
* अजयगढ़ क्षेत्र में 4 नई रेत खदानों की पर्यावर्णीय स्वीकृति के लिए की गई लोक सुनवाई
* रेत ठेकेदार ने उदयपुर, मझगांय, फरस्वाहा एवं चंदौरा खदान की के लिए किया आवेदन
* ग्रामीणों का आरोप आवेदित स्थानों पर पिछले 9 माह से रेत का खनन कर रहा है ठेकेदार
* लोक सुनवाई में अवैध खनन का मुद्दा गरमाने पर एडीएम बोले टीम बनाकर कराएंगे जांच
शादिक खान, पन्ना/अजयगढ़। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अजयगढ़ तहसील क्षेत्र अंतर्गत रेत खदान ठेका की आड़ में रेत की लूट का खेल खुलेआम चल रहा है। “रडार न्यूज़” प्रमाणित साक्ष्यों एवं तथ्यों के साथ इस बात को समय-समय पर प्रमुखता से कहता रहा है। लेकिन, इस ज्वलंत मुद्दे पर अजयगढ़ क्षेत्र के वाशिंदों ने पहली बार किसी सार्वजानिक मंच से अवैध खनन के व्यापक दुष्प्रभावों को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की है। रेत की लूटपाट का दंश झेलने को मजबूर केन नदी पट्टी क्षेत्र लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों व रेत ठेकेदार के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में रडार न्यूज़ की खबरों पर मुहर लगाते हुए खुलकर बताया कि उनके क्षेत्र में रेत खदान ठेका के नाम पर बहुमूल्य खनिज सम्पदा का अनियंत्रित तरीके से दोहन किया जा रहा है। सत्ता और प्रशासन के संरक्षण में चल रहे अवैध खनन के इस खेल का भंडाफोड़ ग्रामीणों के द्वारा गुरुवार 25 मार्च को अजयगढ़ के ग्राम फरस्वाहा एवं उदयपुर में आयोजित हुई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लोक सुनवाई में किया गया।

दरअसल, पन्ना जिले के रेत ठेकेदार रसमीत सिंह मल्होत्रा ने अजयगढ़ तहसील क्षेत्र में केन नदी पर चार नई रेत खदानों की स्वीकृति हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है। भारत सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा दिनांक 14 सितंबर 2006 को जारी अधिसूचना के अनुसार खनन परियोजनाओं को पर्यावर्णीय स्वीकृति लेने का प्रावधान किया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय सागर एवं पन्ना जिला प्रशासन के द्वारा इसी संबंध में लोक सुनवाई आयोजित कर स्थानीय ग्रामीणों की आपत्ती-सुझाव लिए गए। लोक सुनवाई में रेत खदान ठेकेदार की ओर से उपस्थित कंसल्टेंट ने माइनिंग प्लान का प्रजेंटेशन दिया। साथ ही रेत के खनन से होने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर किए जाने वाले उपायों एवं सीएसआर (नैगम सामाजिक दायित्व) के तहत किए जाने वाले जनकल्याण के कार्यों की जानकारी दी गई। नई खदानों को पर्यावर्णीय स्वीकृति हेतु आयोजित की गई लोक सुनवाई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर के क्षेत्रीय अधिकारी व्ही.एस. राय एवं पन्ना जिला प्रशासन की ओर से जे.पी. धुर्वे अपर कलेक्टर उपस्थित थे।
खेतों में खोद डाली रेत खदान, नहीं मिलता काम

लोक सुनवाई में ग्रामीणों ने क्षेत्र के बदतर हो चुके हालात को सिलसिलेवार बयां करते हए बताया कि रेत ठेकेदार के द्वारा विभिन्न ग्रामों में दर्जनों स्थानों पर निजी भूमि (खेतों) एवं शासकीय भूमि पर अवैध खदानें खोदकर बड़े पैमाने में रेत निकाली गई है। कुछेक स्थानों पर इसके लिए भूमि स्वामी से अनुबंध किया गया तो वहीं अधिकांश जगह प्रशासनिक संरक्षण एवं स्थानीय आपराधिक तत्वों के सहयोग से आतंक के बल पर रेत खनन किया गया। नदी के अंदर से अच्छी क्वालिटी की रेत निकालने के लिए प्रतिबंधित पोकलेन मशीनों एवं लिफ्टरों को नदी में उतारकर पानी के अंदर से रेत निकाली जा रही है। प्रतिबंध के बाबजूद मशीनों से रेत खनन के चलते स्थानीय लोगों को रेत खदान ठेके से एक ओर जहां रोजगार नहीं मिल रहा है वहीं मशीनों से केन नदी का सीना और कोख़ को छलनी कर रेत को मनमाने तरीके से लूटा जा रहा है। इसका व्यापक दुष्प्रभाव यह है कि मशीनों के संचालन से इलाके में ध्वनि प्रदूषण का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ने के साथ-साथ केन नदी के बड़े इलाके में जलीय जीव, जलीय वनस्पति चिंताजनक तेजी से घट रही है।
नदी के तल से पानी के अंदर की रेत निकाले जाने के कारण नदी की जल धारण क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिसका दुष्परिणाम केन पट्टी क्षेत्र में गंभीर रूप ले चुके जल संकट के रूप में साफ़ नजर आ रहा है। केन नदी का कछार और तटबंध भी पूरी तरह तबाह हो चुका है। कई पीढ़ियों से केन नदी से आजीविका प्राप्त करने वाले मछुआरे, तरबूज एवं सब्जी उत्पादक किसान भी सबसे मुश्किल दौर का सामना करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की मानें तो मोहना से लेकर रामनई तक केन नदी में मशीनों के जरिए रेत के अंधाधुंध दोहन के चलते मछलियों की तादाद में भारी कमी आई है। नदी के बीचों-बीच अथवा किनारों पर प्राकृतिक रूप से बनने वाले रेत के टापूनुमा खेतों की तादाद एवं क्षेत्रफल घटकर अब नाममात्र का रह गया है। नतीजतन कमजोर तबके के फल-सब्जी उत्पादक किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
केन नदी का घटा जल स्तर,बढ़ा प्रदूषण
