नदी में बहे टाइगर पी-123 का गायब मिला सिर, सिर्फ धड़ हुआ बरामद, जानिए पीटीआर प्रबंधन ने इस पर क्या कहा ?

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बाघ पी-123 का फाइल फोटो।

* घटनास्थल से 8 किलोमीटर दूर हिनौता परिक्षेत्र अंतर्गत रविवार को मिला था शव

* बाघिन टी-6 और बाघ टी- 431 के बीच संसर्ग के दौरान मौके पर आ गया था बाघ पी-123

* बाघिन को लेकर दोनों के बीच जमकर हुए संघर्ष में घायल बाघ पी-123 नदी में बह गया था

* आज मृत बाघ का पोस्टमार्टम होने के बाद किया गया अंतिम संस्कार

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले नौ माह में यहां कथित तौर पर आपसी संघर्ष के चलते 5 बाघ असमय काल कवलित हो चुके हैं। इसमें भी 3 बाघों की मृत्यु महज डेढ़ माह के अंदर हुई है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की लगातार बढ़ती तादाद के चलते उनके बीच आपसी संघर्ष बढ़ने का मामला बेहद चिंताजनक और जटिल हो गया है। बाघों के बीच छिड़ी वर्चस्व की इस खूनी जंग में इस बार व्यस्क नर बाघ पी-123 को अपनी जान गंवानी पड़ी है। बाघ टी- 431 के साथ हुई भिड़ंत में बाघ पी-123 घायल होकर केन नदी में बह गया था। सघन सर्चिंग के दौरान तीसरे दिन रविवार 9 अगस्त को घटनास्थल से 8 किलोमीटर दूर हिनौता वन परिक्षेत्र अंतर्गत बाघ का क्षत-विक्षत शव अत्यंत ही वीभत्स स्थिति में पानी में तैरता हुआ मिला।
फाइल फोटो।
व्यस्क बाघ पी-123 का सिर गायब था उसका सिर्फ धड़ बरामद हुआ है। इस पर पार्क प्रबंधन ने आशंका जताई है कि, पानी के अंदर शायद मगरमच्छों ने बाघ के सिर को अपना निवाला बना लिया। मृत बाघ का आज पोस्टमार्टम होने के पश्चात् शव का अंतिम संस्कार कर किया गया। इस दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया, उप संचालक जरांडे ईश्वर रामहरि, सहायक संचालक पन्ना, हिनौता एवं गहरीघाट परिक्षेत्र के रेंजर और एनटीसीए के प्रतिनिधि इंद्रभान सिंह बुंदेला उपस्थित थे।
सांकेतिक फोटो।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार 7 अगस्त की सुबह पन्ना टाइगर रिजर्व के गहरीघाट परिक्षेत्र अंतर्गत बीट झालर में सकरा नामक स्थान के समीप बाघिन टी-6 और बाघ टी- 431 के बीच संसर्ग चल रहा था, तभी वहां पर नर बाघ पी-123 पहुँच गया। दूसरे नर बाघ की मौजूदगी से मिलन में पड़े खलल के कारण बाघ टी- 431 काफी तनाव और गुस्से से भर गया था। फलस्वरूप बाघ टी- 431 और बाघ पी-123 के बीच केन नदी किनारे भीषण संघर्ष हुआ। वनरक्षक दिलीप सिंह को इस घटनाक्रम का प्रत्यक्षदर्शी बताया जा रहा है। वनरक्षक ने हाथी पर सवार होकर मौके पर पहुँचने की तैयारी करते हुए पार्क के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना दी।
सांकेतिक फोटो।
पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक जरांडे ईश्वर रामहरि एवं वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता तुरंत मौके पर पहुंचे। सर्चिंग के दौरान वहां बाघिन टी-6 और बाघ टी- 431 तो मिले लेकिन तीसरे बाघ पी-123 का कुछ पता नहीं चला। तीसरे बाघ की तलाश करने आसपास के जंगल की सघन सर्चिंग कराइ गई, नाव से नदी में गश्ती की गई और नदी में घटनास्थल के समीप जाल डाला गया लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका। सघन सर्चिंग अभियान के दौरान तीसरे दिन रविवार को बाघ पी-123 का शव घटनास्थल से करीब 8 किलोमीटर दूर हिनौता परिक्षेत्र के पठाई कैम्प के समीप नदी के पानी में तैरता हुआ काफी वीभत्स स्थिति में मिला।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि बाघ पी-123 आपसी संघर्ष में बुरी तरह घायल होने के कारण नदी में गिरकर बह गया था। मृत बाघ का शव तीन दिन तक पानी में रहने से काफी फूल चुका था और बाघ का सिर गायब था। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने आशंका जताई है कि संभवतः पानी के अंदर मगरमच्छों ने बाघ का सिर खा लिया होगा। उनका दावा है कि आज पोस्टमार्टम के दौरान बाघों के बीच आपसी संघर्ष के निशान मृत बाघ के शरीर पर पाए गए हैं। पोस्टमार्टम एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर उन्होंने बाघ पी-123 की मौत आपसी संघर्ष में होने की बात कही है। गौरतलब है कि पार्क प्रबंधन को बाघ का शव जिस हालत में मिला उसके फोटो या वीडियो जारी नहीं किये गए। पार्क प्रबंधन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के साथ बाघ पी-123 का जीवित अवस्था का फोटो मात्र जारी किया गया है। इस संबंध में जब क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने शव के फोटो या वीडियो जारी करने के लिए मना किया है।
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा जारी घटना का विस्तृत प्रेस नोट।

प्रबंधन के दावों पर भरोसा करना होगा मुश्किल

बाघों की संदेहास्पद मौतों को लेकर तीखी आलोचना और गम्भीर सवालों का सामना कर रहे पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का नितांत आभाव महसूस किया जा रहा है। प्रबंधन के द्वारा पिछले कुछ समय से बाघ-तेंदुओं की संदेहास्पद मौत की घटनाओं या फिर दूसरे अपराधों को छिपाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। बाघ पी-123 के मृत अवस्था के फोटो-वीडियो और इसके पूर्व 26 जुलाई को बीट बांधीकला में मृत मिले तेंदुए की प्रेस विज्ञप्ति तक जारी करने से घटनाओं की गंभीरता को छिपाने की आमधारणा पार्क प्रबंधन के प्रति बन रही है। पन्ना में बाघों की लगातर मौत होने की हैरान करने वाली घटनाओं के सामने आने से बाघों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को लेकर घिरे पार्क प्रबंधन का आगे भी अगर यही रवैया रहता है तो आपसी संघर्ष में बाघों के मरने के उसके दावों पर भरोसा करना शायद मुश्किल होगा। वैसे भी पूर्व में 9 माह के अंदर मृत चार बाघों के शव कई दिनों के बाद बेहद सड़ी-गली और कंकाल की हालत में मिलने से उनकी मौत के वास्तविक कारणों का पता चलने को लेकर पहले से ही संशय बना हुआ है।