हादसा : हीरे की ख़ोज से ग़रीबी मिटाने की तमन्ना में गंवाई जान

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खेत में खोदी गई हीरे की वह खदान जिसमें मिट्टी धसकने से हादसा हुआ।

*  हीरा खदान धसकने से नवयुवक का दर्दनाक दुखांत

*  पन्ना के समीपी ग्राम हीरापुर-टपरियन में हुआ हादसा

*  जवान बेटे की मौत से गरीब परिवार की बढ़ी मुश्किलें

पन्ना। (www.radarnews.in) हीरों के खनन के लिए विश्व विख्यात रत्नगर्भा वसुंधरा पन्ना में किसी गरीब को हीरा मिलने पर उसके रंक से राजा बनने की ख़बरें मीडिया में अक्सर ही प्रमुखता से प्रकाशित व प्रसारित होती रहतीं हैं। लेकिन अधिकांश ख़बरों में हीरे की खोज के लिए होने वाले अथक परिश्रम या संघर्ष का उल्लेख नहीं होता। इसी तरह कई साल तक खदान खोदकर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी हीरे से वंचित रहने वालों की बड़ी तादाद के बाद भी उनकी असफलता की ख़बरें कभी नहीं छपतीं। शायद इसी का दुष्परिणाम है कि मीडिया की सुर्ख़ियों में रहने वाली हीरे की खोज से किस्मत चमकने की एकतरफा ख़बरें आमलोगों के जेहन पर हावी हो चुकीं हैं।
वर्तमान में हीरे की तमन्ना का जूनून इतना बढ़ चुका है कि पन्ना से लेकर पड़ोसी जिला सतना के बरौंधा थाना एवं उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के कालिंजर क्षेत्र तक वन-राजस्व एवं निजी भूमि पर हजारों की संख्या में अवैध हीरा खदानें धड़ल्ले से चल रहीं है। बेशक़ीमती रत्न हीरे की चमक की चकाचौंध में करीब-करीब अंधे और स्वार्थी हो चुके लोग तेजी से पन्ना के जंगल, नदी व नालों को तबाह करने आमदा है। इतना ही नहीं जुआ खेलने सरीखी हीरे की खोज की प्रक्रिया में लोग अपनी जिंदगी को भी जोखिम में डाल रहे हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से सटे ग्राम हीरापुर-टपरियन में आज हुआ हृदय विदारक हादसा इसका प्रमाण है।
खदान की मिट्टी धसकने से घायल पूरन कौंदर पन्ना जिला चिकित्सालय में भर्ती।
आदिवासी बाहुल्य ग्राम हीरापुर-टपरियन में शनिवार 30 जनवरी की सुबह करीब 9 बजे एक हीरा खदान के धसकने से उसके अंदर काम कर रहे एक नवयुवक की दर्दनाक मौत हो गई। जबकि उसका साथी मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया। इस हादसे के बाद से गाँव में शोक की लहर व्याप्त है।
हीरे की खदान के अंदर बीचों-बीच में मौजूद वह गड्ढा जिसमें गिरी मिट्टी के भराव से प्रदीप की उसके नीचे दबने से मौत हुई।
उल्लेखनीय है कि ग्राम हीरापुर-टपरियन में रहने वाले पेशे से मजदूर प्रदीप कौंदर (आदिवासी) 20 वर्ष का परिवार भूमिहीन होने के साथ-साथ भीषण गरीबी का दंश झेल रहा है। पांच भाई-बहनों के बीच उम्र में सबसे बड़ा होने की वजह से परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी युवा प्रदीप के कंधों पर थी। क्योंकि उसके माता-पिता बढ़ती उम्र के शारीरिक कष्ट की वजह से अब पहले की तरह मजदूरी नहीं कर पाते। परिवार को गरीबी और भुखमरी से निजात दिलाने के लिए बैचेन प्रदीप को जब कुछ नहीं सूझा तो उसने अपने रिश्तेदार अरविंद कौंदर के साथ मिलकर गांव में ही स्थित हरी कौंदर के खेत में कथित तौर पर हीरे की लम्बी-चौड़ी खदान खोद डाली। लगभग 40 फिट गहरी और इतनी ही चौड़ी खदान की खुदाई से निकली मिट्टी को वे कगार के ही नजदीक डंप करते रहे।
आज सुबह खदान के अंदर बीचों-बीच में स्थित छोटे से गड्ढे में उतरकर प्रदीप व पूरन हीरे की चाल (ग्रेवल) की खुदाई करने में जुटे थे, तभी अचानक खदान के एक बड़े हिस्से की मिट्टी भरभरा कर गड्ढे में गिरने से प्रदीप उसके नीचे दब गया। जबकि पूरन कमर के ऊपर तक धंस गया। बुरी तरह फंसे पूरन के चीखने-चिल्लाने पर आसपास मौजूद लोगों ने आनन-फानन दोनों को बाहर निकाला और इलाज के लिए तुरंत पन्ना जिला चिकित्सालय ले गए। जहाँ ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने प्रदीप कौंदर का गहन परीक्षण करने के उपरान्त उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं पूरन के पैर व कमर में चोट होने के कारण उसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
जवान बेटे प्रदीप की मौत से दुखी किशोरी लाल आदिवासी अपने छोटे बच्चों के साथ।
नवयुवक प्रदीप की दर्दनाक हादसे में असमय मौत होने से पीड़ित परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। जवान बेटे को खोने के ग़म में माता-पिता छाती पीट-पीटकर रो रहे हैं। उसके छोटे भाई-बहनों की आँखें भी नम हैं। हादसे के बाद से गांव में मातम का माहौल है। कोतवाली थाना पन्ना पुलिस ने इस हादसे पर फिलहाल मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया है।