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वनरक्षक के कैम्प पास मिला बाघ का कंकाल, पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की निगरानी और सुरक्षा पर उठे सवाल

* टाईगर की मौत का 15-20 दिन बाद चला पता

* पन्ना टाईगर रिजर्व की पन्ना कोर रेन्ज अंतर्गत रमपुरा बीट की घटना

* क्षेत्र को लेकर बाघों के बीच आपसी संघर्ष में मौत होने की संभावना

* रमपुरा बीट अंतर्गत करीब 6 माह पूर्व पकड़े गए थे मछलियों के शिकारी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में वनरक्षक के कैम्प के समीप झाड़ियों में बाघ का कंकाल मिला है। नव वर्ष के आगाज से महज कुछ घण्टे पहले आई इस बुरी खबर से पार्क प्रबंधन में हड़कम्प मचा है। पन्ना कोर रेन्ज की रमपुरा बीट के कक्ष क्रमाँक- 1355 में शनिवार 31 दिसम्बर की सुबह मिला अज्ञात बाघ का कंकाल करीब 15-20 पुराना बताया गया है। बाघ की मौत कब, कैसे व किन परिस्थितियों में हुई, फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो सका है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि क्षेत्र के लिये हुये आपसी संघर्ष में बाघ की मौत हुई होगी। पार्क प्रबंधन की आशंका को यदि सच मान भी लिया जाए तब भी वनरक्षक के कैम्प के नजदीक हुई इस घटना का पता इतनी अधिक देरी से चलना पार्क के कोर एरिया में बाघों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था की अत्यंत ही लचर स्थिति को उजागर करता है।
करीब 2 वर्ष पूर्व पार्क के कोर क्षेत्र में ही रेडियो कॉलर वाली एक युवा बाघिन का शिकार हुआ था। इसकी भनक भी काफी देर से लगी थी। इन दोनों घटनाओं पर गौर करने से पता चलता है, पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में ही बाघों की निगरानी सही तरीके से नहीं हो रही है और वे इस कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में ही महफूज नहीं हैं। इन हालात पार्क के बफर क्षेत्र एवं इससे सटे सामान्य वन क्षेत्रों में विचरण करने वाले बाघ कितने सुरक्षित होंगे इसका स्वतः ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसी गेट से होकर जाता है ग्राम रमपुरा का रास्ता, जहाँ बाघ का कंकाल मिला।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट रमपुरा कक्ष क्रमाँक- 1355 में गश्त के दौरान जमुनहाई तलैया के पास लेन्टाना की झाडिय़ों में बाघ का कंकाल पाया गया है। सूचना प्राप्त होते ही परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व तथा क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया मौके पर पहुँचे। डॉग स्क्वाड को मौके पर बुलाकर सॄचग करवाई गई। पार्क प्रबन्धन के मुताबिक मौके पर अवैध गतिविधि के कोई चिह्न नहीं पाये गये। बताया गया है कि यह वन क्षेत्र बाघ पी-111 का इलाका है, यहां लम्बे समय से इस बाघ की मौजूदगी देखी गई है। जहां बाघ का कंकाल मिला है उसके आस-पास ताजे पगमार्क भी पाये गये हैं।
पार्क के आला अधिकारियों द्वारा मौके पर उपस्थित वनकर्मियों से पूछताछ की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि इस क्षेत्र में बाघिन टी-2 के शावक पी-261, पी-262 एवं पी-263 विचरण करते थे। इन तीनों शावकों की आयु लगभग 3 से 4 वर्ष के आस-पास थी, जो जवानी की दहलीज पर थे और अपनी टेरिटरी बनाने के लिये अनुकूल वन क्षेत्र की तलाश कर रहे थे। इन तीनों ही बाघ शावकों को रेडियो कॉलर नहीं पहनाया गया था, फलस्वरूप उनके मूवमेन्ट की जानकारी वन अमले को नहीं हो पाती थी। क्षेत्र संचालक द्वारा वनकर्मियों से चर्चा के उपरान्त यह संभावना व्यक्त की गई है कि अपनी टेरीटोरी बनाने के चक्कर में बाघ पी-111 से हुये आपसी संघर्ष में उक्त बाघ की मृत्यु हुई होगी। मृत बाघ टी-2 की छठवीं लिटर की तीन सन्तानों में से कोई एक प्रतीत होता है।

सैम्पल लेकर जलाया कंकाल

पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि मौके पर बाघ के सभी अवयव केनाइन, नाखून व हड्डी पाई गई हैं। आपने यह भी बताया कि मौत होने की घटना लगभग 15-20 दिन पुरानी प्रतीत होती है। मृत बाघ की बॉडी पोस्टमार्टम योग्य न होने से वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा मात्र परीक्षण किया गया तथा सेम्पल एकत्रित किये गये। मृत बाघ के कंकाल का परीक्षण करने के उपरान्त क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया, उप संचालक, वन्य प्राणी चिकित्सक, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, प्रतिनिधि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं अन्य स्टाफ की उपस्थिति में जब्त किए गए बाघ के कंकाल को जलाकर नष्ट कर दिया गया है।

मैदानी अमला और अफसर बेपरवाह !

ग्राम रमपुरा में स्थित वनरक्षक नाका सह आवास के समीप मिला बाघ का कंकाल।
अज्ञात बाघ का कंकाल जिस स्थान पर मिला है वह जंगल के अंदर स्थित रमपुरा ग्राम से बमुश्किल एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में ही रमपुरा बीट के वनरक्षक का कैम्प (आवास) स्थित है। गौर करने वाली बात है, बीटगार्ड आवास के इतने करीब बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के 15-20 दिन तक यदि वनकर्मियों व अधिकारियों को इसकी भनक न लगे तो मामला बेहद गंभीर और चिन्ताजनक हो जाता है। क्योंकि, करीब 6 माह पूर्व रमपुरा बीट अंतर्गत ही रमपुरा तालाब के पानी में कथित तौर पर अज्ञात अपराधियों द्वारा जहर घोलने के कारण बड़े पैमाने पर मछलियां मरीं थीं। रात के अंधेरे में कुछ शिकारियों को मृत मछलियों को अवैध तरीके से पकड़ते हुए वनकर्मियों द्वारा मौके से गिरफ्तार किया गया था। इस तालाब का पानी इलाके में विचरण करने वाले बाघ सहित दूसरे वन्य प्राणी पीते हैं। रमपुरा क्षेत्र में सशस्त शिकारियों की घुसपैठ की हैरान करने वाली घटना के बाबजूद मैदानी वन अमले एवं पार्क के कथित जिम्मेदार अधिकारियों ने निगरानी तंत्र को मजबूत बंनाने और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। इलाके में बाघ का कंकाल मिलने का सनसनीखेज ताजा मामला इस बात का प्रमाण है।

उजड़ सकता है बाघों का संसार

सांकेतिक फोटो।
पार्क प्रबंधन द्वारा बाघों की सुरक्षा को लेकर हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है। यह सब ऐसे समय पर हो रहा है जबकि पन्ना जिले में वन्यजीवों के शिकार एवं वन क्षेत्रों में अवैध कटाई की घटनाएं चिंताजनक तेजी से बढ़ रहीं है। विगत 2 वर्ष से पन्ना टाईगर रिजर्व के आस-पास बफर जोन व इससे सटे सामान्य वन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों के शिकार के कई मामले प्रकाश में आये हैं। जिनमें करीब एक दर्जन तेंदुओं के शिकार की घटनायें भी शामिल हैं। पन्ना जिले के जंगलों में लम्बे समय से सक्रिय शिकारी गिरोहों एवं वन्य जीव तस्करों ने यहाँ चप्पे-चप्पे पर अपना जाल बिछा रखा है। परिणामस्वरूप शिकार की लगातार घटित हो रही घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुये पार्क प्रबंधन को अपने निगरानी तंत्र को मजबूत व चौकस रखना चाहिए। लेकिन धरातल पर हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं। इसी तरह की लापरवाही और अनदेखी के चलते 10 वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन हुआ था, जिसे करोड़ों रुपए खर्च कर अथक श्रम से पुनः आबाद किया गया। जानकारों का मानना है, बाघों की सुरक्षा को लेकर यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो पन्ना टाईगर रिजर्व के एक बार फिर बाघ विहीन होने का खतरा बढ़ सकता है।
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