MPPSC के विवादित नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

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फाइल फोटो।

 2 सितंबर के आदेश के परिपालन में एमपीएससी नहीं कर सकी डेटा पेश

*   पीएससी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, विवादित नियमों के संबंध में सकारात्मक निर्णय लेने वाली है सरकार

जबलपुर। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की भर्ती परीक्षा में आरक्षित वर्गों के हितों के विपरीत बनाए गए संशोधित नियमों को निरस्त और उनकी वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाएं हाइकोर्ट जबलपुर में विचाराधीन हैं। इन याचिकाओं पर मंगलवार 14 सितम्बर को चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक एवं जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगल पीठ के द्वारा सुनवाई की गई।
मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता कल्याण संघ के सचिव एवं याचिकाकर्ताओं की और से मामले की पैरवी कर रहे युवा अधिवक्ता रामभजन लोधी ने जानकारी देते हुए बताया कि पीएससी भर्ती परीक्षा 2019 एवं 2020 की वैधानिकता सहित परीक्षा नियम 2015 में किए गए संशोधन दिनाँक 17 फरवरी 2020 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। उक्त याचिकाओं में न्यायालय द्वारा दिनाँक 21 जनवरी 2021 को अंतरिम आदेश पारित कर पीएससी की सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया को याचिका क्रमांक 807/2021 के निर्णयाधीन किया गया है।
याचिकाओं पर 14 सितम्बर को चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली युगलपीठ की सुनवाई की के दौरान पीएससी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया की विवादित नियम के संबंध में शासन स्तर पर कुछ सकारात्मक परिणाम के लिए कार्यवाही विचाराधीन है। न्यायालय द्वारा दिनाँक 2 सितंबर 2021 को दिए निर्देशों के परिपालन में चाही गयी जानकारी एवं डेटा सोमवार तक प्रस्तुत कर दिया जाएगा। ज्ञातव्य हो कि न्यायालय द्वारा पीएससी से विगत परीक्षाओं में कितने आरक्षित श्रेणी के अभ्यार्थी अनारक्षित वर्ग में चयनीत हुए हैं के डेटा चाहे गए थे।
यहां यह उल्लेखनीय हैं कि दिनाँक 24 अगस्त 2021 को भोपाल में पिछड़ा वर्गों के समस्त संगठनों की संयुक्त बैठक बुलाई गई थी। जिसमें ओबीसी एडोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन सहित 18 संगठनों ने मुख्यमंत्री को 54 सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए आरक्षित वर्गों के हितों के विपरीत बनाए गए संशोधित नियमों को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री द्वारा न्यायोचित मांग को प्राथमिकता देते हुए संशोधित नियम दिनाँक 17 फरवरी 2020 को निरस्त करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। इसलिए एमपी पीएससी के द्वारा मंगलवार को कोर्ट में दिया गया बयान इसी से संदर्भित माना जा रहा है।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह तथा रामभजन लोधी ने पैरवी की। एमपीपीएससी की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह तथा राज्य शासन की ओर से आशीष वर्नाड ने पक्ष रखा। कोर्ट ने प्रकरण की अगली सुनवाई हेतु इसी महीने 23 सितम्बर की तारीख तय की है। याचिका क्रमांक-807 में पारित अंतरिम आदेश को अगली सुनवाई तक जारी रखा गया है।