अनूठा प्रदर्शन : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रतिमा को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा, पत्रकारों को सद्बुद्धि देने “बापू” से लगाई गुहार

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पन्ना के गाँधी चौक पर पत्रकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिन्दे।

*  पन्ना के गाँधी चौक में नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिन्दों ने किया अनूठा विरोध-प्रदर्शन

*  भू-माफिया के द्वारा गरीबों के पुश्तैनी कब्ज़े की भूमि हड़पने के मुद्दे पर मौन है पन्ना का मीडिया

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में मंगलवार को स्थानीय मीडिया कर्मियों के खिलाफ अनूठा विरोध-प्रदर्शन हुआ। जिसकी चर्चा हर ज़ुबान पर है। जिला मुख्यालय पन्ना से सटे हुए ग्राम नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के वाशिन्दों ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक बड़े धड़े की भूमिका के प्रति अपने गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए अनोखा तरीका अपनाते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा को ज्ञापन सौंपा है। इस प्रदर्शन में शामिल लोग अपने हाथों में विभिन्न अखबारों की प्रतियां लेकर खड़े रहे। उनके द्वारा “बापू” से पथ भ्रष्ट पत्रकारों को सद्बुद्धि-सन्मति देने और सदमार्ग पर चलने के लिए नैतिक आत्मबल प्रदान करने के लिए प्रार्थना की गई।
शहर के हृदय स्थल गाँधी चौक पर हुआ यह प्रदर्शन राहगीरों और आसपास के दुकानदारों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा। दोपहर के समय तेज धूप के बीच बापू की प्रतिमा के अगल-बगल हाथों में अखबारों की प्रतियां लेकर खड़े लोगों को देखकर चौराहे से गुजरने वाले राहगीर जिज्ञासावश कुछ देर के लिए ठहरे और प्रदर्शन का सबब जानने के बाद आश्चर्यपूर्वक अफ़सोस जाहिर करते हुए आगे बढ़ गए। पन्ना जिले में पत्रकारों के खिलाफ संभवतः यह पहला विरोध-प्रदर्शन है। इसलिए गली-चौराहे से लेकर सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना से सटे हुए ग्राम नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की नेशनल हाइवे क्रमाँक-39 के दोनों तरफ स्थित बेशकीमती 15 एकड़ से अधिक भूमि पर कई दशकों से काबिज लोगों का आरोप है कि भू-माफिया एवं दबंग भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी ने उनके पुश्तैनी कब्जे की भूमि राजस्व विभाग की सांठगांठ से हड़प ली है। कथित तौर अंकुर को इस पूरे प्रकरण में सत्ताधारी दल भाजपा के एक शीर्ष नेता का राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। बेघर होने की कगार पर खड़े सैंकड़ों लोग अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ पिछले एक माह से भी अधिक समय से आंदोलित हैं।
पैदल मार्च कर कलक्ट्रेट पहुंचीं नयापुरा मुड़िया पहाड़ की महिलाओं ने जमकर प्रदर्शन किया। (फाइल फोटो)
पिछले दिनों इनके द्वारा क्षेत्रीय सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, पन्ना कलेक्टर, भाजपा जिलाध्यक्ष पन्ना रामबिहारी चौरसिया और कोंग्रेस विधायकों की टीम को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई गई। प्रभावित परिवारों की महिलाओं के द्वारा गले में फाँसी का फंदा डालकर कलेक्ट्रट तक पैदल मार्च निकाला गया। लेकिन इन तमाम घटनाक्रमों को पन्ना के प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक बड़े धड़े ने प्रकाशित या प्रसारित करना उचित नहीं समझा। अपवाद स्वरूप कुछ पत्रकारों द्वारा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित या प्रसारित किया गया।

माफिया की गोद में बैठा मीडिया ?

नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के बहुचर्चित मामले की सच्चाई जानने और तथ्यों से अवगत होने के बाद भी पन्ना का मीडिया इस ज्वलंत मुद्दे पर मौन साधे हुए है। बस यही बात नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के प्रभावितों को लगातार खटक रही है। मीडिया के खिलाफ प्रदर्शन अगुवाई करने वाले बृजेश गौतम और गंगा बाई का आरोप है कि दबंग भू-माफिया और उसके राजनैतिक संरक्षणदाता की नाराजगी के डर अथवा निहित स्वार्थ पूर्ति के चलते पन्ना के अधिकांश पत्रकार उनके मुद्दे को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। बेजुबानों की आवाज़ बनने, हक़ और इंसाफ़ की बात करने के बजाए कतिपय पत्रकार मौन रकहकर अघोषित तौर पर माफिया के साथ खड़े है।
पन्ना के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग- 39 किनारे स्थित मुड़िया पहाड़ की विवादित भूमि जिस पर गरीब तबके के सैंकड़ों लोग कई पीढ़ियों रह रहे हैं।
पत्रकारों की बदली हुई इस भूमिका व चरित्र से व्यथित और आक्रोशित लोगों को जब कुछ समझ नहीं आया तो वे मंगलवार 6 अक्टूबर को अपनी शिकायत लेकर “बापू” की शरण में पहुँच गए। इसी तरह जिले में चल रही रेत की लूट की भी पन्ना के अधिकाँश पत्रकार अनदेखी कर रहे हैं।बहरहाल, पत्रकारों के खिलाफ ग्रामीणों के द्वारा महात्मा गाँधी की प्रतिमा को ज्ञापन सौंपना, हाथों में अखबार की प्रतियां लेकर चौराहे पर प्रदर्शन करना इस बात संकेत है कि मूल्य आधारित पत्रकारिता में गिरावट आने से समाज न सिर्फ चिंतित है बल्कि इससे सीधे तौर पर प्रभावित भी हो रहा है। लगातार उठते सवालों के मद्देनजर पन्ना के पत्रकारों को आत्मावलोकन अपनी कमियों को ईमानदारी से दूर करने की तरफ ध्यान देने की जरुरत है, ताकि मीडिया की स्वतंत्रता, निष्पक्षता, विश्वसनीयता और निर्भीकता बरक़रार रह सके।