चुनाव के ऐलान से पहले टिकिट पाने के लिए तेज हुई जोर आजमाइश
दिल्ली-भोपाल में शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर समझा रहे जीत के समीकरण
पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 की रणभेरी बजने से ठीक पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सभी राजनैतिक दलों से टिकिट की मांग कर रहे दावेदारों के बीच आखिरी समय में टिकिट को लेकर जोर आजमाइश ऐसी चल रही है कि शीर्ष नेता काफी सोच-विचार करने को मजबूर हो गए हैं। कई दिनों से दिल्ली और भोपाल में डेरा डाले टिकिट के दावेदार बायोडाटा के साथ अपनी-अपनी पार्टी के उन सभी नेताओं से मेल-मुलाकात कर रहे जिनकी टिकिट वितरण में अहम भूमिका मानी जा रही। साथ ही वे अपने राजनैतिक आकाओं की परिक्रमा कर उन्हें अपनी जीत के समीकरण समझाते हुए टिकिट के लिए उनका आशीर्वाद लेने में लगे हैं। बुंदेलखंड अंचल के पन्ना जिले की पन्ना विधानसभा सीट से कांग्रेस के दावेदारों की बात करें तो यहां स्थिति एक अनार और कई बीमार वाली है। अब तक यहां करीब दो दर्जन टिकिट के दावेदार उभर कर सामने आये हैं। कांग्रेस में पन्ना से विधायक की टिकट की दावेदारी को लेकर महिला और पुरुष दोनों ही दावेदार ताल ठोक रहे हैं। जातिगत आधार पर दावेदारों का वर्गीकरण कर देखें तो ठाकुर (क्षत्रिय) नेताओं में शिवजीत सिंह, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, केशव प्रताप सिंह, भास्कर देव बुंदेला, अजयवीर सिंह बमरी, उपेंद्र प्रताप सिंह, मार्तण्ड देव बुंदेला शामिल हैं। पिछड़ा वर्ग से- बृजमोहन सिंह यादव, रामप्रसाद यादव बंदू , जगदीश यादव लौलास, मीना सिंह यादव मुख्य दावेदार हैं। ब्राह्मण नेताओं में श्रीकांत दुबे, शारदा पाठक, भरत मिलन पाण्डेय, अनुराधा शेंडगे, शशिकांत दीक्षित, रविंद्र शुक्ला, श्रीकांत दीक्षित, धीरज गुड्डू तिवारी, मुरारी लाल थापक, राकेश गर्ग के नाम चर्चा में हैं। जबकि वैश्य समाज से मनोज गुप्ता और आदिवासी नेताओं में जगदेव सिंह खज्जू राजा टिकिट के इकलौते दावेदार हैं।
पन्ना जिले में पन्ना सहित कुल तीन विधानसभा सीटें हैं जिसमें गुनौर की सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। शेष दो सीटें पन्ना और पवई अनारक्षित हैं। प्रायः सभी राजनैतिक दल दोनों अनारक्षित सीटों पर चुनावी जीत के उद्देश्य से जातिगत समीकरणों को साधने के लिए अलग-अलग जाति-वर्ग के प्रत्याशी घोषित करते रहे हैं। इस तरह देखें तो पन्ना जिले की पवई सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक मुकेश नायक जोकि 2013 के विधानसभा चुनाव में दस हजार से अधिक मतों से विजयी हुए थे, उन्हें विरोध के बाबजूद पुनः टिकिट मिलना लगभग तय है। पवई से मुकेश नायक रिपीट होते हैं तो पन्ना विधानसभा से ब्राह्मण नेताओं की टिकिट की दावेदारी कमजोर होगी जिसका स्वाभविक लाभ अन्य वर्गों के दावेदारों को मिलेगा। शायद यही वजह है कि अन्य वर्गों के दावेदारों के नाम कहीं अधिक गंभीरता से लिए जा रहे हैं। पन्ना सीट से कांग्रेस की टिकिट के दावेदारों में सबसे मजबूत दावा किसका है, दावेदारों के प्लस और माइनस पॉइन्ट क्या हैं, इन्हें लेकर जनमानस की क्या राय है, इन्हीं सब बिंदुओं से लेकर जनचर्चाओं के आधार पर प्रस्तुत है खास रिपोर्ट-
केशव प्रताप सिंह- स्वच्छ छवि के उच्च शिक्षित नेता हैं और पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस पार्टी में काफी सक्रिय हैं। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सशक्त है। केशव प्रताप छंगेराजा परिवार के सदस्य हैं और पन्ना राजपरिवार के दामाद हैं। ये वर्तमान में पन्ना विधानसभा क्षेत्र से ही जिला पंचायत के सदस्य हैं। इनके दो भाई भी पन्ना सीट से टिकिट के दावेदार हैं साथ ही केशव प्रताप सिंह की पत्नी दिव्यारानी सिंह वर्तमान में जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष है। पूर्व में इनकी पत्नी और चाचा को पवई सीट से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था तब दोनों को हार का सामना करना पड़ा था। आमलोगों के लिए इनकी सहज उपलब्धता थोड़ी मुश्किल रहती है। शिवजीत सिंह– बेदाग छवि और मिलनसार स्वाभाव के लोकप्रिय नेता हैं। कई दशक से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहते हुए महत्वपूर्ण संगठनात्मक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया है। पूर्व में पन्ना कृषि उपज मंडी समिति सदस्य भी रहे हैं। ग्रामीण राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले शिवजीत सिंह की सबसे बड़ी खूबी लोगों के सुख-दुःख में उनके साथ खड़े रहना है। इसलिए समाज के सभी वर्गों में इनकी अच्छी-खासी पैठ होने के साथ-साथ पन्ना विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव लोगों से जीवंत संपर्क कायम है। क्षत्रिय दावेदारों के बीच शिवजीत सिंह जनाधार वाले नेता हैं। अन्य दावेदारों की तुलना में शिवजीत सिंह को टिकिट मिलने पर वे विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देने का माद्दा रखते हैं। लेकिन टिकिट की दौड़ में इनकी सबसे बड़ी कमजोरी प्रदेश स्तर पर किसी बड़े नेता की सरपरस्ती न होना है। इसलिए बहुत सी बातें पक्ष में होने के बाद भी इन्हें अब तक टिकिट नहीं मिल सकी। ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह- उच्च शिक्षित, विनम्र और शालीन स्वाभाव के सफल कारोबारी हैं। कांग्रेस पार्टी में कई वर्षों से सक्रिय रहते हुए अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पन्ना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अजयगढ़ विकासखंड में पैतृक ग्राम होने के साथ-साथ वहां व्यवसायिक गतिविधियों के फैलाव के चलते गांव-गांव लोगों से अच्छा मेलजोल है। श्री सिंह प्रतिष्ठित छंगेराजा परिवार के सदस्य हैं। पूर्व में इनके पिता को पवई सीट से कांग्रेस पार्टी ने चुनावी समर उतारा था जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। क्षत्रिय नेताओं के बीच टिकिट के प्रबल दावेदार माने जा रहे ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह के लिए समस्या की बात यह है कि इनके दो चचेरे भाई केशव प्रताप सिंह और उपेंद्र प्रताप सिंह भी पूरे दमखम से टिकिट मांग रहे हैं।
मनोज गुप्ता- सरल स्वभाव स्वच्छ छवि के उच्च शिक्षित मृदुभाषी नेता और सफल व्यवसाई है। मनोज का बहुआयामी व्यक्तित्व इनकी लोकप्रियता का आधार है। ये खिलाड़ियों और कलाकरों के लिए सबसे बड़े मददगार हैं, गरीब-दीन-दुखियों और जरूरतमंदों के लिए यथा संभव सहयोग करने वाले सहृदयी व्यक्ति हैं। पार्टी के कार्यक्रमों के लिए आवश्यक व्यवस्थायें करने में सदैव तत्पर रहने और सबको साथ लेकर चलने वाले नेता हैं। ग्रामीण अंचल के लोग इन्हें गायत्री परिवार के सक्रिय सदस्य के रूप में जानते हैं, जोकि धार्मिक कर्मकांडों, कुरीतियों और अंधविश्वाश के प्रति जनजागरण के पुनीत कार्य में संलग्न है। श्री गुप्ता लंबे समय से पन्ना की प्रतिभाओं को कला के क्षेत्र में उभारने के लिए उन्हें निस्वार्थ भाव से हर संभव सहयोग दे रहे हैं। इसी तरह खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में भी इनका विशेष योगदान रहता है। समाजसेवा से जुड़े कार्यों से भी युवा नेता मनोज गुप्ता ने अपनी अलग पहचान बनाई है। कांग्रेस नेता मनोज वर्ष 2006 में तब राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं में आये थे जब वार्ड पार्षद के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में इन्होंने भाजपा की कद्दावर नेत्री एवं प्रदेश की मंत्री कुसुम महदेले के वार्ड से उनके ही विश्वस्त प्रत्याशी को बड़े अंतर से पराजित किया था। बहरहाल पन्ना विधानसभा सीट से टिकिट की मांग कर रहे मनोज वैश्य वर्ग से इकलौते दावेदार हैं। वैश्य समाज को आमतौर भाजपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है, ऐसे में यदि मनोज को टिकिट मिलती है तो कांग्रेस इसमें सेंध लग सकती है। लेकिन टिकिट को लेकर इनकी सबसे बड़ी मुश्किल प्रदेश स्तर पर किसी बड़े नेता से जुड़ाव ना होना है।
बृजमोहन सिंह यादव- पन्ना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कांग्रेस में पिछड़े वर्ग से स्वच्छ छवि, सरल स्वाभाव के लोकप्रिय और ग्रामीण अंचल में जनाधार वाले नेता। लंबे समय से त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। स्वयं सरपंच और सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष है। श्री यादव की माता जी पूर्व में जिला पंचायत की सदस्य और जनपद पंचायत पन्ना की अध्यक्ष रहीं है। वहीं लंबे समय तक यादव महासभा का जिलाध्यक्ष रहने के फलस्वरूप बृजमोहन सिंह यादव की अपने समाज में भी अच्छी पकड़ है। प्रदेश स्तर पर कांग्रेस के किसी प्रभावशाली नेता से जुड़ाव न होना टिकिट के इनके मजबूत दावे को कमजोर करता है। रामप्रसाद यादव बंदू – सामंजस्य बनाकर चलने वाले लो-प्रोफाइल जमीनी नेता। पन्ना विधानसभा के वनक्षेत्र से सटे ग्रामों में प्रभाव रखते हैं। वर्तमान में इनकी पत्नी जिला पंचायत की सदस्य हैं। एक क्षेत्र विशेष तक सीमित होने के कारण लम्बे राजनैतिक कैरियर के बाबजूद लोगों के बीच उभरकर कभी सामने नहीं आये। मीना यादव- पिछड़े वर्ग की उच्च शिक्षित सक्रिय नेत्री। इस बार पुनः टिकिट की मांग उन्होंने की है। मालूम होकि वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने इन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन जब नतीजे आये तो पार्टी की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। वर्ष 2008 में पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे से तो मीना यादव को कुछ ज्यादा वोट मिले लेकिन फिर भी वे अपनी जमानत नहीं बचा सकी। इस चुनाव में बसपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।
श्रीकांत दुबे – पूर्व विधायक होने के साथ-साथ एक ईमानदार लो प्रोफाइल नेता की छवि। वर्ष 2008 में पन्ना सीट से विधायक निर्वाचित हुए श्री दुबे अपने कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य और स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य होने का दावा करते हैं। लोकप्रिय ब्राह्मण चेहरे के रूप कांग्रेस से टिकिट के प्रबल दावेदार हैं। पारिवारिक पृष्ठभूमि भी काफी सशक्त है। इनका कमजोर पक्ष वर्ष 2008 के चुनाव में सिर्फ 42 वोटों के अंतर से विजयी होना है। विधायक रहते हुए यूनिवर्सिटी की मांग पर पन्ना के पक्ष को मजबूती से सरकार के समक्ष नहीं रखा। पन्ना में कांग्रेस नेताओं का एक गुट भी इनके विरोध में बताया जाता है। शारदा पाठक- परिवार परामर्श केंद्र में लंबे समय तक कार्य करते हुए समाजसेविका के रूप में पहचान बनाने वाली उच्च शिक्षित नेत्री। अपने विनम्र स्वाभाव और सतत सक्रियता के फलस्वरूप पार्षद से पन्ना नगर पालिका अध्यक्ष तक का सफर तय कर चुकी हैं। अब विधायक बनने की तमन्ना है। इन्हें लेकर कतिपय लोगों की ऐसी धारणा है कि इनके निर्णय स्वतंत्र नहीं होते। नपा अध्यक्ष कार्यकाल के दौरान पूरे समय ये चंद लोगों से घिरी रहीं जोकि पर्दे के पीछे से नगर विकास के निर्णयों को प्रभावित करते थे। भरत मिलन पाण्डेय- पन्ना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली जनपद पंचायत अजयगढ़ के अध्यक्ष है। क्षेत्र में इनकी छवि एक संघर्षशील-जुझारू नेता की है। ये जितने लोकप्रिय है उतने ही विवादित भी हैं। पन्ना विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक दृष्टिकोण से दो हिस्सों में बंटा है। घाटी के नीचे अजयगढ़ क्षेत्र में भरत मिलन जितने मजबूत है घाटी के ऊपर पन्ना में उतने ही कमजोर हैं।
पन्ना विधानसभा क्षेत्र क्रमांक -60 एक नजर में
मतदान केंद्र – 290
कुल मतदाता – 224468
पुरुष मतदाता -120410
महिला मतदाता -104055
पन्ना विधानसभा चुनाव परिणाम 2013-
अभ्यर्थी का नाम |
दल |
प्राप्त मत |
प्रतिशत |
परिणाम |
कुसुम सिंह महदेले |
भाजपा |
54778 |
37.64 |
विजयी |
महेन्द्र पाल वर्मा |
बसपा |
25742 |
17.69 |
निकटतम प्रतिद्वंदी |
मीना सिंह यादव |
कांग्रेस |
23439 |
16.10 |
जमानत जप्त |
पन्ना विधानसभा चुनाव परिणाम 2008-
अभ्यर्थी का नाम |
दल |
प्राप्त मत |
प्रतिशत |
परिणाम |
श्रीकांत दुबे |
कांग्रेस |
22583 | 21.10 | विजयी |
कुसुम सिंह महदेले |
भाजपा |
22541 |
21.6 |
निकटतम प्रतिद्वंदी |
राजकुमार जैन |
सपा | 19800 | 18.30 |
पराजित |
पन्ना विधानसभा क्षेत्र से अब तक निर्वाचित विधायक
• 1951-52 लाल मोहम्मद – कांग्रेस
• 1957 देवेंद्र विजय सिंह – निर्दलीय
• 1962 नरेंद्र सिंह – कांग्रेस
• 1967 हेतराम दुबे – कांग्रेस
• 1972 हेतराम दुबे – कांग्रेस
• 1977 लोकेन्द्र सिंह – जनता पार्टी
• 1980 हेतराम दुबे – कांग्रेस
• 1985 जयप्रकाश पटेल – भाजपा
• 1990 कुसुम सिंह महदेले – भाजपा
• 1993 लोकेन्द्र सिंह – कांग्रेस
• 1998 कुसुम सिंह महदेले – भाजपा
• 2003 कुसुम सिंह महदेले – भाजपा
• 2008 श्रीकांत दुबे – कांग्रेस
• 2013 कुसुम सिंह महदेले – भाजपा