गरीबों के राशन वितरण में गड़बड़ी-कालाबाजरी को रोकने सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा की जाएं लाभार्थियों की सूची : बुन्देला

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सांकेतिक फोटो।

*   राष्ट्रीय खाद्य विभाग मजदूर संघ जिलाध्यक्ष ने जनहित में की मांग

*   पिछले वर्ष कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया था कोरोना काल का खाद्यान्न

पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में कोरोना संकट से उत्पन्न बेहद गंभीर हालात को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में प्रदेश के कमजोर वर्ग एवं प्रवासी मजदूरों समेत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की 25 पात्र श्रेणियों के तहत प्रत्येक पात्र परिवार को निःशुल्क खाद्यान्न वितरण का लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं। मुख़्यमंत्री की घोषणा के अनुसार तीन माह का तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का दो माह के निःशुल्क खाद्यान्न सहित प्रत्येक पात्र परिवार को 5 माह का निःशुल्क खाद्यान्न वितरण किया जाना है। प्रत्येक पात्र गरीब परिवार को निःशुल्क राशन मिले, इसमें पिछले वर्ष की तरह किसी भी प्रकार की लापरवाही या गड़बड़ी न हो इसके लिए राशन वितरण में पारदर्शिता अत्यंत ही जरुरी है।
राष्ट्रीय खाद्य विभाग मजदूर संघ जिला इकाई पन्ना के अध्यक्ष एवं समाजसेवी के.पी. सिंह बुन्देला ने इस संबंध में मांग की है कि निःशुल्क राशन वितरण पश्चात योजना के लाभार्थियों की सूची प्रत्येक ग्राम/नगरीय निकायों में वार्डवार सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कराई जाए। साथ ही ग्राम पंचायत एवं राशन दुकानों में इन सूचियों का संधारण कराया जाए ताकि आवश्यकता पड़ने पर लोगों के अवलोकन हेतु सुगमता से उपलब्ध हो सकें। दुकानवार वितरित राशन की सूची को खाद्य विभाग की वेबसाइट एवं प्रत्येक जिलों के एनआईसी पोर्टल पर डाला जाए जिससे उन्हें ऑनलाइन भी देखा जा सके।
श्री बुन्देला ने प्रेस में जारी अपने बयान में कहा कि इन सूचियाँ में निःशुल्क खाद्यान्न से लाभान्वित हितग्राही का नाम, पता, वितरित अनाज की मात्रा तथा कितने माह का खाद्यान्न दिया आदि जानकारी का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया जाए ताकि आमजन के लिए सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण/सत्यापन) करना आसान हो।

गरीबों के राशन में कालाबजारी-कमीशनखोरी का खेल

के.पी. सिंह बुन्देला, अध्यक्ष, राष्ट्रीय खाद्य विभाग मजदूर संघ, जिला इकाई पन्ना।
राष्ट्रीय खाद्य विभाग मजदूर संघ जिला इकाई पन्ना के अध्यक्ष एवं कोंग्रेस नेता के.पी. सिंह बुन्देला का आरोप है कि पन्ना जिले में गरीबों के राशन को डकारने का खेल हर माह चल रहा है। इस लूट को खुला राजनैतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। वे याद दिलाते हैं लॉकडाउन लगने के पूर्व कलेक्टर की जनसुनवाई में तथा विकासखण्ड स्तर पर राजस्व अधिकारियों के द्वारा की जाने वाली जनसुनवाई में राशन वितरण में धांधली की कई हैरान करने वाली शिकायतें आती रहीं हैं। इसके अलावा राशन न मिलने अथवा निर्धारित मात्रा से कम मिलने से प्रभावित परिवारों के द्वारा बड़ी संख्या में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई गई है।
श्री बुंदेला का आरोप है कि गरीबों के राशन की कालाबजारी-कमीशनखोरी की बंदरबांट में सेल्समैन से लेकर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के पदाधिकारी, खाद्य विभाग, सहकारिता, राजस्व विभाग के अधिकारी तथा सहकारी बैंक का अमला शामिल है। हर माह होने वाले इस संगठित भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए खाद्यान्न वितरण में पारदर्शिता लाना जरुरी है। कोंग्रेस नेता के.पी. सिंह बुन्देला का कहना है प्रदेश की भाजपा सरकार यदि वाकई ईमानदारी से गरीबों को उनका हक़ दिलाना चाहती है तो उनके सुझाव पर तुरंत अमल किया जाना चाहिए।