एमपी का पीटीआर फिर हुआ गुलज़ार, तीन बाघ शावकों की गूँजी दहाड़

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पन्ना-टाईगर रिजर्व में पत्थरों की खखरी पर पूरे राजसी अंदाज में बैठे तीनों राजकुमार (नन्हें शावक)।

* पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघिन पी-234 ने तीन शावकों को दिया जन्म

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम की अपार सफलता के फलस्वरूप यहां जंगल के राजा बाघ का कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पन्ना पार्क में एक और बाघिन के द्वारा शावकों को जन्म देने की खुशखबरी आई है। बाघिन पी-234 ने अपने तीसरे लिटर में तीन शावकों को जन्म दिया है। एक साथ तीन नन्हें राजकुमारों के आने पन्ना टाईगर रिजर्व एक बार फिर गुलजार हो गया है। इस खबर के आने के बाद से पार्क प्रबंधन में जश्न का माहौल है। वर्तमान में पन्ना पार्क में बाघों की संख्या आधा सैंकड़ा के आंकड़े को पार कर रिकार्ड स्तर पर पहुँच चुकी है। पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने इस उपलब्धि को कुशल प्रबंधन, सतत निगरानी और जन समर्थन से बाघ संरक्षण का प्रतिफल बताया है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाईगर रिजर्व में वर्ष 2009 में कान्हा से लाई गई बाघिन टी-2 से तीसरे लिटर में जन्मी बाघिन पी-234 ने अपने तीसरे लिटर में तीन शावकों को जन्म दिया। बाघिन पी-234 के तीन शावक को पहली बार पन्ना टाईगर रिजर्व के वन क्षेत्र में देखा गया। शावक पूर्णतः स्वस्थ हैं तथा लगभग तीन माह के प्रतीत होते हैं। नवजात शावकों के आगमन से पन्ना टाईगर रिजर्व में खुशी का माहौल है। मालूम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व बाघों से वीरान हो गया था। तत्पश्चात बाघ पुर्नस्थापना योजना के तहत अन्य टाईगर रिजर्व से लाये गये बाघ व बाघिनों से यहां के बाघों का संसार पुनः आबाद हो गया। वर्तमान समय में यहां पर बाघों की संख्या शावकों सहित पचास से अधिक बताई जाती है। इसके अलावा यहां के बाघ टाईगर रिजर्व के बाहर के जंगलों में भी अपना बसेरा बनाये होने की खबरें आतीं रहतीं हैं। हाल ही में चित्रकूट के जंगलों में पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघिन ने शावकों को जन्म दिया था। इस टाईगर रिजर्व में बाघ विहीन होने के बाद कई अनूठे प्रयोग किये गये। जिनको सारे विश्व में सराहा गया। यहां पर अर्द्धजंगली बाघिन को जंगली बनाने का भी प्रयास सफल रहा।