मप्र : सत्ता के संरक्षण में जारी रेत की लूट बनीं समस्या, जनमानस में भारी आक्रोश

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प्रतिबंधित मशीनों के जरिए केन नदी पर रात-दिन बड़े पैमाने पर जारी है रेत का अवैध खनन।

*     रेत परिवहन करने वाले ओवरलोड वाहनों के कारण अजयगढ़ घाटी में आए दिन लग रहा चक्काजाम

*     शुक्रवार को घाटी में लगे चक्काजाम में कई घंटों तक प्रचंड गर्मी फंसे रहे सैंकड़ों वाहन

   रेत के वाहनों की भागम-भाग के चलते तराई अंचल में सड़क हादसों का लगातार बढ़ रहा ग्राफ

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में केन नदी पर रेत का अवैध खनन ताबड़तोड़ अंदाज में चल रहा है। शासन-प्रशासन के संरक्षण में खुलेआम जारी सुनहरी रेत की संगठित लूट का खेल इलाके के लोगों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है। रेत माफिया के द्वारा नदी में दैत्याकार मशीनें उतारकर अंधाधुंध रेत खनन कराने से एक ओर जहां केन का अस्तित्व गंभीर संकट में आ गया है, वहीं दूसरी तरफ इस रेत का परिवहन करने वाले हाइवा-डंपरों की भागम-भाग के कारण पन्ना के तराई अंचल में सड़क हादसों का ग्राफ बढ़ने के साथ अजयगढ़ घाटी (कटनी-कानपूर मार्ग) पर आए दिन चक्काजाम लगने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। रेत के अवैध खनन और परिवहन पर सख्ती से रोक लगाने के बजाए जिम्मेदार अफसर काली कमाई के चक्कर में तमाशबीन बने हुए हैं। परिणामस्वरूप रेत की लूट का कई तरह से ख़ामियाज़ा भुगतने को मज़बूर निर्दोष क्षेत्रवासियों में शिवराज सरकार और व्यवस्था को लेकर तीव्र आक्रोश व्याप्त है।
रेत के हैवी ओवरलोड वाहनों की रेलमपेल के कारण पन्ना की अजयगढ़ घाटी में लगे चक्क्जाम का नजारा।
रेत के अवैध परिवहन से उपजी समस्या की जटिलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टेट हाइवे क्रमांक- 49 पर पन्ना-अजयगढ़ के बीच आए दिन लगने वाले चक्क्जाम से बचने के लिए वाहन चालक अपने गंतव्य तक पहुँचने वैकल्पिक मार्गों से होकर यात्रा कर रहे हैं। अजयगढ़ घाटी में शुक्रवार 19 मई की सुबह रेत के हैवी ओवरलोड वाहनों के रेलमपेल के चलते एक बार फिर चक्काजाम लग गया। फिर क्या था प्रचंड गर्मी-उमस के बीच अजयगढ़ घाटी में सैंकड़ों वाहन कई घण्टे तक जाम के झाम में फंसे रहे। इस दौरान थाना पुलिस, यातायात पुलिस और उक्त सड़क पर टोल टैक्स की वसूली करने वाले ठेकेदार के कर्मचारी करीब 2 घण्टे तक नदारत रहे। चक्काजाम में फंसे छोटे चार पहिया वाहन, यात्री बस और मालवाहक वाहनों के चालक व राहगीर जाम को खुलवाने के लिए अपने स्तर पर काफी देर तक मशक्कत करते रहे। इस दौरान चक्काजाम में फंसे वाहनों में सवार छोटे बच्चे, महिलायें एवं बुजुर्ग भीषण गर्मी, प्यास और भूख से बेहाल नजर आए।

दरअसल, अजयगढ़ घाटी में हनुमान मंदिर के पास जहां पर चक्काजाम लगा था वहां से दोनों तरफ आसपास पेयजल व जलपान आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर कुछ है तो खतरनाक घाटी और बियाबान जंगल। चक्काजाम में फंसे वाहनों की दोनों तरफ दूर तक लंबी कतार लगने के वीडियो-फोटोग्राफ्स और ख़बरें सोशल मीडिया पर आने के बाद भी जिम्मेदार उदासीन बने रहे। तत्परता से चक्काजाम को खुलवाने के लिए कोई पहल नहीं की गई। दोपहर में धूप चढ़ने के बाद चक्काजाम को खुलने अजयगढ़ थाना का पुलिस बल मौके पर पहुंचा। पुलिस जवानों के द्वारा क्षेत्रीय लोगों और जाम में फंसे राहगीरों की मदद से कड़ी मशक्कत के बाद दोपहर करीब 1 बजे बमुश्किल चक्काजाम खुलवाया गया। तब कहीं जाकर अजयगढ़-पन्ना मार्ग पर वाहनों का आवगमन बहाल हो सका।

केन नदी को खोखला करने में जुटा माफिया

केन नदी के जिगनी घाट में गहरे पानी के अंदर से रेत निकालते लिफ्टर।
केन नदी के दोनों किनारों (छतरपुर एवं पन्ना जिले की सीमा) पर रेत माफिया के द्वारा पिछले 4 साल से बड़े पैमाने पर रेत का अनियंत्रित तरीके से दोहन किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक दोनों ही जिलों से प्रतिदिन 500 डंपर से अधिक रेत निकाली जा रही है। केन नदी के दोनों किनारों पर 40-50 किलोमीटर क्षेत्र में दर्जनों स्थानों पर मशीनों के जरिए रेत का अवैध खनन खुलेआम जारी है। रेत माफिया के द्वारा नदी में बड़ी संख्या में पोकलेन मशीनें व लिफ्टर उतारकर केन की कोख और सीना छलनी कर रेत निकलने से केन नदी का अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडराने लगा है। वर्तमान में नदी का जल स्तर कम होने पर माफिया के द्वारा ज्यादा से ज्यादा रेत निकालने के लिए नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए पोकलेन मशीनों के नुकीले जबड़ों से पानी के अंदर नदी की खुदाई करवाई जा रही है। पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत बीरा, चंदौरा, जिगनी, रामनई, मोहना, भानपुर, उदयपुर आदि नदी घाटों को खोखला कर पर रात-दिन मशीनों से जरिए केन की रेत को लूटा जा रहा है।

खनिज मंत्री के क्षेत्र में बेख़ौफ़ जारी अवैध खनन

केन नदी की जलधारा को रोककर माफिया के द्वारा जगह-जगह से निकाली जा रही रेत।
हैरानी की बात है कि रेत के अवैध खनन का यह खेल शिवराज सरकार के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा के निर्वाचन अंतर्गत चल रहा है। रेत की लूट पर दोनों ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की रहस्मयी चुप्पी लंबे समय से बरकरार है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 2 वर्ष पूर्व अजयगढ़ क्षेत्र की अवैध रेत खदानों का दौरा करने के बाद भाजपा के इन दोनों जनप्रतिनिधियों पर रेत माफिया को संरक्षण देकर बेतहाशा काली कमाई करने का बेहद गंभीर आरोप लगाया था। जिस पर खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे नकारते हुए पलटवार किया था। लेकिन लाख टके सवाल यही है छतरपुर और पन्ना जिले में पिछले 4 साल से केन नदी पर वृहद पैमाने पर खुलेआम जारी रेत की लूट सत्ता प्रतिष्ठान के संरक्षण के बगैर क्या संभव है ? आमसभाओं के मंच से माफिया को 10 फिट नीचे गड्ढे में दफन करने की सख्त चेतावनी देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रहते हुए पन्ना में खुलेआम तांडव कर रहे रेत माफिया को इतना साहस आखिर कहां से मिल रहा है ?

मानसून के पूर्व रेत का पहाड़ लगाने में जुटा माफिया

शुक्रवार 19 मई को अजयगढ़ घाटी में लगे चक्क्जाम करीब 4 घण्टे तक सैंकड़ों वाहन फंसे रहे।
पिछले एक माह से छतरपुर और पन्ना जिले की खदानों से प्रतिदिन जितनी भी रेत निकाली जा रही उसकी 30-40 फीसदी मात्रा का भंडारण पन्ना के नजदीक नेशनल हाइवे किनारे स्थित बहेरा ग्राम में किया जा रहा है। महीने भर से रेत माफिया के करीब एक सैंकड़ा हैवी ओवरलोड डंपर-हाइवा अजयगढ़ के रास्ते पन्ना होकर बहेरा डंप पहुंच रहे हैं लेकिन अब तक किसी ने भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने हिम्मत नहीं दिखाई। मानसून की दस्तक़ के पूर्व बहेरा में लाखों घनमीटर रेत का पहाड़ लगाने में जुटे माफ़िया के लिए पन्ना जिले का प्रशासन और पुलिस रेड कार्पेट की तरह बिछ गया है। जनचर्चा है कि रेत की लूट पर अपनी आंख-कान और मुंह बंद रखने के एवज़ में प्रशासनिक अफसरों व पुलिस को माफिया से सिस्टम के तहत काली कमाई के रूप में मोटी रकम मिल रही है। फलस्वरूप डबल इंजन की सरकार में बहुमूल्य खनिज संपदा की लूट का खेल दोगुनी क्षमता के साथ बेरोकटोक जारी है।

प्रतिदिन निकलते हैं सैंकड़ों ओवरलोड वाहन

क्षमता से अधिक रेत का धड़ल्ले से परिवहन करते रेत माफिया के हाइवा-डंपर।
केन की तबाही को नजर अंदाज करने के एवज में जिले के प्रशासनिक एवं पुलिस अफसरों के साथ-साथ खनिज विभाग, जिला परिवहन विभाग, राजस्व अधिकारी, पत्रकार और रेत खनन प्वाइंट क्षेत्र लेकर रेत भंडारण क्षेत्र तक रास्ते में पड़ने सभी पुलिस थानों व चौकियों का मासिक नजराना फिक्स है। इसके अलावा अजयगढ़ से होकर प्रतिदिन पन्ना, सतना व उत्तर प्रदेश के बांदा और चित्रकूट जिलों के लिए बगैर ईटीपी के रेत का परिवहन करने वाले सैंकड़ा भर से अधिक हैवी ओवरलोड डंपर-हाइवा तथा टैक्टर-ट्रॉली से भी एंट्री वसूली का गोरखधंधा बड़े मजे से चल रहा है। कुल मिलाकर अवैध कमाई के चक्कर में जिम्मेदार अफसर केन नदी की विनाशलीला, रेत के ओवरलोड वाहनों की भागमभाग से होने वाले सड़क हादसों और अजयगढ़ घाटी में आए दिन लगने वाले चक्काजाम से जानबूझकर मुंह फेरे हुए हैं।