घर-घर जाकर बीमार व्यक्तियों की जानकारी जुटाने वाली टीमें कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से हैं कितनी सुरक्षित ?

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आवश्यक सुरक्षा सामान के बगैर घर-घर जाकर बीमार व्यक्तियों की जानकारी एकत्र करते ग्रामीण दल।

* टीम के सदस्यों के पास जरूरी सुरक्षा सामान का आभाव

* मुँह में कपड़ा बांधकर या साधारण मास्क लगाकर सर्वे कर रहीं 450 टीमें

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के फैलाव के बीच आवश्यक संसाधनों की कमी महसूस की जा रही है। पन्ना के जिला चिकित्सालय में सेवाएं देने वाले डॉक्टरों, नर्सेस एवं अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ के पास जरूरी सामान न होने की ख़बरों को पिछले दिनों स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। जिसमें विस्तारपूर्वक यह बताया गया कि इस गंभीर संकट के समय पन्ना के डॉक्टर एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी आवश्यक सुरक्षा सामान के बगैर किस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर रात-दिन काम कर रहे हैं। इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना डॉक्टर एल. के. तिवारी की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करके सफाई दी गई। उन्होंने दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग के पास एन-95, मास्क, पीपीई किट, ग्लब्स, सैनिटाइजर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। मगर विज्ञप्ति में उपलब्ध सामग्री की मात्रा/संख्या नहीं बताई गई। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया, यदि व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री पर्याप्त मात्रा में मौजूद है तो फिर उसे पन्ना जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को उपलब्ध क्यों नहीं कराया जा रहा है।
सवाल यह भी है, व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री की अगर वाकई पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है तो फिर इसे प्रशासन की उन 450 टीमों को प्रदान क्यों नहीं गया जोकि गाँव-गाँव और वार्ड-वार्ड जाकर बीमार व्यक्तियों की जानकारी जुटाने का काम कर रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन सर्वे टीमों को कम से कम मास्क, ग्लब्स, हेयर कैप, आँखों की सुरक्षा सहित सैनिटाइजर तो दिया ही जाना चाहिए था। क्योंकि इन टीमों का काम भी जोखिम भरा है। सर्वे टीमों को सुरक्षा सामग्री देने की बात इसलिए भी उठ रही है क्योंकि इन टीमों के अधिकाँश सदस्यों की जो तस्वीरें आ रहीं हैं उनमें वे सिर्फ मुँह में कपड़ा या रूमाल बांधकर अथवा साधारण मास्क लगाकर बीमार व्यक्तियों की जानकारी जुटाते दिख रहे हैं। इनके पास व्यक्तिगत सुरक्षा सामान का आभाव साफ़ दिख रहा है।
हैरानी इस बात को लेकर भी है कि इन सर्वे टीमों को गठित करने का निर्णय लेने वाले अधिकारियों ने टीम के सदस्यों की सुरक्षा के सम्बंध में एक बार भी नहीं सोचा। जबकि कोरोना संक्रमण के गंभीर खतरे को दृष्टिगत रखते हुए घर-घर जाकर बीमार व्यक्तियों की जानकारी जुटाने वाली टीम के प्रत्येक सदस्य को खुद के बचाव के लिए मास्क और ग्लब्स तो बेहद जरूरी हैं। देश और प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि पन्ना जिले में बीमार व्यक्ति की जानकारी जुटाने और घर पर ही उन्हें दवा मुहैया कराने के काम में जुटीं टीमों के सदस्य आवश्यक सुरक्षा सामग्री के बगैर कितने सुरक्षित हैं।

कोरोना की रोकथाम में है अहम भूमिका

पन्ना जिले में कोरोना वायरस संक्रमण की प्रभावी रोकथाम करने के लिए हेतु जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीमें युद्ध स्तर पर कार्य कर रही हैं। इसमें आमजन का आपेक्षित सहयोग भी प्रशासन को मिल रहा है। कुछ दिन पूर्व पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी कि जिले की प्रत्येक पंचायत और नगरीय निकायों के प्रत्येक वार्ड में एक-एक टीम गठित की गई हैं, ये टीमें घर-घर जाकर सर्दी-खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ के लक्षणों वाले मरीजों की जानकारी एकत्र कर रहीं है। पूरे जिले में 450 टीमें इस काम में जुटीं हैं। इसके अलावा डॉक्टरों की 30 टीमें भी भ्रमण कर रहीं हैं।
कलेक्टर ने आमजन से आग्रह किया था कि इन दलों (टीमों) को सही जानकारी दें ताकि वह आपको आपके घर पर ही दवा उपलब्ध करा सकें। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया था कि यह प्रोएक्टिव स्टेप उठाकर हम प्रत्येक घरों में हमारी टीम को भेज रहे हैं ताकि आपको बाहर निकलने की जरूरत ना पड़े तथा दवाइयां आपके घर तक पहुंच सकें । कलेक्टर ने लोगों को आगाह भी किया था कि, किसी भी स्थिति में जानबूझकर जानकारी छुपाने, भ्रामक जानकारी देने, या संक्रमण फैलाने का काम करने वालों के विरुद्ध पब्लिक सेफ्टी एक्ट और सीआरपीसी की धारा-144 के तहत कठोर से कठोर कार्रवाई की जायेगी। इससे कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम के लिए जारी प्रयासों में इन टीमों की भूमिका, इनके कार्य से जुड़ी चुनौतियों और जोखिम को भलीभांति समझा जा सकता है।

हताशा और चिंता का भाव

बीमार व्यक्तियों की जानकारी जुटाने के काम में लगीं टीमों को उन सभी व्यक्तियों की वांछित जानकारी हांसिल करनी है जो कि पहले से ही जिले में हैं या फिर कुछ समय पूर्व बाहर से वापस पन्ना आए हैं। बीमार व्यक्ति के मिलने पर इन्हें उसकी तकलीफ से लेकर यात्रा से सम्बंधित और अन्य जानकारी प्राप्त करनी पड़ती है। अर्थात बीमार व्यक्ति से टीम के सदस्यों को बात करने में करीब 10-15 मिनिट लगते हैं। अभी तक बीमार व्यक्तियों की जो संख्या सामने आई है, उसके मद्देनजर बीमार व्यक्ति को साधारण सर्दी-जुकाम, बुखार हो सकता और वह कोरोना संदिग्ध भी हो सकता है। जरा सोचिए, जरूरी सुरक्षा सामान के बगैर ऐसे लोगों से रूबरू होना कितना जोखिम भरा काम है। सर्वे टीमों में शामिल मैदानी शासकीय कर्मचारियों को इसका अहसास है। और शायद यही वजह है कि सुरक्षा सामान के बगैर सर्वे का काम कर रहीं टीमों के अधिकाँश सदस्य मानसिक परेशानी महसूस कर रहे हैं। निजी बातचीत में वे अपने स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा से जुड़ी चिंता को खुलकर व्यक्त करते हैं लेकिन सार्वजानिक तौर पर कुछ भी कहने से डरते हैं।