इंसाफ के लिए पैदल मार्च : प्रदर्शनकारियों को प्रशासनिक अमले ने धौंस दिखाकर रोकने का किया प्रयास, पीड़ित परिजनों ने पूंछा- “बहन-बेटियों पर जब अत्याचार हो रहा था तब कहाँ थे” ?
पन्ना।(www.radarnews.in) वहशी दरिंदों के द्वारा हवश का शिकार बनाकर बेरहमी से क़त्ल कर दी गईं बेटियों को इंसाफ दिलाने के लिए “मामा शिवराज” के राज में पीड़ित परिजन इस गलन भरी सर्दी में पन्ना से संभागीय मुख्यालय सागर तक करीब 250 किलोमीटर लम्बी पदयात्रा करने को मजबूर हैं। स्थानीय पुलिस, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर निराश और नाराज ग्राम मड़ैयन की निर्भया (परिवर्तित नाम) तथा ग्राम कोहनी की कीर्ति लोधी के परिजन काफी समय से अपनी बेटियों को इन्साफ दिलाने के लिए अकेले ही संघर्षरत रहे हैं। पन्ना में बैठे अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट-काटकर थक-हार चुके परिजनों को सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले। पुलिस उनकी बेटियों के फरार कातिल को अब तक गिरफ्तार भी नहीं कर सकी।
इन दोनों ही बहुचर्चित मामलों की जांच में सामने आए तथ्यों पर पीड़ित परिजनों के समक्ष स्थिति स्पष्ट न करने एवं आरोपियों की धरपकड़ को लेकर जानबूझकर लापरवाही बरतने जैसे आरोप पन्ना पुलिस पर लग रहे हैं। कुल मिलाकर पन्ना पुलिस के प्रति अविश्वास एवं उसकी भूमिका को लेकर संदेह के चलते स्थानीय स्तर पर न्याय मिलने की उम्मीद टूटने से पीड़ित परिजनों ने वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाने के लिए मंगलवार 01 दिसम्बर को सागर के लिए पैदल कूच कर दिया।
बहन-बेटियों के हत्यारों एवं बलात्कारियों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर पन्ना से सागर के लिए निकाली जा रही इस पदयात्रा को न्याय यात्रा का नाम दिया गया है। किसान यूनियन, ग्रामीण अधिकार संगठन एवं हम हैं किसान-एक क्रांति संगठन के तत्वाधान में निकाली जा रही पदयात्रा का नेतृत्व संयुक्त रूप से किसान नेता ईश्वरचंद्र त्रिपाठी, समाजसेवी अमित भटनागर व दीपक शर्मा कर रहे हैं। रास्ते में अमानगंज में न्याय यात्रा को स्थानीय प्रशासनिक अमले के द्वारा धौंस दिखाते हुए रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सके। पदयात्रियों ने तीखे तेवर दिखाते हुए प्रशासनिक अमले को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लोकतांत्रिक अधिकार में किसी भी प्रकार की दखलंदाजी ना करने की हिदायत दे डाली।
उल्लेखनीय है कि बुधवार 2 दिसंबर 2020 को दोपहर यह यात्रा जिले के अमानगंज क्षेत्र में पहुंची। इस दौरान गांव-गांव भ्रमण कर एवं चौपाल लगाकर ग्रामीणों से चर्चा की गई। इस दौरान पदयात्रियों की मांग को ग्रामीणों ने समर्थन करते हुए उनकी हौसला अफजाई की। अमानगंज क़स्बा में स्थानीय लोगों एवं कॉलेज की छात्राओं ने पदयात्रियों का स्वागत करते हुए उनका समर्थन किया। इस दौरान राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा पद यात्रियों को रोके जाने और तहसीलदार द्वारा उनके वाहन जप्त करते हुए और पदयात्रा रोकने की बात कही गई। इससे नाराज प्रदर्शनकारियों के नेता अमित भटनागर, ईश्वरचंद्र त्रिपाठी, दीपक शर्मा ने कहा कि जब आम नागरिकों की बहन-बेटियों के साथ अत्याचार होता है और उनकी हत्या होती है तब आपका प्रशासन कहां रहता है। जब न्याय मांगने के लिए आम नागरिक पदयात्रा करता है तो आप लोग उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं। आम नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अतिक्रमण की यह कौन सी नीति है। दांव उल्टा पड़ने से मामला बिगड़ते देख राजस्व अधिकारियों ने पदयात्रा को सुरक्षा प्रदान करने की बात कहते हुए उनका रास्ता छोड़ा दिया।
इस घटनाक्रम के संबंध में युवा नेता अमित भटनागर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि बहन-बेटियों को न्याय, सुरक्षा, सम्मान-स्वाभिमान और अधिकारों के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम प्रशासन के दमन के आगे झुकने या रुकने वाले नहीं हैं। हमें 15 दिनों में सागर पहुंचना है, इसके बाद जरूरत पड़ने पर भोपाल और दिल्ली भी जाने को तैयार हैं।