पन्ना टाइगर रिजर्व में सक्रिय है सागौन माफिया, जांच में अवैध कटाई का खुलासा

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पन्ना टाइगर रिजर्व की पन्ना बफर रेंज अंतर्गत अजयगढ़ बीट में अवैध कटाई की जांच करते हुए राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल के सदस्य।

राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल ने पन्ना बफर रेंज जंगल में की अवैध कटाई की जांच

अजयगढ़ बीट के दो कम्पार्टमेंट की दो दिन चली जांच में मिले सागौन के 24 ठूंठ

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व पिछले कुछ समय से गलत कारणों की वजह से चर्चा में बना है। कुछ समय पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया (प्रतिबंधित क्षेत्र) में चारा लेने गई वृद्ध महिला पर टाइगर फैमिली द्वारा हमलाकर शव के कई अंगों को अपना निवाला बनाने की खौफनाक घटना सामने आई थी। हाल ही में पार्क के कोर क्षेत्र में घुसे आवार कुत्तों को टाइगर पर भौंकते हुए पर्यटकों ने देखा था और अब पन्ना टाइगर रिजर्व की पन्ना बफर रेंज अंतर्गत जलाऊ तथा इमारती लकड़ी की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। अवैध कटाई को लेकर समाचार पत्रों में आई ख़बरों में दावा किया गया था कि पन्ना बफर रेंज के लगभग 12 किलोमीटर क्षेत्र में 300 से अधिक वृक्षों की कटाई हुई है। जिसमें बहुतायत में सागौन के पेड़ शामिल हैं।
अवैध कटाई से जुड़े खुलासे को प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव द्वारा अत्यंत ही गंभीरता से लेते हुए राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल को मामले की जांच के लिए पन्ना भेजा गया। राज्य स्तरीय जांच दल द्वारा पन्ना बफर रेंज की सिर्फ एक बीट अजयगढ़ के दो वन कक्षों (कम्पार्टमेंट) 219 तथा 220 की दो दिन तक सघन जांच-पड़ताल की गई। इस दौरान सागौन की अवैध कटाई के साक्ष्य के तौर पर 24 ठूंठ चिन्हित किए। वहीं पखवाड़े भर पूर्व 29 दिसंबर को अजयगढ़ बीट में ही जलाऊ लकड़ी के 28 ठूंठ पाए गए थे। इससे एक बात तो साफ़ तौर पर जाहिर है कि पन्ना बफर रेंज के जंगल की अवैध कटाई लगातार जारी है, जिस पर प्रभावी रोक लगा पाने में मैदानी वन अमला पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है।
प्राप्त जानकारी अनुसार वन विभाग का राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल वनक्षेत्रपाल अमित साहू के नेतृत्व में गुरुवार 16 जनवरी को अवैध कटाई की जांच के सिलसिले में पन्ना पहुंचा। चार सदस्यीय दल के द्वारा पहले दिन पन्ना बफर रेंज की अजयगढ़ बीट के वन कक्ष क्रमांक 219 की जांच की गई। दूसरे दिन तीन टीमें गठित कर वन कक्ष क्रमांक 219 के शेष एरिया और 220 के चप्पे-चप्पे की सघन जांच की गई। इस दौरान अवैध कटाई के साक्ष्य के तौर पर कुल 24 ठूंठ (कटे हुए पेड़ों के अवशेष) पाए गए। अपनी बदनसीबी पर रोते ठूंठ और आसपास का नज़ारा चींख-चींखकर जंगल में जारी वृक्षों के क़त्ल-ए-आम की कहानी बयां कर रहे थे। जांच टीम के द्वारा सभी ठूंठों की नापजोख करने के पश्चात हैमर से उन पर नंबर दर्ज कर चिन्हांकन किया। जांच के दौरान पन्ना बफर रेंज के वन परिक्षेत्राधिकारी अमर सिंह, बीटगार्ड राघवेन्द्र यादव एवं अजयगढ़ के मीडियाकर्मी उपस्थित रहे। राज्य स्तरीय जांच टीम शुक्रवार शाम वापस भोपाल के लिए रवाना हो गई। जांच दल के द्वारा अवैध कटाई की रिपोर्ट सप्ताह भर के अंदर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को सौंपी जाएगी।

अवैध कटाई को इस तरह समझें

राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल द्वारा पन्ना टाइगर रिजर्व की पन्ना बफर रेंज की सिर्फ एकमात्र अजयगढ़ बीट के दो वनकक्षों की दो दिन जांच की गई। जिसमें सागौन की अवैध कटाई से संबंधित 24 ठूंठ पाए गए। इसके पहले 29 दिसंबर 2024 को रेंजर अमर सिंह को बीट निरीक्षण रोस्टर अनुसार अजयगढ़ बीट का निरीक्षण करने पर जलाऊ लकड़ी के 28 ठूंठ मिले थे। जिस पर वन अपराध प्रकरण कायम किया गया था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि, पखवाड़े भर पूर्व अजयगढ़ बीट में निस्तारी (जलाऊ लकड़ी) ठूंठ मिलने के बाद भी निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था में घोर लापरवाही बरती गई। जिसका फायदा उठाकर सागौन तस्कर 24 वृक्षों को काटकर बड़ी मात्रा में बेशकीमती लकड़ी को जंगल से निकालकर सुरक्षित ठिकाने तक ले जाने में सफल हो गए। यह तो सिर्फ एक बीट की कहानी है! बता दें कि, पन्ना बफर रेंज का कुल क्षेत्रफल 10 हजार हेक्टेयर से अधिक है, जिसमें कुल 19 बीटें आती है और इन बीटों में 58 वन कक्ष (कम्पार्टमेंट) हैं। जानकारों का मानना है यदि सभी 19 बीटों के 58 वनकक्षों की गहन जांच कराई जाए तो अवैध कटाई सहित अन्य वन अपराधों का हैरान करने वाला सच सामने आ सकता है।

रात्रि में मुख्यालय से गायब रहते हैं रेंजर साहब

पन्ना जिले में कई वर्षों से पदस्थ पन्ना बफर रेंज प्रभारी अमर सिंह को लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में अंदरखाने चर्चा है कि वर्तमान में वह पार्क के अधिकारियों के सबसे भरोसेमंद और चहेते रेंज ऑफिसर हैं। वहीं कुछ लोग तो मानते हैं कि मौजूदा पीटीआर प्रबंधन की आंख, कान और मुंह अमर सिंह बने हुए हैं। इसलिए पीटीआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके मामले में अघोषित तौर पर सात खून माफ़ जैसा नजरिया अपना रखा है। जिसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ही तरह के मामलों में पार्क की अन्य रेंज और पन्ना बफर रेंज के रेंज ऑफिसर के लिए मानक-मापदंड अलग-अलग रहते हैं। जहां अन्य रेंज ऑफिसर के लिए अपने मुख्यालय में निवास करना अनिवार्य है वहीं प्रभारी रेंजर अमर सिंह को इसमें छूट प्राप्त है। चर्चा है कि वह प्रतिदिन बिना किसी अनुमति के अपना मुख्यालय छोड़कर लगभग 25 किलोमीटर दूर एनएमडीसी हिनौता में निवासरत अपने परिवार के साथ रात्रि विश्राम करने के लिए जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन मार्गों के निर्माण के लिए रेंजर साहब द्वारा मनमाने तरीके से बड़े पैमाने पर मुरुम की खुदाई कराई गई। इसकी जानकारी के बाद भी पार्क के जिम्मेदार अधिकारियों ने किसी तरह का कोई एक्शन लेना उचित नहीं समझा ।