खजुराहो लोकसभा सीट | बीजेपी जीत को लेकर आश्वस्त, कांग्रेस को बदलाव की उम्मीद ! चुनावी नतीजों का सबको है बेसब्री से इंतजार

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* सोशल मीडिया पर भाजपा प्रत्याशी बीडी शर्मा की जीत का दावा

* बुन्देलखण्ड में भाजपा का मजबूत गढ़ है खजुराहो लोकसभा सीट

* चुनाव परिणाम आने पर साफ होगा मोदी फैक्टर चला या क्षेत्रवाद

शादिक खान, पन्ना(www.radarnews.in)   लोकसभा चुनाव की मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। मैराथन चुनाव प्रक्रिया के बाद लोकसभा चुनाव की मतगणना शुरू होने और नतीजे आने में महज कुछ घण्टे ही अब शेष बचे हैं। ऐसे में लोगों की उत्सुकता चरम पर है। दरअसल, मतदान सम्पन्न होने के बाद न्यूज चैनलों पर प्रमुखता से प्रसारित हुए एग्जिट पोल-पोस्ट पोल सर्वेक्षणों ने चुनावी नतीजों को लेकर जहाँ पूरे देश की जिज्ञासा जगाई है वहीं सियासतदारों की बेचैनी बढ़ा दी है। अधिकांश एग्जिट पोल ने भाजपा और एनडीए पूर्ण बहुमत मिलने की तस्वीर पेश की है। जबकि कांग्रेस और महागठबंधन को सत्ता से दूर बताया गया है। इससे भाजपा के खेमे में जहाँ उत्साह का माहौल देखा जा रहा है वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेतागण आशा और निराशा के असमंजस से जूझ रहे हैं। हालाँकि, एग्जिट पोल के शोर-शराबे के बीच इससे जुड़े पुराने अनुभवों को देखते हुए कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने अधिकारिक चुनावी नतीजे आने तक उम्मीद नहीं छोड़ी है।
मतगणना का सांकेतिक फोटो।
जीत-हार की अटकलों के बीच कयास खजुराहो लोकसभा सीट को लेकर भी खूब लगाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल में भाजपा का मजबूत गढ़ कहलाने वाली इस सीट पर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी की चुनाव में कमजोर स्थिति रहने के मद्देनजर सीधे मुकाबले में फंसी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियाँ यहाँ अपनी जीत का दावा कर रहीं हैं। भाजपा को जहाँ मोदी फैक्टर, राष्ट्रवाद पर जनभावनाओं के उभार और अपने चुनावी प्रबंधन पर पूरा भरोसा है, वहीं कांग्रेस की उम्मीद बदलाव की बयार, किसानों की कर्जमाफी, न्याय योजना तथा बाहरी बनाम क्षेत्रीय प्रत्याशी के मुद्दे पर जनसमर्थन मिलने पर टिकीं है। लेकिन चुनावी विश्लेषकों मानना है कि जीत उसी की होगी जो यहाँ के जटिल जातिगत समीकरणों को साधने में कामयाब हुआ होगा।
मतगणना का सांकेतिक फोटो।
सर्वविदित है कि खजुराहो सीट पर भाजपा के प्रत्याशी विष्णु दत्त शर्मा को बाहरी होने के कारण चुनाव के शुरुआती दौर में विरोध का सामना करना पड़ा था। उन्हें, कांग्रेस की क्षेत्रीय प्रत्याशी कविता सिंह के मुकाबले में कमजोर आँका जा रहा था। लेकिन, चुनाव जब अपने रंग में आया तो क्षेत्रवाद की लड़ाई जातिवाद में बदल गई। फलस्वरूप ब्राह्मणवाद बनाम ठाकुरवाद के इस अघोषित संघर्ष ने पूरे चुनावी परिदृश्य को ही बदल डाला था। इसका स्वाभाविक असर कुछ हद तक बहुसंख्यक पिछड़ा वर्ग पर भी पड़ा। सवर्णों की अपनी जाति के प्रत्याशी के पक्ष में गोलबंदी को देखते हुए पिछड़े वर्ग की कुछ जातियों में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी वीर सिंह पटेल के समर्थन में सुगबुगाहट रही है। सपा प्रत्याशी को बहुजन समाज पार्टी का समर्थन प्राप्त होने से कुछ हद तक दलितों में भी उनके प्रति आंतरिक झुकाव रहा है। इन परिस्थितियों में सपा को मिलने वाले वोटों की संख्या पर भी भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हार काफी हद तक निर्भर करेगी। वोटों की गिनती शुरू होने में अब 24 घण्टे से भी कम समय बचा है, इसलिए यहाँ प्रत्याशियों के साथ-साथ आम लोगों की धड़कनें भी तेज होने लगीं हैं। खजुराहो सीट की प्रतिष्ठापूर्ण चुनावी लड़ाई को इस बार कौन जीतेगा, गुरुवार 23 मई को आने वाले चुनावी नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा।