स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स के दल ने पन्ना पहुंचकर बाघ की मौत और सिर समेत अन्य अंग गायब होने की शुरू की जांच

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केन नदी में सर्चिंग के दौरान बाघ पी-123 का शव इस स्थिति में बरामद हुआ था, उसका सिर गायब था। (फाइल फोटो)

* घटनास्थल का दौरा कर सम्बंधित अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान दर्ज किए

* बाघ पी-123 की मौत पर पर्दा डालने के आपराधिक कृत्य का क्या हो पाएगा भण्डाफोड़ ?

* पन्ना टाइगर रिजर्व में पिछले 9 माह में 5 बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी है मौत

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की हिनौता रेन्ज अंतर्गत करीब एक माह पूर्व केन नदी में बहे बाघ पी-123 का शव तीसरे दिन पानी में तैरता हुआ मिला था। इस युवा बाघ का सिर समेत अन्य अंग गायब थे। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघ का सिर गायब होने की बात को स्वीकार करते हुए नदी में मगरमच्छ के द्वारा सिर को खाने की आंशका जताई थी लेकिन अन्य दूसरे अंगों के गायब होने के मामले में चुप्पी साधते हुए इसे कथित तौर पर जानबूझकर दबाया गया। बहरहाल अब जाकर इस संवेदनशील मामले की वास्तविकता का पता लगाने की सुध प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी भोपाल ने ली है। उन्होंने मामले की जांच स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स को सौंपी है। जांच के आदेश जारी होने 24 घण्टे के अंदर शुक्रवार 4 सितंबर की शाम टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स की टीम ने पन्ना में अपनी आमद दर्ज कराई है।
बाघ पी-123 के पोस्टमार्टम की कार्रवाई के दौरान लिया गया चित्र। (फाइल फोटो)
जांच टीम ने आज दूसरे दिन शनिवार 5 सितंबर को घटनास्थल का दौरा करने के बाद पार्क के उन सभी अधिकारियों-कर्मचारियों से विस्तृत पूंछतांछ की और बयान दर्ज किये हैं जोकि बाघ की सर्चिंग, शव बरामद होने एवं पोस्टमार्टम कार्रवाई में शामिल रहे हैं। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स की जांच को लेकर यह सवाल उठ रहे हैं कि जूनियर अधिकारियों के द्वारा की जा रही इस जांच से क्या बाघ की मौत का सच सामने आ पाएगा ? बाघ की मौत से जुड़े तथ्यों पर पर्दा डालने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के आपराधिक कृत्यों का क्या वाकई भण्डाफोड़ हो पायेगा ? या फिर पिछले चार बाघों की मौत की तरह इस बार भी जांच के नाम पर लीपापोती कर मामले को रफादफा कर दिया जाएगा ? इन तमाम महत्पूर्ण सवालों के जबाव तो जांच रिपोर्ट आने पर ही मिल पाएंगे। लेकिन फिलहाल बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत और उसके अंग गायब होने के मामले की जांच शुरू होने से पन्ना से लेकर भोपाल तक हलचल तेज हो गई है।

प्रेस नोट जारी कर बताई थी यह कहानी

पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्री भदौरिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि दिनांक 7 अगस्त को प्रातः परिक्षेत्र गहरी घाट के बीट झालर के सकरा में नदी के किनारे बाघ पी-431 एवं बाघिन टी-6 मेंटिंग में थे, तभी वहां पर नर बाघ पी -123 पहुंच गया। दूसरे नर बाघ पी- 123 के पहुंचने पर बाघ पी-431 आक्रामक हो गया। फलस्वरूप दोनों बाघों के बीच संघर्ष होने पर नर बाघ पी-123 को जान गवानी पड़ी। वनरक्षक दिलीप सिंह द्वारा दोनों बाघों की लड़ाई देखकर तत्काल हाथी कसवा कर मौके पर पहुंचने की तैयारी की गई तथा वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया गया। सूचना प्राप्त होते ही क्षेत्र संचालक, उप संचालक व सहायक संचालक सहित परिक्षेत्र अधिकारी एवं वन्य प्राणी चिकित्सक मौके पर पहुंचे। मौके पर नर बाघ पी-431 एवं बाघिन टी-6 पाए गए, किंतु तीसरे बाघ का पता नहीं चला। तीसरे बाघ के न दिखने पर घटनास्थल के आसपास जंगलों में सर्चिंग की गई साथ ही नाव से नदी क्षेत्र में गश्ती की गई तथा जाल डालकर घटनास्थल के आसपास नदी में खोजा गया किंतु बाघ नहीं मिला। दिनांक 9 अगस्त को शाम के समय नदी में तैरता हुआ बाघ का शव मिला जिसकी सूचना तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। सूचना प्राप्त होते ही तत्काल उप संचालक एवं अन्य स्टाफ मौके पर पहुंचे।
बाघ पी-123 का फाइल फोटो।
नर बाघ पी-123 एवं नर बाघ पी-431 के बीच काफी संघर्ष हुआ था तथा आपसी संघर्ष में घायल होने के कारण नर बाघ पी -123 मृत होने के पश्चात पानी में सकरा से बहकर करीब 8 किलोमीटर दूर हिनौता क्षेत्र के पठाई कैंप के पास नदी में तैरता हुआ पहुँच गया। पानी में रहने के कारण बाघ का शव फूल चुका था तथा उसका सिर नहीं था। संभवतः पानी के अंदर मगरमच्छों के द्वारा खा लिया गया होगा। नर बाघ की आपसी संघर्ष में हुई मृत्यु की सूचना दूरभाष द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्य प्रदेश एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को दी गई। रात्रि होने के कारण प्रातः पोस्टमार्टम का निर्णय लिया गया। दिनांक 10 अगस्त सोमवार को प्रातः मौके पर जाकर मृत बाघ का पोस्टमार्टम डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता वन्य प्राणी चिकित्सक पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा किया गया। पोस्टमार्टम के दौरान ही नर बाघ पी -123 के रूप में बाघ की पहचान की गई। पोस्टमार्टम में बाघों के बीच आपसी संघर्ष के निशान मृत बाघ के शव पर पाए गए हैं। बाघ के विसरा आदि के सैंपल लिए गए। पोस्टमार्टम उपरांत समस्त की उपस्थिति में मृत बाघ का अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर बाघ की मृत्यु आपसी संघर्ष में होना पाया गया है।