ईंट भट्टे पर काम कर रही युवती की मौत

सिमरिया। रडार न्यूज थानांतर्गत ग्राम करिया में आज दोपहर आसमान में गड़गडाहट के साथ तेज बारिश हुई. इसी बीच ईंट भट्टे में काम करने वाली एक युवती की बिजली गिरने से मौत हो गई. घटना के संबंध में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 18 वर्षीय युवती रश्मि अपनी मां कपूर बाई ईंट के भट्टे में काम कर रहीं थी, इसी बीच अचानक खेत पर आकाशीय बिजली गिरी. जिसकी चपेट में आने से रश्मि की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि उसके छोटे भाई भीमा को गंभीर चोटें आई. मां कपूरी बाई ने मदद के लिये लोगों को बुलाया और गंभीर रूप से घायल भीमा को उपचार के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया. जहां प्राथमिक उपचार के लिये जिला चिकित्सालय भेज दिया गया।

पवई के दो छात्र जी-मेन्स परीक्षा में चयनित

पवई। रडार न्यूज छोटे कस्बे में रह कर बडे ख्वाब देखने वाले नगर के दो होनहार छात्रों ने अपनी मेहनत के बल पर बडा मुकाम हासिल किया है। नगर के रामकृष्ण नगायच, रूप नगायच के सुपुत्र स्वपनिल नगायच जो केन्द्रीय विद्यालय पन्ना में अध्ययनरत थे, जी-मेन्स परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. इसी तरह रफीक हुसैन माता नईमा खान के पुत्र शादाफ खान ने भी जी-मेन्स परीक्षा में सफलता हासिल कर पवई नगर को गौरान्वित किया है. दोनों छात्रों की सफलता पर स्थानीय लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनकी उज्जवल भविष्य की कामना की है।

चुनाव से पहले पिछड़ों को साधने में जुटी भाजपा

पिछडा वर्ग महाकुंभ में 25 हजार कार्यकर्ता जायेंगे सागर

पन्ना। रडार न्यूज मिशन 2018-19 को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार समाज के विभिन्न वर्गों को साधने में जुटे हैं। सत्ता की चाबी कहलाने वाले पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में मजबूती से बनाये रखने के लिये भारतीय जनता पार्टी द्वारा संभागीय मुख्यालय सागर में 6 मई को पिछडा वर्ग महाकुंभ का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये भाजपा पिछडा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाहा ने पन्ना के सर्किट हाउस में मोर्चा से जुडे पदाधिकारियों की बैठक ली। श्री कुशवाहा ने पन्ना जिले से उक्त सम्मेलन में 25 हजार कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित कराने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए इसकी प्राप्ति के लिये पदाधिकारियों को आवश्यक दायित्व सौंपे। बैठक में भाजपा पिछडा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र कुशवाहा, चतुवेश सेन, विनोद यादव, धर्मेन्द्र नामदेव, रामहेत कुशवाहा, अरविंद महाजन, संजू चैरसिया, दिलीप शिवहरे, अंकित रैकवार, अनिल जड़िया, विजय साहू, अर्जुन कुशवाहा, सचिन यादव, मण्डल अध्यक्ष नीरज लोधी, डा. देवेन्द्र कुशवाहा, मनीष पटेल, सुरेन्द्र विश्वकर्मा, आदर्श सोनी, अजीत बढ़ौलिया, नारायण कुशवाहा, शंकर पटेल, धनीराम पटेल उपस्थित रहे।

पाठशाला में रूकवाई बारात, हैडमास्टर को मिला नोटिस

अजयगढ़। रडार न्यूज शैक्षणिक सत्र के दौरान स्कूल भवन एवं परिसर को किसी भी कार्यक्रम के आयोजन हेतु देना प्रतिबंधित है। बावजूद इसके कतिपय शिक्षक निहित स्वार्थों के चलते वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। पन्ना जिले की अजयगढ तहसील क्षेत्र के ग्राम सब्दुआ के शाला भवन में पिछले माह एक बारात ठहराने पर परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केन्द्र विष्णु त्रिपाठी ने संबंधित शालाओं को प्रधानाध्यापकों एवं जन शिक्षक सहित तीन लोगों को नोटिस जारी किये हैं। उल्लेखनीय है कि सब्दुआ ग्राम में शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला एक ही भवन एवं परिसर में संचालित है. लेकिन उक्त भवन को अक्सर बारातों के लिये आरक्षित कर दिया जाता है। जिससे बच्चों की कक्षाएं बाहर खुले आसमान के नीचे लगाने के अवाला कोई विकल्प नहीं होता। स्थानीय लोगों ने इसकी इस पर कई बार कड़ी आपत्ति जताई और शिकायत भी की गई, लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। बार-बार शिकायत मिलने पर 25 अप्रैल को बीआरसी अजयगढ़ ने शाला का निरीक्षण किया तो यह स्पष्ट हो गया कि शाला में बारात रूकती है और कक्षाएं बाहर लगती है। बीआरसी ने डीपीसी पन्ना को इस संबंध में सूचित किया और डीपीसी ने 2 मई को जन शिक्षा केन्द्र प्रभारी श्रीमति मधुरिमा राय सहित प्रधानाध्यापक प्राथमिक शाला नत्थू सिंह गौड एवं प्रधानाध्यापक माध्यमिक शाला मथुरा प्रसाद अहिरवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसर शैक्षणिक सत्र के दौरान शासकीय विद्यालयों के प्रांगण में वैवाहिक अथवा अन्य समारोह के लिये आयोजन की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी सब्दुआ विद्यालय को वैवाहिक कार्यक्रम के लिये परिसर एवं बरामदे को दिया गया। शिक्षकों की इस मनमानी को डीपीसी ने सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लंघन मानते हुए कार्यवाही संबंधितों से तीन दिवस के अंदर नोटिस का जबाव मांगा है। समय पर संतोषजनक जबाव नहीं देने की स्थिति में एक पक्षीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

उर्पाजन केन्द्रों में भीगा हजारों क्विंटल गेंहू

आंधी-तूफान के साथ आई बारिश ने खोली व्यवस्थाओं की पोल

पन्ना। रडार न्यूज भीषण आंधी तूफान के साथ हुई बेमौसम बारिश ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाने के साथ पन्ना में भी काफी क्षति पहुंचाई है। वर्तमान में गेंहू खरीदी के चलते जिले के सभी उर्पाजन केन्द्रों पर खुले आसमान के नीचे पडा हजारों क्विंटल गेंहू असमय हुई बारिश में तर-बतर हो गया। गेंहू की परिवहन व्यवस्था सही न होने के कारण बारिश में बरी तरह भीगे गेंहू के खराब होने की आशंका जताई जा रही है। जिला मुख्यालय पन्ना के नजदीक ग्राम लक्ष्मीपुर स्थित पर ही खुले आसमान के नीचे पडा 139 क्विंटल गेंहू बारिश की भेंट चढ़ गया। केन्द्र के लोगों ने बाहर पडे गेंहू को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन तेज बारिश के चलते गेंहू को खासा नुकसान हुआ। हालाकि केन्द्र के लोगों ने अनाज को ढ़कने के लिये भारी मशक्कत की। जिससे कुछ हद तक फसल को बचाया जा सका। लेकिन बारिश के बाद अनाज में नमी होने से भी फसल को नुकसान होने का खतरा बना हुआ। अब किसी तरह  केन्द्र में बचे हुए अनाज को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। विदित हो कि पूर्व में भी इसी तरह अचानक हुई बारिश से यहां खासा नुकसान हुआ था। बावजूद इसके यहां अनाज की सुरक्षा के लिये माकूल इंतेजाम नहीं किये गये।

गेंहू सुखाने, बंद की खरीदी

पन्ना, बारिश में गीला हुआ लक्ष्मीपुर मंडी का गेंहू.

लक्ष्मीपुर गेंहू खरीदी केन्द्र में उपस्थित मिले समिति सेवक नरेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि शनिवार के दिन दोपहर 2 बजे तक खरीदी को स्थगित कर गेंहू को सुखाने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आज दिन भर अनाज को सुखाने का कार्य किया गया, जिससे काफी हद तक नुकसान को कम किया जा सका। विदित हो कि बेमौसम बारिश से जहां शासन का खरीदा हुआ, अनाज बर्बाद हुआ, वहीं किसानों को भी इससे नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर किसानों का खुले में रखा अनाज बारिश में भीग गया।

नहीं है सुरक्षा के पर्याप्त इंतेजाम

गौरतलब है कि जिले में अब पर्याए¢त मात्रा में वेयर हाउस उपलब्ध है। लेकिन गेंहू खरीदी केन्द्रों से वेयर हाउस तक अनाज को पहुंचाने की पर्याए¢त व्यवस्था नहीं है। जिससे अधिकांश दिन खरीदी केन्द्रों में ही अनाज पड़ा रहता है। इस तरह की बेमौसम आई मुसीबत से शासन को बड़ी हानि होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने चाहिये और प्रतिदिन अनाज को भण्डारण तक पहुंचाने की व्यवस्था कराई जानी चाहिये, ताकि इस तरह के नुकसान को रोका जा सके।

जिले भर के वनकर्मी आज से हड़ताल पर

पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश रेंजर एसोसिएशन एवं वन कर्मचारी संघ के संयुक्त अहृवान पर 19 सूत्रीय मांगों के लेकर जिले के समस्त वनकर्मी 5 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल जा रहे हैं।  अपनी लंबित मांगों पर शासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिये हड़ताली वनकर्मचारी शनिवार से डायमंड चौराहा जगात चौकी पन्ना में अनिश्चितकालीन धरना देंगे। जिसमें दक्षिण वनमण्डल पन्ना, उत्तर वनमण्डल पन्ना एवं पन्ना टाईगर रिजर्व पन्ना के 16 वन परिक्षेत्राधिकारी, 27 उप वनक्षेत्रपाल, 91 वनपाल, 410 वनरक्षक के अतिरिक्त 469 स्थायीकर्मी कुल 1013 अधिकारी/कर्मचारी शासन के विरूद्ध अपना आक्रोश दिखाते हुये लंबित मांगे पूर्ण कराने के लिये संघर्ष करेंगे। इस प्रकार पन्ना जिले के अंतर्गत कम वेतन पा रहे वन कर्मचारी एवं अधिकारी शासन से न्यायोचित वेतन-भत्ता, स्वास्थ्य सुविधा एवं 08 घण्टे की ड्यूटी के साथ-साथ उनके कर्तव्य क्षेत्र में होने वाली वनोपज हानि की वसूली रोकने के लिये अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेगें। रेंजर एसोसिएशन के संभागीय एवं जिला अध्यक्ष शिशुपाल अहिरवार वन परिक्षेत्राधिकारी पवई एवं वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष महीप रावत ने मीडिया से मुखातिब होते हुये बताया कि रेंजर को पुलिस के टी.आई., डिप्टीरेंजर को पुलिस के एस.आई. एवं वनरक्षक को पुलिस के हेडकांन्सटेबल के बराबर वेतन मिलना चाहिये। लेकिन शासन ने उनकी वेतन विसंगति को 2007 के बाद यथावत रखा है, जिसके फलस्वरूप वन कर्मचारी एवं अधिकारी रात दिन 24 घण्टे तपती गर्मी, बरसात एवं ठण्ड में अपनी सेवायें दे रहे है। लेकिन उनकी वेतन विसंगति को दूर नहीं किया जा रहा है।

दस्तार बंदी का कार्यक्रम आज

पन्ना। रडार न्यूज जामियां अर्बिया दारूल कुरान अंजुमन इस्मालिमयां मदरसा द्वारा आयोजित जलसा-ए-सीरतुन्न नबी सल्लाहो अलैही व सल्लम ‘‘दस्तार बंदी’’ 5 मई 2018 को नेशनल पब्लिक स्कूल पन्ना में किया जा रहा है। कार्यक्रम में अंजुमन मदरसा में हिफ्जे कुरान करने वाले बच्चों को सम्मानित करते हुए उन्हें हाफिज का खिताब दिया जायेगा। शहर काजी हाफिज मोईज्जोदीन ने बताया कि कार्यक्रम में बच्चों की हिम्मत अफजाई के लिये प्रोग्राम में शिरकत करने की गुजारिश की है।

पन्ना में हुआ रडार न्यूज़ हिंदी वेब पोर्टल का विमोचन

पन्ना। डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में आज पन्ना में राडार न्यूज़ हिंदी वेब पोर्टल का विमोचन किया गया। आज प्रेस स्वतंत्रता दिवस  के उपलक्ष्य पर 3 मई 2018 को रडार न्यूज़ डाॅट इन की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ वीरेंद्र कुमार व्यास विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय उपस्थित रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में सचिन कुमार जैैैन पूर्व सलाहकार सर्वोच्च्च न्यायालय एवं भोजन का अधिकार अभियान तथा विकास संवाद समिति भोपाल ने कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में राजीव शर्मा प्रोजेक्ट मैनेजर एनएमडीसी भी उपस्थित रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता शिव अनुराग पटैरिया मध्य प्रदेश ब्यूरो लोकमत समाचार ने की। वेबसाइट के संचालक एवं संपादक सादिक खान ने वेबसाइट के संबंध में लोगों को बताया। इस अवसर पर मंचासीन सभी उपस्थित अतिथियों ने क्लिक कर वेबसाइट का शुभारंभ किया। वेबसाइट के शुभारंभ कार्यक्रम में शहर के गणमान्यय नागरिक पत्रकार गण उपस्थित रहे।

पहले उड़ते थे विमान, अब उड़ती है धूल

घोर उपेक्षा के चलते सकरिया हवाई पट्टी का अस्तित्व संकट में

स्टेट टाइम में हुआ था निर्माण

पायलट प्रशिक्षण केन्द्र बनाने के वादे निकले खोखले

पन्ना। रडार न्यूज रियासत काल में पन्ना की प्रसिद्धि दूर-दूर तक थी, यहां के राजाओं द्वारा विशेष रूप से बनवाये गये भव्य मंदिर, स्मारक, महल और झीलनुमा तालाब उस दौर में पन्ना को सुंदर शहर बनाते थे। स्टेट टाइम में पन्ना कितना विकसित और समृद्ध था, इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि जब अन्य शहरों में गिनती की बसें चला करतीं थी, तब पन्ना से दिल्ली के लिये डेकोरा विमान की नियमित सेवा संचालित थी। घने जंगलों और विंध्य पर्वत श्रंखला की गौद में बसे इस सुंदर शहर मित्र राजाओं एवं अंग्रेज अफसरों के भ्रमण को सुगम बनाने के लिये महाराज यादवेन्द्र सिंह ने पन्ना के नजदीक सकरिया में 1929 में विशाल हवाई पट्टी का निर्माण कराया था। इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि रियासत काल में जिस हवाई पट्टी पर विमान उतरते रहे हैं, आज वहां धूल के गुबार उड रहे हैं। सरकारों की घोर उपेक्षा से सकरिया हवाई पट्टा अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। पन्ना से करीब 10 किलोमीटर दूर सतना मार्ग पर एनएच-39 के किनारे कई हेक्टेयर में फैली सकरिया हवाई पट्टी का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। समय के थपेड़ों की मार से ध्वस्त हो चुके एयरपोर्ट भवन और हवाई पट्टी के सपाट मैदान और कटीली झाड़ियों से पट चुका सपाट मैदान ही अब यहां शेष है। अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रही इस प्राचीन हवाई पट्टी के बारे में पन्ना की युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। इसकी बदहाली देखकर उन नाकारा जनप्रतिनिधियों को जी भरकर कोसने का मन होता है, जोकि कई सालों तक कभी हवाई पट्टी के शुरू होने तो कभी शासन द्वारा पायलट प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने का सब्जबाग दिखाकर वोटों की फसल काटते रहे है। व्यवसायिक विमानन सेवाओं हेतु अथवा पायलट प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में ऐतिहासिक सकरिया हवाई पट्टी को विकसित किया जाना, तो दूर स्थानीय जनप्रतिनिधि हवाई पट्टी की गौरवशाली विरासत को भी नहीं संभाल सके। सतना मार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग 39 के किनारे सकरिया-बहेरा ग्राम के बीच स्थित हवाई पट्टी का नामोनिशान पूरी तरह मिट चुका है। इसका विस्तृत भू-भाग में खरपतवार, कटीली झाड़ियों और घास से पट चुका है। घोर उपेक्षा और बदहाली के चलते बर्बाद हो चुकी सकरिया हवाई पट्टी को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वहां कभी सर्वसुविधा युक्त हवाई पट्टी रही है। बुजुर्ग यदि ना बतायें तो पन्ना की युवा पीढ़ी को इसके बारे में पता भी ना चले। पन्ना की राजसी वैभव, स्वर्णिम इतिहास और रियासत काल में पन्ना के विकास से जुड़ी इस महत्वपूर्ण धरोहर को संरक्षित करने अथवा समय के साथ इसे विकसित करने में जिम्मेदारों ने कोई रूचि नहीं ली। कतिपय उम्रदराज लोगों का मानना है कि सकरिया हवाई पट्टी को लेकर हमारे जनप्रतिनिधि यदि जरा भी संजीदा होते तो शायद खजुराहो में स्थित हवाई अड्डा सकरिया में होता। पन्ना के विकास को एक महत्वपूर्ण आयाम देने में सक्षम इस धरोहर को सहेजने में दिलचस्पी न लेने के लिए किसी एक जनप्रतिनिधि को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। अपितु पन्ना विधानसभा क्षेत्र से अब तक जितने भी विधायक अथवा इस संसदीय क्षेत्र से जिस भी दल के सांसद निर्वाचित हुये वे सभी इस मामले में बराबर के दोषी है।

शिकार करने आते थे राजा-महाराजा

सकरिया हवाई पट्टी

सकरिया हवाई पट्टी के संबंध में पन्ना राज परिवार के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह ने रडार न्यूज से अनौपचारिक चर्चा में बताया कि उनके दादा महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने अपने साले जयपुर महाराजा मान सिंह के कहने पर इसका निर्माण कराया था। रियासत काल में और आजादी के शुरूआती कुछ दशकों तक सकरिया की हवाई पट्टी पूर्णतः विकसित रही है। श्री सिंह के अनुसार उन्हें अच्छी तरह याद है कि जब वे किशोर अवस्था में थे, तब पन्ना नरेश महाराज यादवेन्द्र सिंह के समय  मित्र अतिथि रियासतों के राजा-महाराजा बाघ का शिकार करने के लिये निजी विमान से सकरिया हवाई पट्टी पर उतरते थे। वे जब तक पन्ना में ठहरते थे तब तक सकरिया हवाई पट्टी में ही उनके विमान खड़े रहते थे। बकौल श्री सिंह सकरिया हवाई पट्टी उस दौर में काफी प्रसिद्ध थी क्योंकि उस समय आसपास इतनी वृहद और विकसित हवाई पट्टी कहीं नहीं थी। पन्ना से सांसद और विधायक रहे लोकेन्द्र सिंह सकरिया हवाई पट्टी की बदहाली को लेकर नाराज हैं। उनकी मांग है कि सकरिया हवाई पट्टी को पुर्न निर्माण कराकर यहां पायलेट ट्रेनिंग इंस्टीयूट प्रारंभ किया जाये।

पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह

विमान से ले गये थे बाघ

पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह ने सकरिया हवाई पट्टी की चर्चा के दौरान एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि पन्ना नरेश यादवेन्द्र सिंह के साले जयपुर महाराजा मान सिंह एक बार बाघों का शिकार करने के लिये छोटे विमान से पन्ना आये। यहां के जंगलों में उनके द्वारा एक बाघ का शिकार किया गया। महाराजा मान सिंह मृत बाघ को निशानी के रूप में अपने महल जयपुर ले जाने के लिये एक बडा विमान बुलाया। उस दिन सकरिया की हवाई पट्टी से चंद मिनट के अंतर्राल में दो विमानों ने उडान भरी थी, जिसे देखने के लिये सैंकडों लोग जमा हुए थे। आप ने बताया कि बडे विमान में महाराजा मान सिंह के साथ पन्ना राज परिवार के सदस्य भी जयपुर गये थे।

मिढासन डायवर्सन में डूबे 33 करोड़

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा पन्ना को पंजाब बनाने का सपना

25 से बढ़ाकर 64 करोड़ की लागत, 33 करोड़ खर्च करने के बाद निरस्त की योजना

पन्ना। राडर न्यूज सूखा की त्रासदी झेलने वाले बुंदेलखण्ड अंचल में सिंचाई योजनाओं पर पानी की तरह पैसा बहाया गया, लेकिन इससे कोई खास लाभ होता नहीं दिख रहा है। कारण  सिंचाई योजनाओं के निर्माण में व्यापक पैमाने पर धांधली होना है। अंचल के पन्ना जिले में सिंचाई का रकवा बढ़ाने के नाम पर हुआ भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। पिछले कुछ सालों में यहां तकरीबन 1 अरब की लागत के सिंचाई जलाशयों के फूटकर बहने से पन्ना का जल संसाधन विभाग भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश व देश में काफी बदनाम हो चुका है। जीरो टाॅलरैंस का दम भरने वाली शिवराज सरकार की नाक के नीचे सरकारी धन को लूटकर तकनीकी अधिकारियों व ठेकेदारों भ्रष्ट गठबंधन ने अपनी तिजोरी भरने का काम किया है। मिढ़ासन डायवर्सन लघु सिंचाई योजना इसका एक उदाहरण मात्र है। 25 करोड़ की इस सिंचाई योजना की लागत अप्रत्याशित तरीके से बढ़ाकर 64 करोड़ की गई और फिर 33 करोड़ खर्च करने के बाद जिस तरह अचानक योजना को स्थगित कर दिया गया उससे कई सवाल उठ रहे हैं। इस सिंचाई योजना का काम करीब साल भर से बंद पडा है। 33 करोड खर्च करने के बाद योजना को अघोषित तौर पर निरस्त करने से शीर्ष तकनीकी अधिकारियों के फैसले से उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। योजना की पूर्व स्वीकृत लागत बढ़ाकर 64 करोड़ करने की स्वीकृति मिलना और योजना के कार्य को बीच में ही निरस्त किये जाने से इस महात्वकांक्षी प्रोजेक्ट में शुरूआती स्तर से ही व्यापक पैमाने पर घालमेल होने के साफ संकेत मिलते हैं।

गलती छिपाने बढ़ाया बजट

पन्ना जिले की अमानगंज तहसील अंतर्गत करीब दर्जनभर गांवों की 1793 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए बनाई गई मिढ़ासन डायवर्सन लघु सिंचाई योजना को मध्यप्रदेश शासन जल संसाधन विभाग भोपाल द्वारा 30 अप्रैल 2011 को 24 करोड़ 97 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।  स्थल की वास्तविकता से अनभिज्ञ तकनीकी अधिकारियों ने ए.सी. चैंबर में बैठकर रातों-रात सिंचाई योजना का डीपीआर तैयार करने से लेकर संपूर्ण स्वीकृत राशि निर्माण तथा भू-अर्जन पर व्यय कर दी। तब जाकर उन्हें अहसास हुआ कि निर्मित संरचना से सिंचाई होना संभव नहीं है। करीब 25 करोड़ की राशि के खर्च का औचित्य साबित करने और अपने पापों को छिपाने के लिए तकनीकी अधिकारियों ने एक बार फिर आंकड़ों का घालमेल करके योजना का पुनरीक्षित प्रस्ताव 62 करोड़ का तैयार कर भोपाल भेज दिया। पन्ना से वाया सागर होते हुये भोपाल तक सेटिंग के चलते औपचारिक परीक्षण के बगैर मिढ़ासन डायवर्सन सिंचाई योजना के पुनरीक्षित प्रस्तावनुसार कार्य की लागत एक ही झटके में 25 से बढ़ाकर 62 करोड़ किये जाने संबंधी प्रशासकीय स्वीकृति 25 मार्च 2017 को जारी कर दी गई। यहां गौर करने वाली बात यह है कि लागत बढ़कर ढाई गुना से अधिक होने पर भी मिढ़ासन सिंचाई योजना की पूर्व रूपांकित सिंचाई क्षमता 1793 हेक्टेयर में मामूली से वृद्धि के साथ 1886 हेक्टेयर हो गई अर्थात् सिंचाई योजना की पुनरीक्षित लागत के अनुपात में रूपांकित सिंचाई लागत की वृद्धि नाम मात्र की ही रही। इसको इस तरह भी समझा जा सकता हैं कि मिढ़ासन डायवर्सन सिंचाई योजना की पूर्व लागत 2497 लाख से 1793 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होनी थी। लगभग 6 साल बाद वर्ष 2017 में इसकी लागत बढ़कर ढ़ाई गुना से अधिक 62 करोड़ 41 लाख रूपये हो गई। जबकि रूपांकित सिंचाई क्षमता मात्र 93 हेक्टेयर की वृद्धि के साथ 1886 हेक्टेयर के आंकड़े तक ही पहुंच पाई। बावजूद इसके अप्रत्याशित रूप से सिंचाई योजना की लागत बढ़ाकर 62 करोड़ करने की मंजूरी दे दी गई। सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करके कृषि के मामले में पन्ना को पंजाब बनाने का सब्जबाग दिखाकर सिंचाई योजनाओं के निर्माण में किस कदर अनिमित्ताएं की गई, मिढ़ासन सिंचाई योजना इसका एक नमूना मात्र है।

भ्रष्टाचार का स्मारक बनी योजना

इस योजना पर करीब 33 करोड़ 45 लाख की राशि भू-अर्जन तथा निर्माण कार्य पर खर्च करने के बाद मुख्य अभियंता धसान केन कछार जल संसाधन विभाग सागर ने इसे फिलहाल स्थगित कर दिया है। फलस्वरूप मिढ़ासन डायवर्सन योजना का कार्य साल भर से ठप्प पड़ा है। जल संसाधन विभाग के अंदरखाने इस फैसले को लेकर ऐसी चर्चा है कि 25 करोड़ खर्च होने के बाद निर्मित संरचना से सिंचाई हो पाना व्यवहारिक तौर पर संभव ही नहीं था। अगर 62 करोड़ भी खर्च कर दिये जाते तो भी खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता। सालभर से आधी-अधूरी पड़ी मिढ़ासन डायवर्सन सिंचाई योजना जल संसाधन विभाग में विभिन्न स्तर पर हुये भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का स्मारक बन चुकी है। इसकी गहन पड़ताल करने पर पता चलता है कि शासन-प्रशासन में जवाबदेही के आभाव में अंधेरगर्दी किस कदर हावी है।