* कमिश्नर सागर संभाग के विवादित फैसले पर उठ रहे सवाल
* एसडीओ बीडी कोरी पर पिछले कार्यकाल में भ्रष्टाचार करने के लगे थे गंभीर आरोप
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) सूबे में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पूरी तरह से मज़ाक बन चुकी है। स्थिति यह है कि, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे कई अफसर मोहन राज में मजे कर रहे हैं। पन्ना जिले के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (RES) संभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री भगवान दास कोरी (बीडी कोरी) का मामला इसका एक उदाहरण मात्र है। जिले के शाहनगर विकासखंड में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी (SDO) आरईएस कोरी को कुछ समय पूर्व दूसरी बार ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग पन्ना का प्रभारी कार्यपालन यंत्री तब बनाया गया, जबकि इन पर अपने पहले कार्यकाल में भ्रष्टाचार करने के कई गंभीर आरोप हैं। जिसकी जांच पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन सागर द्वारा की जा रही है। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे एसडीओ को कमिश्नर सागर संभाग द्वारा पुनः कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौंपने के निर्णय पर कई सवाल उठ रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि दागी अफसर को डिवीजन के प्रभार से उपकृत करने के चक्कर में वरिष्ठता संबंधी नियमों को भी जानबूझकर पूरी तरह नजर अंदाज किया गया।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के एसडीओ भगवान दास कोरी (बीडी कोरी) विगत 10 वर्षों से पन्ना जिले में पदस्थ हैं। इन्हें पिछले साल 30 सितंबर 2024 को आयुक्त सागर संभाग के आदेश पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग जिला पन्ना के कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौंपा गया। इसके पहले भी एसडीओ कोरी 11 जनवरी 2023 से 12 मार्च 2024 तक आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री के रुप में कार्य कर चुके हैं। पहले कार्यकाल के दौरान कोरी साहब पर पद का दुरूपयोग करते व्यापक अनियमितताएं करने के कई गंभीर आरोप लगे थे। जिनमें मुख्य रूप से वाहनों के भुगतान में वित्तीय गड़बड़ी करते हुए शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को मनमाने तरीके से स्थाई कर्मी बनाने, लगभग 3 करोड़ की लागत के 4 निर्माण कार्यों का अनुबंध ठेकेदारों के दस्तावेजों की छानबीन किए बगैर निष्पादित करने एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों की मरम्मत में गड़बड़ी करना शामिल है।
विदित हो कि इन सभी मामलों पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग पन्ना के संभागीय लेखा अधिकारी (DA) आनंद दयाल द्वारा शासन के नियम-निर्देशों का हवाला देते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है। कई महीनों से सरकारी फाइलों में कैद कथित अनियमितताओं की भनक लगने पर एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा एसडीओ कोरी साहब के कथित कारनामों (भ्रष्टाचार) का कच्चा चिठ्ठा (शिकायत) पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन सागर को सौंप दिया। जिसकी जांच वर्तमान में लोकायुक्त संगठन द्वार की जा रही है। इस बीच लगभग तीन माह पूर्व 30 सितंबर 2024 को आरईएस पन्ना के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री बीएस यादव के सेवानिवृत्त होने पर कमिश्नर (आयुक्त) सागर संभाग के आदेश पर भगवानदास कोरी अनुविभागीय अधिकारी आरईएस शाहनगर, जिला पन्ना को पुनः कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौंपा गया।
कमिश्नर के निर्णय पर उठ रहे सवाल
बीडी कोरी, प्रभारी कार्यपालन यंत्री, आरईएस पन्ना।
अपने पहले कार्यकाल किये गए घपले-घोटालों के चलते लोकायुक्त जांच का सामना कर रहे भगवान दास कोरी एसडीओ आरईएस शाहनगर को दूसरी बार कार्यपालन यंत्री आरईएस पन्ना का प्रभार सौंपने के निर्णय पर जानकार कई सवाल खड़े कर रहे हैं। क्योंकि अभी तक कोरी साहब को अनियमितताओं के आरोपों पर जांच एजेंसी से किसी तरह की कोई क्लीनचिट भी नहीं मिली है। प्रशासनिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि एसडीओ कोरी पर कमिश्नर साहब ने जांच के दौरान कृपा करने का विवादित निर्णय आखिर क्यों लिया? क्या यह फैसला किसी जनप्रतिनिधि की सिफारिश पर या फिर किसी दबाव में लिया गया? यहां सबसे अहम सवाल तो यह है कि, दाग़ी एसडीओ को कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौंपने के आदेश पर कमिश्नर साहब ने जब हस्ताक्षर किए थे तब उन्हें क्या इस सबकी जानकारी थी या फिर उनकी अनभिज्ञता का अनुचित लाभ मातहत अफसरों द्वारा उठाया गया है? प्रभार सौंपने संबंधी आदेश की नोटशीट प्रस्तुत करने वाले अधिकारी ने क्या जानबूझकर निहित स्वार्थपूर्ति के चक्कर कमिश्नर सागर से विवादित आदेश पर हस्ताक्षर करवा लिए या फिर एसडीओ कोरी का मामला उनके भी संज्ञान में नहीं था?
यहां गौर करने वाली बात यह है कि साल भर से अधिक समय से इस मामले में लगातार पत्रचार चल रहा है और सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री बीएस यादव के कार्यकाल के दौरान एसडीओ कोरी के कथित घपलों-घोटालों की जांच हेतु लोकायुक्त संगठन ने आवश्यक विभागीय रिकार्ड (दस्तावेज़) तलब किए थे साथ ही कुछ पन्ना के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजकर बुलाया था। इन तथ्यों पर गौर करने के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि आरईएस के अधीक्षण यंत्री कार्यालय सागर से लेकर मुख्य अभियंता जबलपुर और प्रमुख अभियंता कार्यालय भोपाल को बीडी कोरी के मामले की जानकारी न हो ऐसा संभव ही नहीं है। सवाल और भी लेकिन फिलहाल वे सभी अनुत्तरित हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कमिश्नर सागर संभाग क्या इन सवालों के जवाब देते हैं, क्या वे अपनी गलती में सुधार करते हैं और इस मामले में उनके द्वारा अपने मातहत अफसरों के विरुद्ध क्या एक्शन लिया जाता है।
वरिष्ठता को भी ताक पर रखा
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अनुविभागीय अधिकारी आरईएस शाहनगर बीडी कोरी को दूसरी बार कार्यपालन यंत्री आरईएस पन्ना का प्रभार सौंपने में न सिर्फ शासन के निर्देशों, प्रशासनिक नैतिकता, सुचिता के मानदंडों को पूरी तरह खारिज किया गया बल्कि वरिष्ठता के प्रावधान की भी जानबूझकर उपेक्षा की गई है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो जनपद पंचायत गुनौर में पदस्थ सहायक यंत्री बीबी गुप्ता शाहनगर एसडीओ/सहायक यंत्री कोरी से वरिष्ठ हैं। इसलिए कार्यपालन यंत्री का प्रभार नियमानुसार वरिष्ठ सहायक यंत्री को सौंपा जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बता दें कि आरईएस के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी गुप्ता के मामले पर अक्सर ही लोगों को गुमराह करते रहते हैं। शायद प्रभार के मामले भी यही सब किया गया है। दरअसल कुछ वर्ष पूर्व शासन ने बीबी गुप्ता का सहायक यंत्री पद से डिमोशन करके उपयंत्री बना दिया था। इसके विरुद्ध गुप्ता ने उच्च न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने गुप्ता को राहत देते हुए सहायक यंत्री के पद पर बरक़रार रखने का आदेश दिया था। न्यायलय के आदेश पर अमल हुए काफी समय गुजर चुका है। लेकिन जब भी आरईएस पन्ना के कार्यपालन यंत्री का प्रभार देने की बात आती है तो कतिपय वरिष्ठ अधिकारी गुप्ता जी का शासन के द्वारा डिमोशन करने की आधी-अधूरी जानकारी देकर गुमराह करने का काम करते हैं।
पुनः प्रभार सौंपने से क्या जांच पर पड़ेगा असर
अनुविभागीय अधिकारी (SDO) आरईएस शाहनगर बीडी कोरी को महज छह माह के अंतराल में दूसरी बार कार्यपालन यंत्री पन्ना का प्रभार सौंपने पर उठ रहे सवालों के बीच यह आशंका भी जताई जा रही है कि इस निर्णय का असर लोकायुक्त पुलिस की जांच पर भी पड़ सकता है। दरअसल कोरी पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री के तौर पर पहले कार्यकाल में गंभीर अनियमितताएं करने के आरोप लगने और वर्तमान में उनकी जांच जारी होने के बीच पुनः उन्हीं को कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौपने का फैसला न सिर्फ पूरी तरह से अनुचित है बल्कि काफी हैरान करने वाला है। जानकारों का मानना है कि इस अवसर का लाभ उठाकर श्री कोरी अपने ऊपर लगे भष्टाचार के आरोपों से संबंधित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त पुलिस सागर ने अनियमितताओं से संबंधित कुछ दस्तावेज तो तलब कर लिए थे लेकिन अभी भी कई महत्वपूर्ण फाइलें पन्ना कार्यालय में ही उपलब्ध है।
इनका कहना है-
“लोकायुक्त पुलिस से मेरे खिलाफ की गई शिकायत पूर्णतः असत्य, आधारहीन और मिथ्या है। मैनें किसी तरह की कोई अनियमितता नहीं की है, लोकायुक्त की जांच से भी यह बात साबित हो जाएगी। मैं पिछले दस साल से पन्ना जिले में पदस्थ हूं, मुझे वर्तमान में कार्यपालन यंत्री का प्रभार कमिश्नर सागर संभाग के आदेश पर मिला है।”
भगवान दास कोरी, प्रभारी कार्यपालन यंत्री, आरईएस जिला पन्ना।
“प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरईएस पन्ना भगवान दास कोरी के विरुद्ध अनियमितताओं से संबंधित शिकायत की जांच जारी है। प्रत्येक जांच की समयसीमा रहती है जिसमें आवश्यकतानुसार समय वृद्धि भी की जाती है। पूर्व कार्यपालन पन्ना बीएस यादव के कार्यकाल के दौरान ही अनियमितताओं से संबंधित फाइलें आरईएस पन्ना से तलब कर ली गईं थी। उक्त मामले की जांच दो माह के अंदर पूर्ण कर ली जायेगी, जांच में अनियमितता संबंधी आरोप यदि सिद्ध पाए जाते हैं तो संबंधित पर सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी।”
अभिषेक वर्मा, निरीक्षक, लोकायुक्त संगठन, सागर।
“भगवान दास कोरी को दूसरी बार आरईएस पन्ना के कार्यपालन यंत्री का प्रभार सौंपने के दौरान मुझे यह जानकारी नहीं थी कि लोकायुक्त पुलिस के द्वारा उनके पहले कार्यकाल से संबंधित अनियमितताओं की जांच की जा रही है। सहायक यंत्री बीबी गुप्ता वरिष्ठ तो है लेकिन शासन ने उनका डिमोशन उपयंत्री के पद पर कर दिया था। गुप्ता जी का प्रकरण न्यायलय में चल रहा है इसलिए उन्हें प्रभार सौंपने की अनुशंसा नहीं की गई। भगवान दास के मामले से कमिश्नर सर के अवगत कराया जाएगा, क्योंकि निर्णय उन्हीं को लेना।”
महेन्द्र सिंह ठाकुर, अधीक्षण यंत्री, आरईएस, सागर।
“मैं अभी वीडियो कांफ्रेसिंग में हूं, इसके बाद पता करता हूं आरईएस पन्ना के प्रभार का क्या मामला है।”
वीरेन्द्र सिंह रावत, आयुक्त संभाग सागर (मध्य प्रदेश)