8 लाख कैरेट हीरों का खजाना क्या जमीन में ही दफन रहेगा !

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पन्ना जिले के मझगवां क़स्बा में स्थित एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना का प्रवेश द्वार।

पन्ना में स्थित एशिया की एकमात्र हीरा खदान हुई बंद

परियोजना संचालन के लिए 31 दिसंबर 2020 तक थी अनुमति

हीरा खदान में उत्खनन कार्य पूरी तरह बंद करने पन्ना टाइगर रिजर्व ने भेजा पत्र

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) बहुमूल्य रत्न हीरों के खनन के लिए विश्व विख्यात मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में मझगवाँ स्थित एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना में हीरों का उत्पादन नए साल के पहले दिन से ही बंद हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने महाप्रबंधक, हीरा खनन परियोजना को एक पत्र जारी कर दिनांक 01 जनवरी 2021 से परियोजना में उत्खनन कार्य पूरी तरह से बंद करने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में हीरा खदान व प्लांट को बंद कर दिया गया है। परियोजना के संचालन की स्वीकृति सम्बंधी अवधि के समाप्त होने के कारण हीरों के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से बंद करना पड़ा है।
विदित हो कि एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य के अंतर्गत आने वाली वन भूमि रकवा 74.018 हेक्टेयर पर संचालित है। हीरा खदान के संचालन की स्वीकृति 31 दिसम्बर 2020 तक रही है। परियोजना की स्वीकृति अवधि समाप्त होने पर हीरा खदान को बंद करना पड़ा है। जिससे परियोजना से लेकर एनएमडीसी लिमिटेड के मुख्यालय हैदराबाद तक हड़कम्प मचा हुआ है। इधर, हीरा खनन परियोजना के बंद होने की खबर से पन्ना जिले के लोग निराश और नाराज़ है। अधिकाँश लोग इसे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व नाकारेपन के तौर पर देख रहे हैं।
पन्ना जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर मझगवाँ स्थित हीरा खनन परियोजना एशिया महाद्वीप की एकमात्र मैकेनाइज्ड परियोजना है। पर्यावरण हितैषी खनन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान कायम करने वाली एनएमडीसी लिमिटेड की इस खदान में नवीनतम यंत्रीकृत तकनीक का उपयोग एवं उच्चतम सुरक्षा मापदण्डों का पालन करते हुए हीरों का उत्पादन किया जाता है। जिसकी उत्पादन क्षमता एक लाख कैरेट हीरे प्रतिवर्ष है। वर्ष 1968 से लेकर अब तक इस खदान से कुल 13 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन किया जा चुका है।
सांकेतिक फोटो।
बेशक़ीमती हीरे उगलने वाली इस खदान से अभी भी 8.50 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन (खनन) होना शेष है। इस स्थिति में परियोजना को अगर संचालन हेतु समस्त आवश्यक अनुमति/स्वीकृति नहीं मिलती है तो अरबों रुपए मूल्य के हीरों का यह अकूत खजाना जमीन में ही दफ़न रह जाएगा। जानकारों का मानना है, देश की आर्थिक मजबूती के लिहाज से मझगवां खदान में उपलब्ध हीरों के भण्डार का सम्पूर्ण उत्खनन होना आवश्यक है।
हीरा खनन परियोजना मझगवां के मुख्य महाप्रबंधक एस. के. जैन भी इस बात इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने रडार न्यूज़ को बताया कि परियोजना के संचालन की स्वीकृति अवधि समाप्त हो जाने के कारण 01 जनवरी 2021 से उत्खनन कार्य को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। परियोजना को आगे संचालित रखने के लिए आवश्यक अनुमति हाँसिल करने आवेदन पत्र राज्य वन्य प्राणी बोर्ड तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में लंबित है।
श्री जैन ने बताया कि परियोजना के खनन पट्टे (लीज) की अवधि मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा 30 जून 2040 बढ़ाई गई है। कोरोना महामारी के कारण शेष अन्य स्वीकृतियां मिलने में देरी हुई है। लेकिन इन पर जल्दी ही निर्णय होने उम्मीद है। आवश्यक स्वीकृति मिलते ही हीरों का उत्पादन पुनः शुरू हो जाएगा।

इस्पात राज्य मंत्री को श्रमिक संघों ने सौंपा ज्ञापन

हीरा खनन परियोजना मझगवां में केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए श्रमिक संघों के पदाधिकारी एवं परियोजना के कर्मचारी।
हीरा खनन परियोजना को शीघ्रता से पुनः संचालित कराने के लिए एनएमडीसी लिमिटेड के शीर्ष अधिकारी जहाँ हर सम्भव प्रयास कर रहे है वहीं श्रमिक संघों की अगुवाई में परियोजना के कर्मचारी भी अपने स्तर इस मुहिम को आगे बढाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि हीरा खनन परियोजना पर गहराते संकट के बीच केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते नव वर्ष पर जब मझगवाँ पहुंचे तो परियोजना के दोनों प्रमुख श्रमिक संघों पीएचकेएमएस एवं एमपीआरएचकेएमएस की ओर से उन्हें संयुक्त रूप से एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया।
श्रमिक संघों के पदाधिकारियों ने परियोजना के संचालन में उत्पन्न संकट की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि खनिज संपदा प्रकृति में विशेष परिस्थितियों में निर्मित होती है, जिसका स्थानांतरण असंभव होता है। खनन कार्य खनिज संपदा के प्राप्ति स्थल पर ही करना होता है।
ज्ञातव्य हो कि हीरा खनन परियोजना का प्रारंभ सन 1958 में हुआ था, जबकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू हुआ है। बीते 5 वर्षों में परियोजना द्वारा नैगम सामाजिक दायित्व के तहत 1037.56 लाख रुपये व्यय किए गए हैं। परियोजना बंद होने की स्थिति में पन्ना जिले के लोग मिलने वाले इस लाभ से वंचित हो जाएंगे।
श्रमिक नेता भोला प्रसाद सोनी एवं समर बहादुर सिंह ने केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से मांग की है, हीरा खनन परियोजना के निर्विध्न संचालन हेतु राज्य वन्य प्राणी बोर्ड एवं केन्द्र सरकार से समस्त अपेक्षित अनुमति/स्वीकृति दीर्घकालीन अवधि के लिए स्थायी तौर दिलाई जाएँ।

हजारों लोग होंगे प्रभावित

पन्ना जिले के मझगवाँ क़स्बा स्थित एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खदान। (फाइल फोटो)
हीरा खनन परियोजना मझगवां के बंद होने की खबर आने के बाद से ही पन्ना जिले के लोगों की चिंता बढ़ गई है। इससे सबसे ज्यादा परेशान परियोजना के समीप स्थित आधा दर्जन ग्रामों के रहवासी हैं। क्योंकि परियोजना के द्वारा उन्हें स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवागमन एवं अन्य मूलभूत सुविधायें निःशुल्क प्रदान की जाती है। इसके अलावा समीपी ग्राम पंचायतों को विकास के लिए आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है। एनएमडीसी लिमिटेड नैगम सामाजिक दायित्व के तहत के परियोजना के आसपास के क्षेत्र के रहवासियों के कल्याण व उनके जीवन स्तर में सकारात्मक सुधार के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।
गौरतलब है कि जंगल व खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले में ऐसी कोई बड़ी परियोजना व उद्योग स्थापित नहीं हुए जिनसे इस पिछड़े जिले के विकास को गति मिलती। यहां पर सिर्फ एनएमडीसी की हीरा खनन परियोजना है, जिससे पन्ना की वैश्विक पहचान है। इस परियोजना के कारण ही पन्ना शहर को देश व दुनिया में डायमंड सिटी के रूप में जाना जाता है।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के द्वारा हीरा खदान को पूर्णतः बंद करने के लिए महाप्रबंधक हीरा खनन परियोजना को प्रेषित किया गया पत्र।
यदि परियोजना को वन एवं पर्यावरण विभाग से उत्खनन की अनुमति नहीं मिली और परियोजना स्थाई रूप से बंद हो जाती है तो इससे हजारों लोग जहाँ सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। वहीं हीरों की रायल्टी के रूप में शासन को प्रतिवर्ष मिलने वाले करोड़ों रुपए के राजस्व की जहां हानि होगी। डायमण्ड सिटी के रूप में पन्ना की जो पहचान है उस पर ग्रहण लग जाएगा। इसके अलावा पन्ना में डायमण्ड पार्क की स्थापना से जुड़ी घोषणा पर अमल का मामला भी खटाई में पड़ सकता है।