लापरवाही : एमपी के पन्ना जिले में खुले आसमान के नीचे सड़ रही 60 करोड़ की धान

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सुंगरहा के ओपन कैप में खुले आसमान के नीचे पॉलिथीन से बगैर ढंके रखे धान की लाखों बोरियों के स्केट।

* गुनौर तहसील के ओपन कैप सुंगरहा में भण्डारित है 35 हजार मैट्रिक टन धान

* मई महीने में 4 बार हुई बेमौसम बारिश में धान के भीगने से बारदाना तक सड़े

* धान के सड़ने का सिलसिला शुरू होने के बाद नान ने लापरवाही छिपाने मिलिंग के लिए शुरू कराया परिवहन

* पिछले 15 दिनों में सिर्फ एक लाख बोरियों परिवहन सवा आठ लाख से अधिक अभी भी असुरक्षित रखीं

शादिक खान, राजेन्द्र कुमार लोधी- पन्ना।(www.radarnews.in) कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये पिछले दो माह से जारी लाॅकडाउन के कारण काम-धंधे पूर्णतः ठप्प होने से एक ओर जहां दिहाड़ी मजदूरी पर आधारित हजारों गरीब श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य दाने-दाने को मोहताज है वहीं दूसरी ओर पन्ना जिले की गुनौर तहसील अंतर्गत ओपन कैप सुंगरहा में खुले आसमान के नीचे भण्डारित 35 हजार मैट्रिक टन धान बेमौसम बारिश की मार झेलने के कारण तेजी से सड़ रही है। लगभग 60 करोड़ रूपये मूल्य की धान को बारिश के पानी-नमी आदि से बचाने के लिये ओपन कैप में उसे पॉलिथीन से ढ़कने तक की कोई व्यवस्था नहीं है।
गुनौर तहसील के नजदीक सुंगरहा के ओपन कैप में रखी धान के बेमौसम बारिश में भीगने के बाद इसका तेजी से सड़ना है जारी, तस्वीरों में देखें।
फलस्वरूप किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई लाखों क्विंटन धान तेजी से सड़ कर बर्बाद हो रही है। जिन बारदानों में धान भरी है उनमें सैकड़ों बारदाने तक सड़-गल चुके है। इस मामले में भण्डारण एजेन्सी वेयर हाउस कार्पोरेशन एवं मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के स्थानीय अधिकारियों की नींद काफी देर से टूटी है, जिम्मेदार के द्वारा अब अपनी लापरवाही को छिपाने के लिये सड़ी हुई धान को मिलिंग के लिये भेजा जा रहा है।
जिले के गुनौर तहसील मुख्यालय से बमुश्किल 6 किलोमीटर की दूरी पर सुंगरहा ग्राम के नजदीक विशाल क्षेत्र में स्थित 75 हजार मैट्रिक टन भण्डारण क्षमता वाले ओपन कैप अर्थात विशाल खुले चबूतरों में माह दिसम्बर-2019 से 35,350 मैट्रिक टन धान भण्डारित है। इसके आलावा 26 हजार मैट्रिक टन गेहूं भी भण्डारित है। वेयर हाउस कार्पोरेशन के इस ओपन कैप में खाद्यान्न भण्डारण के नियमों एवं सुरक्षा इंतजामों की धज्जियां उड़ाते हुये गेहूं और धान की लाखों बोरियों को पॉलीथीन से से अच्छी तरह ढंककर तक नहीं रखा गया है। सबसे ज्यादा लापरवाही धान के भण्डारण में देखने को मिल रही है। धान के बारदानों के अधिकांश स्टेक (छलनी) खुले आसमान के नीचे पूर्णतः असुरक्षित रखीं है जिनमें पाॅलिथीन तक नहीं है। समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को समय पर मिलिंग के लिये न भेजने और सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी कर लापरवाही पूर्वक ओपन कैप में भण्डारित करने का भयंकर दुष्परिणाम खाद्यान्न बर्बादी के रूप में दिखने लगा है।
उल्लेखनीय है कि ओपन कैप में खाद्यान्न को सिर्फ तीन माह के लिए भण्डारित करने का प्रावधान है जबकि सुंगरहा में माह दिसम्बर-2019 से धान रखी है। खुले आसमान के नीचे असुरक्षित तरीके से रखी धान को लगभग पांच माह तक मिलिंग के लिए भेजने की सुध न लेने से मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। गौरतलब है कि मई महीने में अब तक जिले में 4 बार तेज बेमौसम बारिश हुई है, जिससे पूर्णतः खुले में रखी धान पानी में तरबतर होकर तेजी से सड़ रही है। इसके सड़के की प्रक्रिया इतनी तेज है कि ओपन कैप में स्टेक के पास पहुँचने पर भीषण दुर्गंन्ध आती है। ओपन कैप में लगी धान की बोरियों की छलनी (स्टेक) दूर से देखने मात्र से पता चलता है कि बड़ी मात्रा में धान अंकुरित होकर सूख भी गई और बारदाने तक सड़ चुके है। सूत्रों की मानें तो अब तक बड़ी मात्रा में धान बर्बाद हो चुकी है। यदि कुछ दिन और सड़ चुकी धान की बोरियों को सही बोरियों से अलग नहीं किया गया तो शेष धान को बचा पाना शायद संभव नहीं होगा।
ओपन कैप में करीब एक पखवाड़े से अधिक समय से जारी धान की तबाही और बर्बादी की भनक लगने पर जब “रडार न्यूज” की टीम मौके पर पहुंची तो धान के बारदानों के अधिकांश स्टेक से पाॅलिथीन गायब थी। वर्तमान में चल रहे गेहूं उपार्जन कार्य के सिलसिले में कैप प्रभारी पन्ना गए हुए थे। मौके पर उपस्थित अधीनस्थ कर्मचारियों ने बताया कि धान की बोरियों के स्टेक (छलनी) की पॉलीथीन आंधी-तूफान में फट और उड़ चुकी है। आये दिन मौसम का मिजाज बदलने और देश के कई हिस्स्सों में चक्रवाती तूफ़ान की तबाही के बाबजूद किसी ने दोबारा से इन्हें ढंकना भी उचित नहीं समझा।
बहरहाल देर से जागे ओपन कैप प्रभारी तथा मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों द्वारा अपनी इस अक्षम्य लापरवाही को छिपाने के लिये सड़ी हुई धान को मिलिंग के लिये ट्रकों में भर-भर कर रवाना किया जा रहा था। धान की बोरियों के परिवहन का सिलसिला करीब एक पखवाड़े से लगातार जारी है। लेकिन मिलिंग के लिए धान परिवहन की कछुआ चाल की अपेक्षा इसके सड़ने की प्रक्रिया कहीं अधिक तेजी से जारी होना चिंताजनक है। वेयर हाउस कार्पोरेशन के आंकड़ों के अनुसार दिनांक 4 मई की स्थिति में सुंगरहा ओपन कैप में धान की 40 किलो की भर्ती के 9 लाख 50 हजार बारदाना रखे थे पिछले आज तक की स्थिति में 1 लाख 16 हजार बारदाना का परिवहन मिलिंग के लिए हो चुका है। यानी ओपन कैप में अभी भी सवा आठ लाख से अधिक धाना की बोरियां रखीं है।

सड़ाने के बजाए गरीबों में बांटा जाए

गुनौर क्षेत्र में कांग्रेस के युवा नेता एवं पूर्व सरपंच केशरी अहिरवार ने ओपन कैप सुंगरहा में सड़ रही धान के मामले पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि कितनी विडम्बनापूर्ण बात है कि एक ओर काम-धंधे ठप्प होने से दैनिक मजदूरी पर जीवन यापन करने वाले गरीब परिवार खाद्यान्न संकट से जूझ रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ करोड़ों रूपये मूल्य की धान को सड़ाया जा रहा है। जिले में ऐसे हजारों गरीब मजदूर परिवार है जिनके पास गरीबी रेखा और अतिगरीबी रेखा के कार्ड नहीं है, इस वजह से सुपात्र परिवारों को खाद्य सुरक्षा नहीं मिल पा रही है। ऐसे परिवारों को लाॅकडाउन के शुरूआती दिनों में थोड़ा बहुत खाद्यान्न निःशुल्क दिया गया था बेहतर होगा कि ओपन कैप में बर्बाद हो रही धान की मिलिंग कराकर उसके चावल को गरीबों में पुनः निःशुल्क वितरित कराया जाए।

इनका कहना है

“ओपन कैप सुंगरहा में 35350 मैट्रिक टन धान भण्डारित है। वर्ष 2019 में धान का समर्थन मूल्य 1840 रूपये रहा है इस तरह ओपन कैप में रखी धान का कुल मूल्य 65 करोड़ रूपये है। धान की सुरक्षा की सम्पूर्ण जबावदेही वेयर हाउस कार्पोरेशन की है। बारिश में जो धान खराब हुई है उन बोरियों की छंटनी कराकर उसे मिलिंग के लिये भेजा जा रहा है। भण्डारण एजेन्सी क्षति के लिये जिम्मेदार है, नियमानुसार धान में कुल भण्डारित मात्रा का 2 प्रतिशत क्षति सूखत के रूप में मान्य है इससे अधिक अगर क्षति होती है तो उसकी पूर्ती संबंधित एजेन्सी को करनी होगी।”

शिव प्रकाश गुप्ता, जिला प्रबंधक, म.प्र. नागरिक आपूर्ति निगम पन्ना।

ओपन कैप की बाउण्ड्रीबॉल के नजदीक जमीन पर रखी बोरियों के स्केट को ढकने वाली पॉलिथीन।
“ओपन कैप में खाद्यान्न का भण्डारण सिर्फ तीन माह के लिये होता है लेकिन धान दिसम्बर 2019 से भण्डारित है। आंधी तूफान में कई स्टेक (बारदानों की छलनी) के कवर फट और उड़ गये है। बारिश में धान भीगी जरूर है लेकिन सड़ी नहीं है ऊपर से बारदाने सड़े हुए दिख रहे है लेकिन अंदर धान सुरक्षित है। जिसे मप्र नागरिक आपूर्ति निगम पन्ना के द्वारा जारी डीओ पर पिछले 15 दिनों से मिलिंग के लिये लगातार भेजा जा रहा है। ओपन कैप में खाद्यान्न में दो प्रतिशत तक क्षति मान्य है। इस सीमा से अधिक क्षति धान में नहीं हुई है।”

अशोक कुमार शर्मा शाखा प्रबंधक, वेयर हाउस कार्पोरेशन पन्ना।