्मिक अनुष्ठान है। आरोप है कि, इस कार्यक्रम के लिए जिले भर की आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं, आशा सुपरवाइजर पर दबाव बनाकर बड़ी राशि वसूल की गई। बाद में मामूली सी राशि कार्यक्रम पर खर्च करके मोटी रकम का बंदरबांट कर लिया गया। पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार से अवैध चंदा वसूली मामले की लिखित शिकायत कर जांच कराने और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है।

सैंकड़ों कर्मचारियों से की चंदा वसूली

आशा सुपरवाइजर रुकमणी प्रजापति।
लोकसभा चुनाव के पूर्व राज्य सरकार के द्वारा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों और आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की गई थी। बहुप्रतीक्षित मांग के पूर्ण होने पर पन्ना जिले के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ और आशा-ऊषा कार्यकर्ता संघ द्वारा संयुक्त रूप से जिला मुख्यालय में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित शिव मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान (हवन-पूजन), भक्तिगीत-संगीत और भंडारे का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए दोनों ही कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा जिले भर में अपने साथी कर्मचारियों और संघ के सदस्यों से बड़े पैमाने पर चंदा वसूली की गई थी। कलेक्टर को दी गई शिकायत में बताया है कि अजयगढ़ विकासखंड अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्र के कीरतपुर मे पदस्थ आशा सुपरवाईजर रुकमणी प्रजापति व अन्य के द्वारा जिले की 1300 से अधिक आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं और लगभग 100 से अधिक आशा सुपरवाइजर पर कथित तौर पर दबाव बनाकर कार्यक्रम के आयोजन हेतु चंदे के नाम पर 300 रुपए से लेकर 2,000 (दो हजार) तक की राशि प्रत्येक कार्यकर्ता से वसूल की गई। आशा संघ की पदाधिकारियों की ओर से कार्यक्रम के आयोजन तथा मंदिर के सौंदर्यीकरण हेतु सिर्फ राशि 25,000/-(पच्चीस हजार) रुपए का आर्थिक सहयोग दिया गया। जबकि चंदा की वसूली दो लाख रूपये से अधिक की हुई थी।

शिकायत से अंदरखाने मची खलबली

चंदा वसूली मामले की शिकायत करने वाली महिलाओं सावित्री लोध, शीला सिंह, रचना पटेल ने आवेदन पत्र में उल्लेख किया है, आशा सुपरवाइजर द्वारा फ़ोन लगाकर चंदा देने के लिए अनुचित दबाव बनाया गया। राशि नहीं देने पर संगठन की ओर से किसी तरह का सहयोग न मिलने तथा पद से हटाने की धमकी भी दी जाती रही। उनके द्वारा फोन-पे तथा अन्य माध्यमों से चंदा राशि जमा कराई गई। उक्त महिलाओं ने अवैध चंदा वसूली की शेष रकम का बंदरबांट होने की आशंका जाहिर करते हुए मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। धार्मिक अनुष्ठान के नाम पर जुटाए गए चंदे की राशि का बंदरबांट होने के आरोप हैरान करने वाले हैं। चंदे को लेकर आशा संघ में मचे घमासान की ख़बरें मीडिया में आने से संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अंदरखाने भी चंदे के हिसाब-किताब की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। मामले को तूल पकड़ता देख धार्मिक कार्यक्रम के सह आयोजक रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उन पदाधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं जोकि अपने संगठन की ओर से चंदा कलेक्शन में शामिल थे। दरअसल यहां भी सब गोलमाल होने जैसी चर्चाएं व्याप्त है। समाचार लिखे जाने तक आशा सुपरवाइजर रुकमणि प्रजापति की ओर से अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर कोई जवाब नहीं आया था।

बगैर अनुमति मंदिर में कराया कार्य

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ एवं आशा-ऊषा कार्यकर्ता संघ के तत्वाधान आयोजित हुए कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. व्हीएस उपाध्याय को सम्मानित करते हुए कर्मचारी नेतागण।
मानदेय वृद्धि की मांग (मनोकामना) पूर्ण होने पर संविदा स्वास्थ्य संघ और आशा-ऊषा संघ की पदाधिकारियों के द्वारा धार्मिक अनुष्ठान करवाने के साथ सीएमएचओ कार्यालय परिसर में स्थित शिव मंदिर का सौंदर्यीकरण कार्य कराने का भी संकल्प लिया था। धार्मिक अनुष्ठान से पूर्व चंदा की राशि दोनों ही संगठनों की ओर से मंदिर परिसर के फर्श और टाइल्स का थोड़ा-बहुत कार्य करवाया गया। लेकिन इसके पूर्व किसी भी सक्षम अधिकारी से वैधानिक अनुमति नहीं ली गई। दोनों ही संगठनों के पदाधिकारी सीएमएचओ डॉ. व्हीएस उपाध्याय के बंगले के सामने बगैर किसी पूर्व अनुमति/एनओसी के मनमाने तरीके से मंदिर का सौंदर्यीकरण कराने के साथ 4 से 5 पांच दिन तक धार्मिक अनुष्ठान करते रहे। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने उन्हें रोकना-टोकना तो दूर नियमानुसार अनुमति लेकर कार्य करवाने का सुझाव देना भी उचित नहीं समझा। सिर्फ इतना ही नहीं, धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होकर धर्मलाभ प्राप्त करने के लिए जिले भर के मैदानी स्वास्थ्य कर्मचारी कई दिन तक पन्ना में डटे रहे। इस कार्यक्रम में स्वयं सीएमएचओ डॉ. उपाध्याय भी शामिल हुए थे। लेकिन उन्होंने किसी भी कर्मचारी से यह पूंछना या फिर अपने स्तर पर पता लगाना उचित नहीं समझा कि वह सभी अवकाश लेकर आए है या फिर नहीं?

चीफ इंजीनियर ने पुलियों के धंसने पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री और प्रोजेक्ट इंचार्ज को लगाई फटकार

*     घटिया निर्माण कार्य की शिकायतों के बीच सकरिया-गुनौर-डिघौरा मार्ग का किया निरीक्षण

*      CRF मार्ग में अमानक सामग्री के उपयोग पर क्षेत्रीय विधायक ने भी दर्ज कराई थी आपत्ती

*      क्षेत्रीय सांसद और पूर्व मंत्री के प्रयासों से स्वीकृत सड़क को पलीता लगाने में जुटे भ्रष्ट अफसर

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सकरिया-गुनौर-डिघौरा मार्ग का घटिया कार्य काफी समय से सुर्ख़ियों में बना है। सड़क निर्माण में धड़ल्ले से अमानक सामग्री का उपयोग करते हुए गुणवत्ता विहीन कार्य कराए जाने की शिकायतों के बीच गुरुवार को लोक निर्माण विभाग सागर के चीफ इंजीनियर ने आरएल वर्मा ने निर्माणाधीन मार्ग का निरीक्षण किया। कुछ स्थानों पर पाइप कल्वर्ट (पुलियों) के धंसने पर चीफ इंजीनियर ने गहरी नाराज़गी जताते हुए लोनिवि पन्ना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री बीके त्रिपाठी और ठेकेदार के प्रोजेक्ट इंचार्ज को कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने मानसून के मद्देनज़र मार्ग पर वाहनों का निर्बाध आवागमन बनाए रखने और वर्षा जल की समुचित निकासी सुनिश्चित करने के लिए क्षतिग्रस्त पुलियों का तत्परता से सुधार कार्य कराने के निर्देश दिए हैं। निरीक्षण के दौरान चीफ इंजीनियर ने सड़क निर्माण कार्य में उपयोग में लाई जा रही लाइम स्टोन की गिट्टी के डंप को भी देखा।
पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सकरिया-ककरहटी-गुनौर-डिघौरा मार्ग।
गत वर्ष 2023 में जिले के सकरिया-ककरहटी-गुनौर-डिघौरा मार्ग निर्माण कार्य को केन्द्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत स्वीकृति मिली थी। लगभग 29 किलोमीटर लम्बाई वाली यह सड़क पन्ना के मुख्य जिला मार्ग (MP-MDR-18-08) में शामिल है। जिले से गुजरने वाले दो प्रमुख नेशनल हाइवे (एनएच-39 एवं एनएच-943) को आपस में जोड़ने वाले इस एमडीआर मार्ग के निर्माण में शुरुआती स्तर से ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खेल शुरू हो गया था। खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा एवं पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के संयुक्त प्रयास से स्वीकृत लगभग 40 करोड़ की लागत वाली सीआरएफ सड़क को पलीता लगाने में जुटे ठेकेदार की करतूतों पर लोनिवि पन्ना के भ्रष्ट तकनीकी अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं। फीलगुड के चक्कर में लोनिवि के अफसरों ने अघोषित तौर पर ठेकेदार को मनमाफिक कार्य करने की खुली छूट दे रखी है।
सकरिया-ककरहटी-गुनौर-डिघौरा मार्ग के निरीक्षण पर पहुंचे लोनिवि सागर के चीफ इंजीनियर आरएल वर्मा को निर्माण कार्य में हुई गड़बड़ी की जानकारी देते कांग्रेस नेता कुलदीप सिंह।
सड़क निर्माण में गड़बड़ी की तथ्यात्मक और प्रमाणित शिकायतों पर जिला स्तर पर कोई कार्रवाई पर होने से हाल ही में मीडिया के द्वारा लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव, प्रमुख अभियंता तथा मुख्य अभियंता का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया था। क्षेत्रीय विधायक डॉ. राजेश वर्मा ने भी सड़क निर्माण में गुणवत्ताविहीन अमानक सामग्री उपयोग के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। सड़क निर्माण से जुड़ीं प्रमाणित शिकायतों पर गौर करते हुए प्रमुख अभियंता लोनिवि आरके मेहरा ने चीफ इंजीनियर सागर से जांच करवाने की बात कही थी। इस बीच गुरुवार 13 जून को पन्ना पहुंचे चीफ इंजीनियर लोनिवि सागर आरएल वर्मा ने सकरिया-डिघौरा मार्ग का निरीक्षण किया।

खदानों का ओवर वर्डन डालकर लीपापोती

सीआरएम की लेयर में मिक्स मटेरियल की चोरी करते हुए रात में चचरा (अनुपयोगी मटेरियल) डालकर तुरंत रोड रोलर चलवा दिया गया।
उन्होंने सकरिया से गुनौर के बीच कई स्थानों पर सड़क निर्माण कार्य का अवलोकन किया। चीफ इंजीनियर के निरीक्षण की जानकारी मिलने पर कुलदीप सिंह डिघौर महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना ने मौके पर पहुंचकर उनसे भेंट की। युवा नेता कुलदीप ने अपने मोबाइल फोन पर श्री वर्मा को उक्त सड़क की धंसी हुई पुलियों के वीडियो दिखाए गए। साथ ही रात के अंधेरे में सीआरएम लेयर में मिक्स मटेरियल के स्थान पर लाइम स्टोन खदान का ओवर वर्डन (अनुपयोगी सामग्री) डालकर रोलर चलवाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीआरएफ सड़क के निर्माण में अर्थवर्क स्तर पर भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। ठेकेदार द्वारा स्वीकृत कराए गए प्राकक्लन (स्टीमेट) के तहत निर्धारित मापदंड अनुसार कार्य नहीं किया जा रहा है। परिवहन व्यय सीमित रखने के मकसद से ठेकेदार ने आसपास के खेतों की कम गुणवत्ता वाली मिट्टी का उपयोग अर्थवर्क में किया है। मार्ग पर ट्रैफिक के दबाव को ध्यान में रखकर मिट्टी के स्थरीकरण (मजबूती) के लिए आवश्यकतानुसार ठोस उपाए ईमानदारी से नहीं किए गए। अर्थवर्क के दौरान सड़क के इनिशियल लेवल में गड़बड़ी करते हुए पुराने मटेरियल को अलग करने के बजाए क्रश करके उसी को उपयोग में ले लिया। साथ ही गुनौर के आदिवासी मोहल्ला के समीप खतरनाक मोड़ के कारण हादसे होने की आशंका जताई गई।

… तो विधानसभा में गूंजेगा मामला

केन्द्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सकरिया-ककरहटी-गुनौर-डिघौरा मार्ग में उपयोग में लाई जा रही लाइम स्टोन गिट्टी का मुआयना करते हुए लोनिवि अधिकारी।
चीफ इंजीनियर (मुख्य अभियंता) सागर श्री वर्मा ने पुलियों के धंसने पर गहरी नाराज़गी जताते हुए लोनिवि पन्ना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री बीके त्रिपाठी, प्रभारी उपयंत्री और ठेकेदार के प्रोजेक्ट इंचार्ज को कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने दो टूक कहा कि, निर्माण कार्य में मानक-मापदंडों से किसी भी प्रकार का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीफ इंजीनियर ने मानसून के मद्देनज़र मार्ग पर वाहनों का निर्बाध आवागमन बनाए रखने और वर्षा जल की समुचित निकासी सुनिश्चित करने के लिए क्षतिग्रस्त पुलियों का तत्परता से सुधार कार्य कराने के निर्देश दिए हैं। निरीक्षण के दौरान सड़क निर्माण कार्य में उपयोग में लाई जा रही लाइम स्टोन की गिट्टी के डंप को भी देखा गया। श्री वर्मा ने कांग्रेस नेता को भरोसा दिलाया कि, सड़क निर्माण में जो भी कमियां है उन्हें दूर करके हर हाल में गुणवत्ता पूर्ण कार्य कराया जाएगा।
40 करोड़ की लागत से निर्माणधीन सकरिया-ककरहटी-गुनौर-डिघौरा मार्ग में बड़े पैमाने पर घटिया कार्य कराए जाने से धंस चुकी हैं कई पुलिया।
वहीं कांग्रेस नेता का कहना है लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी कार्य की गुणवत्ता में यदि सुधार नहीं होता है तो इस मुद्दे को विधानसभा के मानसून सत्र में उठवाने के प्रयास किए जाएंगे। साथ ही मामले को सीटीई के संज्ञान में लाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि, चीफ इंजीनियर श्री वर्मा से उनके निरीक्षण के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए कई बार मोबाइल फोन पर सम्पर्क किया लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।

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पार्ट-1 : 40 करोड़ की सड़क में गुणवत्ता के मापदंड बने मज़ाक, रात के अंधेरे में घटिया मटेरियल डालकर चलवा रहे रोलर

मध्य प्रदेश | रेत और राशन माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही करने वाले SDM का तबादला

*     पन्ना कलेक्टर ने अजयगढ़ से एसडीएम गौतम को हटाकर कलेक्ट्रेट में किया अटैच

*      रेत माफियाओं और उनके राजनैतिक संरक्षणदाताओं के दबाव में स्थानांतरण किए जाने की चर्चाएं

*     SDM गौतम ने रेत माफिया की पोकलेन मशीनें जब्त कर लगाया था 112 करोड़ का जुर्माना

*     गरीबों का खाद्यान्न डकारने वाले राशन माफियाओं से 45 लाख की वसूली का दिया था आदेश

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में अजयगढ़ तहसील अंतर्गत जीवनदायनी केन नदी की रेत लूटने वाले खनन माफिया और गरीबों का राशन डकार रहे खाद्यान्न माफियाओं के ख़िलाफ़ ताबड़तोड़ कार्रवाई से चर्चाओं में आए एसडीएम कुशल सिंह गौतम का तबादला हो गया है। पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार ने गौतम को अजयगढ़ से हटाकर अपने ऑफिस में अटैच किया है। शुक्रवार 7 मई को जारी आदेश अनुसार पन्ना के प्रभारी एसडीएम संजय कुमार नागवंशी को अजयगढ़ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। लोकसभा चुनाव 2024 की आदर्श आचार संहिता हटने के बाद जारी तबादला आदेश को कलेक्टर ने प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से लिया गया निर्णय बताया है। जबकि आमचर्चा यह है कि, जिला प्रशासन ने यह फेरबदल रेत माफिया और उनके राजनैतिक संरक्षणदाताओं के दबाव में किया है। तबादला आदेश की टाइमिंग से इस तरह की चर्चाओं को बल मिल रहा है। माफियाओं के खिलाफ लगातार प्रभावी कार्रवाई करने वाले एसडीएम कुशल सिंह गौतम को अजयगढ़ से हटाकर पन्ना अटैच करने के निर्णय के खिलाफ तराई अंचल के लोगों में हैरानी और नाराज़गी देखी जा रही है। प्रशासनिक हलकों में कलेक्टर के इस आदेश को कर्तव्यनिष्ठ अफसरों का मनोबल तोड़ने, शासन हित अथवा जनहित में ईमानदारी से कार्य करने वालों को हतोत्साहित करने वाले निर्णय के तौर देखा जा रहा है।
कुशल सिंह गौतम, संयुक्त कलेक्टर जिला पन्ना।
लगभग तीन माह पूर्व संयुक्त कलेक्टर कुशल सिंह गौतम की पदस्थापना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजयगढ़ के पद पर की गई थी। पदभार संभालने के सप्ताह भर के अंदर कर्मठ प्रशासनिक अधिकारी गौतम ने क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माफियाओं के खिलाफ मुहिम का आगाज़ करते हुए 30 मार्च 2024 को पहली बड़ी कार्रवाई की थी। उनके नेतृत्व में राजस्व एवं पुलिस विभाग के संयुक्त दल ने अजयगढ़ क्षेत्र के ग्राम भीना एवं चांदीपाटी रेत खदान पर छापामार कर नदी किनारे अवैध रूप से डंप 600 घनमीटर रेत को जब्त किया था। नदी घाट के समीप स्थित रेत माफिया के कैम्प में अवैध रूप से ड्रमों में भंडारित 2850 लीटर डीजल जप्त किया था। इसके अलावा माफिया के अस्थाई कैम्प, रेत परिवहन के लिए बनाए गए रास्तों और केन नदी के प्रवाह को बाधित कर निर्मित अवैध पुलों को बुलडोजर चलवाकर तोड़ डाला था। इसके 48 घंटे के अंदर रेत माफिया के खिलाफ दूसरी कार्रवाई 01 अप्रैल की शाम को की गई थी। संयुक्त दल ने जिगनी और चंदौरा की अवैध रेत खदानों पर दबिश देकर रेत से लोड पांच ट्रकों को पकड़ा था।
रेत की लूट के खिलाफ तीसरी छापामार कार्रवाई 16 मई की देर रात अजयगढ़ के नजदीक बीरा-सुनहरा में संचालित अवैध रेत खदानों पर की गई थी। संयुक्त दल ने रात के अंधेरे में अवैध खदान क्षेत्र की घेराबंदी करके 6 एलएनटी मशीनें, 1 जेसीबी और दो दर्जन से अधिक ट्रक-डंपर पकड़े थे। कार्रवाई की भनक लगने पर दोहपर में लगभग 12 बजे रेत माफिया आधा दर्जन वाहनों से मौके पर पहुंचे थे। माफिया ने संयुक्त दल द्वारा की गई कार्रवाई को कथित तौर पर क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर छतरपुर जिले की सीमा में वाहन-मशीनरी पकड़ने कड़ी आपत्ती जताई थी। सीमा विवाद में दोनों जिलों के राजस्व-पुलिस अधिकारी आपस में उलझ गए थे। तभी रेत माफिया मौका पाकर बिना किसी विरोध के 20 से अधिक ट्रक-डंपर, 2 एलएनटी और 1 JCB मशीन छुड़ा ले गए थे। रेत माफिया के इस दुस्साहस के दौरान मौके पर उपस्थित रहे पुलिस अधिकरियों-जवानों की भूमिका सवालों के घेरे में है। पुलिस से आपेक्षित सहयोग न मिलने की वजह से बड़ी धरपकड़ के बाद सिर्फ 4 एलएनटी मशीनें, 3 ट्रक-डंपर जब्त हो पाए थे। वाहनों को भगा ले जाने के बाद एसडीएम ने जिला खनिज अधिकारी पन्ना को एक पत्र भेजा था जिसमें वाहन नंबर का उल्लेख कर कार्रवाई के लिए लिखा था।

112 करोड़ का ठोका था जुर्माना

प्रतिबंधित मशीनों के जरिए केन नदी पर रात-दिन बड़े पैमाने पर जारी है रेत का अवैध खनन।
अजयगढ़ क्षेत्र में सक्रिय माफिया जीवनदायनी केन नदी का सीना प्रतिबंधित मशीनों से छलनी कर अंधाधुंध रेत का दोहन करके नदी का वजूद मिटाने के साथ बहुमूल्य खनिज संपदा को लूटकर हर दिन शासन को राजस्व की बड़ी क्षति पहुंचा रहे है। केन नदी पर 50 किलोमीटर क्षेत्र में पिछले पांच साल से अवैध रेत खनन का खेल बेरोकटोक चल रहा है। केन के अस्तित्व को मिटाने पर आमादा माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए अजयगढ़ एसडीएम कुशल सिंह गौतम ने हाल ही में उन पर 112 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया था। रेत का अवैध करोबार करने वालों में इसके बाद से जबर्दस्त हड़कंप मचा है। जुर्माना की कार्रवाई 16 मई की रात सुनहरा और बीरा में अवैध रेत खनन करते पोकलेन मशीनों तथा रेत के अवैध परिवहन में शामिल वाहनों की धरपकड़ के मामले की गई थी। बता दें कि सुनहरा में केन नदी पर 17,000 घनमीटर रेत का अवैध खनन पाए जाने पर नियमानुसार खनिज मूल्य का तीस गुना जुर्माना राशि 63,75,00000/- रुपए और बीरा में केन नदी पुल के आसपास 13,000 घनमीटर रेत उत्खनन पाए जाने पर जुर्माना राशि 48,75,00000/- रुपए वसूली हेतु प्रस्तावित कर प्रकरण को मूलतः अग्रिम कार्रवाई हेतु कलेक्टर पन्ना (खनिज शाखा) को भेजा है। रेत माफिया पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई के पखवाड़े भर बाद अजयगढ़ से एसडीएम कुशल सिंह गौतम को हटाकर पन्ना अटैच कर दिया गया।

राशन माफिया पर कसी थी नकेल

एसडीएम के रूप में कुशल सिंह गौतम ने अजयगढ़ में तीन माह के अपने अल्प कार्यकाल में रेत माफिया पर प्रभावी नकेल कसने के साथ-साथ गरीबों का राशन हजम करने वाले राशन माफिया की गर्दन पर भी कानून का शिकंजा कस दिया था। बता दें कि गरीबों को मिलने वाले राशन का प्रतिमाह नियमित रूप से वितरण न कर कालाबाजारी करने के मामले में शासकीय उचित मूल्य दुकान धरमपुर, उचित मूल्य दुकान विश्रामगंज, तरौनी, मकरी, सलैया, सिंहपुर के विक्रेता तथा समिति प्रबंधकों के विरुद्ध अपने न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए मामलों की तत्परता से सुनवाई की गई। मई माह के अंतिम सप्ताह में इन प्रकरणों में निर्णय पारित करते हुए संबंधितों से 45 लाख रुपये से अधिक की वसूली भू-राजस्व की बकाया राशि की भांति किए जाने का आदेश दिया था।

क्षेत्र में जारी लूट पर जनप्रतिनिधि मौन

पन्ना कलेक्टर के द्वारा जारी अजयगढ़ एसडीएम कुशल सिंह गौतम का तबादला आदेश।
उल्लेखनीय है कि, अजयगढ़ एसडीएम गौतम की हालिया कार्रवाइयों से पन्ना और पड़ोसी छतरपुर जिले के सीमावर्ती इलाके (केन पट्टी क्षेत्र) में लंबे समय से रेत माफिया की हुकूमत चलने से जुड़े हैरान करने वाले तथ्य सामने आए थे। जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में खुलेआम चल रही बहुमूल्य खनिज संसाधन की सबसे बड़ी लूट का खुलासा होने पर पन्ना से लेकर राजधानी भोपाल तक सत्ता प्रतिष्ठान की जमकर किरकिरी हुई थी। वहीं अंचल के जनप्रतिनिधियों भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद वीडी शर्मा, पूर्व खनिज मंत्री एवं पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह और चंदला विधायक एवं राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सत्ताधारी दल के इन ताकतवर जनप्रतिनिधियों के निर्वाचन क्षेत्र में अघोषित तौर पर माफियाराज कायम होना, बिना किसी ठेका के बड़े पैमाने खुलेआम रेत का अवैध कारोबार संचालित होना, दिनदहाड़े माफियाओं का अपने वाहनों को छुड़ाकर ले जाना और माफियाओं पर नकेल कसने वाले कर्मठ अधिकारी को सिर्फ 3 माह में ही अजयगढ़ विकासखंड से हटाकर पन्ना अटैच किए जाने पर माननीयों का मौन साधे रहना स्वतः ही सबकुछ बयां कर रहा है। विदित हो कि, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने अपने पन्ना दौरे पर खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा (वीडी शर्मा) और पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह पर रेत माफियाओं को संरक्षण देकर काली कमाई करने के आरोप लगाए थे।

आंगनबाड़ी केन्द्रों का समय परिवर्तन, अब बच्चों की उपस्थिति सुबह 7 से 11 बजे तक निर्धारित

*     पन्ना कलेक्टर ने प्रचंड गर्मी को देखते हुए लिया निर्णय

पन्ना। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट पन्ना सुरेश कुमार ने ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव से तापमान में बढ़ोत्तरी और बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका के दृष्टिगत तत्काल प्रभाव से आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति का समय सुबह 7 बजे से 11 बजे तक निर्धारित किया है। अब पन्ना जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुबह 7 बजे से 10 बजे तक शाला पूर्व शिक्षा की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जबकि 10 बजे बच्चों के भोजन का समय निर्धारित किया गया है। 11 से 12 बजे तक थर्ड मील, पोषण परामर्श, मंगल दिवस, वृद्धि निगरानी, किशोरी बालिका योजना अंतर्गत परामर्श और गृह भेंट की गतिविधियां होंगी। केन्द्रों पर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक रिकार्ड संधारण का कार्य होगा।

बड़ी कार्यवाही : उड़ीसा से तस्करी करके लाया गया 5 क्विटंल से अधिक गांजा पकड़ा, पांच आरोपी गिरफ्तार

*       1 करोड़ रुपये से अधिक है जब्तशुदा गांजा की कीमत

*       पन्ना और छतरपुर जिले में गांजा खपाने की थी तैयारी

*      पन्ना पुलिस को मिली सफलता पर पुलिस महानिरीक्षक द्वारा की गई ईनाम की घोषणा

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश में नशे के सौदागरों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत पन्ना जिले की पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बुधवार की देर शाम पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर जिले के पवई थाना अंतर्गत एक पिकअप वाहन को रोककर उसमें लोड 538 किलोग्राम गांजा जब्त किया है। पुलिस ने इस मामले में पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है। उड़ीसा से तस्करी करके लाए गए गांजा की अनुमानित कीमत 1 करोड़ 7 लाख 74 हजार रुपए बताई जा रही है। गांजा का अवैध परिवहन करने वाले पिकअप वाहन को भी पुलिस ने जब्त कर लिया है। पुलिस अधीक्षक पन्ना साईं कृष्णा एस. थोटा ने जानकारी देते हुए बताया कि, गांजा तस्करी करते पकड़े गए आरोपियों में चार छतरपुर जिला और एक आरोपी उड़ीसा का रहने वाला है। तस्करों की योजना गांजे की बड़ी खेप को पन्ना और छतरपुर जिले में खपाने की थी।
पुलिस मुख्यालय भोपाल के आदेशानुसार प्रदेश स्तर नशामुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में पन्ना जिले में पुलिस अधीक्षक साईं कृष्णा एस. थोटा के निर्देशन में मादक पदार्थ की खेती, अवैध भण्डारण, अवैध परिवहन एवं बिक्री करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध विशेष अभियान चलाते हुए सतत कार्यवाही वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। विशेष अभियान के तहत पन्ना पुलिस को बीती शाम बड़ी क़ामयाबी मिली है। बुधवार 29 मई की देर शाम थाना प्रभारी पवई निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी को पुलिस सायबर सेल पन्ना एवं मुखबिर तंत्र से सूचना प्राप्त हुई कि कुछ व्यक्ति सफेद रंग के पिकअप वाहन से उड़ीसा तरफ से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ (गांजा) लेकर आ रहे है। उक्त महत्वपूर्ण सूचना से तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया। पुलिस अधीक्षक ने गांजा तस्करी की सूचना को गंभीरता से लेकर कार्यवाही हेतु तत्परता से पुलिस टीम गठित की। बिना किसी देरी के पुलिस टीम ने जूही मोड़ पहुंचकर वाहन चेकिंग शुरू कर दी। थोड़ी देर बाद सफ़ेद रंग का पिकअप वाहन आता हुआ दिखाई दिया। गाड़ी के अंदर और ऊपर बॉडी पर बैठे आरोपी पुलिस को देख थोड़ी दूर वाहन खड़ा करके पिकअप से उतारकर भागने लगे। लेकिन पहले से मुस्तैद पुलिस टीम ने घेराबंदी करके सभी पांच लोगों को अपनी अभिरक्षा में ले लिया।

धान के भूसे की बोरियों के नीचे छिपाकर रखा था गांजा

उड़ीसा से तस्करी करके पिकअप वाहन से पन्ना लाए जा रहे गांजा की जब्तशुदा बोरियों को देखते हुए पवई थाना प्रभारी निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी और उनकी टीम के सदस्यगण।
थाना प्रभारी पवई निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी और उनकी टीम ने पिकअप वाहन क्रमांक OD-03 D-7275 की तिरपाल हटाकर चेक किया तो ऊपरी भाग में धान के भूसे की बोरियां रखी मिलीं। संदेह के चलते धान की भूसी की बोरियां हटाकर देखा गया तो उनके नीचे प्लास्टिक की बोरियों के अंदर मादक पदार्थ (गांजा) रखा होना पाया गया। पुलिस टीम ने 14 बोरियों के अंदर छिपाकर रखे गए 538.68 किलोग्राम (5 क्विंटंल 38 किलोग्राम) गांजा बरामद कर लिया। जिसकी कीमती लगभग 1 करोड़ 7 लाख 74 हजार रूपये बताई जा रही है। गांजा के अवैध परिवहन में प्रयुक्त पिकअप वाहन कीमती करीब 8 लाख रूपये को भी पुलिस ने जब्त किया है। इस तरह प्रकरण में कुल मशरूका कीमती करीब 1 करोड़ 15 लाख 74 हजार रूपये का जब्त कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जिनमें आशाराम पटेल पिता मिहीलाल पटेल 21 वर्ष निवासी जटापहाड़ी, सुनील पटेल पिता काशीराम पटेल 21 वर्ष निवासी रिछाई, रामेश्वर पटेल पिता बच्चू पटेल 33 वर्ष निवासी छमटुली, सरमन पटेल पिता रामदयाल पटेल 24 वर्ष छमटुली सभी निवासी थाना बमीठा जिला छतरपुर और निमेनचरण भोई पिता राजकिशोर भोई 21 साल निवासी डिढेमल, कतमाल, बौद्ध (उड़ीसा) शामिल है।

आरोपियों को रिमांड में लेकर की जाएगी पूंछतांछ

पुलिस अधीक्षक पन्ना श्री थोटा ने प्रेसवार्ता में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया, गांजा की तस्करी में लिप्त सभी पांच आरोपियों के विरूद्ध थाना पवई में अपराध क्रमांक 222/24 धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रकरण कायम कर विवेचना में लिया गया। आज आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय से आरोपियों को रिमांड पर लेकर विस्तृत पूंछतांछ की जाएगी। आपने, आरोपियों से नशे के अवैध कारोबार में लिप्त अन्य लोगों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की उम्मीद जताई है। पुलिस अधीक्षक ने गांजा तस्करों की धरपकड़ कर बड़ी मात्रा में गांजा बरामद करने वाली पुलिस टीम की मुक्त कंठ से सराहना की है। साथ ही इस कार्रवाई को पन्ना पुलिस की बड़ी सफलता बताया है। आपने बताया कि पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन ने थाना प्रभारी पवई निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी के नेतृत्व वाली पुलिस टीम को 30 हजार रूपये के ईनाम से पुरुस्कृत किए जाने की घोषणा की है।