सोशल मीडिया पर दो लेटर पोस्ट कर DSO ने लगाये बेहद गंभीर आरोप
कलेक्टर के खिलाफ पन्ना पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी शिकायत
पन्ना। रडार न्यूज भाजपा जिलाध्यक्ष पन्ना सतानंद गौतम द्वारा पिछले दिनों जिला आपूर्ति अधिकारी को कथित तौर पर गालियां देने और धमकाने बहुचर्चित विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। सियासी और प्रशसनिक हलकों में हलचल मचाने वाले इस विवाद की लपटों की जद में पन्ना कलेक्टर मनोज खत्री भी आ गये है। जिला आपूर्ति अधिकारी (डीएसओ) भूपेंद्र सिंह परिहार ने सोशल मीडिया पर दो पत्र जारी कर जारी कलेक्टर पर भाजपा जिलाध्यक्ष को बचाने के लिए अपने पद और प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर गवाहों पर दबाब बनाकार उनके बयान बदलवाने का सनसनीखेज गंभीर आरोप लगाया है। इससे नाराज डीएसओ द्वारा कलेक्टर के खिलाफ भी कोतवाली थाना पन्ना पुलिस को शिकायत भेजकर प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है। शिकायती पत्र के अनुसार 13 सितंबर 2018 को शाम के समय जिला आपूर्ति अधिकारी कार्यालय में भाजपा जिलाध्यक्ष सतानंद गौतम द्वारा सेल्समेन नारायण सिंह को उचित मूल्य दुकान विरबाही का प्रभार देने के लिए दबाव बनाते हुए जब डीएसओ भूपेंद्र सिंह के साथ कथित रूप से गालीं-गलौज कर धमकी दी गई थी तब अधीनस्थ कर्मचारी मौके पर मौजूद थे। कोतवाली थाना पुलिस को भेजी गई इस घटना की लिखित शिकायत तथा पंचनामा में डीएसओ ने अपने कार्यालय के उन प्रत्यक्षदर्शी कर्मचारियों- महेश गंगेले लिपिक, सत्यम रिछारिया कम्प्यूटर ऑपरेटर, धर्मेंद्र शर्मा लिपिक, गोविंद यादव भृत्य के नामों का उल्लेख किया था। मालूम हो कि घटना के संबंध बनाये गए पंचनामा में इन कर्मचारियों ने हस्ताक्षर किए थे। बाद में पुलिस को दिये गए बयान में कर्मचारियों ने घटना को नकार दिया।
डीएसओ भूपेंद्र सिंह का आरोप है कि सत्ताधारी दल के जिलाध्यक्ष को आपराधिक प्रकरण से बचाने के उद्देश्य से यह सब कलेक्टर के दबाब में किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अपने पत्र में डीएसओ ने यह खुलासा किया है कि बयान बदलने के लिए कलेक्टर का दबाब होने की बात उन्हें 15 सितम्बर 2018 को लिपिक महेश गंगेले और सत्यम रिछारिया कम्प्यूटर ऑपरेटर ने ही बताई थी। अपने लेटर में उन्होंने पन्ना कलेक्टर मनोज खत्री और भाजपा जिलाध्यक्ष के बीच प्रगाढ़ संबंध होने का भी जिक्र किया है। इन तमाम आरोपों में कितनी सच्चाई है यह संबंधित पक्ष ही बेहतर जानते हैं। बहरहाल विवादित पृष्ठभूमि वाले डीएसओ के इन आरोपों ने जिले सियासी हलकों-प्रशासनिक गलियारों से लेकर आमलोगों के बीच नई चर्चा छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर लोगों की लगातार प्रतिक्रियायें आ रहीं हैं। उधर कांग्रेस के आईटी सेल के पदाधिकारी भी इस विवाद से जुड़ी ख़बरों और डीएसओ भूपेंद्र सिंह के पत्रों को सोशल मीडिया पर तेजी से फैला रहे हैं।
प्लीज, पन्ना से अपना तबादला करा लें
गालीं-गलौंज विवाद के बाद से लेकर अब तक डीएसओ भूपेंद्र सिंह के तीन लेटर सोशल मीडिया पर आ चुके हैं। जिसमें दो लेटर निरीक्षक कोतवाली थाना पन्ना को भेजे गए जबकि 17 सितम्बर को तीसरा पत्र कलेक्टर पन्ना, मनोज खत्री के नाम से जारी किया गया। इस पत्र में भाजपा जिलाध्यक्ष को बचाने के लिए कथित तौर पर गवाहों को बयान बदलने के लिए मजबूर करने को उन्होंने कलेक्टर श्री खत्री द्वारा अपनी पदीय गरिमा गिराना बताया है। पत्र में आगे कहा गया है कि- मुझे आपके इस कृत्य पर शर्म आती है, क्योंकि यह कृत्य अधीनस्थ अधिकारी के साथ किया गया विश्वासघात है। इस पत्र के अंत में डीएसओ ने आश्चर्यजनक तरीके से कलेक्टर मनोज खत्री से अपना तबादला पन्ना से कहीं और कराने का अनुरोध करते हुए लिखा है, जिससे हम अधिकारीगण प्रशासनिक कार्य बिना किसी तनाव के पूर्व की तरह बेहतर तरीके से कर सकें। उल्लेखनीय कि इस पत्र में कलेक्टर श्री खत्री और भाजपा जिलाध्यक्ष पन्ना सतानंद गौतम के लिए बेहद घटिया भाषा का उपयोग किया गया। उनके आपसी संबंधों पर भी अमर्यादित टिपण्णी की गई है। कलेक्टर के खिलाफ एक तरफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए कोतवाली थाना पुलिस को शिकायत भेजने और दूसरी तरफ उन्हीं से अपना ट्रांसफर पन्ना से कहीं और कराने का निवेदन डीएसओ ने पत्र में जिस अंदाज में किया है उससे उनकी मंशा पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। उधर जब इन आरोपों के संबंध कलेक्टर मनोज खत्री से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से साफ मना कर दिया।
विवादों के लिए हैं चर्चित
विवादों का पर्याय बन चुके डीएसओ भूपेंद्र सिंह अपने आरोपों और पत्रों की अमर्यादित भाषा शैली को लेकर कई लोगों के निशाने पर भी हैं। ताज़ा विवाद के सामने आने के बाद इनके पिछले कारनामे भी चर्चाओं में आ गये है। कलेक्टर मनोज खत्री की ही तरह इन्होनें पन्ना के तत्कालीन कलेक्टर धनंजय सिंह भदौरिया के खिलाफ भी मोर्चा खोलते हुए आरोपों की बौछार कर दी थी। बाद में यह विवाद हाईकोर्ट तक गया था। मालूम होकि भूपेंद्र सिंह अब तक जहां भी ये रहे हैं वहां अपने आरोपों-विवादों से बबाल पैदा करते रहे हैं। पूर्व में ये कई बार लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई के घेरे में भी आ चुके हैं। इतना ही नहीं एक मामले में लंबे समय तक नौकरी से अनुपस्थित भी रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व एक कार्रवाई को लेकर हुए विवाद के बाद इन्हें पन्ना से हटाया गया था। बाबजूद इसके परिहार को पन्ना जिले में दूसरी बार पदस्थ किया गया। इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष के साथ कथित तौर हुए विवाद के बाद भूपेंद्र सिंह फिर से चर्चाओं में है। सरकारी नौकरी के साथ ही इनके विवादों की फेहरिस्त भी लम्बी होती जा रही है। जिस पर गौर करने के बाद कई लोग इनके आरोपों को तनिक भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि अपनी कारगुजारियों से ध्यान हटाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर झूठे आरोप लगाकर दबाब बनाना भूपेंद्र सिंह की आदत बन चुकी है, पन्ना से लेकर भोपाल तक यह बात सभी को भलीभांति पता है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।
इनका कहना है
“भूपेंद्र सिंह परिहार मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति है, उसे नौकरी में नहीं बल्कि हॉस्पिटल में होना चाहिए ताकि उनकी मानसिक स्थिति का इलाज हो सके। अपने अब तक सर्विस पीरियड में परिहार ने सिर्फ दूसरों पर अनर्गल आरोप लगाकर विवाद ही पैदा किये हैं। पहले मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाये अब कलेक्टर के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। इनकी शिकायत और आरोपों की सत्यता सब जान चुके हैं।”
सतानंद गौतम, जिलाध्यक्ष भाजपा पन्ना।
“डीएसओ की शिकायत की जांच चल रही है, जिसने जो भी बयान दिए उन्हें दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस किसी भी तरह से दबाब में नहीं है, जांच में जो भी तथ्य निकलकर सामने आएंगे हम उसी के अनुसार कार्रवाई करेंगे। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कोई शिकायत नहीं की है पर एक आवेदन देकर डीएसओ के आरोपों को असत्य और निराधार बताया है।”
विवेक सिंह, पुलिस अधीक्षक पन्ना।
“पन्ना कलेक्टर के विरुद्ध किसी तरह का कोई आवेदन पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, वाट्सएप पर जरूर पड़ा है। पत्र डाक से भेजा गया होगा इसलिए नहीं मिला है।