Homeबुंदेलखण्डपवित्र अग्नि में आहूति देकर 150 लोगों ने छोड़ा ‘नशा‘

पवित्र अग्नि में आहूति देकर 150 लोगों ने छोड़ा ‘नशा‘

खोरा ग्राम में 51 कुण्डीय महायज्ञ का हुआ भव्य समापन

पन्ना। रडार न्यूज नशे की लत जिनकी जिंदगी बन चुकी थी, वे एक झटके में इससे तौबा कर लेगें यह सोचना भी मुश्किल था, लेकिन हकीकत में ऐसा हुआ है। जिसके गवाह सैकड़ों लोग बने है। दरअसल अजयगढ़ विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम खोरा में आयोजित 51 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की पवित्र अग्नि में श्रृद्धापूर्वक आहूति देने के बाद 150 लोगों ने हमेशा के लिए सामाजिक बुराई रूपी नशे की लत को हमेशा के लिए छोड़ दिया। अच्छी बात यह है कि नशा छोड़ने वाले लोगों ने इसके दुष्परिणाम की जानकारी दूसरों को देकर उन्हें भी नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करने का संकल्प स्वप्रेरणा से लिया है। महायज्ञ के अंतिम दिन रविवार 20 मई को क्षेत्र के दर्जनभर ग्रामों के सैकड़ों लोगों ने सपरिवार इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर यज्ञ की वेदी में आहूति दी। इस अवसर पर ‘‘इदम् गायत्रीः इदम नमम्’’ का जाप करते हुए के साथ यज्ञ की पूर्णाहुती में लोगो ने शराब, बीडी, तम्बाकू, गुटखा, मांसाहार, त्यागने, गायत्री मंत्र का जप करने एवं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से पौधरोपण करने का वचन लिया।

सबकी भलाई के लिए की गई प्रार्थना-

                 इस बृहद दीप महायज्ञ में हजारों दीपक एक साथ प्रज्जवलित कर पृथ्वी से अंधकाररूपी बुराईयों को मिटाने का संदेश  दिया गया। धार्मिक अनुष्ठान में गायत्री परिवार के सदस्य एवं बुन्देलखण्ड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डाॅ. रामकृष्ण कुसमरिया सपरिवार सम्मलित हुए। उनके द्वारा क्षेत्र के बुजुर्गो का सम्मान किया गया। महायज्ञ के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शनिवार को प्रातःकाल योगासन का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही खोरा ग्राम को गायत्री परिवार का आदर्श ग्राम बनाने के लिए 10-10 युवाओं का चयन करते हुए प्रज्ञामण्डल का गठन किया गया है। जिन्हें शांतिकुंज हरिद्वारा में सम्मानपूर्वक अजीविका चलाने हेतु स्वरोजगार स्थापना के लिए विशेष प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। जिससे गांव के युवाओं को स्वावलम्बी बनने का अवसर प्राप्त होगा। महायज्ञ के समापन अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे अतिथि सूरत सिंह अमृते ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रतिदिन अपने घरों में बैलीवेश यज्ञ करना चाहिये जिसमें एक तांबे की प्लेट को गैस चूल्हें पर गुड़, घी और रोटी या चावल को पांच बार गायत्री मंत्र से छोटी छोटी आहुतियां देने से जल, अग्नि, वायु में पवित्रता आती है तथा घर में अध्यात्मिक वातावरण के साथ साथ भोजन प्रसाद बन जाता है। पूजा स्थलीय कलश में रखे जल से रोटी बनाकर खाने से साकारात्मक विचार आते है। अंत में ईश्वर से प्रार्थना की गई की सभी खुश रहे, निरोग रहे। यज्ञ के समापन में गांव के व्यक्तियों के साथ साथ रामधाम लोधी सरपंच खोरा द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार की टोली का सम्मान कर विदाई की गई।

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