घायल अवस्था में लाते समय रास्ते में हुई मौत
तेंदुए के हमले में 16 ग्रामीण घायल
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बाघ और तेंदुए के हमलों से फैली दहशत
पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश में गुरूवार 24 मई से वनकर्मियों और रेंजर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल के पहले ही दिन पन्ना जिले में बाघ और तेंदुए के हमले की सनसनीखेज खबरें आई है। जंगल में तेंदूपत्ता व लकड़ी लेने गये एक आदिवासी श्रमिक की बाघ के हमले में जहां दर्दनाक मौत हो गई वहीं पन्ना के ही रैपुरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत एक तेंदुए ने आधा दर्जन गांवों में हमलाकर 16 ग्रामीणों को घायल कर दिया। बाघ के हमले की घटना जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 8 किलोमीटर दूर उत्तर वन मण्डल के अंतर्गत मनकी बीट की बताई जा रही है। उत्तर वन मण्डल के डीएफओ नरेश सिंह यादव ने बताया कि बेटूलाल पिता धनकू गौंड 40 वर्ष निवासी ग्राम मनकी जंगल से लकड़ी लेेन गया था। जहां दोपहर करीब 2 बजे पीछे से आये एक बाघ ने बेटूलाल की गर्दन पर हमला कर उसे जमीन में पटक दिया। बेटूलाल के साथ रहे गोपाल आदिवासी व छोटेलाल आदिवासी के शोर मचाने पर हमलावर बाघ मौके से भाग खड़ा हुआ। अत्यंत गंभीर रूप से घायल बेटूलाल आदिवासी को लेकर उसके साथी जब वापिस गांव मनकी जाने लगे तभी रास्ते उसने दम तोड़ दिया। सूत्रों से पता चला है कि बेटूलाल जंगल से तेंदूपत्ता तोड़ने और लकड़ी लेने सुबह जंगल गया था। बाघ के हमले में आदिवासी श्रमिक की मौत की खबर मिलने के बाद पन्ना टाईगर रिजर्व सहित उत्तर वन मण्डल के अधिकारी मौके लिए रवाना हो चुके थे। समाचार लिखे जाने तक मृतक का शव मनकी गांव में ही रखा था। बाघ के हमले में बेटूलाल की मौत के बाद से उसके गांव में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व ने बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम के अंतर्गत बाघों के उजड़े हुए संसार को पुनः आबाद किये जाने के बाद बाघ के हमले में किसी व्यक्ति की मौत होने की यह पहली घटना है। पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की तादाद तेजी से बढ़ने के कारण वहां क्षेत्र कम पढ़ने लगा है। फलस्वरूप पार्क सीमा के बाहर बफर क्षेत्र से सटे सामान्य वन मण्डलों के जंगलों में बाघों का विचरण अब आम हो चुका है। कई वृद्ध व युवा बाघों ने तो पन्ना के सामान्य वन मण्डलों के जंगल में ही अपना इलाका बना रखा है।