भोपाल। म.प्र.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् भोपाल (मेपकॉस्ट) एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’के स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर (सैक),अहमदाबाद द्वारा मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीआर में लगे उपकरणों से प्राप्त डाटा से भोपाल क्षेत्र में दक्षिण पश्चिम मानसून से होने वाली वर्षा का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। इस शोध परियोजना से प्राप्त नतीजों से फसलों के चयन में आसानी होगी।
मेपकॉस्ट के सुदूर संवेदन अनुप्रयोग केन्द्र के कृषि तथा मृदा प्रभाग के प्रभारी,वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ.जी.डी.बैरागी ने बताया कि मेपकास्ट परिसर में स्थित विज्ञान भवन पर डिसड्रोमीटर उपकरण स्थापित किया गया है। इस उपकरण से प्राप्त दक्षिण-पश्चिम मानसून से होने वाली वर्षा के विभिन्न प्रतिमानों (रेनफॉल प्रॉड्क्टस) पर रिसर्च की जा रही है। तीस किग्रा.वजनी डिसड्रोमीटर अत्याधुनिक उपकरण है,जो वर्षा संबंधी आंकड़ों की रिकॉर्डिंग में अहम भूमिका निभाता है।
डॉ.जी.डी.बैरागी ने बताया कि डिसड्रोमीटर उपकरण मेपकॉस्ट के विज्ञान भवन के साथ ही भोपाल में आईआईएफएम, आईएमडी, जेडीए ऑफिस, एनआईटीटीटीआर (निटर), भेल, बीएमएचआरसी, एसआईआरटी कालेज और बीएसएसएस कॉलेज पर भी स्थापित किया गया है। मेपकास्ट को अनुसंधान के लिए स्थल निर्धारण, सर्वेक्षण और लॉजिस्टिक का कार्य सौंपा गया है। शोध कार्य आरंभ होने के पहले दोनों वैज्ञानिक संस्थानों ने कार्य योजना के विभिन्न घटकों पर विचार मंथन किया था।
क्या है उन्नत मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीआर
इन्सैट-3 डीआर उन्नत और देश में ही निर्मित मौसम उपग्रह है, जिसे 26 जुलाई 2015 को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। यह देश का पहला भू-स्थिर उपग्रह है, जिसमें ‘इमेजर’ एवं साउंडर उपकरण लगे हुए हैं और जो वायुमंडल के विभिन्न आयामों जैसे वर्षा, आर्द्रता, तापमान, कोहरा, हिमपात आदि का उच्च गुणवत्ता आधरित डाटा उपलब्ध कराने में सहायक होगा। उपग्रह आधरित वर्षा को केलीब्रेट करने के लिए भोपाल शहर में 9 संस्थानों पर डिसड्रोमीटर से प्राप्त वर्षा के आंकड़ों से मॉडल तैयार कर वर्षा के सटीक आंकड़ों के प्रॉडक्ट तैयार किये जायेंगे।