* अपना बचाव करने में जुटे पीटीआर के वरिष्ठ अधिकारी
* कार्रवाई को लेकर दोहरे मापदण्ड उजागर होने से उठ रहे सवाल
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सागौन लकड़ी की अवैध कटाई का हैरान करने वाला मामला उजागर होने से पन्ना से लेकर राजधानी भोपाल तक हड़कम्प मचा है। इस मामले ने पन्ना टाईगर रिजर्व के बेहतर प्रबंधन, पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था एवं मजबूत निगरानी तंत्र सरीके के झूठे दावों की पोल खोलकर रख दी है। सागौन लकड़ी की सामूहिक कटाई को लेकर चौतरफा उठ रहे सवालों के मद्देनजर यह स्पष्ट हो चुका है कि पन्ना में अथक परिश्रम के बाद बमुश्किल आबाद हुआ बाघों का संसार, दूसरे वन्यजीवों तथा वन सम्पदा पर अब तक सबसे गम्भीर खतरा मंडरा रहा है। अत्यंत ही चिंताजनक यह स्थिति पीटीआर के वरिष्ठ अधिकारियों की हद दर्जे की उदासीनता, निकम्मेपन, निहित स्वार्थपूर्ति में डूबे होने के कारण निर्मित हुई।

शायद इसीलिए प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार और प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे.के. मोहंती ने सागौन कटाई मामले को गम्भीरता से लेते हुए पन्ना टाईगर रिजर्व (पीटीआर) के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही करने की बात कही है। पदीय दायित्व एवं कर्तव्य के निर्वहन में घोर लापरवाही बरतने के आरोपों से जूझ रहे पीटीआर के क्षेत्र संचालक, उप संचालक अपनी गर्दन पर कार्यवाही का शिकंजा कसने की ख़बरों से टेंशन में है। किसी भी तरह खुद को बचाने की जद्दोजहद में जुटे इन अधिकारियों ने सोमवार को सागौन लकड़ी के 619 पेड़ों की अवैध कटाई मामले में पन्ना बफर रेन्ज के रेन्जर गौरव नामदेव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस प्रकरण में सम्बंधित डिप्टी रेन्जर और वनरक्षक को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। फिलहाल पन्ना बफर रेन्ज का अतिरिक्त प्रभार गंगऊ अभ्यारण के रेन्जर अमर सिंह को सौंपा गया है।
बड़े अफसरों पर कब होगी कार्यवाही
खबर मिल रही है कि इसी प्रकरण में बहुत जल्द सहायक संचालक मड़ला प्रतिभा शुक्ला पर भी कार्यवाही की गाज गिर सकती है। दरअसल पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने पन्ना बफर रेन्ज की हरसा बीट के टपकनिया क्षेत्र में सागौन लकड़ी कटाई मामले की अपने स्तर पर जाँच कराकर जो रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल को भेजी है उसमें सहायक संचालक मड़ला प्रतिभा शुक्ला पर दायित्व के निर्वहन में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। वैसे भी वन बल प्रमुख जे. के. मोहंती पहले ही रेंजर और सहायक संचालक के विरुद्ध कार्यवाही करने का बयान दे चुके हैं। उधर, प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने इसी प्रकरण में पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक व उप संचालक के खिलाफ भी एक्शन लेने की बात कही है।
ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पन्ना टाईगर रिजर्व में कुप्रबंधन के चलते फैली अराजकता के लिए सीधे तौर जिम्मेदार बड़े अफसरों के विरुद्ध क्या कार्यवाही होती है। इनके खिलाफ भी इसी तर्ज पर सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी या फिर छोटे अधिकारियों-कर्मचरियों पर गाज गिराकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा। वन बल प्रमुख द्वारा इस संवेदनशील मामले की जाँच राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल प्रभारी को पन्ना भेजकर कराए जाने से इस बात की उम्मीद की जा रही है कि ऑफिस और बंगले तक सीमित रहने के कारण फील्ड की हकीकत से पूरी तरह बेखबर रहे बड़े अधिकारियों पर भी कार्यवाही का चाबुक चल सकता है।
शिकारी को छोड़ने वाले रेंजर पर मेहरबानी क्यों

पन्ना टाईगर रिजर्व की हरसा बीट के टपकनिया क्षेत्र में सागौन लकड़ी की सामूहिक अवैध कटाई मामले में जिस तरह सम्बंधित रेंजर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया उससे यह सवाल उठ रहा है कि रूपए लेकर जंगली सूअर के शिकारी को बगैर कार्यवाही के छोड़ने के प्रकरण में रैपुरा रेंजर देवेश गौतम पर मेहरबानी क्यों की गई। जबकि टाईगर स्ट्राइक फोर्स सतना की जाँच टीम ने उन्हें इस मामले में दोषी माना है। अभिरक्षा में लिए गए शिकारी को रुपए लेकर छोड़ना वैसे भी कहीं अधिक गम्भीर प्रकृति का अपराध है। पन्ना जिले के अलग-अलग वन मण्डलों से सम्बंधित इन दोनों मामलों पर गौर करने से एक ही अधिकारी द्वारा कार्यवाही में अपनाए गए दोहरे मापदण्डों का पता चलता है।
