मप्र : प्रभारी बदलने मात्र से क्या शांत हो जाएगी कांग्रेस संगठन की अंतर्कलह ?

0
163
फाइल फोटो।

*     जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना के नए प्रभारी बने जीवन पटेल

*     पूर्व जिला प्रभारी सम्मति सैनी के कांग्रेसियों ने जिले भर में फूंके थे पुतले

*     कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों की मनमानी नियुक्ति का जारी है विरोध

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना की अप्रैल माह में घोषित जंबो कार्यकारिणी में मनमाने तरीके से नियुक्तियां किए जाने पर मचे जबरदस्त बवाल के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पन्ना के लिए अनुभवी नेता जीवन पटेल को नया प्रभारी नियुक्त किया है। सागर जिले के रहली निवासी जीवन पटेल मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ के निर्देश पर श्री पटेल को पन्ना जिला प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है। इसके पूर्व जबलपुर जिले के कांग्रेस नेता सम्मति सैनी पन्ना जिला कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। जिला कार्यकारिणी की नियुक्तियों को लेकर नाराज़ स्थानीय कांग्रेसियों ने पिछले माह सड़क पर उतरकर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पन्ना श्रीमती शारदा पाठक और जिला प्रभारी सम्मति सैनी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया था। इसी मुद्दे को लेकर हाल ही में कांग्रेस समर्थित आदिवासी-दलित क्रांति सेना ने जिले भर में कांग्रेस अध्यक्ष और जिला प्रभारी सैनी के पुतले दहन कर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
पन्ना जिला कांग्रेस के नव नियुक्त प्रभारी जीवन पटेल।
आदिवासी क्रांति सेना के मुखिया केपी सिंह बुंदेला ने कांग्रेस की जिला कार्यकारिणीं में आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों की उपेक्षा किए जाने और कांग्रेस संगठन में प्रदत्त आरक्षण प्रावधान अनुसार प्रतिनिधित्व प्रदान न करने के गंभीर आरोप लगाए थे। बता दें कि पिछले सप्ताह सम्मति सैनी जिला प्रभारी की हैसियत से जब पन्ना जिले के दौरे पर आए थे उस दिन जिले भर में उनके पुतले फूंके गए थे। उसी दिन उन्होंने पार्टी के एक कार्यक्रम में पन्ना जिले का प्रभार छोड़ने का ऐलान कर दिया था। सैनी ने इस निर्णय की वजह अपनी वृद्ध बीमार माँ की देखभाल में स्वयं का व्यस्त होना बताया था। सम्मति सैनी के पूर्व पड़ोसी जिला छतरपुर निवासी कांग्रेस नेता मनोज त्रिवेदी भी चंद माह पन्ना के प्रभारी रहे हैं। लेकिन पीसीसी चीफ कमलनाथ के निर्देश पर कुछ माह पूर्व पन्ना के दौरे पर आए वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया ने जब यहां कांग्रेसजनों से मुलाकत कर संगठन की नब्ज़ टटोली तो उसके बाद तत्काल प्रभाव से मनोज त्रिवेदी के प्रभार में परिवर्तन कर उन्हें टीकमगढ़ जिले का दायित्व सौंपा गया था।
जिला कार्यकारिणी में की गई मनमानी नियुक्तियों के विरोध स्वरूप पन्ना के गांधी चौक पर प्रदर्शन करते हुए नाराज कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता। (फाइल फोटो)
ग़ौरतलब हो कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती शारदा पाठक के अब तक के कार्यकाल में पन्ना जिले के दो प्रभारी बदले जा चुके हैं। अंदरखाने चर्चा है कि पन्ना के जिला सह प्रभारी प्रवीण खरे भी मौजूदा जिला कांग्रेस अध्यक्ष के साथ कार्य करने में असहज महसूस कर रहे हैं। सह प्रभारी ने बक़ायदा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी को लिखित और मौखिक तौर पर अवगत कराते हुए पन्ना के प्रभार से मुक्त करने का आग्रह किया है। वहीं पन्ना में जिला कार्यकारिणी को लेकर मचे घमासान के बीच जब सैंकड़ा भर पदाधिकारियों ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करते हुए अपने पदों से सामूहिक इस्तीफ़ा दिया तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मामले को संज्ञान लिया था। मध्य प्रदेश के सह प्रभारी एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सीपी मित्तल को आनन-फानन में पन्ना जिले की संगठनात्मक समीक्षा के लिए पन्ना भेजा गया। जिसकी रिपोर्ट श्री मित्तल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप चुके हैं। लेकिन इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की गई इसका किसी को पता नहीं चल सका। हालांकि इस बीच पन्ना जिले के प्रभार में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला। मध्यप्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी के तौर पर अभी तक पन्ना जिले का प्रभार संजय कपूर के पास था जिसे अब प्रदेश के दूसरे सह प्रभारी सीपी मित्तल को सौंपा गया है। यहां महत्वपूर्ण सवाल यही है कि प्रभारियों के प्रभार बदलने मात्र से क्या पन्ना में संगठन की अंतर्कलह शांत हो जाएगी ?
पन्ना जिला कांग्रेस अध्यक्ष शारदा पाठक को निर्वाचन संबंधी प्रमाण पत्र देते पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा एवं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल। (फाइल फोटो)
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, जहां कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश की सत्ता में मजबूती के साथ वापसी की उम्मीद लगाए हुए है। लेकिन यह तभी संभव है जब कांग्रेस पार्टी बेहतर रणनीति के साथ पूरी एकजुटता से भाजपा की चुनौती का ज्वलंत मुद्दों के आधार पर सामना करे। इसके लिए कांग्रेस संगठन का धरातल पर अधिक सक्रिय, मजबूत होना और पूरी ईमानदारी से विपक्ष की भूमिका निभाना जरुरी है। विधानसभा चुनाव के समय संगठन में घमासान मचना विपक्षी दल कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। और इस पर भी उठाई गई आपत्तियों का तत्परता से सर्वमान्य हल न निकालना प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व मंशा पर सवाल खड़े करता है। पन्ना के मामले का पटाक्षेप करने पीसीसी द्वारा अब तक किए गए उपाए ठीक वैसे ही जैसे समस्या पेड़ की जड़ में है और टहनियों की छंटाई की जा रही है। चुनाव पूर्व अनिर्णय की स्थिति को देखकर लगता है कहीं ऐसा न हो जिम्मेदारों को जब पूर्ण सर्जरी का ख्याल आये तब तक बीमारी ही कहीं लाइलाज़ न हो जाए।
पन्ना की संगठनात्मक समीक्षा करने आए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सीपी मित्तल से सर्किट हाउस में मुलाकत कर असंतुष्ट नेताओं ने अपना पक्ष रखा। (फाइल फोटो)
दरअसल, पन्ना का मामला जिला कार्यकारिणी की नियुक्तियों में की गई मनमानी से भी कहीं अधिक चिंताजनक कांग्रेस का विपक्ष की भूमिका से लगभग गायब होना है। जिला कार्यकारिणी से असंतुष्ट और इस्तीफ़ा देने वाले कांग्रेस नेतागण सरेआम पार्टी अध्यक्ष को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं। उनके अनुसार यह आरोप हवा-हवाई नहीं बल्कि इसके पीछे अनेक ठोस आधार हैं जैसे नगरीय निकाय चुनाव और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस पार्टी का बेहद शर्मनाक प्रदर्शन, पिछले चार साल से जिले में लगातार जारी रेत व पत्थर की खुली लूट के खिलाफ कांग्रेस संगठन का सड़कों पर न उतरना।
कांग्रेस जिला कार्यकारिणी में आदिवासी एवं दलितों को समुचित प्रतिनिधित्व न देने के विरोधस्वरूप प्रदर्शन करते आदिवासी-दलित क्रांति सेना के पदाधिकारी। (फाइल फोटो)
इसके अलावा पन्ना विधायक एवं प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और क्षेत्रीय सांसद एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा प्रशासनिक अराजकता के मुद्दे पर भाजपा के दोनों दिग्गजों के खिलाफ खुलकर हल्ला न बोलना भी गंभीर चिंता का सबब है। हालांकि जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती शारदा पाठक स्वयं के ऊपर लगे आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए पूरी क्षमता और निष्ठा के साथ पार्टी का कार्य करने का दावा करती हैं। उधर, नाराज कांग्रेस नेताओं का स्पष्ट कहना है उनके द्वारा उठाए गए तथ्यात्मक और प्रमाणित आरोपों का जब तक ठोस निराकरण नहीं होता पन्ना में फूलछाप कांग्रेसियों से पार्टी को बचाने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। इन परिस्थितियों में पन्ना जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।