अजब-गजब : देश में DNA टेस्ट के आधार पर NRC लागू करने की माँग, CAA और NPR पर दर्ज कराया विरोध

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* DNA के जरिए बाहरी लोगों और देश के मूल निवासियों की होगी सही पहचान

* पुराने पैटर्न पर कराई जाए जनगणना में ओबीसी की पृथक से हो गणना

* पन्ना जिले के गुनौर क़स्बा में CAA और NPR के विरोध में नुककड़ सभा कर सौंपा ज्ञापन

पन्ना/गुनौर। (www.radarnews.in) देश भर में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर लोगों की राय बँटी हुई है। हर तरफ इनके समर्थन और विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। अंतर सिर्फ इतना है, इन ज्वलंत मुद्दों पर विरोध के स्वर काफी बुलंद हैं जबकि समर्थन के स्वर थोड़े मध्यम हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के तहसील मुख्यालय गुनौर में NRC को सशर्त समर्थन देते हुए विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने एक अजब-गजब मांग की है। राष्ट्रपति के नाम पर ज्ञापन सौंपते हुए इनके द्वारा देश भर में प्रस्तावित एनआरसी को डीएनए टेस्ट के आधार पर लागू करने की पुरजोर मांग की गई है। इस माँग के मद्देनजर एनआरसी को लेकर नई बहस छिड़ सकती है। ज्ञापन के माध्यम से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) पर विरोध दर्ज कराते हुए इसे वापिस लेने की मांग की है। इनका कहना है, देश में पूर्व की तरह जनगणना कराई जाए लेकिन उसमें अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना पृथक से हो।
जिले के तहसील मुख्यालय गुनौर में 29 जनवरी को सीएए व एनपीआर के विरोध स्वरूप एक नुक्कड़ सभा आयोजित हुई। जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत धर्म के आधार पर नागरिकता देने के प्रावधानों को देश के संविधान की मूल भावना के विपरीत बताते हुए इसे मोदी सरकार का विभाजनकारी कानून करार दिया गया। वक्ताओं ने अपने भाषण में कहा कि यह काला कानून है जोकि देश की धर्मनिरपेक्ष छवि पर चोट करता है। बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान और देश को इस कानून से बचाना बेहद जरुरी है, क्योंकि यह “आइडिया ऑफ़ इण्डिया” के खिलाफ है।
दलित नेता देवीदीन आशू ने कहा कि लगातार दो बार प्रचण्ड बहुमत प्राप्त कर सत्ता में आई केन्द्र की मोदी सरकार जनता से किए गए वादों को पूरा करने में अब तक पूर्णतः विफल साबित हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार अपनी इस नाकामी को छिपाने और असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर धार्मिक-साम्प्रदायिक एजेण्डे को चला रही है। इसके पीछे मकसद राजनैतिक एवं चुनावी लाभ के लिए ध्रुवीकरण करना है। युवाओं को रोजगार, महंगाई को काबू करना, अर्थव्यवस्था में सुधार, कामगारों-किसानों की बेहतरी, विदेशों में जमा काले धन को वापिस लाने से मोदी सरकार को अब कोई सरोकार नहीं है।
नुक्कड़ सभा में एडवोकेट आनंद पटेल ने भी मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की। इनका आरोप है कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों एवं फैसलों के कारण वैश्विक स्तर पर भारत की साख लगातार तेजी से गिर रही है। विभिन्न सर्वेक्षणों में भारत की रेटिंग गिरने से देश की साख पर बट्टा लग रहा है। लेकिन, अहंकार और आत्ममुग्धता में डूबी केन्द्र सरकार इस सच्चाई से आँख फेर रही है। श्री पटेल ने कहा कि इस कारण स्थिति में सुधार तो होने से रहा, उल्टा हालात कहीं अधिक चिंताजनक हो सकते है।

डीएनए टेस्ट इसलिए जरुरी

नवगठित आंबेडकराईट पार्टी ऑफ़ इण्डिया (एपीआई) मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष देशपाल पटेल ने अपने उद्बोधन में बताया कि डीएनए टेस्ट के आधार पर एनआरसी को लागू करने की माँग व्यवहारिक है इससे वास्तविक बाहरी व्यक्तियों की पहचान संभव हो सकेगी और वैज्ञानिक तौर यह प्रमाणित भी हो जाएगा कि भारत के मूल निवासी कौन हैं। श्री पटेल का दावा है कि अनेकों अध्ययनों एवं डीएनए टेस्ट से यह साबित हो चुका है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इस देश के मूल निवासी हैं। जबकि आर्य बाहर से भारत में आए थे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आज देश में जितने भी अल्पसंख्यक हैं उनके पूर्वज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से ही आते थे। कालान्तर में उन्होंने जाति एवं वर्ण व्यवस्था से बाहर आकर दूसरे धर्मों को स्वीकार कर लिया था। देशपाल पटेल ने कहा कि एनआरसी को लागू करने के पीछे सरकार का असल मकसद यदि वाकई बाहरी व्यक्तियों को देश से बाहर निकालना है तो फिर डीएनए टेस्ट इसमें काफी मददगार साबित हो सकता है। इसलिए एनआरसी को डीएनए टेस्ट के आधार पर लागू किया जाना चाहिए।