7 लाख रुपए की रिश्वत लेने वाला सब इंजीनियर सस्पेंड, ईइनसी ने विभागीय जांच के दिए आदेश

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लोकायुक्त पुलिस सागर की अभिरक्षा में रिश्वत लेने के आरोपी उपयंत्री मनोज रिछारिया (लाल घेरे में) । फाइल फोटो।

*    नौकरी में आने के बाद करीब 25 साल से गृह जिले में था पदस्थ

*    पहली बार पन्ना से हटाकर रीवा डिवीजन ऑफिस में किया अटैच

*   लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई के बाद हरकत में आए PWD के शीर्ष अफसर

*    पन्ना के लोनिवि में वर्षों से जमे तकनीकी अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) पन्ना के हालिया बहुचर्चित रिश्वत काण्ड ने प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के भोपाल स्थित मुख्यालय निर्माण भवन की नींव को हिलाकर रख दिया है। लोकायुक्त पुलिस टीम सागर ने पिछले सप्ताह पन्ना में लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर मनोज रिछारिया को ठेकेदार से 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। आरोप है, उपयंत्री के द्वारा ठेकेदार से रिश्वत की मांग सड़क निर्माण कार्य का मूल्यांकन एवं लंबित बिल भुगतान करवाने के एवज में की गई थी। लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई ने लोक निर्माण विभाग के निर्माण कार्यों में बतौर कमीशन मोटी रक़म वसूली के खेल को उजागर कर दिया है। इस प्रकरण पर गौर करने से पता चलता है कमीशन रुपी रिश्वत लेने के लिए तकनीकी अधिकारी तमाम हथकंडे अपनाकर ठेकेदार को किस तरह परेशान करते हैं। घूसखोरी के इस मामले के सामने आने से लोक निर्माण विभाग की प्रदेशव्यापी बदनामी होने के साथ ही विभाग में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। जिससे मचे हड़कंप के चलते विभाग के शीर्ष अधिकारी अब जाकर हरकत में आए हैं।
लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई की जानकारी मिलते ही लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ (ईइनसी) नरेन्द्र कुमार ने रिश्वत लेने के आरोपी सब इंजीनियर (उपयंत्री) मनोज रिछारिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर कार्यालय कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण संभाग रीवा में अटैच (संबद्ध) किया है। साथ ही मामले की गंभीरता को देखते ईइनसी ने उच्च स्तरीय विभागीय जांच के आदेश जारी कर चीफ इंजीनियर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्रमुख अभियंता (ईइनसी) नरेन्द्र कुमार द्वारा जारी निलंबन आदेश के अनुसार उपयंत्री मनोज रिछारिया को निलंबन अवधि में संबद्ध कार्यालय लोनिवि संभाग रीवा में उपस्थिति प्रस्तुत करने पर नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। इधर, प्रभारी कार्यपालन यंत्री लोनिवि संभाग पन्ना एबी साहू ने निलंबित उपयंत्री मनोज रिछारिया का अतिरिक्त प्रभार उप संभाग पवई के उपयंत्री संजय खरे को ग्रहण करने का आदेश जारी किया है।
लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री मनोज रिछारिया से जब्त की गई रिश्वत की नकद राशि और चेक। (फाइल फोटो)
विदित होकि, मनोज रिछारिया लोक निर्माण विभाग में उपयंत्री के पद पर नियुक्त होने के बाद करीब 25 साल से गृह जिला पन्ना में पदस्थ रहे हैं। दिनांक 2 नवंबर की शाम लोकायुक्त पुलिस की ट्रैप कार्रवाई के घेरे में आने पर निलंबित होने के परिणाम स्वरूप उन्हें पहली बार न सिर्फ पन्ना बल्कि सागर संभाग के बाहर रीवा संभाग में भेजा गया है। सत्ताधारी दल भाजपा के स्थानीय नेताओं व जनप्रतिनिधियों से नजदीकी के चलते मनोज उर्फ़ मंजू रिछारिया अब तक गृह जिला पन्ना में खूंटा गाड़कर पूरे रौब के साथ विभाग में अपनी मनमर्जी चला रहे थे। उपयंत्री के विरुद्ध कार्यालय पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन सागर में रिश्वत की मांग संबंधी शिकायत करने वाले ठेकेदार एवं कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय का आरोप है, पीडब्ल्यूडी पन्ना में चल रहे भ्रष्टाचार में सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी की भी संलिप्तता है। ये दोनों अधिकारी मिलकर रिश्वत की मांग कर राशि लेने के लिए लगातार दवाब बना रहे थे। पन्ना के लोनिवि में कार्यपालन यंत्री की कुर्सी पर लंबे समय से प्रभारी के रूप जमे एबी साहू की विभाग में तनिक भी नहीं चलती। ठेकेदार की मानें तो साहू का अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर किसी तरह का कोई नियंत्रण तक नहीं है। साहू सिर्फ सांकेतिक तौर पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री हैं, पन्ना में वर्षों से जमे तकनीकी अधिकारी उनकी आड़ में विभाग को अपने मनमाफिक हांक रहे हैं। विभाग के शीर्ष अधिकारी इस स्थिति से भलीभांति अवगत हैं लेकिन निहित स्वार्थ पूर्ती के चक्कर में वे भी इस अराजकता पूर्ण स्थिति पर तमाशबीन बने हैं।
क्या है पूरा मामला
लोक निर्माण उप संभाग पन्ना दिव्तीय के अंतर्गत टुन्ना-महगवां सड़क निर्माणधीन है। लगभग 11 किलोमीटर की लम्बाई और 11 करोड़ की लागत वाली इस सड़क का ठेका रतन बिल्डर्स कंपनी के नाम पर है। ठेकदार भरत मिलन पाण्डेय निर्माण कंपनी रतन बिल्डर्स के पार्टनर है। अब तक कराए गए सड़क निर्माण कार्य के एवज में लोक निर्माण विभाग की ओर से ठेका कंपनी को करीब एक करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। जबकि 40 से लाख के बिल को कथित तौर पर उप संभाग कार्यालय स्तर पर सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी के द्वारा रोका गया था। ठेकेदार एवं कांग्रेस नेता भरत मिलन ने जब इस संबंध में सड़क निर्माण के प्रभारी उपयंत्री मनोज रिछारिया से सम्पर्क किया तो उनके द्वारा रिश्वत की मांग की गई। ठेकेदार रिश्वत देना नहीं चाहता था इसलिए भुगतान ना होने से परेशान होकर उसने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर के कार्यालय में आवेदन पत्र देकर घूसखोरी की मांग किये जाने की शिकायत की गई। शिकायत की पुष्टि होने के बाद लोकायुक्त पुलिस टीम ने बुधवार 2 नवंबर 2022 को कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण संभाग पन्ना के कार्यालय में ठेकेदार से 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए उपयंत्री मनोज रिछारिया को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उपयंत्री के कब्जे से रिश्वत के रूप में लिए गए 1 लाख रुपये नकद और 6 लाख रुपए के दो चेक जब्त हुए थे। घूस के रूप में ली गई राशि के लिहाज से जिले में लोकायुक्त पुलिस की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
बाल-बाल बचे त्रिपाठी जी
बताते चलें कि रिश्वत की मांग से परेशान ठेकेदार के निशाने पर उपयंत्री के साथ-साथ सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी के भी थे। इसलिए रिश्वत में दी जाने वाली कैमिकल युक्त नकद राशि व चेक लेकर ठेकेदार लोकायुक्त पुलिस टीम के साथ सबसे पहले लोक निर्माण उप संभाग पन्ना दिव्तीय के अनुविभागीय अधिकारी/सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी के आवास पर पहुंचा था। लेकिन वे घर पर नहीं मिले और मोबाइल फोन पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया था। शिकायतकर्ता ठेकेदार ने बताया, रिश्वत की मांग करने में चूंकि सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी और उपयंत्री मनोज रिछारिया दोनों शामिल थे। इसलिए सहायक यंत्री के आवास या ऑफिस में उन्हें रिश्वत देते समय उपयंत्री मनोज रिछारिया को भी वहां बुलाकर रिश्वत की राशि में उनका हिस्सा सौंपकर दोनों को पकड़वाने की योजना थी। लेकिन समय पर संपर्क न हो पाने के कारण लोकायुक्त ट्रैप कार्रवाई के जाल में फंसने से बीके त्रिपाठी बाल-बाल बच गए। मालूम होकि, जिला मुख्यालय में जिस समय लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम इस बड़ी ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दे रही थी उस समय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान पन्ना जिले में ही मौजूद थे। मुख्यमंत्री अमानगंज तहसील अंतर्गत हरदुआ केन ग्राम में स्थित जेके सीमेंट के नवनिर्मित प्लांट का लोकार्पण कर रहे थे।
7 साल से प्रभारी EE और 9 साल से जमे SDO
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लोकायुक्त पुलिस की बड़ी ट्रैप कार्रवाई के बाद घूसखोरी और भ्रष्टाचार को लेकर सुर्ख़ियों में आए लोक निर्माण विभाग संभाग पन्ना की कमान पिछले साढ़े सात साल से भी अधिक समय से प्रभारी कार्यपालन यंत्री के हाथों में है। दिनांक 17 अप्रैल 2015 से लोनिवि पन्ना में प्रभारी कार्यपालन यंत्री के रूप में एबी साहू अपनी सेवायें दे रहे हैं। साहू जी का मूल पद सहायक यंत्री है। इस कारण लोनिवि पन्ना में पदस्थ अन्य सहायक यंत्री और वरिष्ठ उपयंत्री उन्हें कोई महत्व नहीं देते। साफ़ शब्दों में कहें तो प्रभारी कार्यपालन यंत्री पर उनके अधीनस्थ पूरी तरह हावी है। सूत्रों की मानें तो साहू जी की भूमिका रबर स्टाम्प के जैसी ही। वहीं लोनिवि उप संभाग पन्ना दिव्तीय के अनुविभागीय अधिकारी/सहायक यंत्री के पद पर बीके त्रिपाठी दिनांक 12 सितंबर 2013 से पदस्थ हैं। घूसखोरी का मामला इनके ही उप संभाग अंतर्गत निर्माणाधीन सड़क से संबंधित है। लोनिवि के ठेकेदार ऑफ रिकार्ड बताते हैं, कमीशन के रूप में बगैर मोटी चढ़ोत्री लिए त्रिपाठी जी की कलम चलती ही नहीं है।

कमीशन या फिर पार्टनरशिप ! 

फाइल फोटो।
आमचर्चा है कि, ठेकेदारों को निर्माण कार्य के बिल भुगतान के एवज में पीडब्ल्यूडी में 10 प्रतिशत राशि कमीशन/रिश्वत के तौर पर देनी पड़ती है। कमीशन देने में आनाकानी करने वालों ठेकेदरों को विभाग में वर्षों से जमे तकनीकी अधिकारियों के द्वारा तरह-तरह के हथकण्डे अपनाकर परेशान किया जाता है। ठेकेदार भरत मिलन का हालिया मामला इसका एक उदाहरण मात्र है। बेखौफ होकर चेक से घूस लेने वाले तकनीकी अफसरों के संबंध में ठेकेदार बताते हैं कि कुछेक मामलों में उनसे ठेका में पार्टनरशिप तक की डिमांड की गई। पीडब्ल्यूडी में अगर काम करना है तो वे तकनीकी अधिकारियों को ना नहीं कर सकते। सत्ताधारी दल भाजपा के जनप्रतिनिधियों एवं जिले के शीर्ष अधिकारियों के बंगले चमकाकर और सरकारी खर्च पर उनकी विलासिता की तमाम व्यवस्थाएं जुटाकर पन्ना में वर्षों से जमे लोनिवि के अधिकारियों के सामने शासन के पदस्थापना संबंधी नियम मजाक बन चुके हैं। उल्लेखनीय है कि रिश्वत मामले में सहायक यंत्री बीके त्रिपाठी का नाम आने पर जब उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया गया तो रिंग बजने के बावजूद उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ। लोकायुक्त की ट्रैप कार्रवाई के बाद से ही सहायक यंत्री त्रिपाठी पूरे मामले पर गहरी चुप्पी साधे हुए हैं। उनके द्वारा ठेकेदार के बिल भुगतान पर रोक लगाने के कारणों तक की जानकारी पत्रकारों को नहीं दी जा रही है।

इनका कहना है –

“चीफ इंजीनियर से प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जा रही है, जांच रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। ट्रांसफर से बैन हटते ही वर्षों से जमे तकनीकी अधिकारियों को पन्ना से हटाया जायेगा। जांच की आड़ में अगर आरोपी उपयंत्री को बचाना होता तो लोकायुक्त ट्रैप कार्रवाई के तुरंत बाद उसे निलंबित नहीं करता। भ्रष्टाचार के मामले में व्यक्तिगत तौर पर मैं किसी तरह का कोई समझौता नहीं करता हूं। विभाग में हर कोई इस बात को भलीभांति जनता है। पन्ना का मामला तो वैसे भी गंभीर है, इसमें हर हाल में रिपोर्ट के आधार पर नियमनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

–  नरेन्द्र कुमार, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग भोपाल।