इस महिला एसडीएम की हत्या कराने रेत माफियाओं ने दी सुपारी ! एसडीएम बोलीं, जब मैं सुरक्षित नहीं तो आम महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा कैसे दिला पाऊँगी ?

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अजयगढ़ एसडीएम आयुषी जैन।

* पुलिस अधिकारियों से नहीं मिल रही सुरक्षा और सहयोग

* अजयगढ़ एसडीओपी और थाना प्रभारी पर लगाये अभद्रता करने के आरोप

* एसडीएम के साथ पुलिस थाना में किया गया अपराधियों जैसा व्यवहार

* कांग्रेस नेता से विवाद के पांच घण्टे बाद दर्ज की गई एफआईआर

* एसडीएम-एसडीओपी विवाद में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने साधी चुप्पी

* महिला सुरक्षा और कांग्रेस नेता के रेत के अवैध कारोबार पर घिरी प्रदेश सरकार

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) खनिज संसाधनों की खुलेआम संगठित लूट के लिए बदनाम पन्ना जिला मध्यप्रदेश बेल्लारी बन चुका है। पिछले 5 साल से यहाँ की सियासत और प्रशासन रेत, पत्थर और हीरे के अवैध कारोबार के इर्द-गिर्द घूम रही है। प्रदेश की पिछली शिवराज सरकार के समय यहाँ खनिज सम्पदा की लूट अपने चरम पर रही है। करीब पाँच माह पूर्व एमपी में सत्ता परिवर्तन के बाद पन्ना जिले में रेत के अनियंत्रित दोहन पर कुछ हद तक रोक लगी है, लेकिन यह पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। जमीनी हकीकत यही है। बदलाव सिर्फ इतना आया है कि, पहले पन्ना जिले में रेत माफिया का राज चलता था अब प्रशासन में बैठे कतिपय शीर्ष अधिकारियों की शह पर रेत का अवैध कारोबार चल रहा है। सुविधा शुल्क लेकर वे तय कर रहे हैं कि रेत की कौन सी खदान चलेगी और किसे अवैध कारोबार करने की छूट मिलेगी।
सांकेतिक फोटो।
पन्ना की जीवनरेखा कहलाने वाली केन, ब्यारमा, रुन्ज और बागै नदियों से रेत खनन के लिए माफिया दैत्याकार मशीनों से न सिर्फ इन्हें खोखला कर रहे हैं बल्कि नदियों का सीना और कोख को मशीनों के जबड़ों से नोंच कर रेत निकाली जा रही है।प्रशासन एवं पुलिस के संरक्षण में हर दिन चल रही करोड़ों की इस लूट के खिलाफ यहाँ आमतौर कोई आवाज़ नहीं उठती। क्योंकि, इसमें प्रशासनिक-पुलिस अधिकारी, कांग्रेस, भाजपा के नेता, स्थानीय आपराधिक तत्व, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के दबंग और अजयगढ़ एवं पन्ना के कतिपय मीडियाकर्मी शामिल हैं। इसमें जो लोग लिप्त नहीं है, वे यदि कभी-कभार इनके खिलाफ कुछ भी बोलने या फिर कार्यवाही करने का साहस दिखाते हैं तो उन्हें कितना बड़ा जोखिम उठाना पड़ता है और क्या-क्या सहन करना पड़ता है ! अजयगढ़ की महिला एसडीएम आयुषी जैन का मामला इसका ताजा उदाहरण है ?

डम्फर पकड़ा तो कांग्रेस नेता से हुआ विवाद

कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय।
उल्लेखनीय है कि गुरूवार 16 मई को रेत का कथिततौर पर अवैध परिवहन करते एक डम्फर को अजयगढ़ एसडीएम आयुषी जैन द्वारा पकड़ने को लेकर कांग्रेस के रसूखदार नेता एंव जनपद पंचायत अजयगढ़ के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय से उनका विवाद हो गया था। आरोप है कि बगैर पिटपास के रेत का परिवहन करते पकड़े गए डम्फर को कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय महिला एसडीएम आयुषी जैन से अभद्रता कर और उन्हे धमकी देते हुए जबरन छुड़ा ले गए थे। एसडीएम द्वारा इस विवाद की सूचना स्वयं मौके से ही अजयगढ़ एसडीओपी इसरार मंसूरी और प्रभारी नगर निरीक्षक अजयगढ़ डी.एस. परमार को दी गई। लेकिन दोनों पुलिस अधिकारी थाना से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर भी समय से नहीं पहुंचे। कांग्रेस नेता ने रेत के डम्फर को अपने आवासीय परिसर में खाली कराकर जब चालक समेत गायब करा दिया तब कहीं जाकर अजयगढ़ एसडीओपी और थाना प्रभारी मौके पर पहुँचे।

देर से आने का कारण पूँछा तो भड़के एसडीओपी

अजयगढ़ एसडीओपी इसरार मंसूरी।
एसडीम ने जब इस लेटलतीफी पर अप्रसन्नता जताते हुए देर से आने का कारण पूँछा और डम्फर सहित चालक को पकड़ने के निर्देश दिये तो प्रशासनिक अधिकारी के निर्देश पर अमल करने के बजाय एसडीओपी उल्टा उनसे उलझ गए। एसडीएम का आरोप है कि के उनके साथ सार्वजानिक तौर पर एसडीओपी द्वारा बदसलूकी की गई। एसडीओपी का कहना था कि मेरा ड्राईवर नहीं था, मैं बिना सेविंग किये मोटर साईकिल मांग कर यहां आया हूं, मेरे पास प्लेन थोड़ी है कि मैं उड़कर तुरंत आ जाऊँ। इस नोंक-झोंक के बीच एसडीएम ने जब अपनी हत्या की कथित साजिश से जुड़ी पिछली शिकायत पर कार्यवाही न होने का उलहाना दिया तो एसडीओपी और भी भड़क उठे। इसके बाद एसडीएम साथ जो कुछ हुआ वह न सिर्फ अप्रत्याशित है बल्कि अत्यंत ही हैरान करने वाला है।

एसपी से की लिखित शिकायत

पुलिस अधीक्षक से मिलने आई अजयगढ़ एसडीएम की एसपी कार्यालय पन्ना मे खड़ी गाड़ी।
सुश्री जैन ने बताया कि कांग्रेस नेता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए अजयगढ़ थाना पहुँचने पर उन्हें पाँच मिनिट तक खड़ा रखने के बाद कुर्सी दी गई। एसडीओपी ने पहले तो रिपोर्ट लेने में आनाकानी और फिर मीडिया के दबाब में बमुश्किल पाँच घण्टे बाद जनपद पंचायत अजयगढ़ के अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय एवं उनके डम्फर चालक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। महिला एसडीएम के साथ अजयगढ़ के एसडीओपी एवं थाना प्रभारी के द्वारा कथिततौर पर किए गए असहयोग और दुर्व्यवहार की खबरें पिछले तीन दिनों से सुर्ख़ियों में बनीं हैं। इस घटनाक्रम के बाद पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुकीं आयुषी जैन ने 17 मई को पन्ना पहुँचकर पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी से एसडीओपी और थाना प्रभारी अजयगढ़ की लिखित शिकायत करते हुए दोनों के विरुद्ध कार्यवाही की माँग की है।
अजयगढ़ एसडीएम आयुषी जैन।
इस शिकायती पत्र को आवश्यक कार्यवाही हेतु पन्ना कलेक्टर मनोज खत्री सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया है। पत्र में उन्होंने खुलकर अपनी आपबीती का विस्तृत उल्लेख करते हुए लिखा है कि अजयगढ़ में अपनी पदस्थापना के बाद से वह रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन के खिलाफ लगातार कार्यवाही कर रहीं हैं। जिसे लेकर रेत माफियाओं में उनके खिलाफ बौखलहट और गुस्सा व्याप्त है। रेत माफिया एक्सीडेंट कर उनकी हत्या करने का षड़यंत्र रचते हुये कथिततौर पर सुपारी तक दे चुके हैं। इस साजिश में जिन लोगों के नाम सामने आये थे उनकी लिखित शिकायत एसडीएम आयुषी जैन ने 10 अप्रैल 2019 को पुलिस थाना अजयगढ़ में दी थी। लेकिन इस शिकायत पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।

.. तो आमजन के साथ कैसा होगा पुलिस का व्यवहार ?

पन्ना पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी।
मालूम हो कि रेत माफियाओं को संरक्षण देने के संगीन आरोप पन्ना जिले की पुलिस पर काफी समय से लग रहे हैं। एसडीएम सुश्री जैन ने वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई शिकायत में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुये कई वाज़िब सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूँछा है कि, जब अनुविभाग अजयगढ़ की सबसे बड़ी महिला अधिकारी के पत्रों पर कार्यावाही करने में पुलिस उदासीनता बरत रही है तो आम महिलाओं और जनता के साथ पुलिस का व्यवहार कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मैं महिला अधिकारी हो कर अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हूँ, तो आम महिलाओं और जनता के बीच जा कर उन्हें सुरक्षा का भरोसा कैसे दिला पाऊँगी ? दुर्व्यवहार से आहत एसडीएम सुश्री आयुषी जैन ने उच्चाधिकारियों से अजयगढ़ के एसडीओपी इसरार मंसूरी एंव थाना प्रभारी को वहाँ से तत्काल हटाने तथा दोनों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने की मांग की है।

पूर्व में घटित हो चुकीं हैं कई बड़ी घटनाएँ

पन्ना कलेक्टर मनोज खत्री।
महिला एसडीएम के साथ कथिततौर पर अजयगढ़ पुलिस के असहयोग और एसडीओपी द्वारा की गई शिकायत में उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि इन परिस्थितियों में रेत के अवैध कारोबार की रोकथाम के लिए उन्हें हर दिन परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। इसकी जानकारी उनके द्वारा कलेक्टर को भी दी गई। लेकिन इसके बाद भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली। अपनी जान की परवाह किए बगैर अकेले दम पर रेत माफियाओं पर नकेल कसने वाली जाँबाज महिला एसडीएम को विषम परिस्थितियों में वरिष्ठ अफसरों का आपेक्षित सहयोग न मिलने से वह उपेक्षित, अपमानित और असहाय महसूस कर रहीं हैं। बड़ा सवाल यह है कि इन हालत अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी ईमानदारी से काम कैसे कर पाएँगे। खासकर तब जबकि पूर्व में अजयगढ़ में सक्रिय रेत माफिया तहसीलदार को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट कर चुके हैं। यहाँ संचालित वैध-अवैध खदानों पर कई बार फायरिंग हो चुकी है। कुछ माह पूर्व रेत के अवैध उत्खनन का कवरेज करने गए पत्रकारों के मोबाइल फोन माफिया के गुर्गों द्वारा लूट लिए गए। बहरहाल एसडीम-एसडीओपी के बहुचर्चित विवाद प्रकरण में पत्रकारों के सवालों पर पन्ना कलेक्टर और एसपी की चुप्पी न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि अत्यंत ही निराशाजनक है। इस प्रकरण से महिला सुरक्षाऔर अवैध उत्खनन के मुद्दे पर प्रदेश की नई सरकार काफी फजीहत हो रही है। रडार न्यूज ने पन्ना कलेक्टर से जब इस सम्बंध बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं पुलिस अधीक्षक ने कुछ भी बोलने से साफ़ इंकार कर दिया।

इनका कहना है –

“एसडीएम द्वारा की जाने वाली कार्यवाही में उन्हें हमेशा पुलिस की और से सहयोग प्रदान किया गया। 16 मई को एसडीएम के सूचना देने पर 7 मिनिट के अंदर मैं और थाना प्रभारी मौके पर पहुँच गए। एसडीएम द्वारा सहयोग न करने का आरोप लगाना तथा दुर्व्यवहार करने की बात पूर्णतः निराधार है। पूर्व में एसडीएम द्वारा दी गई शिकायत पर जाँच करते हुए प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई थी।”

इसरार मंसूरी, एसडीओपी अजयगढ़ जिला पन्ना।