श्रीरामकथा के नव कलाप्रयोगों पर एकाग्र ‘‘रामायणम’’ समारोह का हुआ समापन
पारम्परिक नृत्य शैलियों के समन्वय से श्रीरामकथा नृत्य नाट्य की प्रस्तुति
अवधी गीतों में राम जन्म से लेकर राम वनवास तक के प्रसंगो को सुनाया
चित्रकूट। रडार न्यूज मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा तुलसी शोध संस्थान, चित्रकूट में श्रीरामकथा के नव कलाप्रयोगों पर एकाग्र तीन दिवसीय प्रतिष्ठा आयोजन ‘रामायणम’ का आयोजन 11 से 13 अगस्त 2018 तक तुलसी भवन के नवनिर्मित ऑडिटोरियम में किया गया। श्रीरामकथा के कलारूपों की भारत के अनेक प्रान्तों की गायन, नृत्य, नाट्य आदि शौलियों में गान, मंचन और अभिनय की सुदीर्ध परम्परा है। रामकथा आख्यान विश्व की ऐसी मूल्य निर्मिति की कथा है जिसका विस्तार अन्य देशों में भी हैं। समकाल में हो रहे परिवर्तनों से कलाएँ भी अछूती नहीं है। ऐसे समय में हमारा दायित्व है कि नई पीढ़ी को मूल्यों के इस महाग्रन्थ की शास्वत जीवन उपयोगिता और महत्व के बारे में बताया जाये।
समकाल में कलाएँ इसका सशक्त माध्यम है। इस दृष्टि से रामकथा के नव कलाप्रयोगों को आधार बनाकर तीन दिवसीय ‘रामायणम’ समारोह की परिकल्पना की गई हैं। जिस तहर से पिछले दो दिनों में नवाचारी प्रयोगों को सुधि दर्शक-श्रोताओं की सराहना और प्रतिक्रिया मिली है तथा बच्चों और युवाओं ने जिस गभीरता के साथ कथा को देखा-सुना है, उससे इस आयोजन की सार्थकता श्री राम की लीला चित्रकूट में आशाजनक लगती है। बशर्ते इसकी गंभीरता को समझा जाये।
समारोह के समापन दिवस 13 अगस्त, 2018 को पहली प्रस्तुति गायिका -सुश्री ममता शर्मा एवं साथी -बनारस द्वारा अवधी गीतों में राम जन्म से लेकर राम वनवास तक के प्रसंगो पर आधारित गीतों की प्रस्तुतियाँ दी गई। दूसरी प्रस्तुति तिरूअनंतपुरम केरल से पधारे जॉय कृष्नन और साथियों द्वारा केरल की पारम्परिक नृत्य शैली केरलानादनम और शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी के समन्वय से श्रीरामकथा नृत्य नाट्य की प्रस्तुतियाँ प्रकाश और ध्वनि के साथ कलाकारों के अद्भुत कला को देखकर दर्शकों द्वारा बार-बार तालियों से अभिवादन एवं मंत्रमुग्ध कथा का श्रवण करते रहे।