रेत माफिया के गुर्गों की गुण्डागर्दी, ट्रक चालाक को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा

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पन्ना जिले के ग्राम जिगनी ग्राम में निजी भूमि पर खुलेआम संचालित रही अवैध रेत खदान में मशीनों से कराए गए रेत खनन कराया गया। (फाइल फोटो)
  • फर्जी टोकन थमाकर रेत की लोडिंग से किया इंकार, पुलिस थाना पहुंचा मामला

  •  खनिज मंत्री के गृह जिले और निर्वाचन क्षेत्र में खुलेआम जारी है रेत की लूट का खेल

  • राजधानी भोपाल से लेकर पन्ना तक शासन-प्रशासन, विपक्ष और मीडिया है मौन !

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रेत ठेका की आड़ में बहुमूल्य खनिज सम्पदा का अनियंत्रित दोहन कर रहे ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के गुर्गों की मनमानी और गुण्डागर्दी काफी बढ़ चुकी है। शासन-प्रशासन का प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से संरक्षण इन्हें प्राप्त होने से जिले के अजयगढ़ तहसील अंतर्गत केन नदी के पट्टी क्षेत्र में रेत ठेकेदार के गुर्गों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। रेत के अवैध उत्खनन-परिवहन एवं भण्डारण के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराकर उन्हें जेल भिजवाने के बाद इनका ताण्डव लगातार जारी है। स्वयं को कानून से ऊपर समझने वाले भाड़े के इन गुण्डों ने लोगों को आतंकित कर रखा है। ऐसा ही एक मामला शनिवार को प्रकाश में आया है। रेत माफिया के गुर्गे परविंदर सिंह सरदार पर एक ट्रक चालक ने बंधक बनाकर उसके साथ बड़ी ही बेरहमी से मारपीट करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
रेत माफिया के गुर्गे के द्वारा की गई मारपीट में घायल ट्रक चालक विमल सोनकर।
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के निवासी एवं पेशे से ट्रक चालक विमल सोनकर 35 वर्ष ने बताया कि शुक्रवार की शाम वह ट्रक क्रमांक- यूपी- 33 एटी- 8907 को लेकर रेत की लोडिंग करने के लिए बीरा स्थित डम्प पर आया था। जहां पर कई घण्टे के इंतजार के बाद बमुश्किल डम्प में तैनात कर्मचारियों के द्वारा उसका टोकन काटा गया। शनिवार 26 सितम्बर को तड़के जब उसके ट्रक में रेत लोडिंग का नम्बर आया तो टोकन को फर्जी बताकर रेत लोड करने से इंकार कर दिया। इस बात को लेकर कहासुनी होने पर परविंदर सिंह सरदार भड़क उठा। ट्रक चालक विमल पर फर्जी टोकन रखने का आरोप लगाते हुए परविंदर ने उसे ऑफिस में बंधक बनाकर बड़ी ही बेरहमी के साथ लात-घूंसों से पिटाई कर दी।
कथिततौर पर रेत ठकेदार के कर्मचारियों द्वारा ट्रक चालक विमल सोनकर को दिया गया टोकन।
इस घटना की शिकायत करने अजयगढ़ थाना पहुंचे ट्रक चालक विमल सोनकर ने स्थानीय मीडियाकर्मियों को अपने शरीर पर उभरे मारपीट के निशान दिखाते हुए बताया कि उसके चेहरे और कान में बार-बार पानी के छींटे डालकर उसे पीटा गया। ट्रक में रेत लोडिंग का टोकन जारी करने के लिए 36 हजार रुपए लिए गए लेकिन ईटीपी नहीं दिया गया।
फाइल फोटो।
थाना में शिकायत दर्ज कराने के दौरान ट्रक मालिक और रेत माफिया के कर्मचारी भी मौके पर मौजूद रहे। इन आरोपों के संबंध में जब रेत ठेकेदार के प्रतिनिधि से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बताया कि हमें जो कहना था वह हमने थाना प्रभारी को बता दिया है, मीडिया से बात करने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूँ। अजयगढ़ थाना प्रभारी एवं निरीक्षक अरविन्द कुजूर से जब इस मामले में की गई कार्रवाई के संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु सम्पर्क किया गया तो उनसे बात नहीं हो सकी। पुलिस के द्वारा घायल ट्रक चालक का मेडिकल परीक्षण कराये जीने की जानकारी मिली है। सूत्रों से पता चला है कि ट्रक चालक को शांत कराने के लिए रेत ठेकेदार के कर्मचारियों के द्वारा उल्टा उसी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
पन्ना जिले में नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए जारी है रेत की लूट का खेल।
उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रेत खदानों के समूह ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा को शासन-प्रशासन का खुला संरक्षण प्राप्त होने से वह रेत माफिया बन चुका है। फलस्वरूप जिले के अजयगढ़ तहसील क्षेत्र में नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए पिछले चार माह से बड़े पैमाने पर रेत की लूट का खेल चल रहा है। आपदा को अवसर में बदलते हुए ठेकेदार ने इन चार महीनों में रेत के अंधाधुंध दोहन का रिकार्ड कायम किया है। रेत ठेका की आड़ में खनन, पर्यावरण एवं अनुबंध शर्तों को ताक पर रखकर पन्ना जिले में खनिज सम्पदा की डकैती का हर दिन नया कीर्तिमान स्थापित किया जा रहा है। पन्ना जिले में रेत पहले भी लुटती रही है लेकिन कभी इतने वृहद पैमाने पर इस तरह खुलेआम नियम-शर्तों के उल्लंघन की छूट नहीं रही। लूट के खेल से लाभान्वित होने वाले जिम्मेदार समय-समय पर मशीनरी-वाहन जप्त कर और अवैध उत्खनन-परिवहन तथा भण्डारण के प्रकरण दर्ज करके कार्रवाई की औपचारिकतायें पूरी करते रहे हैं। लेकिन पिछले चार माह से पन्ना जिले में जो कुछ चल रहा है उसे देखकर तो यही लगता है कि ठेका के नाम पर रेत की लूट को अघोषित तौर पर वैधता मिल चुकी है।
शासन-प्रशासन की इस मेहरबानी पूरा लाभ उठाते वर्षाकाल में भण्डारण से रेत बिक्री की आड़ में रेत खनन का जारी है। अजयगढ़ के सीमावर्ती ग्राम रामनई, जिगनी, बरौली, चंदौरा, बीरा, भानपुर, मझगांय, बरकोला आदि में केन नदी किनारे स्थित खेतों को रेत खदानों में तब्दील कर दिया गया है। बिना स्वीकृति और वैधानिक अनुमति के निजी भूमि (खेतों) पर संचालित दर्जनों रेत खदानों से दैत्याकार मशीनों के जरिए रात-दिन रेत का खनन कराया जा रहा है। पूर्णतः अवैध तरीके से रेत खदानें संचालित करने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी भी की जा रही है। अजयगढ़ क्षेत्र से उत्तर प्रदेश व पन्ना एवं सतना के लिए प्रतिदिन रेत का परिवहन करने वाले 90 फीसदी से अधिक वाहन निर्धारित क्षमता से अधिक और बगैर ईटीपी के रेत की ढुलाई कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि, प्रदेश के खनिज संसाधन एवं श्रम विभाग के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के गृह जिले और निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत यह सब बड़े मजे से चल रहा है।
पन्ना जिले के खनिज अधिकारी आर. के. पाण्डेय।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार से बगैर ईटीपी के रेत की खरीदी करने पर वाहन मालिकों को रेत थोड़ी सस्ती मिल जाती है, जिसका परिवहन करने से वाहन मालिकों को प्रति चक्कर मोटी बचत होती है। बगैर पिटपास के सुविधाजनक तरीके से रेत का परिवहन करने के एवज में लोडिंग वाले स्थान से लेकर गंतव्य तक रास्ते में पड़ने वाले सभी पुलिस थानों-चौकियों, वनोपज जांच नाकों, संबंधित जिलों के यातायात थानों एवं आरटीओ कार्यालय में वाहन मालिक अथवा चालक को हर महीने समक्ष में उपस्थित होकर फीलगुड का एहसास कराना पड़ता है। बेहतर समन्वय और सहमति से चल रही रेत वाहनों की इंट्री वसूली से पन्ना जिले के तथाकथित पत्रकारों के ट्रेक्टरों को छूट प्राप्त है। इसके एवज में माइनिंग मीडिया “साहब” के गुणगान में गोदी मीडिया से भी चार कदम आगे रहता है।
वहीं रेत माफिया रसमीत के स्थानीय कर्मचारी अथवा पार्टनर पन्ना के उन पत्रकारों का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं जिनके पास रेत की ढुलाई के लिए ट्रेक्टर-ट्रॉली उपलब्ध नहीं है। माह जून 2020 से इनकी भी मासिक संतुष्टि का कार्यक्रम लगातार जारी है। कोरोना की आपदा में मल्होत्रा की मासिक मिठाई की खुराक पन्ना के अधिकांश पत्रकारों के लिए बड़ा सहारा बनीं है। रेत के अवैध कारोबार को लेकर सदैव चिंतित रहने वाले पत्रकारों पर मल्होत्रा की मिठाई ने ऐसा असर दिखाया है कि उनके जेहन से फिलहाल रेत शब्द ही गायब हो चुका है। हालांकि अपवाद स्वरूप कुछेक पत्रकार इस नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बने हुए हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष के कतिपय नेताओं-जनप्रतिनिधियों को भी रेत माफिया ने रोजगार मुहैया करा दिया है। रेत के अवैध खनन के कुछ प्वाइंट में पन्ना के नेताओं की हिस्सेदारी और इनके माध्यम से रेत खनन करने वाली मशीनरी को भी काम पर लगाया गया है। राजधानी भोपाल से लेकर पन्ना तक मल्होत्रा के मैनजमेंट के चलते रेत की लूट से प्रभावित अजयगढ़ क्षेत्र के वाशिंदों की शिकायतें हर जगह धूल खा रहीं हैं। परिणामस्वरूप तराई अंचल में रेत लूटपाट के खिलाफ बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है।