सुप्रीम कोर्ट का फैसला : अयोध्या की विवादित जमीन पर हिन्दू पक्ष को अधिकार, ट्रस्ट के जरिए मंदिर का निर्माण कराएँ, मुसलमानों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मिले
* अदालत ने विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया
नई दिल्ली। (www.radarnews.in) सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ में शनिवार को अयोध्या विवाद पर सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया। अदालत ने अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष (रामलला विराजमान) को देने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 माह में तैयार की जाए। अदालत ने मुस्लिम पक्ष (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ उपयुक्त वैकल्पिक जमीन आवंटित करने का फैसला दिया। 40 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद शनिवार 9 नवंबर को दशकों पुराने एवं राजनैतिक रूप से बेहद संवेदनशील इस विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आया है। अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 1045 पेज के अपने फैसले से देश के सबसे अहम और एक सदी से भी अधिक पुराने विवाद का अंत कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन का स्वामित्व केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की महत्वपूर्ण बातें –
* विवादित ढांचे पर शिया वक्फ बोर्ड का दावा ख़ारिज।
* जहां पर बाबरी मस्जिद के गुंबद थे वह जगह हिन्दू पक्ष को मिली।
* अदालत ने कहा कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पाँच एकड़ अलग उपयुक्त ज़मीन दी जाए।
* ज़मीन पर हिंदुओं का दावा उचित है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर अयोध्या पर एक कार्ययोजना तैयार करने का कहा है।
* पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार।
* कोर्ट ने कहा है कि बनायी गई ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को शामिल करना है या नहीं ये फ़ैसला केंद्र सरकार करेगी।
* आस्था के आधार पर मालिकाना हक़ नहीं दिया जा सकता।
* निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज।
* बाबरी मस्जिद के नीचे एक संरचना पाई गई है जो मूलतः इस्लामी नहीं थी। विवादित भूमि पर अपने फ़ैसले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि पुरातत्व विज्ञान को नकारा नहीं जा सकता।
* अंदर के चबूतरे पर कब्ज़े को लेकर गंभीर विवाद रहा है। 1528 से 1556 के बीच मुसलमानों ने वहां नमाज़ पढ़े जाने का कोई सबूत पेश नहीं किया गया।
* बाहरी चबूतरे पर मुसलमानों का क़ब्ज़ा कभी नहीं रहा। 6 दिसंबर की घटना से यथास्थिति टूट गई। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड इस स्थान के इस्तेमाल का सबूत नहीं दे पाया।
* बाहरी चबूतरे पर हमेशा से हिन्दुओं का क़ब्ज़ा रहा। ऐतिहासिक यात्रा वृतांतों को भी ध्यान में रखा गया है। * ऐतिहासिक यात्रा वृतांत बताते हैं कि सदियों से मान्यता रही है कि अयोध्या ही राम का जन्मस्थान है।
* हिन्दुओं की इस आस्था को लेकर कोई विवाद नहीं है। आस्था उसे मानने वाले व्यक्ति की निजी भावना है। मस्जिद मीर बाक़ी ने बनाई थी, अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में दख़ल देना अनुचित होगा।
फैसले पर किसने क्या कहा –
रामभक्ति हो या रहीमभक्ति हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना अहम : मोदी
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ”सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है. यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में क़ानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है।”
”हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया. न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीक़े से समाधान कर दिया। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फ़ैसला सुना दिया है।”
”इस फ़ैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।”
अयोध्या में राम मंदिर बने: कांग्रेस
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कांग्रेस ने कहा कि इस फ़ैसले का स्वागत करना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण का पक्षधर है।
अमित शाह ने फ़ैसले का किया स्वागत
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कहा, ”मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा।यह निर्णय भारत की एकता, अखंडता और महान संस्कृति को और बल प्रदान करेगा।”
”दशकों से चले आ रहे श्री राम जन्मभूमि के इस क़ानूनी विवाद को आज इस निर्णय से अंतिम रूप मिला है। मैं भारत की न्याय प्रणाली व सभी न्यायमूर्तियों का अभिनन्दन करता हूँ।”
फ़ैसले पर सलाह मश्विरा करेंगे- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ने ज़फ़रयाब ज़िलानी ने फ़ैसले पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा, ”हम फ़ैसले पर अभी मश्विरा करेंगे और बाद में तय करेंगे कि इसकी समीक्षा के लिए याचिका दायर करेंगे या नहीं। इस फ़ैसले का आदर करना चाहिए। हमें इसके ख़िलाफ़ कोई प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।”
फ़ैसले को हार-जीत की तरह न देखें: भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मोहन भागवत ने इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए सभी से संयम बनाए रखने की अपील की है और ‘झगड़ा-विवाद’ समाप्त करने की बात कही है। उन्होंने यह भी अपील की है कि इसे हार-जीत की तरह नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम योगदान करने वाले सभी सहयोगियों और बलिदानियों को याद करते हैं। भाईचारा बनाए रखने के लिए सरकारी और समाज स्तर पर हुए प्रयासों का भी हम स्वागत और अभिनंदन करते हैं।संयमपूर्वक न्याय का इंतज़ार करने वाली भारतीय जनता भी बधाई की पात्र है। इसे जय-पराजय के रूप में नहीं देखना चाहिए। सभी से अनुरोध है कि संयमित और सात्विक तरीके से अपने आनंद को व्यक्त करें। अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करेंगे।“
मस्जिद नहीं गिरी होती तो क्या फ़ैसला आता: ओवैसी
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने राजीव धवन और मुस्लिम पक्ष की बात सुप्रीम कोर्ट में रखने वाले दूसरे लोगों को शुक्रिया कहते हुए अपनी बात शुरू की और फ़ैसले पर असंतोष जताते हुए तथ्यों के ऊपर आस्था की जीत बताया है।
उन्होंने कहा, “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह मेरा भी यह मानना है कि हम इससे संतुष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम ज़रूर है पर अचूक नहीं है। ये जस्टिस जेएस वर्मा ने कहा था। जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराया, आज उन्हीं को सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि ट्रस्ट बनाकर मंदिर का काम शुरू कीजिए। मेरा कहना ये है कि अगर मस्जिद नहीं गिराई गई होती तो कोर्ट क्या फ़ैसला देता?”
ओवैसी ने शीर्ष अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन दिए जाने के फ़ैसले पर भी असहमति जताई है।
ओवैसी की कही और अहम बातें –
* हम अपने क़ानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे। मुसलमान ग़रीब है और भेदभाव भी उसके साथ हुआ है। लेकिन इन तमाम मजबूरियों के बावजूद मुसलमान इतना गया गुज़रा नहीं है कि वो अपने अल्लाह के घर के लिए पांच एकड़ ज़मीन न ख़रीद सके. हमें किसी को ख़ैरात या भीख की ज़रूरत नहीं है।
* देखना होगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पांच एकड़ ज़मीन को क़बूल करेंगे या नहीं, मेरी निजी राय ये है कि हमें इस प्रस्ताव को ख़ारिज़ करना चाहिए।
* मुल्क अब हिंदू राष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है। संघ परिवार और बीजेपी अयोध्या में इसे इस्तेमाल करेगी।
* वहां शरीयत के ऐतबार से मस्जिद थी, है और रहेगी। हम अपनी नस्लों को ये बताते जाएंगे कि यहां 500 साल तक मस्जिद थी। लेकिन 1992 में संघ परिवार ने और कांग्रेस की साज़िश की वजह से उस मस्जिद को शहीद किया गया।