मनरेगा श्रमिकों के रोजगार पर डाला जा रहा डाका, जेसीबी मशीन से कराया तालाब निर्माण कार्य

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तालाब निर्माण कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग किये जाने के साक्ष्य के रूप में जारी फोटो में निर्माण स्थल पर नजर आते जेसीबी के जबड़ों की खरोंच के निशान।

* पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद अंतर्गत छतैनी पंचायत का मामला

शादिक खान, पन्नाl(www.radarnews.in) कोरोना संकट के चलते महनगरों से अपने गांव लौटने को मजबूर हुए प्रवासी श्रमिकों के जीविकोपार्जन के लिए उन्हें रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से जिले में बड़ी तादाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगारमूलक कार्य स्वीकृत किये गए हैं। पंचायतों में चल रहे इन कार्यों में हजारों श्रमिकों को रोजगार मिलने का दावा किया जा रहा है। लेकिन कुछ पंचायतों में श्रमिकों की फर्जी हाजिरी दर्ज करके जेसीबी मशीनों से काम कराने की ख़बरें भी लगातार सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक मामला पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत छतैनी में प्रकाश में आया है। स्थानीय लोगों ने वहां निर्माणाधीन सामुदायिक तालाब का कार्य जेसीबी मशीन से कराने का आरोप लगाते हुए साक्ष्य के रूप में कुछ फोटोग्राफ और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले हैं।
पिछले कुछ माह से कोरोना संक्रमण रुपी आपदा के चलते अधिकांश काम-धंधे ठप्प होने से श्रमिकों को पंचायतों के अलावा जब कहीं दूसरी जगह काम नहीं मिल पा रहा है, ऐसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण वक्त में भी अगर पंचायतों में प्रतिबंध के बावजूद मशीनों से काम कराकर श्रमिकों के हक़ पर डांका डाला जाएगा तो उन गरीबों के घर का चूल्हा कैसे जलेगा ? यह सवाल सोशल मीडिया के जरिए प्रशासन से पूंछा जा रहा है।
तालाब निर्माण कार्य करने वाली जेसीबी मशीन का फोटो, शिकायतकर्ताओं का दावा है कि तालाब के बंधान में मिट्टी डालने के लिए इसी मशीन का उपयोग किया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत छतैनी में मनरेगा योजना के तहत लगभग 3 लाख रुपए की लागत से सामुदायिक तालाब का निर्माण कार्य चल रहा है। स्थानीय निवासी गोविंद कुमार पिता चंद्रपाल लोध ने बताया कि कुछ दिन श्रमिकों से तालाब में मजदूरी कराई गई, फिर अचानक 15 जुलाई को पंचायत ने काम बंद करा दिया। इसके बाद 19-20 जुलाई को रात्रि में जेसीबी मशीन से तालाब के भराव क्षेत्र में खुदाई कराकर उसके बंधान (मेड़) पर मिट्टी डलवाई गई। रात के अंधेरे में मनरेगा का कार्य प्रतिबंधित जेसीबी मशीन से कराये जाने की सूचना गोविंद कुमार लोध के द्वारा डायल 100 पर पुलिस को दी गई। लेकिन रात्रि में 11 बजे से लेकर देर रात 1 बजे तक इंतजार करने के बाद भी पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचे। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो और फोटोग्राफ में तालाब निर्माण में जेसीबी मशीन का उपयोग करने के साक्ष्य स्पष्ट नजर आ रहे हैं।
इस संबंध में पंचायत सचिव छतैनी कृष्ण कुमार पाठक से बात करने पर उन्होंने बताया कि रात्रि में तालाब निर्माण कार्य जेसीबी से कराए जाने की सूचना मुझे भी मिली है। पंचायत सचिव से जब यह पूंछा गया कि मनरेगा के कार्य में जेसीबी मशीन प्रतिबंधित होने के बावजूद किसके निर्देश पर चलवाई गई। इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इसमें मेरी और ग्राम रोजगार सहायक की इसमें कोई भूमिका नहीं है। कृष्ण कुमार ने अपनी सफाई में बताया कि उसके पास भैरहा पंचायत का अतिरिक्त प्रभार होने से काम की अधिकता है। और रविवार को मैं दिनभर वनाधिकार के दावों के निराकरण में व्यस्त रहा इसलिए रात्रि में छतैनी क्या हुआ उसे इस बात की जानकारी नहीं है। पंचायत सचिव ने छतैनी जाकर सच्चाई का पता लगाने की बात कही है। लेकिन जब उनसे यह पूंछा गया कि जेसीबी मशीन क्या सरपंच ने चलवाई है, तो कृष्ण कुमार ने इसका खंडन न कर सिर्फ इतना ही कहा इस संबंध में आप सरपंच से ही बात कर लें।
वहीं छतैनी सरपंच रामदास यादव ने मनरेगा के कार्य में मशीनरी के उपयोग से जुड़े आरोपों को पूरी तरह झूठा और निराधार बताया है। उनका कहना कि जिस स्थान पर तालाब निर्माण कार्य चल रहा वहाँ पूर्व में कुछ लोगों का अवैध कब्ज़ा था। शासकीय भूमि से बेदखल किए गए लोग दुर्भावनावश झूठी शिकायतें करके मुझे बदनाम और परेशान कर रहे हैं। जबकि स्थानीय ग्रामीण गोविन्द कुमार लोध, रामबहादुर और गुलाब लोध का दावा है इस प्रकरण की यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो मनरेगा में फर्जीवाड़े की सच्चाई उजागर हो सकती है।

इनका कहना है-

“आज सुबह मुझे भी इस मामले की जानकारी मिली है, वास्तविकता का पता लगाने के लिए तालाब निर्माण स्थल की जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

– सतीश सिंह, सीईओ, जनपद पंचायत अजयगढ़ जिला पन्ना।