* एक-दूसरे के खिलाफ ज्ञापन सौंपकर जाँच एवं कार्रवाई की कर रहे माँग
* उत्तर-दक्षिण वन मण्डल कार्यालयों में बुधवार को रहा अघोषित अवकाश
* ज्ञापन सौंपने के लिए अधिकारी-कर्मचारी कई घंटे तक कार्यालय से रहे नदारत
* दक्षिण वन मंडल के अफसरों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को बताया झूठा और निराधार
* पूर्व में वन कर्मचारी संघ एवं रेंजर एसोसिएशन ने विभगीय अफसरों पर लगाए थे संगीन आरोप
पन्ना। (www.radarnews.in) जिले के वन विभाग में व्याप्त अराजकता के बीच यहाँ ज्ञापन पॉलिटिक्स के चलते आपसी घममसान तेज हो गया है। जिसके चलते वन कर्मचारियों के साथ-साथ जिले के अन्य कर्मचारी संगठन भी दो धड़ों में बंट गए हैं। कुछ समय पूर्व वन कर्मचारी संघ जिला शाखा पन्ना के अध्यक्ष महीप कुमार रावत एवं रेंजर एसोसिएशन के संभागीय अध्यक्ष राम सिंह पटेल ने संयुक्त रूप से पन्ना के दक्षिण वन मण्डल में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं व्याप्त होने एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा वनकर्मियों को प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए ग्यारह सूत्रीय ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया था। ज्ञापन में उल्लेखित बिंदुओं के आधार पर दक्षिण वन मण्डल की डीएफओ मीना मिश्रा, उप वनमण्डलाधिकारी कल्दा हेमन्त यादव, उप वनमण्डलाधिकारी पवई राम कुमार अवधिया एवं मुख्य लिपिक बी.पी. परौहा की जाँच कराने और इन्हें पन्ना से स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। इससे मचे हड़कंप की प्रतिक्रिया स्वरूप आज तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के बैनर तले कतिपय वनकर्मियों द्वारा जवाबी ज्ञापन सौंपा गया। मजेदार बात यह है कि जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं वही लोग इसका नेतृत्व करते नजर आए।
वन विभाग के अधिकारियों के पक्ष में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम के चलते बुधवार 11 दिसंबर को पन्ना के दक्षिण वन मण्डल एवं उत्तर वन मण्डल में अघोषित तौर पर अवकाश की स्थिति देखी गई। दोपहर लगभग 12 बजे से लेकर 3:30 बजे तक इन दोनों ही कार्यालयों के सभी कक्षों में टेबिल-कुर्सियाँ खाली होने से सन्नाटा पसरा रहा। अपवाद स्वररूप एक-दो कर्मचारियों को छोड़कर शत-प्रतिशत कर्मचारी कार्यालय से नदारद थे। इसकी भनक लगने पर मीडिया कर्मियों ने मौके पर पहुँचकर दोनों कार्यालयों का आँखों देखा हाल अपने कैमरों में कैद कर लिया। दक्षिण वन मण्डल कार्यालय में उपस्थित मिले वनरक्षक रमेश साहू ने मीडियाकर्मियों को बताया कि सभी कर्मचारी ज्ञापन सौंपने गए हैं। उत्तर वन मण्डल में मुख्य लिपिक और एक स्थाईकर्मी उपस्थित मिला। स्थाईकर्मी ने भी सच्चाई बयां करते हुए बताया कि सभी कर्मचारी ज्ञापन देने गए हैं।
यहां अहम सवाल यह है, क्या सभी अनुपस्थित वन कर्मचारी-अधिकारी अवकाश लेकर ज्ञापन सौंपने गए थे। कहीं ऐसा तो नहीं, चूँकि ज्ञापन अफसरों के पक्ष में दिया गया और वे स्वयं भी इसमें शामिल रहे इसलिए कार्यालयीन समय में कार्यालय एवं फील्ड ड्यूटी से गायब रहे कर्मचारियों को इसके लिए विशेष छूट दी गई। कथित तौर ज्ञापन में भीड़ जोड़ने के के लिए दक्षिण वन मण्डल के सभी वन परिक्षेत्र कार्यालयों से एवं उत्तर वन मण्डल के कुछेक वन परिक्षेत्रों से भी फील्ड स्टॉफ एवं कार्यालयीन कर्मचारियों को सादे कपड़ों में बुलाया गया था। इतना ही नहीं उप वन मंडलाधिकारी कल्दा के कार्यालय में एक विभागीय जाँच के सिलसिले में बतौर अभियोजन साक्ष्य हेतु अपने कथन दर्ज कराने पन्ना आए आधा दर्जन वनकर्मी भी ज्ञापन सौंपने वाली भीड़ में शामिल थे। इससे साफ़ जाहिर है, अघोषित अवकाश की स्थिति वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मूक सहमति के चलते ही रही है।
पन्ना के नवीन कलेक्ट्रेट भवन में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ का ज्ञापन सौंपने के पश्चात इसी संगठन के लेटर पैड पर मुख्यमंत्री के नाम वन विभाग से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान मीडियाकर्मियों ने उप वनमण्डलाधिकारी कल्दा हेमन्त यादव से उत्तर वन मण्डल एवं दक्षिण वन मण्डल कार्यालय से कर्मचारियों के गैरहाजिर होने का सवाल पूँछा तो उन्होंने बचाव करते हुए अपने जबाब में कहा कि सभी अधिकारी-कर्मचारी लंच की छुट्टी में यहाँ आए हैं। एसडीओ की इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी तस्दीक पन्ना के जयस्तंभ पार्क से लेकर कलेक्ट्रट तक और उनके कार्यालयों में लगे सीसीटीव्ही कैमरों के फुटेज से की जा सकती है। इससे पता चल जाएगा कि लंच की छुट्टी की आड़ में वन कर्मचारी-अधिकारी मनमाने तरीके से कितने घंटे तक कार्यालय से गायब रहे।
विभाग की छवि कर रहे धूमिल
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ पन्ना के तत्वाधन में सौंपे गए वन विभाग से संबंधित ज्ञापन में दक्षिण वन मंडल की डीएफओ मीना मिश्रा, दोनों एसडीओ हेमन्त यादव, राम कुमार अवधिया एवं मुख्य लिपिक बी.पी. परौहा पर लगे फर्जीवाड़े के आरोपों को पूर्णतः झूठा और निराधार बताया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि वन कर्मचारी संघ शाखा पन्ना के अध्यक्ष अध्यक्ष महीप कुमार रावत एवं पन्ना जिले से स्थानांतरित हो चुके रेंजर शिशुपाल अहिरवार मीडियाकर्मियों से मिलकर अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ झूठी ख़बरें प्रकशित कराते हैं। उक्त दोनों लोग अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहकर पन्ना में विभाग की छवि धूमिल करने का काम कर रहे हैं। विभाग के विरुद्ध प्रकशित होने वाली ख़बरों को इनके द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है। दिनांक 27 नवम्बर को वन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध झूठा ज्ञापन सौंपने की जांच कराकर महीप कुमार रावत, रेंजर शिशुपाल अहिरवार, रेंजर राम सिंह पटेल, रेंजर इंद्र सिंह धाकड़ के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग की गई है।
दो धड़ों में बंटे कर्मचारी संगठन
पन्ना जिले के वन विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच शुरू जंग में जहां वन कर्मचारी दो धड़ों में बंट गए हैं वहीं अन्य कर्मचारी संघ भी साफ़ तौर पर इन दो खेमों में बंट चुके हैं। मालूम हो कि तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ द्वारा प्रांतीय आव्हान पर बुधवार को अपनी मांगों को लेकर दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत ज्ञापन सौंपा गया। लेकिन इस कार्यक्रम से अन्य कर्मचारी संघों के अधिकाँश अध्यक्षों ने शायद इसलिए दूरी बना ली क्योंकि इस ज्ञापन के पश्चात पृथक से वन विभाग से संबंधित ज्ञापन वन कर्मचारी संघ अध्यक्ष और रेंजर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ सौंपा जाना था। वन कर्मचारी संघ अध्यक्ष महीप कुमार रावत को मंगलवार शाम को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने न सिर्फ दूसरे कर्मचारी संघ अध्यक्षों से बात कर पूरे विवाद पर वस्तुस्थिति स्पष्ट की बल्कि अधिकाँश वनकर्मियों को भी इससे दूर रखने में वे काफी हद तक सफल रहे। हालाँकि अभी हाल ही में काष्ठागार पन्ना में पदस्थ जिन 33 अतिरिक्त मैदानी वनकर्मियों के डीएफओ एवं एसडीओ कार्यालय में वर्षों से अटैच होने का मुद्दा जोरशोर से उछला था वे सभी वनकर्मी आज ज्ञापन सौंपने के दौरान विभागीय अफसरों के पक्ष में मुस्तैदी से खड़े नजर आए।