पार्ट-1 : 40 करोड़ की सड़क में गुणवत्ता के मापदंड बने मज़ाक, रात के अंधेरे में घटिया मटेरियल डालकर चलवा रहे रोलर

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सीआरएम की लेयर में मिक्स मटेरियल की चोरी करते हुए रात में चचरा (अनुपयोगी मटेरियल) डालकर तुरंत रोड रोलर चलवा दिया गया।

 

*     पन्ना जिले में निर्माणाधीन सकरिया-गुनौर से NH- 943 तक CRF सड़क का मामला

*     PWD के तकनीकी अधिकारियों की सांठगांठ के चलते सड़क की गुणवत्ता से समझौता

*      निरीक्षण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने आते है अधीक्षण यंत्री और मुख्य अभियंता

शादिक खान, पन्ना। (wwwradarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना (CRF) अंतर्गत लगभग 40 करोड़ की लागत से NH-39 से सकरिया-गुनौर-डिघौरा होते हुए NH- 943 तक निर्माणाधीन मार्ग में बड़े पैमाने पर लीपापोती की जा रही है। लोक निर्माण संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारियों और ठेकेदार के बीच सांठगांठ के चलते सड़क निर्माण में गुणवत्ता के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए अर्थवर्क से लेकर सीआरएम तक परत दर परत बड़े पैमाने पर भष्टाचार किया जा रहा है। सीआरएम की परत में निर्धारित मापदंड अनुसार मिक्स मटेरियल न डालकर खदानों का ओवर वर्डन (अनुपयोगी सामग्री) बिछाकर तुरंत रोलर चलवा दिया जाता है। सड़क की गुणवत्ता से समझौते का यह खेल बड़ी ही चालकी के साथ रात के अंधेरे में खेला जा रहा है, ताकि सीआरएम में की जाने वाली चोरी का किसी को पता न चल सके। लेकिन रडार न्यूज़ के पास मौजूद वीडियो सड़क निर्माण में चल रही धांधली की पोल खोल रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के समय सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की ओर से डबल इंजन की सरकार में विकास की रफ़्तार बढ़ने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। मगर, अभी तक विकास की गति में कोई ख़ास अंतर तो नहीं आया, इसके उलट सूबे में भ्रष्टाचार अवश्य ही नित नए रिकार्ड बना रहा है। ‘शिव राज’ की तर्ज पर डॉ. मोहन यादव की सरकार में भी अफसरशाही और भष्टाचार चौतरफा हावी है। प्रशासनिक व्यवस्था में बड़े ओहदों पर बैठे अफसर सिर्फ उन्हीं मामलों को संज्ञान ले रहे हैं जिनमें सरकार की तरफ से उन्हें निर्देश मिलते हैं। आमजन की ओर से सौंपे जाने वाले आवेदन तथा मीडिया के द्वारा उठाए जाने वाले जनहित से जुड़े मुद्दों पर अफसरों को अब अपनी जिम्मेदारी का बिल्कुल भी एहसास नहीं होता। निराशा और उदासीनता से भरे इस माहौल में अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। ‘मोहन राज’ में सूबे के भ्रष्ट अफसर कितने बेख़ौफ़ है इसका सहज अंदाजा पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना (CRF) अंतर्गत NH-39 से सकरिया-गुनौर से डिघौरा होते हुए NH- 943 तक निर्माणाधीन मार्ग में बड़े पैमाने पर चल रही गड़बड़ी से लगाया जा सकता है। 29 किलोमीटर लंबी और लगभग 40 करोड़ की लागत वाली इस सड़क का निर्माण कार्य ठेकेदार रविशंकर जायसवाल जबलपुर के द्वारा कराया जा रहा है।

अर्थवर्क से लेकर CRM तक गड़बड़ी

पन्ना जिले से गुजरने वाले दो नेशनल हाइवे को जोड़ने वाला सकरिया-डिघौरा मार्ग मुख्य जिला मार्ग (MP-MDR-18-08) है। हैरानी की बात है कि इतने महत्वपूर्ण मार्ग के निर्माण में बुनियादी स्तर से ही बड़े पैमाने पर खुलेआम अनियमितता की जा रही है। ठेकेदार द्वारा स्वीकृत कराए गए प्राकक्लन (स्टीमेट) के तहत निर्धारित मापदंड अनुसार कार्य नहीं किया जा रहा है। परिवहन व्यय सीमित रखने के मकसद से ठेकेदार ने आसपास के खेतों की कम गुणवत्ता वाली मिट्टी का उपयोग अर्थवर्क में किया है। मार्ग पर ट्रैफिक के दबाव को ध्यान में रखकर मिट्टी के स्थरीकरण (मजबूती) के लिए आवश्यकतानुसार ठोस उपाए ईमानदारी से नहीं किए गए। अर्थवर्क के दौरान सड़क के इनिशियल लेवल में गड़बड़ी करते हुए पुराने मटेरियल को अलग करने के बजाए क्रश करके उसी को उपयोग में ले लिया। कुछ इसी तर्ज़ पर मोटी रक़म बचाने के चक्कर में डब्ल्यूएमएम और सीआरएम की परतों में भी अमानक सामग्री का उपयोग किया है। सीआरएम की 15 से 20 सेंटीमीटर की परत में 5-7 सेंटीमीटर मिक्स मटेरियल की चोरी करने के लिए लाइम स्टोन खदानों के अनुपयोगी मटेरियल (ओवर वर्डन) को डाला गया। लोक निर्माण संभाग पन्ना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री की मूक सहमति से सड़क निर्माण में गुणवत्ता के मापदंडों की धज्जियां उड़ाने का धतकरम रात के अंधेरे किया जा रहा है। पिछले एक माह से लगातार रात के अंधेरे सकरिया मार्ग पर चचरा (ओवर वर्डन) बिछाने के बाद तुरंत रोलर चलवा दिया जाता है, ताकि सुबह किसी को कुछ समझ में न आए।

हाथ लगाने से निकल रहा पुलियों का कंक्रीट

सीआरएफ योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सकरिया-गुनौर-डिघौरा की पुलियों में सिर्फ हाथ लगाने से उखड़ रहा कंक्रीट मटेरियल।
मालूम हो कि, 29 किलोमीटर लम्बाई वाले सकरिया-डिघौरा मार्ग में अभी तक विभिन्न प्रक्रार की 41 नग पुलियों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इनमें एक पाइप वाली पुलिया (सिंगल-रो पाइप कल्वर्ट) 22, दो पाइप वाली पुलिया (डबल-रो पाइप कल्वर्ट) 16 और बॉक्स कल्वर्ट- 3 नग शामिल हैं। नवनिर्मित पुलियों का हाल यह है कि उनकी फेसबॉल का कंक्रीट हाथ लगाने भर से उखड़ रहा है। गत दिनों रडार न्यूज़ की टीम ने निर्माणाधीन सड़क का अवलोकन किया था। इस दौरान सड़क के साथ-साथ पुलियों के निर्माण में भी गंभीर अनियमितताएं देखने को मिलीं। अधिकांश पुलियों का निर्माण मापदंड अनुसार नहीं कराया गया। पुलियों में डाले गए कंक्रीट में रेत की जगह क्रेशर डस्ट का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। भीषण गर्मी में पुलियों का निर्माण करने के बाद नियमित तौर पर अच्छी तरह से उनकी तराई नहीं की जा रही है। बॉक्स कल्वर्ट में अच्छी क्वॉलिटी का सरिया निर्धारित मापदंड अनुसार नहीं डाला गया। पुलियों की फेसबॉल की नींव में कंक्रीट मटेरियल की जगह बड़े-बड़े पत्थर भरे हैं। आश्चर्य की बात है कि, लोक निर्माण संभाग पन्ना के जिम्मेदार तकनीकी अधिकारी इन सब धांधलियों पर आंखें मूंदकर बैठे हैं।

क्वॉलिटी कंट्रोल करने वालों कंट्रोल ठेकेदार की जेब में

कार्यालय कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग संभाग पन्ना। (फाइल फोटो)
सकरिया-गुनौर-डिघौरा मार्ग निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर चल रहे भ्रष्टाचार के मद्देनज़र यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि, गुणवत्ता नियंत्रण के नाम पर सड़क के निरीक्षण के लिए आने वाले लोनिवि के अधीक्षण यंत्री तथा मुख्य अभियंता आखिर करते क्या हैं? न तो कार्य की गुणवत्ता में किसी तरह का कोई सुधार आया है और ना ही ठेकेदार से लेकर स्थानीय तकनीकी अफसरों की जवाबदेही तय करते हुए उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया जा रहा है। इस रहस्य के संबंध में सूत्र बताते हैं कि, क्वॉलिटी कंट्रोल करने वाले अफसरों पर रसूखदार ठेकेदार ने स्थानीय अधिकारियों की मदद से अपने मनमाफिक कंट्रोल हांसिल कर लिया है। अब प्रभारी उपयंत्री से लेकर शीर्ष अधिकारी तक ठेकेदार की जेब में हैं। इसलिए ठेकेदार बिना किसी डर-भय के जमकर लीपापोती करने में जुटा है। वर्तमान में पन्ना डिवीजन में व्याप्त हद दर्ज़े की अंधेरगर्दी पर ‘अंधेरनगरी और चौपट राजा’ वाली कहावत सटीक बैठती है। दरअसल, विभाग की कमान जिन महाशय के हाथों में सौंपी गई है विभागीय ठेकेदार दबी जुबान उनको भ्रष्टाचार का महारथी बताते हैं।

इनका कहना है-

“सकरिया-डिघौरा सड़क निर्माण में गड़बड़ी से जुड़े आपके पास जो भी साक्ष्य उपलब्ध हैं उनको मुख्य अभियंता सागर को भेज दें। अगर कोई आवेदन हो तो उसे भी आप उनको जाकर दे सकतें। क्योंकि निर्माण कार्य का जांच प्रतिवेदन मैं उन्हीं से मांगूंगा। मैं भी उन्हें फोटो-वीडियो भेजकर कार्य का निरीक्षण करने के लिए बोलता हूं।”

–  आरके मेहरा, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग, भोपाल म.प्र.।