स्वीप पर सवाल : “वोटें तो पहले जाड़े मा पर गईं, अब काए को चुनाओ आ होत” इस गाँव के लोगों को नहीं लोकसभा चुनाव की जानकारी, कब है मतदान और प्रत्याशियों का भी पता नहीं

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मीडियाकर्मियों से मुखातिब होते आदिवासी बाहुल्य ग्राम रमपुरा के रहवासी।

* बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे हैं वन ग्राम रमपुरा के रहवासी

* पन्ना टाईगर रिजर्व के अंदर स्थित है आदिवासी बाहुल्य ग्राम रमपुरा

* इन हालात में पन्ना जिले में कैसे बढ़ेगा मतदान का प्रतिशत

* दूरस्थ और पहुँच विहीन ग्रामों में मतदाता जागरूकता की जगानी होगी अलख

शादिक खान, रमपुरा से लौटकर। रडार न्यूज़   लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा निर्वाचन- 2019 को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल नजर आ रहा है। अब तक संपन्न हुए चुनाव के तीन चरणों में तेज धूप और गर्मी के बाबजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं ने पोलिंग बूथ पहुँचकर अपने मताधिकार का उपयोग किया है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रत्येक वोट का महत्वपूर्ण है इसलिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता जागरूकता गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मताधिकार के उपयोग को लेकर जनसामन्य को प्रेरित और जागरूक करने के लिए प्रत्येक संसदीय क्षेत्र अंतर्गत विविध कार्यक्रमों के आयोजन पर बड़ी राशि खर्च की जा रही है। प्रशासनिक मशीनरी को भी इसमें लगाया गया है।
रमपुरा की महिलाओं को भी नहीं लोकसभा निर्वाचन की जानकारी।
हर हाल में मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए प्रयासरत भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर विकलांगों एवं चलने-फिरने में अक्षम मतदाताओं को मताधिकार के उपयोग हेतु मतदान केन्द्र तक लाने ले जाने की मुकम्मल व्यवस्था करने के साथ-साथ इनके लिए एक-एक सहायक को तैनात किया गया है। इसके अलावा प्रचंड गर्मी को देखते हुए मतदान केन्द्रों पर पहुँचने वाले मतदाताओं की सुविधा के लिए छाया, शीतल जल और शौंचालय आदि की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है। मतदान प्रतिशत को बढ़ाने की इन कवायदों के बीच मध्यप्रदेश के अति पिछड़े इलाके बुन्देलखण्ड के खजुराहो संसदीय क्षेत्र क्रमाँक-8 के अंतर्गत आने वाले पन्ना जिले में कुछ ऐसे गाँव भी हैं जहाँ के रहवासी लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। जनपद पंचायत पन्ना की इटवांकला पंचायत में आने वाला वन ग्राम रमपुरा इसका एक नमूना मात्र है।

अशिक्षा और जागरूकता का है आभाव

पन्ना टाईगर रिजर्व की चार दिवारी के अंदर जंगल के बीचों-बीच स्थित रमपुरा गाँव बाहरी दुनिया से लगभग कटा हुआ है। इसलिए वहाँ के लोगों को वर्तमान में चल रही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया का पता ही नहीं है। बुधवार 24 अप्रैल को जिला मुख्यालय पन्ना से पत्रकारों का एक दल जब वन विभाग से जुड़ी खबर को कवरेज करने रमपुरा गया था। इस दौरान वहाँ के रहवासियों से चौपाल में लोकसभा चुनाव के संबंध चर्चा करने पर मोतीलाल आदिवासी पिता सुकाइयाँ आदिवासी 40 वर्ष ने बताया कि – “वोटें तो पहले जाड़े मा पर गईं, मालक अब काए को चुनाओ आ होत, काय फिरकें वोटें डारीं जाने हैं का।” यह अप्रत्याशित उत्तर सुनकर पत्रकार हैरान रह गए। दरअसल, यह जबाब सिर्फ मोतीलाल आदिवासी की नहीं है बल्कि वहाँ रहने वाले किसी भी महिला या पुरुष को यह पता ही नहीं है कि वर्तमान में किसी चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, मतदान कब होना है और किस दल से कौन प्रत्याशी है ? पन्ना से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रमपुरा में अब तक न तो प्रशासन की स्वीप गतिविधियों का आयोजन हुआ और न ही वहाँ कोई उम्मीदवार पहुँचा है। एक तरफ जहाँ पूरे देश में लोकसभा चुनाव का शोर है तो वहीं रमपुरा जैसे गाँव भी हैं, बाहरी दुनिया से कटे होने के कारण इनमें लोकतंत्र के महापर्व की खबर अब तक नहीं पहुंच पाई है। लोकसभा निर्वाचन को लेकर यहाँ के लोगों की अनभिज्ञता का कारण गांव की भौगोलिक स्थिति के अलावा जागरूकता का आभाव, अशिक्षा और बिजली न होना है। इसी गांव के प्यारेलाल आदिवासी,लखनलाल आदिवासी, मुल्लू आदिवासी, बेबा गुलजार बाई, हीराबाई आदिवासी को लोकसभा चुनाव के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। इन्होंने बड़ी ही साफगोई से मीडियाकर्मियों बताया कि – “हमाए गाँव में ता कौनउं खा पतो नईंयाँ के फिरके वोटें परने।” मालूम होकि करीब चार माह पूर्व प्रदेश में विधानसभा चुनाव-2018 के लिए मतदान हुआ था। जबकि लोकसभा निर्वाचन-2019 के तहत खजुराहो संसदीय क्षेत्र में मतदान 6 मई 2019 को होना है।

ऐसे ग्रामों में हो स्वीप का आयोजन

खजुराहो संसदीय क्षेत्र में मतदान की तिथि नजदीक आने के मद्देनजर करीब 200 से अधिक मतदताओं वाले रमपुरा गाँव के लोगों को लोकसभा चुनाव की जानकारी न होना बेहद चिंताजनक है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कवायद इन हालात कैसे सफल हो पाएगी, यह बड़ा सवाल बना है ? लोकतंत्र की मजबूती के लिए प्रत्येक वोट महत्पूर्ण होने के दावों के बीच रमपुरा के मतदाताओं तक निर्वाचन पूर्व मतदाता जागरूकता के लिए होने वाली स्वीप गतिविधियों का न पहुँचना अफसोसजनक है। इससे पता चलता है कि खजुराहो संसदीय क्षेत्र अंतर्गत पन्ना जिले के दूरस्थ, पहुँचविहीन और अति पिछड़े ग्रामों में लोकसभा चुनाव को लेकर मतदाता बेखबर है। उधर, खजुराहो सीट से चुनाव लड़ रहे 17 प्रत्याशियों में से कोई भी अब तक रमपुरा नहीं पहुँचा।
इस गेट के अंदर से जाता है रमपुरा ग्राम का रास्ता।
मजेदार बात तो यह है कि विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के पार्टी कार्यकर्ताओं अथवा चुनाव प्रचार में जुटे समर्थकों को रमपुरा का रास्ता याद नहीं हैं। मतदाता पर्ची वितरण तक अगर यही स्थिति रही तो रमपुरा सरीके ग्रामों के मतदाता इस प्रचंड गर्मी में बड़ी तादाद में अपने मताधिकार का उपयोग करने मतदान केन्द्र जाएँगे इसकी उम्मीद कम है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को चाहिए की रमपुरा सरीके गावों में लोकसभा चुनाव के मतदान की अलख जगाने के लिए स्वीप गतिविधियों का आयोजन प्राथमिकता से कराया जाए। ताकि, मतदान प्रतिशत में वृद्धि संभव हो सके।

इनका कहना है –

“मैं इसकी जानकारी तुरंत स्वीप गतिविधि प्रभारी को देता हूँ, रमपुरा जैसे गाँवों पर मतदाता जागरूकता को लेकर विशेष फोकस किया जाएगा।”  

–  जे. पी. धुर्वे, अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी पन्ना।