जुआरी युवाओं का अर्धनग्‍न हालत में निकाला जुलूस

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प्रतीकात्‍मक फोटो

कोतवाली थाना पुलिस की कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवाल

पन्ना। रडार न्यूज राजनैतिक शून्यता वाले अतिपिछड़े पन्ना जिले में पुलिसिया अत्याचार और मनमानी सारी सीमाएं लांघ चुकी है। ताजा मामला जुआ खेलते पकड़े गये नवयुवकों का अर्धनग्न हालत में जुलूस निकालने का सामने आया है। सामान्य अपराध के आरोपियों के साथ बदमाशों और आदतन अपराधियों जैसा बर्ताव करने से कोतवाली थाना पन्ना पुलिस की तीखी आलोचना हो रही है। इस प्रचण्ड गर्मी में 45 डिग्री तापमान के बीच सिर्फ वर्दी के रौब की नुमाइश करने के लिये नवागत टीआई अरविंद कुजूर और उनकी टीम ने जुआ खेलने के आरोपी युवकों का आपत्तिजनक स्थिति में जुलूस निकाल कर जाने-अनजाने मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है। यह घटनाक्रम रविवार दोपहर करीब 3 बजे का है। जब अपने ही कपड़ों से एक साथ बंधे युवकों को लेकर चल रही पुलिस टीम को जिसने भी देखा वह अचरज में पड़ गया। कुछ समय बाद लोगों को जब यह पता चला कि पकड़े गये युवक कोई शातिर अपराधी नहीं, उन्हें महज जुआ खेलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, तो लोग पुलिस की इस कार्रवाही की निंदा करने से खुद को रोक नहीं पाये।
            दरअसल पहली बार जुआ खेलते पकड़े गये युवकों के साथ पुलिस का इस तरह पेश आना आम लोगों रास नहीं आया। उल्लेखनीय है कि रविवार को पन्ना के बेनीसागर मोहल्ला में बस स्टेण्ड जाने वाले मार्ग पर स्थित उलटी मुरलीवाले मंदिर के पास जुआ का फड़ जमे होने की सूचना पुलिस को मिली थी। जिसे गंभीरता से लेते हुए कोतवाली थाना के नवागत टीआई अरविंद कुजूर ने दलबल के साथ दबिश देते हुए घेराबंदी कर 6 युवकों को कथिततौर पर जुआ खेलते रंगे हांथ गिरफ्तार कर लिया। जबकि कुछ युवक भाग निकलने में सफल रहे। इस मामले में पकड़े गये आरोपियों में आशीष चैरसिया पिता गोविंद प्रसाद चैरसिया 26 वर्ष, प्रदीप राय पिता प्रीतम राय 18 वर्ष, नवीन कुमार तिवारी पिता सोमदत्त तिवारी 25 वर्ष, गौरव रैकवार पिता किशोर रैकवार 20 वर्ष, सोनू सिंह पिता दशरथ सिंह लोधी एवं रोहित सिंह महदेले पिता लखन सिंह महदेले 21 वर्ष शामिल हैं। पुलिस ने इनसे 6 हजार 200 रूपये और तांश की गड्डी जप्त की है।
           महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त सभी युवकों को बेहद ही अमानवीय तरीके से अर्धनग्न हालत में उनके ही कपड़ों से पीछे हांथ बांधकर एक साथ जुलूस की शक्ल में कोतवाली ले जाया गया। इनके आगे-पीछे कोतवाली थाना प्रभारी व पुलिसकर्मी और सबसे पीछे पुलिस का वाहन चल रहा था। सर्वविदित है कि जुआ जमानती अपराध है, जिसमें मुचलके पर जमानत का प्रावधान है। बावजूद इसके कोतवाली पुलिस ने पकड़े गये युवकों को पुनः प्रताड़ित करते हुए उन्हें थाना के लाॅकप के अंदर बंद कर दिया। महज 20-25 वर्ष की आयु वाले नवयुवकों के साथ पुलिस का यह बर्ताव उनके सुधार की दिशा में न होकर उन्हें अपराधी की तरह प्रस्तुत करने वाला माना जा रहा है। इस घटनाक्रम के मद्देनजर पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों के बीच तीखी प्रतिक्रिया सुनाई दे रही है।
इनका कहना है…..
  • नवयुवकों को अर्धनग्न करके उनका अपराधियों की तरह जुलूस निकालना घोर अमानवीय और आपत्तिजनक है। जुआ खेलने के आरोप में पकड़े गये युवकों को इस तरह कोतवाली ले जाकर पुलिस ने खुद भी अपराध किया है। यह मामला मानव अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। आयोग मित्र होने के नाते मानव अधिकार आयोग के संज्ञान में पुलिस के इस अत्याचार को लाया जायेगा। जुआ जैसे मामलों में नवयुवकों के पकड़े जाने पर पुलिस को सुधारात्मक कार्यवाही करनी चाहिये, लेकिन इस तरह सजा देना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
  • सुदीप श्रीवास्तव, आयोग मित्र, मानव अधिकार आयोग।
  • जुआ खेलना सामान्य अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें स्वयं के मुचलके पर थाना से ही जमानत का प्रावधान है। पुलिस से ऐसी उम्मीद की जाती है, कि वह अपराधियों के साथ सख्ती से पेश आये और सामान्य मामलों में उसका व्यवहार लचीला हो। महज जुआ खेलने के आरोपी नवयुवकों का अर्धनग्न हालत में जुलूस निकालना मानव अधिकारों के उल्लंघन के साथ साथ मानहानि के दायरे में आता है। पुलिस का यह कृत्य घोर निंदनीय है।
  • देवेन्द्र खरे, एडवोकेट पन्ना
  • जुलूस निकालने जैसा कोई मामला नहीं है, लड़के पेड़ के नीचे कपड़े उतार कर बैठे जुआ खेल रहे थे, उन्हें उसी हालत में कोतवाली लाया गया। बेशक जुआ कोई बड़ा अपराध नहीं है, लेकिन जुआ में रकम हारने के बाद कल यही लकड़े चोर बनकर किसी के यहां चोरी करते तो क्या होता।
  • अरविंद कुजूर, थाना प्रभारी कोतवाली पन्ना।

 

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