अच्छी खबर : पन्ना के तालाबों को भरेगा किलकिला फीडर, प्राचीन नहर को पुनर्जीवित करने शुरू हुआ बहुप्रतीक्षित खुदाई कार्य

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किलकिला फीडर नहर की खुदाई के लिए स्थल पर चूने की लाईन डलवाने का कार्य करवाते अधिकारीगण।

* नगर के तीन तालाबों लोपकपाल सागर, धरम सागर और सिंह सागर की बुझेगी प्यास

* पेयजल समस्या का होगा समाधान, किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगा पर्याप्त पानी

* किलकिला फीडर पुनर्जीवन के लिए भागीरथ बने पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल के संकट से जूझते पन्ना नगर के लोगों को इस समस्या से इस निजात दिलाने और आसपास के गांवों के किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में सार्थक प्रयास शुरू हो चुके हैं। इसके लिए किलकिला फीडर नहर को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार की गई है। यह नहर पन्ना के तीन बड़े तालाबों को वर्षा जल से भरने का काम करेगी। प्रथम चरण में नहर का सर्वेक्षण एवं सीमांकन कार्य पूरा किया जा चुका है। गुरुवार 5 दिसम्बर से नहर की खुदाई का बहुप्रतीक्षित कार्य भी शुरू हो गया है।
किलकिला फीडर नहर की खुदाई एवं जंगल सफाई का निरिक्षण करते जल संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारी।
मालूम होकि अल्प वर्षा होने की स्थिति में शहर के तालाब अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप भर नहीं पाते हैं जिससे गर्मियों के समय लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ता है। वहीं इस संकट के मद्देनजर पेयजल के लिए तालाबों का पानी आरक्षित किए जाने का खामियाजा पन्ना के समीपी गांवों के किसानों को भुगतना पड़ता है। खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने से इनकी फसलें प्रभावित होतीं है। लम्बे समय से इस समस्या से जूझ रहे किसानों में गहरा आक्रोश व असंतोष व्याप्त है। पेयजल और खेती के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कैसे हो ? पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने इसके लिए आमजन से सुझाव लिए थे। नगर में पेयजल की सप्लाई फिलहाल लोकपाल सागर, निरपत सागर और धरम सागर तालाब से होती है। पूर्व में लोकपाल सागर, धरम सागर व सिंह सागर तालाब को बारिश के मौसम में लबालब भरने के लिए किलकिला फीडर नहर का उपयोग होता रहा है।
विशाल झीलनुमा लोकपाल सागर तालाब अल्प जल भराव की स्थिति को दिखाता चित्र। फाइल फोटो
जल संसाधन विभाग के द्वारा वर्ष 1970 में बनाई गई इस नहर के माध्यम से बारिश का पानी इन तालाबों में पहुँचता था। फलस्वरूप अल्प वर्षा होने की स्थिति में भी तालाब आसानी से भर जाते थे। वर्ष 1984 तक यह व्यवस्था बेहतर तरीके से चलती रही। लेकिन बाद में नहर के दोनों किनारों पर तेजी से अतिक्रमण होने तथा पहाड़ किनारे स्थित होने के कारण नहर में बारिश के पानी के साथ पहाड़ों का मलबा बहकर आने से होने वाले पुराव के कारण इसका अस्तित्व ही मिटता चला गया। जल संसाधन विभाग और नगर पालिका परिषद के द्वारा बरती गई घोर उदासीनता का दुष्परिणाम यह हुआ कि किलकिला फीडर नहर के माध्यम से बारिश का पानी तालाबों तक पहुंचना पूरी तरह बंद हो गया। परिणामस्वरूप अल्प वर्षा होने की स्थिति में तीनों प्रमुख तालाब खाली रहते हैं। इसलिए गर्मी के मौसम में लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ता है।
पन्ना के तालाबों को भरने वाली किलकिला फीडर नहर का कुछ जगह वजूद शेष है जिसकी बदहाली को बयां करती तस्वीर।
ऐसी स्थिति में लोकपाल सागर तालाब का पानी पेयजल के लिए सुरक्षित किए जाने से किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। जिसका नुकसान उन्हें फसल बर्बाद होने अथवा उत्पादन प्रभावित होने के रूप में उठाना पड़ता है। क्षेत्रीय किसान इस समस्या के स्थाई समाधान की मांग को लेकर पूर्व में कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं। समस्या की गंभीरता को देखते हुए पन्ना कर्मवीर शर्मा ने नगरवासियों के सुझाव पर अमल करते हुए किलकिला फीडर को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। कलेक्टर के निर्देशानुसार सम्बंधित विभाग के अधिकारियों ने इस पर कार्य करना शुरू कर दिया है। नगर के धरम सागर एवं लोकपाल सागर तालाब में बरसात का पानी संचयन करने के लिए किलकिला फीडर नहर का कार्य प्रारंभ कराया जा रहा है। प्रथम चरण में सीमांकन कार्य पूर्ण करने के उपरांत कार्य प्रारंभ करने के लिए कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग पन्ना बी.एल. दादौरिया, तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी एवं नगरपालिका सीएमओ ओ. पी. दुबे के द्वारा खुदाई कार्य के लिए चूने की लाईन डलवाई गई। गुरुवार 5 दिसम्बर से नहर की खुदाई एवं साफ़-सफाई का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसकी शुरुआत पन्ना के काष्ठागार डिपो के समीप से की गई है।

बेहद चुनौतीपूर्ण है कार्य

किलकिला फीडर नहर का सर्वेक्षण कार्य करते हुए सर्वेयर जसवंत सिंह तोमर एवं उनकी टीम।
किलकिला फीडर को पुनर्जीवित कर पन्ना के तालाबोंको भरने की योजना का धरातल पर क्रियान्वयन आसान नहीं है। दरअसल इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा नहर के दोनों किनारों पर और बीचों-बीच में जबरदश्त अतिक्रमण होना है। शहरी क्षेत्र में नहर के किनारे-किनारे आबाद हुई झुग्गी बस्ती इसे पूरी तरह निगल चुकी है। यहां के कच्चे-पक्के अतिक्रमण को हटाना जिला प्रशासन के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। यह कार्य कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कई स्थानों पर नहर के बीचों-बीच विद्युत पोल खड़े है साथ ही पानी की पाइप लाइन निकली है। इनकी शिफ्टिंग करना और अतिक्रमण हटाने के पश्चात आवागमन के लिए नहर के दोनों किनारों को जोड़ने वाले रास्तों का निर्माण करना आसान नहीं होगा।
पन्ना के धरम सागर तालाब का गर्मी के मौसम में लिया गया चित्र।
अभी तो शहरी क्षेत्र में अधिकांश जगह नहर का पुराव होने से इसके दोनों तरफ रहने वाले लोगों ने अपनी सुविधनुसार आवागमन के लिए कई रास्ते बना रखे है। बाद में इन्हें सीमित करना काफी उलझन भरा काम साबित हो सकता है। इसके अलावा झुग्गी बस्ती के गंदे पानी को नहर में जाने से रोकने के लिए भी मशक्क्त करनी पड़ेगी। मगर अच्छी बात यह है कि जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर कर्मवीर शर्मा इस कार्य के लिए भागीरथ बनें है। उन्होंने किलकिला फीडर नहर को पुनर्जीवित कर इसके माध्यम से पन्ना के प्राचीन तालाबों को भरने का बीड़ा उठाया है। वर्षा जल के बेहतर उपयोग एवं जल संकट के समाधान से जुड़ी जिला प्रशासन की यह पहल सराहनीय है। पन्ना के नागरिकों का भी इसे पूर्ण समर्थन मिल रहा है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि आमजन सक्रिय सहयोग से इस पुनीत कार्य की राह में आने वाली समस्त बाधाएं दूर हो जाएँगी।

कई दशकों तक नहीं होगी किल्लत

लोकपाल सागर तालाब की सिंचाई क्षमता वैसे तो 520 हैक्टेयर है लेकिन पिछले कई सालों से तालाब में पूर्ण क्षमता तक जल भराव ना होने के कारण महज 220 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो इस तालाब की जल भराव क्षमता 6.20 मिलियन क्यूबिक मीटर है। लेकिन इस झीलनुमा विशाल तालाब को भरने वाली किलकिला फीडर नहर के वर्ष 1984 के बाद बंद होने के बाद यह तालाब अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं भर सका। शहर के नजदीक स्थित होने से लोकपाल सागर तालाब से पन्ना में पेयजल की आपूर्ति के लिए 01 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी आरक्षित रहता है। इसलिए अल्प वर्षा की स्थिति में तालाब में कम भराव होने से जहां पेयजल संकट से लोगों को जूझना पड़ता है वहीं किसानों को भी सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है।
बी.एल. दादौरिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग पन्ना।
इन विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग के दूरदर्शी तकनीकी अधिकारियों ने वर्ष 1970 में किलकिला फीडर नहर का निर्माण कराया था। ताकि अल्प बारिश में भी पन्ना के तीन तालाबों क्रमश: धरम सागर, सिंह सागर और लोकपाल सागर तालाब को लबालब भरा जा सके। लेकिन दुर्भाग्य से यह नहर महज डेढ़ दशक के अंदर ही बंद हो गई। इसके पश्चात तेजी से फैले अतिक्रमण के कारण इसका वजूद ही काफी हद तक मिट गया। जिसका दंश पन्ना के लोग और आसपास के गांवों के किसान जल संकट के रूप में झेल रहे हैं। बहरहाल कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की विशेष पहल के फलस्वरूप किलकिला फीडर नहर को पुनर्जीवित करने का बहुप्रतीक्षित कार्य शुरू होने से लोगों में आगामी कई दशकों तक के लिए पानी की किल्लत का समाधान होने की आस जाग उठी है।
किलकिला फीडर नहर की खुदाई की खुदाई करती जेसीबी मशीन।

फैक्ट फाइल –

किलकिला फीडर का जलग्रहण क्षेत्र – 7.75 वर्ग किलोमीटर

किलकिला फीडर नहर की लम्बाई – 6 किलोमीटर

लोकपाल सागर तालाब का निर्माण वर्ष – 1902

जल संसाधन विभाग ने नहर का निर्माण कराया वर्ष – 1970

नहर से तालाबों में पानी पहुंचना बंद हुआ वर्ष – 1984 से

लोकपाल सागर तालाब की भराव क्षमता – 6.20 मिलियन क्यूबिक मीटर

लोकपाल सागर तालाब की सिंचाई क्षमता – 520 हैक्टेयर लगभग

वर्तमान में हो रही कुल सिंचाई – 220 हैक्टेयर लगभग

लोकपाल सागर से पेयजल के आरक्षित पानी – 01 मिलियन क्यूबिक मीटर

इनका कहना है –

“किलकिला फीडर नहर को पुनर्जीवित करने के लिए सर्वे एवं सीमांकन का कार्य पूरा हो चुका है। इसकी विस्तृत कार्य योजना तैयार कर शासन को स्वीकृति हेतु भेजी जा रही है। इस नहर का निर्माण होने से लोकपाल सागर तालब से होने वाली सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा साथ ही पन्ना शहर के लिए पर्याप्त मात्रा में पेयजल भी उपलब्ध होगा।”

– बी.एल. दादौरिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग पन्ना।