तौक्ते तूफ़ान का असर : खरीदी केन्द्रों पर खुले आसमान के नीचे रखा हजारों क्विंटल गेहूं बारिश में भीगा, परिवहन और भण्डारण व्यवस्था चौपट होने से हुआ बड़ा नुकसान

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पन्ना जिले के लक्ष्मीपुर खरीदी केन्द्र पर खुले आसमान के नीचे रखा सैंकड़ों क्विंटल गेहूं चक्रवाती तूफ़ान के कारण हुई बारिश में भीग गया।

*   खरीदी बंद करने के बाद भी उपार्जित गेहूं को बचाने में बरती गई घोर लापरवाही

*   गेहूं उपार्जन केन्द्रों पर तिरपाल आदि के नहीं दिखे पुख्ता इंतजाम

*   जिला प्रशासन की भूमिका सिर्फ निर्देश देने तक रही सीमित

 बारिश से गेहूं को बचाने समय रहते सुनिश्चित नहीं कराए आवश्यक उपाए

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान तौक्ते अब भले ही थम चुका है लेकिन मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पिछले दो दिनों तक इसका व्यापक असर रहा। तौक्ते तूफ़ान के कारण जिले में 18 एवं 19 मई को कई स्थानों पर गरज-चमक के साथ तेज बारिश हुई। साथ ही तेज़ हवाएं चलने से सैंकड़ों पेड़ उखड़ गए। मौसम में आये इस अप्रत्याशित बदलाव के चलते वैशाख के महीने में आषाढ़ जैसी झमाझम बारिश का नज़ारा देखने को मिला। बिन मौसम बारिश को लेकर मौसम विभाग एवं जिला प्रशासन के द्वारा अलर्ट जारी करने के बाद भी पन्ना के खरीदी केन्द्रों पर हजारों क्विंटल गेहूं बारिश की भेंट चढ़ गया। खुले आसमान के नीचे रखे उपार्जित गेहूं को बारिश के पानी एवं नमी से बचाने के लिए केन्द्र प्रभारियों के द्वारा समय रहते पुख्ता इंतजाम न कर घोर लापरवाही बरती गई। जिसका दुष्परिणाम तबाही-बर्बादी के रूप में सामने आया है।
लक्ष्मीपुर केन्द्र पर पानी से भीगे बारदानों और सूखे बारदानों को अलग-अलग रखने के दौरान बुधवार को हुई तेज बारिश में पुनः गेहूं तरबतर हो गया।
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तब बनीं जब अलर्ट जारी करने के साथ ही खरीदे जा चुके गेहूं को बारिश से बचाने के लिए किसानों से गेहूं की खरीदी को 4 दिन पूर्व ही अस्थाई तौर पर रोक दिया था। हजारों क्विंटल गेहूं के बारिश के पानी में तरबतर होने से पिछले वर्ष की यादें ताज़ा हो चुकी हैं। मग़र, इस बार हालात पिछले साल से भी कहीं अधिक बद्तर हैं। उपार्जित (खरीदे गए) गेहूं की परिवहन एवं भण्डारण व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। केन्द्रों से 3-4 तक एक भी ट्रक गेहूं का परिवहन नहीं होने से केन्द्र प्रभारी परेशान हैं। मौसम का मिज़ाज और बदइंतजाम देखकर उनकी सांसें फूल रहीं हैं। दरअसल, केन्द्र प्रभारियों की चिंता इस बात को लेकर है कि, भीगा हुआ गेहूं अगर ख़राब हुआ तो इससे होने वाली क्षति की भरपाई उन्हें और संबंधित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति/स्व सहायता समूह को करनी पड़ेगी।

खरीदी केन्द्रों पर गेहूं की बर्बादी का आंखों देखा हाल

जिला मुख्यालय पन्ना से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य सड़क किनारे स्थित लक्ष्मीपुर गेहूं खरीदी केन्द्र पर बुधवार 19 मई तक 6,000 (छह हजार) क्विंटल गेहूं परिवहन के इंतज़ार में खुले आसमान के नीचे असुरक्षित रखा था। मंगलवार को हुई बारिश में गेहूं के भीगने पर अगले दिन मौसम साफ़ होने और धूप निकलने पर केन्द्र प्रभारी संतोष शुक्ला एवं लक्ष्मीपुर समिति की प्रशासक अर्चना गुप्ता के द्वारा भीगे हुए बारदानों एवं सूखे बारदानों अलग-अलग कराकर सुरक्षित रखवा रहे थे कि इस बीच दोपहर लगभग 3 बजे अचानक हुई बेहद तेज बारिश में सैंकड़ों क्विंटल गेहूं पुनः भीग गया।
तेज हवा के साथ बारिश होने से बारदानों के स्टेक पर ढंकी पॉलीथीन या तो फट गईं या फिर हवा में उड़ गईं। इस केन्द्र से पिछले 5 दिन में सिर्फ एक ट्रक गेहूं का परिवहन हुआ था। बारिश की चेतावनी को देखते 4 दिन से खरीदी बंद होने के कारण केन्द्र पर गेहूं से लोड किसानों के एक दर्जन ट्रेक्टर-ट्राली पुनः तुलाई शुरू होने के इंतजार में खड़े थे।
गेहूं खरीदी केन्द्र सारंग में रखे अनाज को श्रमिकों व्यवस्थित करने के दौरान बुधवार को पुनः हुई बारिश ने गेहूं को पूरी तरह भिगो दिया।
पन्ना से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारंग में मंदिर के सामने प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति अहिरगुवां के द्वारा बनाए गेहूं खरीदी केन्द्र पर बुधवार 19 मई की स्थिति में 9,000 (नौ हजार) क्विंटल गेहूं खुले आसमान के नीचे अव्यवस्थित और असुरक्षित तरीके से रखा था। इस केन्द्र पर उपार्जित गेहूं की सुरक्षा को लेकर हद दर्जे की लापरवाही देखने को मिली।
गेहूं खरीदी केन्द्र सारंग में तिरपाल के नाम पर अनाज की बोरियों को ग्रीन नेट से ढंककर रखना हद दर्जे की लापरवाही की तरफ इशारा करता है।
गेहूं से भरी बोरियों को बारिश के पानी से बचाने पॉलीथीन/तिरपाल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। केन्द्र प्रभारी के द्वारा केन्द्र पर गेहूं की सुरक्षा के लिए न तो संतोषजनक इंतजाम किए गए और ना ही समय रहते अनाज की बोरियों (बारदानों) को अस्थाई तौर पर आसपास किसी स्थान पर शिफ्ट कराया गया। परिणाम स्वरूप बुधवार को दोपहर में जब पुनः बारिश शुरू हुई तो केन्द्र पर रखी गेहूं की हजारों बोरियां झमाझम बारिश में तरबतर हो गईं।
अहिरगवां समिति के खरीदी केन्द्र सारंग में गेहूं की बोरियां इस तरह लापरवाही पूर्वक रखीं नजर आईं।
इस केन्द्र पर कई दिनों से बारदानों का आभाव होने और खरीदी बंद होने के कारण कुछ किसान भी अपना अनाज लिए फंसे हुए थे। इसके अलावा जिले के अन्य गेहूं उपार्जन केन्द्रों जवाहर विपणन समिति गुनौर के झुमटा, गौरा, नरसिंह स्व सहायता समूह के केन्द्र महगवां (पवई), वैष्णो स्व सहयता समूह इटवांखास (तारा), काली स्व सहायता समूह के केन्द्र बराछ पर भी हजारों क्विंटल गेहूं के भीगने की खबर मिली है।

इसलिए चरमराई व्यवस्था

पन्ना के लक्ष्मीपुर ग्राम में स्थित ओपन कैप पर स्थान के आभाव में अनलोड होने के इंतजार में खड़े गेहूं से लोड ट्रकों की लम्बी कतार।
जिले में समर्थन मूल्य पर जारी गेहूं खरीदी की व्यवस्था चौपट होने का बड़ा कारण भंडारण केन्द्रों में स्थान का आभाव एवं कोरोना वायरस संक्रमण की वैश्विक आपदा है। पिछले दो माह से इस महामारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्रकथमिकता में रहे हैं, इस कारण गेहूं उपार्जन की व्यवस्था पर आपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू होने से सामान्य प्रशासनिक कार्य ठप्प होने अथवा सामान्य दिनों की तरह प्रशासनिक कार्य का दबाब ना होने के बाद भी गेहूं उपार्जन सरीखे महत्वपूर्ण कार्य को जिम्मेदारों के द्वारा अपने हाल पर छोड़ दिया गया। जिसकी परिणीति हजारों क्विंटल गेहूं के बारिश में भीगने, परिवहन एवं भंडारण व्यवस्था बेपटरी होने के तौर पर सामने आई है।
लक्ष्मीपुर ओपन कैप में जगह खाली कराने के लिए पूर्व से भंडारित अनाज को वितरण हेतु उचित मूल्य दुकानों के लिए भेजा गया।
हालात इतने ज्यादा खराब इसलिए भी हुए क्योंकि गेहूं उपार्जन की निगरानी एवं आवश्यक व्यवस्थाओं से सीधे जुड़े विभाग नागरिक आपूर्ति निगम, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, सहकारिता विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोरोना संक्रमित हो गए या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते बीमार होने से अवकाश पर चले गए। इस स्थिति में केन्द्र प्रभारी मनमाफ़िक खरीदी करते रहे, गेहूं परिवहन करने वाले ठेकेदार अलस्याए हुए अपनी चाल से चलते रहे। पन्ना जिले के गोदाम/ओपन कैप फुल होने पर खरीदे गए गेहूं का भंडारण पड़ोसी जिला छतरपुर में कराना पड़ा। इस दौरान पन्ना में कोई यह देखने-पूंछने वाला नहीं रहा कि, छतरपुर में ट्रक 3-4 दिन तक अनलोड क्यों नहीं हो पा रहे हैं।
लक्ष्मीपुर ओपन कैप से उचित मूल्य दुकानों के लिए रवाना किये जाने वाले पुराने गेहूं की बोरियों को ट्रक में लोड करते हुए श्रमिक।
वहीं पन्ना जिले के उपार्जन केन्द्रों पर खुले आसमान के नीचे रखे गेहूं के भंडारण के लिए वेयर हाउस में लगभग 60 हजार मीट्रिक टन स्थल आवंटन की आवश्यकता थी लेकिन छतरपुर जिले में सिर्फ 40 मीट्रिक टन गेहूं भंडारण की व्यवस्था ही बन सकी। शेष 20 हजार मीट्रिक टन (2 लाख क्विंटल) गेहूं जिले के खरीदी केन्द्रों पर खुले आसमान के नीचे असुरक्षित पड़ा रहा। इस बीच तौक्ते तूफ़ान की वजह से लगातार दो दिन हुई बारिश में यही गेहूं पानी से तरबतर हो गया।
अहिरगवां समिति के खरीदी केन्द्र सारंग में गेहूं की खरीदी बंद होने एवं बारदान न होने के कारण कई दिनों से फंसे किसानों की ट्रेक्टर-ट्रॉली।
पन्ना जिला प्रशासन ने चक्रवाती तूफ़ान के कारण होने वाली बारिश को लेकर 3 दिन पूर्व अलर्ट जारी कर खरीदी केन्द्र प्रभारियों को बारिश से गेहूं का बचाव करने के निर्देश देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने समय रहते अपने निर्देशों पर अमल सुनिश्चित कराने की सुध नहीं ली। कुल मिलाकर हर स्तर पर बरती गई गंभीर लापरवाही के चलते पन्ना के खरीदी केन्द्रों पर रखा हजारों क्विंटल गेहूं बारिश की भेंट चढ़ गया।

इनका कहना है-

“जिले के भंडारण केन्द्रों में स्थान के आभाव के कारण लगभग आधा दर्जन केन्द्रों पर गेहूं के भीगने और उसमें नमी आने की जानकारी मिली है। असमय हुई बारिश से 5,000 हजार क्विंटल गेहूं बौछारों से प्रभावित हुआ है। मौसम खुलने पर उसे सुखाया जाएगा। भोपाल से आए अधिकारी भी क्षति की जानकारी ले रहे हैं। जिन केन्द्रों पर तिरपाल की समुचित व्यवस्था रही वहाँ भी गेहूं भीगा है क्योंकि बेहद तेज हवा के साथ बारिश होने से तिरपाल या तो फट गए या फिर उड़ गए। छतरपुर जिले में हमें 40 हजार मीट्रिक टन अनाज भंडारण के लिए स्थान मिला था जिसमें भण्डारण कराया जा चुका है। यदि उसी समय हमारी मांग अनुसार 20 हजार मीट्रिक टन भंडारण क्षमता और उपलब्ध हो जाती तो शायद यह स्थिति न बनती। बहरहाल, खरीदी केन्द्रों पर रखे गेहूं को भंडारित कराने के लिए पन्ना जिले के वेयर हाउस/ओपन कैप से पीडीएस के गेहूं को खाली कराकर वितरण हेतु उचित मूल्य दुकानों में भेजा जा रहा है।”

– जे.पी. धुर्वे, अपर कलेक्टर, जिला पन्ना।