MP के खनिज मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रेत के अवैध उत्खनन का मामला NGT पहुंचा

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फाइल फोटो।

पन्ना कलेक्टर, एसपी, खनिज अधिकारी समेत अन्य को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बेंच भोपाल की मुख्य पीठ ने याचिका की सुनवाई कर जारी किए नोटिस

रेत ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा पर निजी कृषि भूमियों में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन करने का आरोप

ठेकेदार और किसानों के बीच रेत खनन को लेकर हुए अनुबंध के दस्तावेज याचिका के साथ साक्ष्य के रूप में किए संलग्न

शादिक खान, भोपाल/पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के खनिज संसाधन विभाग के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप प्रताप सिंह के गृह जिले एवं निर्वाचन क्षेत्र पन्ना में पिछले चार माह से बड़े पैमाने पर जारी रेत के अवैध उत्खनन का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) पहुँच चुका है। रेत के अवैध कारोबार की शिकायतों पर जिला प्रशासन पन्ना के स्तर पर प्रभावी करवाई न होने से निराश होकर सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय, उप सरपंच ग्राम पंचायत बीरा जनपद पंचायत अजयगढ़ एवं भरत मिलन पाण्डेय निवासी ग्राम पिष्टा तहसील अजयगढ़ जिला पन्ना ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेन्ट्रल जोनल बेंच भोपाल में अपने अधिवक्ता रोहित कुमार शर्मा के माध्यम से एक याचिका प्रस्तुत की है।
एनजीटी के द्वारा पन्ना कलेक्टर को ज़वाब प्रस्तुत करने के लिए जारी नोटिस की कॉपी।
इस याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मुख्य पीठ न्यायायिक सदस्य जस्टिस शेओ कुमार सिंह एवं सम्मानीय डॉ. सत्यवान सिंह गर्ब्याल (विशेषज्ञ सदस्य) के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुरुवार 01 अक्टूबर को प्रारंभिक सुनवाई की गई। एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने याचिका में उल्लेखित बिंदुओं, संलग्न साक्ष्यों, प्रकाशित समाचारों आदि पर गौर करने के उपरांत इसे सुनवाई हेतु स्वीकार किया है। याचिका को दर्ज करते हुए ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी कर प्रतिवादी मध्य प्रदेश शासन की ओर से कलेक्टर पन्ना, पुलिस अधीक्षक पन्ना, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत पन्ना, जिला खनिज अधिकारी पन्ना, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत अजयगढ़ एवं रेत ठेकेदार रसमीत सिंह मल्होत्रा को 3 अक्टूबर 2020 को नोटिस जारी कर जवाब माँगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब 20 नवम्बर 2020 को होगी।

इन बिंदुओं पर माँगा जवाब

एनजीटी के द्वारा पन्ना के जिला खनिज अधिकारी को ज़वाब प्रस्तुत करने के लिए जारी नोटिस की कॉपी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रारंभिक सुनवाई में उपस्थित हुए एडवोकेट रोहित शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मुख्य पीठ ने याचिका पर सुनवाई उपरान्त तीन पेज का आदेश जारी कर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रतिवादियों से जवाब माँगा है। आदेश में कहा गया है, मूल आवेदन पत्र में उल्लेख है कि पन्ना जिले की रेत खदानों के समूह ठेकेदार रसमीत सिंह मल्होत्रा के द्वारा किसानों की निजी कृषि भूमि को उनसे लीज पर लेकर खेतों में अवैध तरीके से रेत खदान संचालित की जा रही है। जबकि खनन कार्य हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति एवं राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण से मंजूरी लेना अनिवार्य है। रेत ठेकेदार के द्वारा बगैर लीज स्वीकृति और आवश्यक अनुमति के मनमाने तरीके से निजी कृषि भूमि से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद वर्षाकाल में भी रेत का अनियंत्रित दोहन जारी है। हैवी मशीनों से खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन कराए जाने के संबंध में हाल में ही प्रकाशित समाचारों की कटिंग, फोटो, वीडियो जोकि साक्ष्य के रूप में पेश किए गए हैं, इससे स्पष्ट है कि मानसून सीजन में भी उत्खनन कार्य क्षेत्र में जारी है।
पन्ना जिले के ग्राम जिगनी एवं रामनई में निजी भूमि पर संचालित अवैध रेत खदानों से वर्षाकाल में भी रेत का खनन है जारी। (देखिए चित्र)
बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से रेत खनन कर पर्यावरण संबंधी नियम-कानूनों का उल्लंघन कर रहे ठेकेदार के विरुद्ध जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा उचित कार्रवाई करने में जानबूझकर उदासीनता बरती जा रही है। खेतों में रेत खदान संचालित करते हुए ठेकेदार के द्वारा 50 मीटर गहरे गड्ढे खोदने के कारण निश्चित ही भू-जल स्तर में कमी आ सकती है। निकट भविष्य में गांव के लोगों को इसका दुष्परिणाम पेयजल संकट के रूप में झेलना पड़ सकता है। गुणवत्ता युक्त रेत खनन के लिए पानी के अंदर से प्रेशर के जरिए रेत निकालने वाली नौकाओं (पनडुब्बी) का उपयोग करके केन नदी के तल से रेत निकाली जा रही है। इस कारण केन नदी का मुक्त प्रवाह प्रभावित हो रहा है, इससे क्षेत्र में बाढ़ जैसी आपदा का खतरा बढ़ जाता है।
पन्ना जिले में नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए बड़े पैमाने पर जारी है रेत का अवैध उत्खनन।
उल्लेखनीय है कि, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि पन्ना जिले में निजी कृषि भूमियों में रेत का खनन होने के अहम साक्ष्य के तौर पर ठेकेदार रसमीत सिंह मल्होत्रा और किसानों के बीच निष्पादित हुए अनुबंध की कॉपी याचिका में विशेष रूप से संलग्न की गई हैं। एनजीटी के आदेश और नोटिस की कॉपी पन्ना में प्रतिवादियों को ईमेल के माध्यम से प्राप्त होने और सोशल मीडिया पर इनके वायरल होने से रेत की लूट को नजरअंदाज करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों तथा बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन के गंभीर आरोपों से घिरे रेत ठेकेदार सिंह रसमीत मल्होत्रा के स्थानीय कर्मचारियों में हड़कम्प मचा है।