केन-बेतवा लिंक परियोजना का सोनिया गाँधी ने किया विरोध

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कोंग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी।

केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इसे “विनाशकारी” बताया

*  लिंक प्रोजेक्ट को मौजूदा स्वरूप में क्रियान्वित न करने केन्द्र सरकार से किया आग्रह

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम की अपार सफलता के चलते बाघों से पुनः आबाद हुए मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के विशाल भू-भाग को हमेशा के लिए पानी में डुबोने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में पन्ना वासियों के द्वारा चलाई जा रही मुहिम का व्यापक असर अब दिखने लगा है। पर्यावरण के लिए घातक तथा बाघों समेत दूसरे वन्य प्राणियों से उनका सदियों पुराना प्राकृतिक रहवास छीनने वाली इस विवादित नदी जोड़ो परियोजना का अब राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। कोंग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने केन-बेतवा लिंक के कारण पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को उसके मौजूदा स्वरूप में क्रियान्वित नहीं किया जाए क्योंकि इसका पन्ना टाइगर रिजर्व पर भयावह प्रभाव पड़ेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में सोनिया गांधी के द्वारा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे गए पत्र का स्क्रीनशॉट।
केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को अंग्रेजी में लिखे अपने पत्र में सोनिया गाँधी ने कहा कि इस परियोजना से बाघ अभयारण्य को इतना नुकसान उठाना पड़ेगा कि उसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो सकेगी। उन्होंने पत्र में कहा, ‘मैं आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं कि इस परियोजना को इसके मौजूदा स्वरूप में क्रियान्वित नहीं किया जाए। इसको लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिकाएं भी लंबित हैं। सोनिया गांधी के अनुसार, मध्य प्रदेश और देश भर के कई पर्यावरणविदों-वन्य जीव प्रेमियों ने इस परियोजना को रोकने की पैरवी की है। कोंग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले एक दशक में पन्ना टाइगर रिजर्व बहुत मुश्किलों और समर्पित प्रयासों से पुनजीर्वित (बाघों से पुनः आबाद) हुआ है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि इस पीटीआर में करीब 18 लाख पेड़ हैं, जिन्हें इस परियोजना के तहत हटाया (काटा) जाएगा।
पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य से प्रवाहित जीवनदायनी केन नदी को निहारता हुआ बाघ।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य से प्रवाहित होने वाली बुंदेलखंड क्षेत्र की जीवन रेखा केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना पर गत 22 मार्च को जलशक्ति मंत्रालय, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच त्रिपक्षीय एमओए पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस करार के बाद से ही पन्ना से लेकर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले तक केन-बेतवा लिंक परियोजना का नए सिरे से विरोध शुरू हो गया है।
पूर्व मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले के द्वारा केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट।
मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री एवं भाजपा की कद्दावर नेत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले ने केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुखरता से विरोध से किया है। उन्होंने इस परियोजना को पर्यावरण, बाघों के रहवास और पन्ना के लिए बेहद नुकसानदेह बताया है। पन्ना के पूर्व राजघराने की वरिष्ठ सदस्य दिलहर कुमारी ने परियोजना के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का खुला समर्थन किया है और इस लिंक परियोजना को विनाशकारी बताया है।
केन नदी की अविरल धारा का विहंगम दृश्य।
पन्ना जिले का युवा वर्ग बाघों के घर को बचाने के लिए जहां संकल्पित है, वहीं समाज के हर तबके के लोग भी अब इस अभियान से जुड़ रहे हैं। प्रबुद्ध कहा जाने वाला तबका जिले के अधिवक्ताओं ने भी हाथों में स्लोगन लिखे पोस्टर लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है। पर्यावरण और बाघों के आशियाने को बचाने के लिए उठ रहीं आवाजों को अब राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। कोंग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के द्वारा केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का विरोध करना इस बात का प्रमाण है।