* पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में धारा-144 के उल्लंघन का आरोप
* कोंग्रेस जिलाध्यक्ष समेत 11 नेताओं को नामजद एवं 50 अन्य कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया
* दोहरे मापदण्ड अपनाने को लेकर सवालों के घेरे में पन्ना पुलिस की कार्रवाई
* दर्ज एफआईआर में दिग्विजय सिंह और विक्रांत भूरिया का नाम ही नहीं
* सत्ताधारी दल के नेताओं के इशारे पर कोंग्रेसियों को प्रताड़ित करने का आरोप
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पुलिस स्टेट में तब्दील हो चुका है ! पिछले कुछ सालों से जनमानस में यह धारणा लगातार मजबूत हो रही है। इसके पीछे ठोस वजह भी है। प्रदेश में आम लोगों पर पुलिस के बढ़ते दमन-अत्याचार-बर्बरता-अमानवीयता के हैरान और विचलित करने वाले मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। सत्ता की कठपुतली बनीं पुलिस पक्षपात पूर्ण कार्रवाई के लिए बदनाम हो चुकी है। आरक्षक से लेकर पुलिस के आला अफसर ख़ाकी वर्दी का रौब आम इंसान पर तो खूब गांठते हैं लेकिन जब बात ताकतवर और सक्षम लोगों की आती है तब अपवाद स्वरुप कुछेक मामलों को छोड़कर पुलिस के बाज़ बहादुरों की हालत भीगी बिल्ली से भी बदतर हो जाती है।
इसका ताज़ा उदाहरण पन्ना में न्यायालय के आदेश के बाबजूद भाजपा से जुड़े ताकतवर भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी के खिलाफ कार्रवाई न होना है। क्योंकि, आपराधिक रिकार्डधारी अंकुर व उनके पिता अवधेश त्रिवेदी उर्फ़ खुन्ना महाराज को कथित तौर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा का खुला संरक्षण प्राप्त है। पन्ना के नजदीक नयापुरा-मुड़िया पहाड़ के आदिवासियों की छल-कपटपूर्वक बेशकीमती जमीनें हड़पने तथा कई पीढियों से निवासरत लोगों को वहाँ से बेदखल करने के मकसद से प्रताड़ित किए जाने के बेहद गंभीर मामलों में पन्ना पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इन मामलों में पीड़ित व्यक्ति गरीब-आदिवासी-दलित और महिलाएं हैं। इससे कमजोर वर्गों पर अत्याचार से जुड़े प्रकरणों पर तत्परता से कार्रवाई को लेकर पन्ना पुलिस की प्रतिबद्धता व संवेदनशीलता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना से सटी नेशनल हाइवे-39 के किनारे नयापुरा-मुड़िया पहाड़ में स्थित आदिवासियों की लगभग 18 एकड़ बेशकीमती भूमि को भारतीय जनता पार्टी से जुड़े भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी के द्वारा हड़पने के विरोध स्वरूप 9 अप्रैल को राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह एवं मध्य प्रदेश युवक कोंग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में आदिवासी सम्मेलन मुड़िया पहाड़ में आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में कोंग्रेस के दिग्गज नेताओं के द्वारा आदिवासियों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने और प्रभावितों को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान करते हुए मुड़िया पहाड़ से पन्ना कोतवाली थाना तक पैदल मार्च निकाला गया। कोतवाली थाना पहुंचकर कोंग्रेसियों ने मुड़िया पहाड़ के बहुचर्चित मामले में करीब 2 माह पूर्व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय तहसील पन्ना के द्वारा सुनाए गए फैसले पर अमल करते हुए भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी व अन्य के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग की गई। इसके अलावा भू-माफिया की प्रताड़ना का शिकार अन्य पीड़ितों की एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया गया।
इस दौरान कोतवाली थाना का प्रवेश द्वार पुलिस छावनी बना रहा। कोतावली के गेट की बैरीकेटिंग कराके मौके पर तैनात रहे पुलिस अधिकारियों से कोंग्रेसी बार-बार निवेदन करते रहे कि सिर्फ पीड़ितों व उनके अधिवक्ता को अंदर प्रवेश देकर उनकी शिकायत दर्ज की जाए। लगभग आधा घंटे तक शिकायतकर्ताओं को थाना के गेट के अंदर जब इंट्री नहीं दी गई तो पुलिस अफसरों के इस रवैये से आक्रोशित होकर कोंग्रेस कार्यकर्ताओं ने कोतवाली थाना के सामने सड़क पर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी थी। काफी देर बाद शीर्ष अधिकारियों से मोबाइल पर निर्देश प्राप्त करने के उपरान्त मौके पर मौजूद पुलिस अफसरों ने शिकायतकर्ताओं को बैरिकेट के अंदर प्रवेश देकर उनके शिकायती आवेदन पत्र प्राप्त किए और कार्रवाई का आश्वासन देकर उन्हें थाना के बाहर से ही रवाना कर दिया।
सबसे ज्याद हैरानी तो तब हुई जब पुलिस ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु प्रभावशील प्रतिबंधात्मक धारा-144 के उल्लंघन के मामले में कोंग्रेस नेताओं पर तो अपनी सुविधानुसार बिना किसी देरी के मामला दर्ज कर लिया। मगर, भू-माफिया के खिलाफ न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया। इसके अलावा माफिया की प्रताड़ना का शिकार बने कमजोर वर्गों की रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई। कानून के समक्ष भले ही सब बराबर हों मगर पुलिस की कार्रवाई में आम और ख़ास का अंतर इस तरह के अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है। वहीं जब खुद पुलिस के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की बात आती है तो सबंधित पुलिस कर्मी या अफसर को लाइन अटैच, निलंबित कर अथवा विभागीय जांच बैठाकर मसले के शांत होने का इंतजार किया जाता है और फिर जांच में लीपापोती करके उसे कार्रवाई की आंच से बचाने का खेल-खेला जाता है।
इनके विरुद्ध दर्ज हुआ आपराधिक प्रकरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार पन्ना के रानीगंज मोहल्ला निवासी दिनेश रैकवार पुत्र सुन्दर लाल रैकवार 26 वर्ष की शिकायत पर कोतवाली थाना पन्ना में कोंग्रेसियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 329/21 धारा 188, 269, 270 आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। इसमें जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यरानी सिंह, पन्ना ब्लॉक कोंग्रेस अध्यक्ष अनीश खान, केशव प्रताप सिंह, पूर्व जिला युवक कोंग्रेस अध्यक्ष दीपक तिवारी, वैभव थापक, अक्षय तिवारी, जिला कोंग्रेस कमिटी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कदीर खान, जिला कोंग्रेस कमिटी अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जीतेन्द्र जाटव, पन्ना विधानसभा युवक कोंग्रेस अध्यक्ष सौरभ पटैरिया, जिला कोंग्रेस सेवादल के अध्यक्ष रामबहादुर दिवेदी सहित अन्य 50 से भी अधिक व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि दर्ज प्रकरण में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और प्रदेश युवा कोंग्रेस अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया का नाम नहीं है। जबकि प्रदर्शन उनके ही नेतृत्व में हुआ था। जाहिर है इससे पुलिस की कार्रवाई व तौर-तरीकों को लेकर सवाल तो उठेंगे। क्या बड़े नेताओं पर हाथ डालने से कथित तौर पर स्वयं का नुकसान होने के डर से प्रकरण में उन्हें नामजद करने का साहस पुलिस अफसर नहीं कर पाए। या फिर कोई और बात है ? इन सवालों का जवाब तो पन्ना के पुलिस अधिकारी ही दे सकते।
कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने संघर्ष जारी रहेगा
बहरहाल, कोंग्रेसियों पर दर्ज प्रकरण को लेकर आम चर्चा है कि सत्ताधारी दल के नेताओं के इशारे पर प्रताड़ित करने की मंशा से यह कार्रवाई की गई है। पूर्व में जिले के धरमपुर ग्राम में जनहित से जुड़ीं मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पर कोंग्रेस के युवा नेताओं पर आपराधिक प्रकरण पुलिस ने पंजीबद्ध किया था। इन मामलों को लेकर कोंग्रेसियों का कहना है कि वे दमन के इन हथकण्डों से जरा भी डरने वाले नहीं हैं। हमारे महान नेताओं ने अंग्रेजों के अत्याचार-दमन का साहस के साथ मुकाबला करके सालों-साल जेल में रहकर इस देश को आजाद कराया था। हम उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए अन्याय-अत्याचार के खिलाफ गरीबों-शोषितों-पीड़ितों की आवाज को और अधिक मजबूती से उठाएंगे। सत्ताधारी दल के नेताओं व शासन-प्रशासन के द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न-भ्रष्टाचार के खिलाफ आमजन के साथ मिलकर संघर्ष को तेज करेंगे। उल्लेखनीय है कि भाजपा नेता के विरुद्ध कार्रवाई न होने तथा कोंग्रेसियों पर दर्ज प्रकरण के संबंध में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पन्ना बीकेएस परिहार से पुलिस का पक्ष जानने के लिए मोबाइल सम्पर्क किया गया लेकिन कई बार रिंग जाने के बाद भी उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।