सहायक शिक्षक को सजा : रिश्वत मांगने के अपराध पर कोर्ट ने सुनाया पांच वर्ष का सश्रम कारावास

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प्रतीकात्मक चित्र।

*       अभियुक्त को दस हजार रुपए के अर्थदंड से भी किया दंडित

*       विशेष न्यायाधीश पन्ना श्री इंद्रजीत रघुवंशी ने सुनाया फैसला

पन्ना। (www.radarnews.in) पूर्व पदांकित विद्यालय में पदस्थापना कराने के एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगने वाले सहायक शिक्षक एवं लिपिक शिक्षा प्रकोष्ठ जिला पंचायत को विशेष न्यायालय पन्ना ने अभियुक्त रामशंकर रैकवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध पाते हुए 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। विद्वान विशेष न्यायाधीश श्री इंद्रजीत रघुवंशी ने प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए अभियुक्त को 10 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना रोहित गुप्ता ने अभियोजन के प्रकरण और उस पर आए न्यायालय के फैसले की जानकारी दी है।
प्राप्त जानकारी अनुसार, दिनांक 17 जुलाई 2019 को आवेदक अरविंद कुमार द्विवेदी, वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लुहरगांव जिला पन्ना ने अनावेदक रामशंकर रैकवार सहायक शिक्षक (लिपिक) शिक्षा प्रकोष्ठ जिला पंचायत पन्ना के विरुद्ध रिश्वत की माँग संबंधी शिकायती पत्र पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष प्रस्तुत किया था। फरियादी ने शिकायती पत्र में बताया था, उसके द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत पन्ना को लिखित आवेदन पत्र दिया गया था। जिसमें लेख किया था कि उसकी असंचयी प्रभाव से रोकी गई एक वेतनवृद्धि एवं पदस्थापना पूर्व पदांकित शाला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सलेहा में की जाए। आवेदक की वेतन वृद्धि तो बहाल हो गई लेकिन पदस्थापना सलेहा में नहीं हुई। आवेदक अरविंद कुमार ने जिला पंचायत के शिक्षा प्रकोष्ठ शाखा में पदस्थ बाबू रामशंकर रैकरवार सहायक शिक्षक से सम्पर्क किया गया। लिपिक रामशंकर ने नोटशीट प्रस्तुत कर काम करवाने के एवज में आवेदक से 10.000/-रू. (दस हजार) की रिश्वत की मांग की गई। आवेदक रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि लिपिक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़वाना चाहता था। लोकयुक्त पुलिस के द्वारा शिकायत की तस्दीक के बाद प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
ट्रैप कार्रवाई हेतु लोकायुक्त पुलिस के द्वारा अरविंद कुमार द्विवेदी को रिश्वत के लेनदेन की बातचीत रिकार्ड करने हेतु वाइस रिकार्डर देकर लिपिक रामशंकर रैकवार के धाम मोहल्ला पन्ना में स्थित घर भेजा गया था। कुछ समय पश्चात आवेदक का पूर्व निर्धारित इशारा किया तो समस्त ट्रैप दल आरोपी के मकान में दाखिल हो गया। ट्रैपदल को आता देख रामशंकर ने रिश्वत राशि अपने मकान के दूसरे कमरे में रखी पलंग पेटी के पीछे फेंक दी थी। आरोपी लिपिक रामशंकर रैकवार को हिरासत में लेकर उसके दोनों हाथों को सोडियम कार्बोनेट के घोल में घुलाने पर घोल का रंग हल्का गुलाबी हो गया था। आरोपी के दूसरे कमरे से रिश्वत के नोट बरामद कराये गये जो 10,000/-रूपये थे। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 13(1)बी, 13(2) पी.सी. एक्ट के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। सम्पूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
फाइल फोटो।
इस प्रकरण का विचारण विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पन्ना इंद्रजीत रघुवंशी के न्यायालय हुआ। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी करते हुए संदीप कुमार पांडेय, जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा दौरान विचारण अभियोजन के साक्ष्य को क्रमबद्ध तरीके से लिपिबद्ध कराकर न्यायालय के समक्ष आरोपी के विरूद्ध आरोप को संदेह से परे प्रमाणित किया गया। साथ ही आरोपी का कृत्य गंभीरतम होने के कारण उसे कठोर से कठोरतम सजा दिये जाने का अनुरोध किया गया। अभिलेख पर आए साक्ष्य, अभियोजन के तर्कों एवं न्यायिक दृष्टांतो से संतुष्ट होते हुए न्यायालय द्वारा अभियुक्त रामशंकर रैकवार को क्रमशः भ्रष्टचार निवारण अधिनियम धारा- 7, 13(1)(बी)(बी) सहपठित धारा- 13(2) के आरोप में दोषसिद्ध पाकर क्रमशः 4 वर्ष, 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच-पांच हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।