जंगल में मिला मादा तेंदुआ का शव, गर्दन की हड्डी टूटी और शरीर पर दांतों के हैं निशान

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सांकेतिक फोटो।

* उत्तर वन मण्डल पन्ना की विश्रामगंज रेन्ज अंतर्गत कौआ सेहा बीट की घटना

* बाघ या फिर किसी तेंदुए के साथ संघर्ष में दो दिन पूर्व मौत होने की संभावना

पन्ना। (www.radarnews.in) जिले के उत्तर वन मण्डल की विश्रामगंज रेन्ज अंतर्गत कौआ सेहा बीट से एक मादा तेंदुआ का शव बरामद हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मादा तेंदुआ की मौत आपसी संघर्ष में होने की संभावना जताई जा रही है। उसके सभी अंग सुरक्षित होने का दावा किया गया है। शव करीब दो दिन पुराना है। पन्ना टाईगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के द्वारा शव का पोस्टमार्टम किया गया। इसके पश्चात शव को जंगल में ही जला दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि मादा तेंदुआ की मौत किसी बाघ या फिर तेंदुआ के साथ ही संघर्ष में हुई है। मंगलवार 27 अगस्त को दोपहर के समय वन विभाग के अधिकारियों को जंगल में एक तेंदुआ मृत अवस्था में पड़ा होने की सूचना मिली। मौके पर पहुँचकर देखा तो पन्ना के समीप कौआ सेहा बीट के वन कक्ष क्रमांक पी-316 में मादा तेंदुआ का शव बरामद हुआ।
उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ नरेश सिंह यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि मृत तेंदुआ की उम्र तकरीबन 3 वर्ष है। उसकी गर्दन की हड्डी टूटी पाई गई और गले के आसपास दांतों के निशान मिले है। मृत मादा तेंदुआ के सभी अंग पूर्णतः सुरक्षित पाए गए। इसके मद्देनजर डीएफओ श्री यादव ने किसी बाघ या तेंदुए के साथ संघर्ष में उसकी मौत होने की संभावना व्यक्त की है। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि मादा तेंदुआ की मौत तकरीबन 30 से 48 घण्टे पूर्व हुई है। शाम के समय तेंदुए के शव का का पोस्टमार्टम होने के पश्चात उसे जंगल में ही जला दिया गया। इस दौरान विश्रामगंज वन परिक्षेत्र के रेंजर महेन्द्र सिंह धाकड़ सहित वनकर्मी उपस्थित रहे।

तादाद बढ़ने के साथ बढ़ा आपसी संघर्ष

Daily mail (सांकेतिक फोटो)
पन्ना टाईगर रिजर्व में वर्ष 2009 में बाघ पुनर्स्थापना योजना लागू होने के बाद यहां बाघों का उजड़ा हुआ संसार तो पुनः आबाद हुआ ही है, इस योजना की ऐतिहासिक सफलता के फलस्वरूप पन्ना में बाघों के कुनबे की तेजी से बढ़ती तादाद नए रिकार्ड भी कायम कर रही है। पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ के साथ-साथ दूसरे वन्यजीवों के बेहतर के संरक्षण-संवर्धन के फलस्वरूप तेंदुओं तथा शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में भी सतत इजाफा हो रहा है। परिणामस्वरूप अब यहां बाघों-तेंदुओं के बीच अच्छे क्षेत्रों में कब्जे, शिकार एवं मादाओं को लेकर संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। जानकारों के अनुसार वन्यजीवों के बीच होने वाला संघर्ष इतना खतरनाक और भयावह होता है कि इसमें कई बार किसी एक जान तक चली जाती है।