MP : बैंक अधिकारियों के साथ निजी कंपनी के कर्मचारियों ने मिलकर किया 41 लाख का गबन, ईओडब्ल्यू ने 9 आरोपियों के ख़िलाफ़ दर्ज़ की FIR

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सांकेतिक फोटो।

*   गबन, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के मामले में पन्ना जिले के चार व्यक्तियों के नाम FIR में शामिल

*   सीडीएम मशीन सुधार की आड़ में अपने और परचितों के खातों में बैंक की राशि ट्रांसफर कर ATM से निकाल ली

शादिक खान, सागर/पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले की भारतीय स्टेट बैंक शाखा में कैश डिपॉजिट मशीन (सीडीएम) के सुधार कार्य की आड़ में हुए बैंक राशि के बहुचर्चित गबन मामले में पांच साल बाद कार्यालय पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) इकाई सागर ने 9 लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर प्रकरण को विवेचना में लिया है। मामले की जाँच में यह पाया गया कि, बैंक अधिकारियों के साथ निजी कंपनी के कर्मचारियों ने मिलकर गबन को अंजाम दिया है। आरोपियों ने सीडीएम मशीन के माध्यम जून 2014 से लेकर माह अक्टूबर 2016 तक कुल 260 ट्रांजेक्शन के जरिए बैंक की राशि- 41,19,000/- (इक्तालीस लाख उन्नीस हजार रूपये) को अपने व परचितों-रिश्तदारों के खातों में अवैधानिक रूप से ट्रांसफर कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई। गबन, धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के इस मामले दर्ज़ एफआईआर में पन्ना जिले के चार व्यक्तियों के नाम शामिल हैं।
ईओडब्ल्यू ने जिन 9 लोगों को आरोपी बनाया है उनमें- ओमप्रकाश सक्सेना निवासी मऊ रोड खादी आश्रम के पास टीकमगढ़, शीलचन्द्र वर्मा निवासी 36 इंद्रपुरी जैन मंदिर के पास टीकमगढ़, अनिल वाजपेयी निवासी 20 गणेश विला कैलाशनगर अमर ज्योति स्कूल के पास कोटेश्वर रोड ग्वालियर, बाबूलाल निवासी 143 पश्चिमपुरी शास्त्रीपुरम रोड सिंकदरा जिला आगरा उत्तर प्रदेश बैंक अधिकारी-कर्मचारी हैं। जबकि शेष 5 आरोपियों में इंजीनियर डायबोल्ट कंपनी सीताराम तिवारी निवासी ग्राम सरहंजा तहसील गुनौर जिला पन्ना, रीतेश खरे निवासी चित्रांशनगर झांसी रोड कलेक्ट्रेट के सामने कुंवरपुरा जिला टीकमगढ़, अरूण कुमार पाण्डेय निवासी ग्राम सरहंजा तहसील गुनौर जिला पन्ना, बृजकिशोर पाण्डेय ग्राम सरहंजा तहसील गुनौर जिला पन्ना एवं जीतेन्द्र तिवारी निवासी ग्राम बृजपुर तहसील/जिला पन्ना हाल निवास न्यू पुलिस कॉलोनी क्वार्टर नम्बर 4 जिला पन्ना शामिल हैं। जीतेन्द्र तिवारी को लेकर अपुष्ट चर्चा है कि, वह पूर्व कांग्रेस नेता है। करीब दो वर्ष पहले वन्यजीवों के अंगों की तस्करी के मामले में जीतेन्द्र का नाम आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उसे न सिर्फ पद से हटा दिया था बल्कि तत्काल प्रभाव से उसकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी थी।

सीडीएम का मोड चेंज कर रुपए करता था ट्रांसफर

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को प्राप्त शिकायत की जाँच श्रीमति उमा नवल आर्य, निरीक्षक, प्रकोष्ठ इकाई, सागर से कराई गई । जाँच में आये साक्ष्यों के आधार पर पाया गया कि, सीताराम तिवारी इंजीनियर डायबोल्ट कंपनी एवं अन्य के द्वारा एसबीआई की शाखा टीकमगढ़ मेेेें कैश डिपॉजिट मशीन (सीडीएम) को सही करने/रिपेयर करने के दौरान 41,19,000/-(इक्तालीस लाख उन्नीस हजार रूपये ) आरोपियों द्वारा अपने एवं अपने परिचितों के खातों में अवैधानिक रूप से जमा कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की गई। आरोपी सीताराम तिवारी को सीडीएम मशीन को रिपेयर/सुधार कार्य करने के लिये ज्वाइंट कस्टोडियन ओमप्रकाश एवं अन्य के द्वारा फोन करके बुलाकर उपस्थित रहते थे। आरोपी इजींनियर सीताराम तिवारी सीडीएम मशीन ठीक करने के दौरान 100, 500 एवं 1000 रूपये के नोटों का पैकेट ज्वाइंट कस्टोडियन से लेकर मशीन को सुपरवाइजरी मोड से कंज्यूमर मोड में कराकर रूपयों को मशीन में डालकर अपने एटीएम का प्रयोग करते हुये विभिन्न आरोपियों नअपने एवं रिश्तेदार-परचितों के खातों में पैसा ट्रांसफर करता था। सीडीएम मशीन को ज्वाइंट कस्टोडियन से कंज्यूमर मोड से सुपरवाईजरी मोड में करा देता था। इस दौरान हुये ट्रांजेक्शन की काउंटर स्लिप को जीरो कर देता था जिससे बैलेन्स का पता नहीं चल पाता था।

ज्वाइंट कस्टोडियन ने जानबूझकर बरती लापरवाही

निरीक्षक ईओडब्ल्यू श्रीमति उमा नवल आर्य ने बताया, जांच में यह तथ्य उजागर हुआ है कि, दिनांक 12 जून 2014 से लेकर 21 अक्टूबर 2016 तक कुल 260 ट्रांजेक्शन के माध्यम से एसबीआई टीकमगढ़ की सीडीएम मशीन से एटीएम कार्ड के द्वारा उक्त पाँचों आरोपियों एवं उनके परिचितों के खातों में 41,19,000/- (इक्तालीस लाख उन्नीस हजार रूपये मात्र) जमा हुये। उक्त पांच खातों के जमा राशि को एटीएम कार्ड के माध्यम से ही अलग-अलग दिनांकों में निकाल कर बैंक से धोखाधड़ी की गई। इस तरह कुल 41,19,000/-रूपये की राशि का गबन किया गया। जांच में यह भी पता चला है कि, आरोपी सीताराम तिवारी इंजीनियर डायबोल्ट कंपनी के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक शाखा टीकमगढ़ में लगी सीडीएम मशीन को रिपेयर/मेंटेनेन्स करने के दौरान सीडीएम मशीन के माध्यम से रूपये ट्रांसफर करने एवं रूपये एटीएम के जरिए निकालने के इस कार्य में बैंक के ज्वाइंट कस्टोडियन (संयुक्त अभिरक्षक) द्वारा अपना कार्य प्रक्रियानुसार न करते हुये अपराध घटित करने में आरोपी इंजीनियर डायबोल्ट कंपनी की मदद की गई है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई, सागर की जाँच में आरोपियों के विरूद्ध अपराध क्रमांक 43/22 धारा 420, 408, 409, 468, 477ए, 120-बी भादंवि. 7(सी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधित अधिनियम, 2018 का अपराध पाये जाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया गया ।