उल्टी-दस्त से चार आदिवासी बच्चों की मौत, डेढ़ दर्जन बीमार व्यक्तियों को स्वास्थ्य केंद्र में कराया भर्ती

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सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पवई में भर्ती पटोरी गांव के बीमार व्यक्तियों का इलाज करती डॉक्टरों की टीम।

*      पन्ना जिले के पटोरी गांव में दूषित पानी और भोजन के उपयोग से बिगड़ी ग्रामीणों की हालत 

*      स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने घर-घर सर्वेक्षण कर वितरित की आवश्यक दवाएं

*      जल शुद्धिकरण के लिए पेयजल स्रोतों में ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरिन की दवा डलवाई

पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के अति पिछड़े पन्ना जिले में मौसमी बीमारियों का कहर बीते कुछ माह से लगातार जारी है। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पवई के नजदीकी गांव पटोरी की आदिवासी बस्ती में उल्टी-दस्त ने कोहराम मचाया है। बस्ती में तीन दिन के अंदर चार बच्चों ने उल्टी-दस्त के कारण दम तोड़ दिया। मृत बच्चों में तीन एक ही परिवार के है। जिनकी मौत बुधवार से लेकर गुरूवार के बीच महज़ कुछ घंटे के अंतराल में होने से जबरदस्त हड़कंप मचा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में घर-घर सर्वेक्षण कर करीब डेढ़ दर्जन बीमार व्यक्तियों को चिन्हित किया है, जिन्हें समुचित इलाज हेतु सीएचसी पवई में भर्ती कराया है। गंभीर रूप से बीमार 3 लोगों को बेहतर इलाज के लिए पन्ना जिला चिकित्सालय रेफर किया गया।
प्रभारी बीएमओ पवई डॉ. विवेक कुमार मेहोरिया ने पटोरी ग्राम की स्थिति पूरी अब तरह से नियंत्रण में होने का दावा किया है। आधा सैंकड़ा से भी कम घरों वाली आदिवासी बस्ती में एक ही माता-पिता के तीन बच्चों की अचानक मौत होने से खबर आने से हर कोई स्तब्ध है। कुछ लोग इस दुखद घटनाक्रम को डायरिया के प्रकोप के तौर पर देख रहे है तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कि फूड प्वाइजनिंग की आशंका जता रहे है। बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है। जिम्मेदार अधिकारी जांच उपरांत आधिकारिक तौर पर स्थिति स्पष्ट होने की बात कह रहे हैं।
गुरुवार को सुबह-सुबह पवई क्षेत्र के पटोरी ग्राम की आदिवासी बस्ती में कथित तौर पर उल्टी-दस्त से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत होने की दुखद खबर आते ही लोग हैरान रह गए। आनन-फानन पवई बीएमओ विवेक कुमार के नेतृत्व पटोरी पहुंची स्वास्थ्य विभाग की ब्लॉक स्तरीय टीम को शोक संतृप्त परिजनों से पता चला कि मृत बच्चों ने तरोई की बासी सब्जी खाई हुई थी। पीड़ित माता-पिता मुन्नीलाल आदिवासी और हल्की बाई ने बताया कि बुधवार दोपहर से लेकर गुरुवार रात्रि के बीच अचानक उनके तीनों बच्चों को हाथ-पैर एवं शरीर में तेज दर्द की शिकायत हुई। और फिर दो बच्चों को सिर्फ एक बार उल्टी दस्त हुए थे। बेवश और लाचार माता-पिता की आँखों के सामने असहनीय दर्द एवं पीड़ा से तड़पते तीनों बच्चों की महज चंद घंटे के अंतराल में रहस्मय तरीके से सांसें थम गईं। मृत बच्चों में सीमा 6 वर्ष, उपासना 8 वर्ष और अशोक आदिवासी 15 वर्ष शामिल हैं।
गरीब आदिवासी परिवार के एक साथ तीन चिराग़ बुझने से हर कोई स्तब्ध और दुखी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा आदिवासी बस्ती में घर-घर कराए गए सर्वेक्षण के दौरान तीन दिन पूर्व वहां अली आदिवासी के पुत्र अखलेश की मौत होने की भी जानकारी मिली है। कथित तौर पर अखिलेश आसपास के किसी नाले से मछली पकड़कर लाया था। जिसकी सब्जी खाने के बाद उसे उल्टी-दस्त की शिकायत हुई और फिर थोड़ी देर में उसकी मौत हो गई। वहीं गांव के कुछ लोगों का मानना है की बच्चों की मौत हैण्डपम्प का दूषित पानी पीने से हुई है।

बीमार व्यक्तियों का इलाज जारी

पन्ना के पटोरी गांव में उल्टी-दस्त फैलने से बीमार लोगों को उपचार हेतु एम्बुलेंस से पवई लाया गया।
पटोरी गांव की आदिवासी बस्ती में सर्वेक्षण के दौरान बीमार पाए गए 15 लोगों को स्वास्थ्य विभाग की ब्लॉक स्तरीय कॉम्बेट टीम के द्वारा एम्बुलेंस से पवई लाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है। जबकि गंभीर रूप से बीमार 3 व्यक्तियों को इलाज हेतु पन्ना जिला अस्पताल के लिए रेफर किया है। स्वास्थ्य केंद्र भर्ती कराए गए मरीजों में छोटे बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल है। सभी का इलाज जारी है और उनकी हालत में सुधार होना बताया गया है। बीएमओ पवई ने बताया कि बच्चों की मौत की दुखद घटना की जानकारी मिलने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसके त्रिपाठी ने पटोरी पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इसके पूर्व सीएमएचओ के निर्देश पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शैंकी अग्रवाल की अगुवाई में जिले से आई डॉक्टरों की टीम ने पटोरी के बीमार लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक उपचार प्रदान किया गया। बीमारी की रोकथाम के उद्देश्य से बस्ती के पेयजल स्रोतों के जल शुद्धिकरण हेतु ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन की दवा डलवाई गई। साथ ही कम बीमार लोगों को आवश्यक दवाएं वितरित की गईं। चार बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए मुन्नीलाल आदिवासी के घर से भोजन तथा गांव के जल स्रोतों पानी के सैंपल लेकर परीक्षण हेतु लैब भेजा जा रहा है।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल

विदित होकि महज पखवाड़े भर के अंदर जिले में कथित तौर पर उल्टी-दस्त के कारण अब तक छह लोग समय काल-कवलित हो चुके हैं। इसी अवधि में करीब आधा दर्जन गांवों में सैंकड़ा भर लोगों के बीमार होने की जानकारी भी सामने आई है। पवई के ताजा घटनाक्रम से पूर्व अजयगढ़ तहसील के धरमपुर क्षेत्र अंतर्गत हरनामपुर ग्राम पंचायत में उल्टी-दस्त से दो लोगों की मौत होने का मामला प्रकाश में आया था। जिले के ग्रामीण अंचल में मौसमी बीमारियों के प्रकोप की बड़ी वजह स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदहाल होना है। ग्रामीणों में जागरूकता के आभाव से भी बीमारियों को फैलने में मदद मिल रही है। ग्राम स्तर पर आशा कार्यकर्ता और उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर सीएचओ पदस्थ होने के बाद भी ग्रामीणों में बीमारियों से बचाव को लेकर जागरूकता का आभाव होने के साथ शासन की मंशानुरूप उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का आपेक्षित लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तब है जबकि हर साल ग्राम स्तर पर आशा कार्यकर्ता और उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए बजट उपलब्ध कराने के साथ जरुरी दवाएं प्रदान करने और प्रचार-प्रसार पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।