कोरोना संकटकाल में लड़खड़ा सकती हैं एमपी की स्वास्थ्य सेवाएं, 19 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का दिया अल्टीमेटम

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सांकेतिक चित्र।

संविदा नीति अनुसार 90 प्रतिशत वेतनमान का लाभ न मिलने से हैं आक्रोशित

3 वर्ष पूर्व दिए निर्देश पर आज तक नहीं हुआ अमल, वित्त विभाग में अटकी है फाइल

भोपाल। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की बेहद खतरनाक दूसरी लहर के भीषण कहर से मचे त्राहिमाम के बीच एक चिंताजनक खबर आई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत प्रदेश के 19,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 90 प्रतिशत वेतनमान की अपनी लंबित मांग का निराकरण न होने पर आगामी 15 मई से अनिश्चित काम बंद हड़ताल पर जा सकते हैं।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुनील यादव ने इस संबंध में 5 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र प्रेषित किया है। जिसमें अपनी लंबित मांग का विस्तारपूर्वक उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया है, कोरोना संकट के चलते संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले एक साल से अपनी जान हथेली पर रखकर समाज को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं और भविष्य में भी पूरे मनोयोग से देना चाहते हैं लेकिन पिछले 3 साल से हमारी जायज़ मांग का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
इस कारण निराश और मजबूर होकर संघ ने कामबंद हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। पत्र के माध्यम से शिवराज सरकार को अल्टीमेटम दिया है यदि अति शीघ्र 90 प्रतिशत वेतनमान देने का आदेश जारी नहीं किया गया तो 15 मई से प्रदेश के समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी कामबंद हड़ताल पर जाने एवं चरणबद्ध आंदोलन करने को मजबूर होंगे। पत्र में कहा गया है, हड़ताल से होने वाली असुविधा के लिए शासन-प्रशासन पूर्णतः जिम्मेदार होगा।

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ भेदभाव

मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में अहम योगदान देने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ वेतनमान के मामले में लम्बे समय से भेदभाव किया जा रहा है। मालूम होकि प्रदेश में 5 जून 2018 संविदा कर्मचारियों के लिए नीति कैबिनेट में पारित की गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके मद्देनजर सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान देने के आदेश भी प्रसारित किए। फलस्वरूप महिला एवं बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग, लोकसेवा प्रबंधन समेत अन्य विभागों के द्वारा अपने कर्मचारियों को 90 प्रतिशत वेतनमान का लाभ दिया गया। लेकिन संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी आज भी इससे वंचित हैं।
यह स्थिति तब है जब सम्बंधित विभागों के शीर्ष अधिकारी, मंत्रीगण तथा कैबिनेट में 90 प्रतिशत वेतनमान के प्रस्ताव को सहमति प्रदान की जा चुकी है। इसके बाद भी पिछले 3 वषों से वित्त विभाग में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की फाइल पेंडिंग है। वित्त विभाग के द्वारा इसे आज दिनांक तक स्वीकति प्रदान न करने से प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। संघ के द्वारा लगातार मांग करने के बाद भी इसके निराकरण को लेकर राज्य सरकार के स्तर उदासीनता/उपेक्षा जारी है। अल्प वेतनभोगी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी इसे अपने आर्थिक हितों पर कुठाराघात के तौर देख रहे हैं। जाहिर है प्रदेश सरकार के इस रवैये को लेकर वे खासे आक्रोशित हैं।

जान जोखिम में डालकर निभा रहे फर्ज

कोरोना संकट के चलते प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले एक साल से अपनी जान हथेली पर रखकर पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ समाज को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं। इस विपदा के चलते अब तक कई स्वास्थ्य कर्मचारी असमय ही अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं प्रतिदिन बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं।
कुछ कर्मचारियों के संक्रमित होने के कारण उनके परिजन भी संक्रमित हुए और उनकी मृत्यु हो जाने से घर में अब सिर्फ बच्चे ही बचे हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुनील यादव पूंछते है ऐसे परिवारों और मानवता की सेवा के लिए इतना त्याग करने वाले कर्मचारियों को उनके हक़ से वंचित रखना क्या उचित है।
अपनी एक सूत्रीय मांग के निराकरण को लेकर प्रदेश सरकार की उदासीनता से नाराज डॉ. यादव कहते हैं हम अब और इंतजार नहीं कर सकते है। अगर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान देने के आदेश शीघ्रता से प्रसारित नहीं किए गए तो पूरे प्रदेश के 19 हजार कर्मचारी 15 मई से कामबंद हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगें। इससे होने वाली असुविधा के लिए शासन-प्रशासन जिम्मेदार होगा।