चिकित्सा के पेशे को कलंकित करने वाला संवेदनहीन डॉक्टर 4 हज़ार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

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लोकायुक्त पुलिस सागर की अभिरक्षा में बैठे डॉक्टर गुलाब तिवारी लाल घेरे में एवं बाईं ओर खड़ा शिकायतकर्ता मुकेश कुशवाहा।

लोकायुक्त पुलिस सागर ने मरीज़ की शिकायत पर पन्ना में की कार्रवाई

फ़िशर नामक बीमारी का ऑपरेशन करने के लिए मांगी थी 5 हजार की रिश्वत

जिला चिकित्सालय पन्ना में कई दिन तक भर्ती रखने के बाद भी नहीं किया ऑपरेशन

रिश्वत न मिलने पर निर्दयी डॉक्टर ने ऑपरेशन किए बगैर ही कर दिया था डिस्चार्ज

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) हमारे समाज में डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वह एक ऐसा शख्स होता है, जो मौत के मुहाने पर खड़े किसी बीमार व्यक्ति को नई जिंदगी दे सकता है। लेकिन इस पेशे में व्यवसायिकता के हावी होने से मौजूदा दौर में ऐसे डॉक्टर मिलना बेहद कठिन हो गया है। अपवादों को छोड़ दें तो डॉक्टर अब बगैर फीस के ठीक से इलाज नहीं करते हैं। हैरानी की बात तो यह है, सरकारी अस्पताल में भी मरीज़ को इलाज के लिए फीस रुपी रिश्वत देनी पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय में प्रकाश में आया है। एनल फिशर नामक अत्याधिक पीड़ा देने वाली बीमारी से पीड़ित एक प्रौढ़ व्यक्ति से ऑपरेशन के नाम पर चार हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर की टीम ने आज पन्ना जिला चिकित्सालय के शल्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर गुलाब तिवारी को गिरफ्तार किया है।
पन्ना जिले में प्रशासनिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं घूसखोरी के खिलाफ वर्ष 2021 में पखवाड़े भर के अंतराल लोकायुक्त पुलिस सागर की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इसके पूर्व जनवरी माह में लोकायुक्त पुलिस ने जिले के तहसील मुख्यालय अजयगढ़ के प्रभारी तहसीलदार उमेश तिवारी को कथित तौर भवन निर्माण की अनुमति देने के एवज में एक लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा था। शुक्रवार 5 फरवरी को हुई ट्रैप कार्रवाई में डॉ. गुलाब तिवारी के पकड़े जाने की खबर आने के बाद से जिले के स्वास्थ्य महकमे जबर्दस्त हड़कंप मचा है। दरअसल लोकायुक्त पुलिस के द्वारा ट्रैप कार्रवाई को चिकित्सक के सरकारी आवास में अंजाम दिया गया। जहाँ से महज 50 से 100 फिट की दूरी पर पन्ना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का शासकीय आवास एवं कार्यालय, सिविल सर्जन का आवास तथा जिला चिकित्सालय स्थित है।

असहनीय दर्द से पीड़ित मरीज पर नहीं आया रहम

घूसखोर डॉक्टर को पकड़वाने शिकायतकर्ता मुकेश कुशवाहा (बाएं) एवं उनका रिश्तेदार मनोज कुशवाहा।
जिला चिकित्सालय पन्ना के सहायक शल्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुलाब तिवारी को मरीज से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले लोकायुक्त पुलिस सागर के डीएसपी राजेश खेड़े व शिकायकर्ता मुकेश कुशवाहा 45 वर्ष की मानें तो रिश्वत के लिए डॉक्टर के द्वारा उसके साथ हद दर्जे का अमानवीय बर्ताव किया गया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के उज्जैन के निवासी मुकेश कुशवाहा एनल फिशर नामक बीमारी से पीड़ित हैं। मुकेश ने बताया कि वह कुछ समय पूर्व पन्ना जिले के तारा सकतपुरा ग्राम में रहने वाले अपने रिश्ते के भांजे मनोज कुशवाहा से मिलने आए थे। जहाँ अचानक उसकी पुरानी तकलीफ काफी बढ़ गई।
इलाज के सिलसिले में वह पन्ना जिला चिकित्सालय आया और डॉ. गुलाब तिवारी से मिला। मुकेश का परीक्षण करने के उपरांत डॉ. तिवारी ने उसका ऑपरेशन करने के लिए उसे दिनांक 20 जनवरी को भर्ती कर लिया। जिला चिकित्सालय कई दिन तक भर्ती रखने के बाद 29 जनवरी को ऑपरेशन किए बगैर ही डिस्चार्ज कर दिया गया।

झूठ बोलते रहे डॉक्टर व नर्सेस

ट्रैप कार्रवाई का नेतृत्व करने वाले लोकायुक्त पुलिस सागर के डीएसपी राजेश खेड़े से बात करते हुए डॉक्टर गुलाब तिवारी।
मुकेश ने बताया कि इस दौरान डॉ. गुलाब तिवारी एवं ड्यूटी में तैनात रहने वालीं नर्स झूठ बोलकर छलावा करते हुए उससे कहती रहीं कि कुछ खाना-पीना नहीं अगले दिन तुम्हारा ऑपरेशन होना है। पीड़ित मरीज का आरोप है डॉक्टर श्री तिवारी के द्वारा ऑपरेशन करने के एवज में उससे 5 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की गई। रुपए न देने पर असहनीय दर्द के बावजूद उसे डिस्चार्ज कर घर में जाकर सिकाई करने के लिए कहा गया। घूसखोर डॉक्टर की संवेदनहीनता का शिकार बने पेशे से मजदूर मुकेश ने उसे सबक सिखाने की ठानी। इसके लिए उसने अपने रिश्तेदार मनोज कुशवाहा की मदद से लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय सागर में सम्पर्क कर अपनी शिकायत दर्ज कराई।

टेबल पर रखवाए थे रुपए

सरकारी अस्पताल इलाज के नाम पर रिश्वत की मांग से जुड़े इस मामले को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सागर रामेश्वर सिंह यादव द्वारा अत्यंत ही गंभीरता से लेते हुए शिकायत की तस्दीक कराई गई। इस दौरान डॉ. गुलाब तिवारी और मरीज मुकेश कुशवाहा के बीच हुई चर्चा में डॉक्टर साहब ऑपरेशन करने के एवज 4 हजार रुपए बतौर रिश्वत लेने के लिए राजी हो गए। शिकायत सही पाए जाने पर लोकायुक्त पुलिस के द्वारा ट्रैप कार्रवाई को अंजाम देने की रूपरेखा तैयार की गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय पन्ना के परिसर में स्थित डॉक्टर गुलाब तिवारी का शासकीय आवास।
फलस्वरूप पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक शुक्रवार 5 फरवरी को मुकेश पुनः जिला चिकित्सालय में भर्ती हुआ और दोपहर में करीब 3 बजे वह कैमिकल युक्त 4 हजार के नोट लेकर डॉ. गुलाब तिवारी को देने के लिए उनके शासकीय आवास पहुंचा। कथित तौर मुकेश ने डॉक्टर के कहने पर उक्त नोट उनकी टेबल पर रख दिए, तभी अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस की टीम ने वहाँ दबिश देकर डॉ. गुलाब तिवारी को गिरफ्तार कर रिश्वत में लिए गए नोटों को जब्त कर लिया। लोकायुक्त पुलिस ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है।

इनका कहना है –

डॉ. एल.के. तिवारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला पन्ना।
“ऑपरेशन करने के एवज में मरीज से रिश्वत लेते हुए डॉक्टर का गिरफ्तार होना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। पन्ना जिला चिकित्सालय या फिर आंचलिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कभी किसी भी मरीज से उपचार या अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के एवज में किसी भी प्रकार की रिश्वत न ली जाए इसके लिए सभी कर्मचारियों-अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी जाएगी। यदि फिर भी किसी की शिकायत मिलती है तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी।”

–  डॉ. एल.के. तिवारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला पन्ना।